श्रेष्ठगीत 1

1 श्रेष्टगीत जो सुलैमान का है॥ 2 वह अपने मुंह के चुम्बनों से मुझे चूमे! क्योंकि तेरा प्रेम दाखमधु से उत्तम है, 3 तेरे भांति भांति के इत्रों का सुगन्ध उत्तम है, तेरा नाम उंडेले हुए इत्र के तुल्य है; इसीलिये कुमारियां तुझ से प्रेम रखती हैं 4 मुझे खींच ले; हम तेरे पीछे दौड़ेंगे […]

श्रेष्ठगीत 2

1 मैं शारोन देश का गुलाब और तराइयों में का सोसन फूल हूं॥ 2 जैसे सोसन फूल कटीले पेड़ों के बीच वैसे ही मेरी प्रिय युवतियों के बीच में है॥ 3 जैसे सेब के वृक्ष जंगल के वृक्षों के बीच में, वैसे ही मेरा प्रेमी जवानों के बीच में है। मैं उसकी छाया में हषिर्त […]

श्रेष्ठगीत 3

1 रात के समय में अपने पलंग पर अपने प्राणप्रिय को ढूंढ़ती रही; मैं उसे ढूंढ़ती तो रही, परन्तु उसे न पाया; मैं ने कहा, मैं अब उठ कर नगर में, 2 और सड़कों और चौकों में घूमकर अपने प्राणप्रिय को ढूंढूंगी। मैं उसे ढूंढती तो रही, परन्तु उसे न पाया। 3 जो पहरूए नगर […]

श्रेष्ठगीत 4

1 हे मेरी प्रिय तू सुन्दर है, तू सुन्दर है! तेरी आंखें तेरी लटों के बीच में कबूतरों की सी दिखाई देती है। तेरे बाल उन बकरियों के झुण्ड के समान हैं जो गिलाद पहाड़ के ढाल पर लेटी हुई हों। 2 तेरे दान्त उन ऊन कतरी हुई भेड़ों के झुण्ड के समान हैं, जो […]

श्रेष्ठगीत 5

1 हे मेरी बहिन, हे मेरी दुल्हिन, मैं अपनी बारी में आया हूं, मैं ने अपना गन्धरस और बलसान चुन लिया; मैं ने मधु समेत छत्ता खा लिया, मैं ने दूध और दाखमधु भी लिया॥ हे मित्रों, तुम भी खाओ, हे प्यारों, पियो, मनमाना पियो! 2 मैं सोती थी, परन्तु मेरा मन जागता था। सुन! […]

श्रेष्ठगीत 6

1 हे स्त्रियों में परम सुन्दरी, तेरा प्रेमी कहां गया? तेरा प्रेमी कहां चला गया कि हम तेरे संग उसको ढूंढने निकलें? 2 मेरा प्रेमी अपनी बारी में अर्थात बलसान की क्यारियों की ओर गया है, कि बारी में अपनी भेड़-बकरियां चराए और सोसन फूल बटोरे। 3 मैं अपने प्रेमी की हूं और मेरा प्रेमी […]

श्रेष्ठगीत 7

1 हे कुलीन की पुत्री, तेरे पांव जूतियों में क्या ही सुन्दर हैं! तेरी जांघों की गोलाई ऐसे गहनों के समान है, जिस को किसी निपुण कारीगर ने रचा हो। 2 तेरी नाभि गोल कटोरा है, जो मसाला मिले हुए दाखमधु से पूर्ण हो तेरा पेट गेहूं के ढेर के समान है जिसके चहुँओर सोसन […]

श्रेष्ठगीत 8

1 भला होता कि तू मेरे भाई के समान होता, जिसने मेरी माता की छातियों से दूध पिया! तब मैं तुझे बाहर पाकर तेरा चुम्बन लेती, और कोई मेरी निन्दा न करता। 2 मैं तुझ को अपनी माता के घर ले चलती, और वह मुझ को सिखाती, और मैं तुझे मसाला मिला हुआ दाखमघु, और […]