भजन संहिता 41

1 क्या ही धन्य है वह, जो कंगाल की सुधि रखता है! विपत्ति के दिन यहोवा उसको बचाएगा। 2 यहोवा उसकी रक्षा करके उसको जीवित रखेगा, और वह पृथ्वी पर भाग्यवान होगा। तू उसको शत्रुओं की इच्छा पर न छोड़। 3 जब वह व्याधि के मारे सेज पर पड़ा हो, तब यहोवा उसे सम्भालेगा; तू […]

भजन संहिता 42

1 जैसे हरिणी नदी के जल के लिये हांफती है, वैसे ही, हे परमेश्वर, मैं तेरे लिये हांफता हूं। 2 जीवते ईश्वर परमेश्वर का मैं प्यासा हूं, मैं कब जाकर परमेश्वर को अपना मुंह दिखाऊंगा? 3 मेरे आंसू दिन और रात मेरा आहार हुए हैं; और लोग दिन भर मुझ से कहते रहते हैं, तेरा […]

भजन संहिता 43

1 हे परमेश्वर, मेरा न्याय चुका और विधर्मी जाति से मेरा मुकद्दमा लड़; मुझ को छली और कुटिल पुरूष से बचा। 2 क्योंकि हे परमेश्वर, तू ही मेरी शरण है, तू ने क्यों मुझे त्याग दिया है? मैं शत्रु के अन्धेर के मारे शोक का पहिरावा पहिने हुए क्यों फिरता रहूं? 3 अपने प्रकाश और […]

भजन संहिता 44

1 हे परमेश्वर हम ने अपने कानों से सुना, हमारे बापदादों ने हम से वर्णन किया है, कि तू ने उनके दिनों में और प्राचीनकाल में क्या क्या काम किए हैं। 2 तू ने अपने हाथ से जातियों को निकाल दिया, और इन को बसाया; तू ने देश देश के लोगों को दु:ख दिया, और […]

भजन संहिता 45

1 मेरा हृदय एक सुन्दर विषय की उमंग से उमण्ड रहा है, जो बात मैं ने राजा के विषय रची है उसको सुनाता हूं; मेरी जीभ निपुण लेखक की लेखनी बनी है। 2 तू मनुष्य की सन्तानों में परम सुन्दर है; तेरे ओठों में अनुग्रह भरा हुआ है; इसलिये परमेश्वर ने तुझे सदा के लिये […]

भजन संहिता 46

1 परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक। 2 इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं; 3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें॥ 4 एक नदी है जिसकी […]

भजन संहिता 47

1 हे देश देश के सब लोगों, तालियां बजाओ! ऊंचे शब्द से परमेश्वर के लिये जयजयकार करो! 2 क्योंकि यहोवा परमप्रधान और भययोग्य है, वह सारी पृथ्वी के ऊपर महाराजा है। 3 वह देश के लोगों को हमारे सम्मुख नीचा करता, और अन्यजातियों को हमारे पांवों के नीचे कर देता है। 4 वह हमारे लिये […]

भजन संहिता 48

1 हमारे परमेश्वर के नगर में, और अपने पवित्र पर्वत पर यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है! 2 सिय्योन पर्वत ऊंचाई में सुन्दर और सारी पृथ्वी के हर्ष का कारण है, राजाधिराज का नगर उत्तरी सिरे पर है। 3 उसके महलों में परमेश्वर ऊंचा गढ़ माना गया है। 4 क्योंकि देखो, राजा लोग […]

भजन संहिता 49

1 हे देश देश के सब लोगों यह सुनो! हे संसार के सब निवासियों, कान लगाओ! 2 क्या ऊंच, क्या नीच क्या धनी, क्या दरिद्र, कान लगाओ! 3 मेरे मुंह से बुद्धि की बातें निकलेंगी; और मेरे हृदय की बातें समझ की होंगी। 4 मैं नीतिवचन की ओर अपना कान लगाऊंगा, मैं वीणा बजाते हुए […]

भजन संहिता 50

1 ईश्वर परमेश्वर यहोवा ने कहा है, और उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक पृथ्वी के लोगों को बुलाया है। 2 सिय्योन से, जो परम सुन्दर है, परमेश्वर ने अपना तेज दिखाया है। 3 हमारा परमेश्वर आएगा और चुपचाप न रहेगा, आग उसके आगे आगे भस्म करती जाएगी; और उसके चारों ओर बड़ी आंधी चलेगी। 4 […]