रोमियो 1

1 पौलुस की ओर से जो यीशु मसीह का दास है, और प्रेरित होने के लिये बुलाया गया, और परमेश्वर के उस सुसमाचार के लिये अलग किया गया है। 2 जिस की उस ने पहिले ही से अपने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा पवित्र शास्त्र में। 3 अपने पुत्र हमारे प्रभु यीशु मसीह के विषय में प्रतिज्ञा […]

रोमियो 2

1 सो हे दोष लगाने वाले, तू कोई क्यों न हो; तू निरुत्तर है! क्योंकि जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है, उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है, इसलिये कि तू जो दोष लगाता है, आप ही वही काम करता है। 2 और हम जानते हैं, कि ऐसे ऐसे […]

रोमियो 3

1 सो यहूदी की क्या बड़ाई, या खतने का क्या लाभ? 2 हर प्रकार से बहुत कुछ। पहिले तो यह कि परमेश्वर के वचन उन को सौंपे गए। 3 यदि कितने विश्वसघाती निकले भी तो क्या हुआ? क्या उनके विश्वासघाती होने से परमेश्वर की सच्चाई व्यर्थ ठहरेगी? 4 कदापि नहीं, वरन परमेश्वर सच्चा और हर […]

रोमियो 4

1 सो हम क्या कहें, कि हमारे शारीरिक पिता इब्राहीम को क्या प्राप्त हुआ? 2 क्योंकि यदि इब्राहीम कर्मों से धर्मी ठहराया जाता, तो उसे घमण्ड करने की जगह होती, परन्तु परमेश्वर के निकट नहीं। 3 पवित्र शास्त्र क्या कहता है यह कि इब्राहीम ने परमेश्वर पर विश्वास किया, और यह उसके लिये धामिर्कता गिना […]

रोमियो 5

1 सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें। 2 जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें। 3 केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों […]

रोमियो 6

1 सो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो? 2 कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्योंकर जीवन बिताएं? 3 क्या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया 4 […]

रोमियो 7

1 हे भाइयो, क्या तुम नहीं जानते मैं व्यवस्था के जानने वालों से कहता हूं, कि जब तक मनुष्य जीवित रहता है, तक तक उस पर व्यवस्था की प्रभुता रहती है? 2 क्योंकि विवाहिता स्त्री व्यवस्था के अनुसार अपने पति के जीते जी उस से बन्धी है, परन्तु यदि पति मर जाए, तो वह पति […]

रोमियो 8

1 सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं। 2 क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया। 3 क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के […]

रोमियो 9

1 मैं मसीह में सच कहता हूं, झूठ नहीं बोलता और मेरा विवेक भी पवित्र आत्मा में गवाही देता है। 2 कि मुझे बड़ा शोक है, और मेरा मन सदा दुखता रहता है। 3 क्योंकि मैं यहां तक चाहता था, कि अपने भाईयों, के लिये जो शरीर के भाव से मेरे कुटुम्बी हैं, आप ही […]

रोमियो 10

1 हे भाइयो, मेरे मन की अभिलाषा और उन के लिये परमेश्वर से मेरी प्रार्थना है, कि वे उद्धार पाएं। 2 क्योंकि मैं उन की गवाही देता हूं, कि उन को परमेश्वर के लिये धुन रहती है, परन्तु बुद्धिमानी के साथ नहीं। 3 क्योकि वे परमेश्वर की धामिर्कता से अनजान होकर, और अपनी धामिर्कता स्थापन […]