श्रेष्ठगीत 6

1 हे स्त्रियों में परम सुन्दरी, तेरा प्रेमी कहां गया? तेरा प्रेमी कहां चला गया कि हम तेरे संग उसको ढूंढने निकलें?

2 मेरा प्रेमी अपनी बारी में अर्थात बलसान की क्यारियों की ओर गया है, कि बारी में अपनी भेड़-बकरियां चराए और सोसन फूल बटोरे।

3 मैं अपने प्रेमी की हूं और मेरा प्रेमी मेरा है, वह अपनी भेड़-बकरियां सोसन फूलों के बीच चराता है।

4 हे मेरी प्रिय, तू तिर्सा की नाईं सुन्दरी है तू यरूशलेम के समान रूपवान है, और पताका फहराती हुई सेना के तुल्य भयंकर है।

5 अपनी आंखें मेरी ओर से फेर ले, क्योंकि मैं उन से घबराता हूं; तेरे बाल ऐसी बकरियों के झुण्ड के समान हैं, जो गिलाद की ढलान पर लेटी हुई देख पड़ती हों।

6 तेरे दांत ऐसी भेड़ों के झुण्ड के समान हैं जिन्हें स्नान कराया गया हो, उन में प्रत्येक दो दो जुड़वा बच्चे देती हैं, जिन में से किसी का साथी नहीं मरा।

7 तेरे कपोल तेरी लटों के नीचे अनार की फाँक से देख पड़ते हैं।

8 वहां साठ रानियां और अस्सी रखेलियां और असंख्य कुमारियां भी हैं।

9 परन्तु मेरी कबूतरी, मेरी निर्मल, अद्वैत है अपनी माता की एकलौती अपनी जननी की दुलारी है। पुत्रियों ने उसे देखा और धन्य कहा; रानियों और रखेलियों ने देखकर उसकी प्रशंसा की।

10 यह कौन है जिसकी शोभा भोर के तुल्य है, जो सुन्दरता में चन्द्रमा और निर्मलता में सूर्य और पताका फहराती हुई सेना के तुल्य भयंकर दिखाई पड़ती है?

11 मैं अखरोट की बारी में उत्तर गई, कि तराई के फूल देखूं, और देखूं की दाखलता में कलियें लगीं, और अनारों के फूल खिले कि नहीं।

12 मुझे पता भी न था कि मेरी कल्पना ने मुझे अपने राजकुमार के रथ पर चढ़ा दिया॥

13 लौट आ, लौट आ, हे शूलम्मिन, लौट आ, लौट आ, कि हम तुझ पर दृष्टि करें॥ क्या तुम शूलेम्मिन को इस प्रकार देखोगे जैसा महनैम के नृत्य को देखते हो?

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