भजन संहिता 141

1 हे यहोवा, मैं ने तुझे पुकारा है; मेरे लिये फुर्ती कर! जब मैं तुझ को पुकारूं, तब मेरी ओर कान लगा! 2 मेरी प्रार्थना तेरे साम्हने सुगन्ध धूप, और मेरा हाथ फैलाना, संध्या काल का अन्नबलि ठहरे! 3 हे यहोवा, मेरे मुख का पहरा बैठा, मेरे हाठों के द्वार पर रखवाली कर! 4 मेरा […]

भजन संहिता 142

1 ममैं यहोवा की दोहाई देता, मैं यहोवा से गिड़गिड़ाता हूं, 2 मैं अपने शोक की बातें उस से खोलकर कहता, मैं अपना संकट उस के आगे प्रगट करता हूं। 3 जब मेरी आत्मा मेरे भीतर से व्याकुल हो रही थी, तब तू मेरी दशा को जानता था! जिस रास्ते से मैं जाने वाला था, […]

भजन संहिता 143

1 हे यहोवा मेरी प्रार्थना सुन; मेरे गिड़गिड़ाने की ओर कान लगा! तू जो सच्चा और धर्मी है, सो मेरी सुन ले, 2 और अपने दास से मुकद्दमा न चला! क्योंकि कोई प्राणी तेरी दृष्टि में निर्दोष नहीं ठहर सकता॥ 3 शत्रु तो मेरे प्राण का ग्राहक हुआ है; उसने मुझे चूर कर के मिट्टी […]

भजन संहिता 144

1 धन्य है यहोवा, जो मेरी चट्टान है, वह मेरे हाथों को लड़ने, और युद्ध करने के लिये तैयार करता है। 2 वह मेरे लिये करूणानिधान और गढ़, ऊंचा स्थान और छुड़ाने वाला है, वह मेरी ढ़ाल और शरण स्थान है, जो मेरी प्रजा को मेरे वश में कर देता है॥ 3 हे यहोवा, मनुष्य […]

भजन संहिता 145

1 हे मेरे परमेश्वर, हे राजा, मैं तुझे सराहूंगा, और तेरे नाम को सदा सर्वदा धन्य कहता रहूंगा। 2 प्रति दिन मैं तुझ को धन्य कहा करूंगा, और तेरे नाम की स्तुति सदा सर्वदा करता रहूंगा। 3 यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है, और उसकी बड़ाई अगम है॥ 4 तेरे कामों की प्रशंसा […]

भजन संहिता 146

1 याह की स्तुति करो। हे मेरे मन यहोवा की स्तुति कर! 2 मैं जीवन भर यहोवा की स्तुति करता रहूंगा; जब तक मैं बना रहूंगा, तब तक मैं अपने परमेश्वर का भजन गाता रहूंगा॥ 3 तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना, न किसी आदमी पर, क्योंकि उस में उद्धार करने की भी शक्ति नहीं। […]

भजन संहिता 147

1 याह की स्तुति करो! क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; क्योंकि वह मन भावना है, उसकी स्तुति करनी मन भावनी है। 2 यहोवा यरूशलेम को बसा रहा है; वह निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठा कर रहा है। 3 वह खेदित मन वालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम- पट्टी […]

भजन संहिता 148

1 याह की स्तुति करो! यहोवा की स्तुति स्वर्ग में से करो, उसकी स्तुति ऊंचे स्थानों में करो! 2 हे उसके सब दूतों, उसकी स्तुति करो: हे उसकी सब सेना उसकी स्तुति कर! 3 हे सूर्य और चन्द्रमा उसकी स्तुति करो, हे सब ज्योतिमय तारागण उसकी स्तुति करो! 4 हे सब से ऊंचे आकाश, और […]

भजन संहिता 149

1 याह की स्तुति करो! यहोवा के लिये नया गीत गाओ, भक्तों की सभा में उसकी स्तुति गाओ! 2 इस्राएल अपने कर्ता के कारण आनन्दित हो, सिय्योन के निवासी अपने राजा के कारण मगन हों! 3 वे नाचते हुए उसके नाम की स्तुति करें, और डफ और वीणा बजाते हुए उसका भजन गाएं! 4 क्योंकि […]

भजन संहिता 150

1 याह की स्तुति करो! ईश्वर के पवित्रस्थान में उसकी स्तुति करो; उसकी सामर्थ्य से भरे हुए आकाशमण्डल में उसी की स्तुति करो! 2 उसके पराक्रम के कामों के कारण उसकी स्तुति करो; उसकी अत्यन्त बड़ाई के अनुसार उसकी स्तुति करो! 3 नरसिंगा फूंकते हुए उसकी स्तुति करो; सारंगी और वीणा बजाते हुए उसकी स्तुति […]