यिर्मयाह 1

1 हिल्किय्याह का पुत्र यिर्मयाह जो बिन्यामीन देश के अनातोत में रहने वाले याजकों में से था, उसी के ये वचन हैं। 2 यहोवा का वचन उसके पास आमोन के पुत्र यहूदा के राजा योशिय्याह के दिनों में उसके राज्य के तेरहवें वर्ष में पहुंचा। 3 इसके बाद योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम […]

यिर्मयाह 2

1 यहोवा का वह वचन मेरे पास पहुंचा, 2 और यरूशलेम में पुकार कर यह सुना दे, यहोवा यह कहता है, तेरी जवानी का स्नेह और तेरे विवाह के समय का प्रेम मुझे स्मरण आता है कि तू कैसे जंगल में मेरे पीछे पीछे चली जहां भूमि जोती-बोई न गई थी। 3 इस्राएल, यहोवा के […]

यिर्मयाह 3

1 वे कहते हैं, यदि कोई अपनी पत्नी को त्याग दे, और वह उसके पास से जा कर दूसरे पुरुष की हो जाए, तो वह पहिला क्या उसके पास फिर जाएगा? क्या वह देश अति अशुद्ध न हो जाएगा? यहोवा की यह वाणी है कि तू ने बहुत से प्रेमियों के साथ व्यभिचार किया है, […]

यिर्मयाह 4

1 यहोवा की यह वाणी है, हे इस्राएल यदि तू लौट आए, तो मेरे पास लौट आ। यदि तू घिनौनी वस्तुओं को मेरे साम्हने से दूर करे, तो तुझे अवारा फिरना न पड़ेगा, 2 और यदि तू सच्चाई और न्याय और धर्म से यहोवा के जीवन की शपथ खाए, तो अन्यजातियां उसके कारण अपने आप […]

यिर्मयाह 5

1 यरूशलेम की सड़कों में इधर उधर दौड़कर देखो! उसके चौकों में ढूंढ़ो यदि कोई ऐसा मिल सके जो न्याय से काम करे और सच्चाई का खोजी हो; तो मैं उसका पाप क्षमा करूंगा। 2 यद्यपि उसके निवासी यहोवा के जीवन की शपथ भी खाएं, तौभी निश्चय वे झूठी शपथ खाते हैं। 3 हे यहोवा, […]

यिर्मयाह 6

1 हे बिन्यामीनियो, यरूशलेम में से अपना अपना सामान ले कर भागो! तकोआ में नरसिंगा फूंको, और बेथक्केरेम पर झण्डा ऊंचा करो; क्योंकि उत्तर की दिशा से आने वाली विपत्ति बड़ी और विनाश लाने वाली है। 2 सिय्योन की सुन्दर और सुकुमार बेटी को मैं नाश करने पर हूँ। 3 चरवाहे अपनी अपनी भेड़-बकरियां संग […]

यिर्मयाह 7

1 जो वचन यहोवा की ओर से यिर्मयाह के पास पहुंचा वह यह है: 2 यहोवा के भवन के फाटक में खड़ा हो, और यह वचन प्रचार कर, ओर कह, हे सब यहूदियो, तुम जो यहोवा को दण्डवत करने के लिये इन फाटकों से प्रवेश करते हो, यहोवा का वचन सुनो। 3 सेनाओं का यहोवा […]

यिर्मयाह 8

1 यहोवा की यह वाणी है, उस समय यहूदा के राजाओं, हाकिमों, याजकों, भविष्यद्वक्ताओं और यरूशलेम के रहने वालों की हड्डियां क़ब्रों में से निकाल कर, 2 सूर्य, चन्द्रमा और आकाश के सारे गणों के साम्हने फैलाई जाएंगी; क्योंकि वे उन्हीं से प्रेम रखते, उन्हीं की सेवा करते, उन्हीं के पीछे चलते, और उन्हीं के […]

यिर्मयाह 9

1 भला होता, कि मेरा सिर जल ही जल, और मेरी आंखें आँसुओं का सोता होतीं, कि मैं रात दिन अपने मारे हुए लोगों के लिये रोता रहता। 2 भला होता कि मुझे जंगल में बटोहियों का कोई टिकाव मिलता कि मैं अपने लोगों को छोड़कर वहीं चला जाता! क्योंकि वे सब व्यभिचारी हैं, वे […]

यिर्मयाह 10

1 यहोवा यों कहता है, हे इस्राएल के घराने जो वचन यहोवा तुम से कहता है उसे सुनो। 2 अन्यजातियों को चाल मत सीखो, न उनकी नाईं आकाश के चिन्हों से विस्मित हो, इसलिये कि अन्यजाति लोग उन से विस्मित होते हैं। 3 क्योंकि देशों के लोगों की रीतियां तो निकम्मी हैं। मूरत तो वन […]