भजन संहिता 101

1 मैं करूणा और न्याय के विषय गाऊंगा; हे यहोवा, मैं तेरा ही भजन गाऊंगा। 2 मैं बुद्धिमानी से खरे मार्ग में चलूंगा। तू मेरे पास कब आएगा! मैं अपने घर में मन की खराई के साथ अपनी चाल चलूंगा; 3 मैं किसी ओछे काम पर चित्त न लगाऊंगा॥ मैं कुमार्ग पर चलने वालों के […]

भजन संहिता 102

1 हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन; मेरी दोहाई तुझ तक पहुंचे! 2 मेरे संकट के दिन अपना मुख मुझ से न छिपा ले; अपना कान मेरी ओर लगा; जिस समय मैं पुकारूं, उसी समय फुर्ती से मेरी सुन ले! 3 क्योंकि मेरे दिन धुएं की नाईं उड़े जाते हैं, और मेरी हडि्डयां लुकटी के समान […]

भजन संहिता 103

1 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे! 2 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना। 3 वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता, और तेरे सब रोगों को चंगा करता है, 4 वही […]

भजन संहिता 104

1 हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह! हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू अत्यन्त महान है! तू वैभव और ऐश्वर्य का वस्त्र पहिने हुए है, 2 जो उजियाले को चादर की नाईं ओढ़े रहता है, और आकाश को तम्बू के समान ताने रहता है, 3 जो अपनी अटारियों की कड़ियां जल में धरता है, […]

भजन संहिता 105

1 यहोवा का धन्यवाद करो, उससे प्रार्थना करो, देश देश के लोगों में उसके कामों का प्रचार करो! 2 उसके लिये गीत गाओ, उसके लिये भजन गाओ, उसके सब आश्चर्यकर्मों पर ध्यान करो! 3 उसके पवित्र नाम की बड़ाई करो; यहोवा के खोजियों का हृदय आनन्दित हो! 4 यहोवा और उसकी सामर्थ को खोजो, उसके […]

भजन संहिता 106

1 याह की स्तुति करो! यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा की है! 2 यहोवा के पराक्रम के कामों का वर्णन कौन कर सकता है, या उसका पूरा गुणानुवाद कौन सुना सकता? 3 क्या ही धन्य हैं वे जो न्याय पर चलते, और हर समय धर्म के काम करते […]

भजन संहिता 107

1 यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा की है! 2 यहोवा के छुड़ाए हुए ऐसा ही कहें, जिन्हें उसने द्रोही के हाथ से दाम दे कर छुड़ा लिया है, 3 और उन्हें देश देश से पूरब- पश्चिम, उत्तर और दक्खिन से इकट्ठा किया है॥ 4 वे जंगल में मरूभूमि […]

भजन संहिता 108

1 हे परमेश्वर, मेरा हृदय स्थिर है; मैं गाऊंगा, मैं अपनी आत्मा से भी भजन गाऊंगा। 2 हे सारंगी और वीणा जागो! मैं आप पौ फटते जाग उठूंगा! 3 हे यहोवा, मैं देश देश के लोगों के मध्य में तेरा धन्यवाद करूंगा, और राज्य राज्य के लोगों के मध्य में तेरा भजन गाऊंगा। 4 क्योंकि […]

भजन संहिता 109

1 हे परमेश्वर तू जिसकी मैं स्तुति करता हूं, चुप न रह। 2 क्योंकि दुष्ट और कपटी मनुष्यों ने मेरे विरुद्ध मुंह खोला है, वे मेरे विषय में झूठ बोलते हैं। 3 और उन्होंने बैर के वचनों से मुझे चारों ओर घेर लिया है, और व्यर्थ मुझ से लड़ते हैं। 4 मेरे प्रेम के बदले […]

भजन संहिता 110

1 मेरे प्रभु से यहोवा की वाणी यह है, कि तू मेरे दाहिने हाथ बैठ, जब तक मैं तेरे शत्रुओं को तेरे चरणों की चौकी न कर दूं॥ 2 तेरे पराक्रम का राजदण्ड यहोवा सिय्योन से बढ़ाएगा। तू अपने शत्रुओं के बीच में शासन कर। 3 तेरी प्रजा के लोग तेरे पराक्रम के दिन स्वेच्छाबलि […]