2 शमूएल 3

1 शाऊल के घराने और दाऊद के घराने के मध्य बहुत दिन तक लड़ाई होती रही; परन्तु दाऊद प्रबल होता गया, और शाऊल का घराना निर्बल पड़ता गया।

2 और हेब्रोन में दाऊद के पुत्र उत्पन्न हुए; उसका जेठा बेटा अम्नोन था, जो यिज्रेली अहीनोअम से उत्पन्न हुआ था;

3 और उसका दूसरा किलाव था, जिसकी मां कर्मेंली नाबाल की स्त्री अबीगैल थी; तीसरा अबशालोम, जो गशूर के राजा तल्मै की बेटी माका से उत्पन्न हुआ था;

4 चौथा अदोनिय्याह, जो हग्गीत से उत्पन्न हुआ था; पांचवां शपत्याह, जिसकी मां अबीतल थी;

5 छठवां यित्राम, जो ऐग्ला नाम दाऊद की स्त्री से उत्पन्न हुआ। हेब्रोन में दाऊद से थे ही सन्तान उत्पन्न हुए।

6 जब शाऊल और दाऊद दोनों के घरानों के मध्य लड़ाई हो रही थी, तब अब्नेर शाऊल के घराने की सहायता में बल बढ़ाता गया।

7 शाऊल की एक रखेली थी जिसका नाम रिस्पा था, वह अय्या की बेटी थी; और ईशबोशेत ने अब्नेर से पूछा, तू मेरे पिता की रखेली के पास क्यों गया?

8 ईशबोशेत की बातों के कारण अब्नेर अति क्रोधित हो कर कहने लगा, क्या मैं यहूदा के कुत्ते का सिर हूँ? आज तक मैं तेरे पिता शाऊल के घराने और उसके भाइयों और मित्रों को प्रीति दिखाता आया हूँ, और तुझे दाऊद के हाथ पड़ने नहीं दिया; फिर तू अब मुझ पर उस स्त्री के विषय में दोष लगाता है?

9 यदि मैं दाऊद के साथ ईश्वर की शपथ के अनुसार बर्ताव न करुं, तो परमेशवर अब्नेर से वैसा ही, वरन उस से भी अधिक करे;

10 अर्थात मैं राज्य को शाऊल के घराने से छीनूंगा, और दाऊद की राजगद्दी दान से ले कर बेर्शेबा तक इस्राएल और यहूदा के ऊपर स्थिर करुंगा।

11 और वह अब्नेर को कोई उत्तर न दे सका, इसलिये कि वह उस से डरता था।

12 तब अब्नेर ने उसके नाम से दाऊद के पास दूतों से कहला भेजा, कि देश किस का है? और यह भी कहला भेजा, कि तू मेरे साथ वाचा बान्ध, और मैं तेरी सहायता करुंगा कि समस्त इस्राएल के मन तेरी ओर फेर दूं।

13 दाऊद ने कहा, भला, मैं तेरे साथ वाचा तो बान्धूंगा परन्तु एक बात मैं तुझ से चाहता हूँ; कि जब तू मुझ से भेंट करने आए, तब यदि तू पहिले शाऊल की बेटी मीकल को न ले आए, तो मुझ से भेंट न होगी।

14 फिर दाऊद ने शाऊल के पुत्र ईशबोशेत के पास दूतों से यह कहला भेजा, कि मेरी पत्नी मीकल, जिसे मैं ने एक सौ पलिश्तियों की खलडिय़ां देकर अपनी कर लिया था, उसको मुझे दे दे।

15 तब ईशबोशेत ने लोगों को भेज कर उसे लैश के पुत्र पलतीएल के पास से छीन लिया।

16 और उसका पति उसके साथ चला, और बहूरीम तक उसके पीछे रोता हुआ चला गया। तब अब्नेर ने उस से कहा, लौट जा; और वह लौट गया।

17 और अब्नेर ने इस्राएल के पुरनियों के संग इस प्रकार की बातचीत की, कि पहिले तो तुम लोग चाहते थे कि दाऊद हमारे ऊपर राजा हो।

18 अब वैसा करो; क्योंकि यहोवा ने दाऊद के विषय में यह कहा है, कि अपने दास दाऊद के द्वारा मैं अपनी प्रजा इस्राएल को पलिश्तियों, वरन उनके सब शत्रुओं के हाथ से छुड़ाऊंगा।

19 फिर अब्नेर ने बिन्यामीन से भी बातें कीं; तब अब्नेर हेब्रोन को चला गया, कि इस्राएल और बिन्यामीन के समस्त घराने को जो कुछ अच्छा लगा, वह दाऊद को सुनाए।

20 तब अब्नेर बीस पुरुष संग ले कर हेब्रोन में आया, और दाऊद ने उसके और उसके संगी पुरुषों के लिये जेवनार की।

21 तब अब्नेर ने दाऊद से कहा, मैं उठ कर जाऊंगा, और अपने प्रभु राजा के पास सब इस्राएल को इकट्ठा करुंगा, कि वे तेरे साथ वाचा बान्धें, और तू अपनी इच्छा के अनुसार राज्य कर सके। तब दाऊद ने अब्नेर को विदा किया, और वह कुशल से चला गया।

22 तब दाऊद के कई एक जन योआब समेत कहीं चढ़ाई करके बहुत सी लूट लिये हुए आ गए। और अब्नेर दाऊद के पास हेब्रोन में न था, क्योंकि उसने उसको विदा कर दिया था, और वह कुशल से चला गया था।

23 जब योआब और उसके साथ की समस्त सेना आई, तब लागों ने योआब को बताया, कि नेर का पुत्र अब्नेर राजा के पास आया था, और उसने उसको बिदा कर दिया, और वह कुशल से चला गया।

24 तब योआब ने राजा के पास जा कर कहा, तू ने यह क्या किया है? अब्नेर जो तेरे पास आया था, तो क्या कारण है कि तू ने उसको जाने दिया, और वह चला गया है?

25 तू नेर के पुत्र अब्नेर को जानता होगा कि वह तुझे धोखा देने, और तेरे आने जाने, और कुल काम का भेद लेने आया था।

26 योआब ने दाऊद के पास से निकलकर दाऊद के अनजाने अब्नेर के पीछे दूत भेजे, और वे उसको सीरा नाम कुण्ड से लौटा ले आए।

27 जब अब्नेर हेब्रोन को लौट आया, तब योआब उस से एकान्त में बातें करने के लिये उसको फाटक के भीतर अलग ले गया, और वहां अपने भाई असाहेल के खून के पलटे में उसके पेट में ऐसा मारा कि वह मर गया।

28 इसके बाद जब दाऊद ने यह सुना, तो कहा, नेर के पुत्र अब्नेर के खून के विषय में अपनी प्रजा समेत यहोवा की दृष्टि में सदैव निर्दोष रहूंगा।

29 वह योआब और उसके पिता के समस्त घराने को लगे; और योआब के वंश में कोई न कोई प्रमेह का रोगी, और कोढ़ी, और बैसाखी का लगाने वाला, और तलवार से खेत आने वाला, और भूखें मरने वाला सदा होता रहे।

30 योआब और उसके भाई अबीशै ने अब्नेर को इस कारण घात किया, कि उसने उनके भाई असाहेल को गिबोन में लड़ाई के समय मार डाला था।

31 तब दाऊद ने योआब और अपने सब संगी लागों से कहा, अपने वस्त्र फाड़ो, और कमर में टाट बान्धकर अब्नेर के आगे आगे चलो। और दाऊद राजा स्वयं अथीं के पीछे पीछे चला।

32 अब्नेर को हेब्रोन में मिट्टी दी गई; और राजा अब्नेर की कब्र के पास फूट फूटकर रोया; और सब लोग भी रोए।

33 तब दाऊद ने अब्नेर के विषय यह विलापगीत बनाया कि, क्या उचित था कि अब्नेर मूढ़ की नाईं मरे?

34 न तो तेरे हाथ बान्धे गए, और न तेरे पांवों में बेडिय़ां डाली गई; जैसे कोई कुटिल मनुष्यों से मारा जाए, वैसे ही तू मारा गया।

35 तब सब लोग उसके विषय फिर रो उठे। तब सब लोग कुछ दिन रहते दाऊद को रोटी खिलाने आए; परन्तु दाऊद ने शपथ खाकर कहा, यदि मैं सूर्य के अस्त होने से पहिले रोटी वा और कोई वस्तु खाऊं, तो परमेश्वर मुझ से ऐसा ही, वरन इस से भी अधिक करे।

36 और सब लोगों ने इस पर विचार किया और इस से प्रसन्न हुए, वैसे ही जो कुछ राजा करता था उस से सब लोग प्रसन्न होते थे।

37 तब उन सब लोगों ने, वरन समस्त इस्राएल ने भी, उसी दिन जान लिया कि नेर के पुत्र अब्नेर का घात किया जाना राजा की और से नहीं हुआ।

38 और राजा ने अपने कर्मचारियों से कहा, क्या तुम लोग नहीं जानते कि इस्राएल में आज के दिन एक प्रधान और प्रतापी मनुष्य मरा है?

39 और यद्यपि मैं अभिषिक्त राजा हूँ तौभी आज निर्बल हूँ; और वे सरूयाह के पुत्र मुझ से अधिक प्रचण्ड हैं। परन्तु यहोवा बुराई करने वाले को उसकी बुराई के अनुसार ही पलटा दे।

2 शमूएल 4

1 जब शाऊल के पुत्र ने सुना, कि अब्नेर हेब्रोन में मारा गया, तब उसके हाथ ढीले पड़ गए, और सब इस्राएली भी घबरा गए।

2 शाऊल के पुत्र के दो जन थे जो दलों के प्रधान थे; एक का नाम बाना, और दूसरे का नाम रेकाब था, ये दोनों बेरोतवासी बिन्यामीनी रिम्मोन के पुत्र थे, ( क्योंकि बेरोत भी बिन्यामीन के भाग में गिना जाता है;

3 और बेरोती लोग गितैम को भाग गए, और आज के दिन तक वहीं परदेशी हो कर रहते हैं।)

4 शाऊल के पुत्र योनातन के एक लंगड़ा बेटा था। जब यिज्रेल से शाऊल और योनातन का समाचार आया तब वह पांच वर्ष का था; उस समय उसकी धाई उसे उठा कर भागी; और उसके उतावली से भागने के कारण वह गिर के लंगड़ा हो गया। और उसका नाम मपीबोशेत था।

5 उस बेरोती रिम्मोन के पुत्र रेकाब और बाना कड़े घाम के समय ईशबोशेत के घर में जब वह दोपहर को विश्राम कर रहा था आए।

6 और गेहूं ले जाने के बहाने मे घर में घुस गए; और उसके पेट में मारा; तब रेकाब और उसका भाई बाना भाग निकले।

7 जब वे घर में घुसे, और वह सोने की कोठरी में चारपाई पर सोता था, तब अन्होंने उसे मार डाला, और उसका सिर काट लिया, और उसका सिर ले कर रातोंरात अराबा के मार्ग से चले।

8 और वे ईशबोशेत का सिर हेब्रोन में दाऊद के पास ले जा कर राजा से कहने लगे, देख, शाऊल जो तेरा शत्रु और तेरे प्राणों का ग्राहक था, उसके पुत्र ईशबोशेत का यह सिर है; तो आज के दिन यहोवा ने शाऊल और उसके वंश से मेरे प्रभु राजा का पलटा लिया है।

9 दाऊद ने बेरोती रिम्मोन के पुत्र रेकाब और उसके भाई बाना को उत्तर देकर उन से कहा, यहोवा जो मेरे प्राण को सब विपत्तियों से छुड़ाता आया है, उसके जीवन की शपथ,

10 जब किसी ने यह जानकर, कि मैं शुभ समाचार देता हूं, सिकलग में मुझ को शाऊल के मरने का समाचार दिया, तब मैं ने उसको पकड़कर घात कराया; अर्थात उसको समाचार का यही बदला मिला।

11 फिर जब दुष्ट मनुष्यों ने एक निर्दोष मनुष्य को उसी के घर में, वरन उसकी चारपाई ही पर घात किया, तो मैं अब अवश्य ही उसके खून का पलटा तुम से लूंगा, और तुम्हें धरती पर से नष्ट कर डालूंगा।

12 तब दाऊद ने जवानों को आज्ञा दी, और उन्होंने उन को घात करके उनके हाथ पांव काट दिए, और उनकी लोथों को हेब्रोन के पोखरे के पास टांग दिया। तब ईशबोशेत के सिर को उठा कर हेब्रोन में अब्नेर की कब्र में गाड़ दिया।

2 शमूएल 5

1 ( दाऊद के यरूशलेम में राज्य करने का आरम्भ ) तब इस्राएल के सब गोत्र दाऊद के पास हेब्रोन में आकर कहने लगे, सुन, हम लोग और तू एक ही हाड़ मांस हैं।

2 फिर भूतकाल में जब शाऊल हमारा राजा था, तब भी इस्राएल का अगुवा तू ही था; और यहोवा ने तुझ से कहा, कि मेरी प्रजा इस्राएल का चरवाहा, और इस्राएल का प्रधान तू ही होगा।

3 सो सब इस्राएली पुरनिये हेब्रोन में राजा के पास आए; और दाऊद राजा ने उनके साथ हेब्रोन में यहोवा के साम्हने वाचा बान्धी, और उन्होंने इस्राएल का राजा होने के लिये दाऊद का अभिषेक किया।

4 दाऊद तीस वर्ष का हो कर राज्य करने लगा, और चालीस वर्ष तक राज्य करता रहा।

5 साढ़े सात वर्ष तक तो उसने हेब्रोन में यहूदा पर राज्य किया, और तैंतीस वर्ष तक यरूशलेम में समस्त इस्राएल और यहूदा पर राज्य किया।

6 तब राजा ने अपने जनों को साथ लिए हुए यरूशलेम को जा कर यबूसियों पर चढ़ाई की, जो उस देश के निवासी थे। उन्होंने यह समझकर, कि दाऊद यहां पैठ न सकेगा, उस से कहा, जब तक तू अन्धे और लंगड़ों को दूर न करे, तब तक यहां पैठने न पाएगा।

7 तौभी दाऊद ने सिय्योन नाम गढ़ को ले लिया, वही दाऊदपुर भी कहलाता है।

8 उस दिन दाऊद ने कहा, जो कोई यबूसियों मारना चाहे, उसे चाहिये कि नाले से हो कर चढ़े, और अन्धे और लंगड़े जिन से दाऊद मन से घिन करता है उन्हें मारे। इस से यह कहावत चली, कि अन्धे और लगड़े भवन में आने न पाएंगे।

9 और दाऊद उस गढ़ में रहने लगा, और उसका नाम दाऊदपुर रखा। और दाऊद ने चारों ओर मिल्लो से ले कर भीतर की ओर शहरपनाह बनवाई।

10 और दाऊद की बड़ाई अधिक होती गई, और सेनाओं का परमेश्वर यहोवा उसके संग रहता था।

11 और सोर के राजा हीराम ने दाऊद के पास दूत, और देवदारू की लकड़ी, और बढ़ई, और राजमिस्त्री भेजे, और उन्होंने दाऊद के लिये एक भवन बनाया।

12 और दाऊद को निश्चय हो गया कि यहोवा ने मुझे इस्राएल का राजा करके स्थिर किया, और अपनी इस्राएली प्रजा के निमित्त मेरा राज्य बढ़ाया है।

13 जब दाऊद हेब्रोन से आया तब उसके बाद उसने यरूशलेम की और और रखेलियां रख लीं, और पत्नियां बना लीं; और उसके और बेटे बेटियां उत्पन्न हुई।

14 उसके जो सन्तान यरूशलेम में उत्पन्न हुए, उनके ये नाम हैं, अर्थात शम्मू, शोबाब, नातान, सुलैमान,

15 यिभार, एलोशू, नेपेग, यापी,

16 एलीशामा, एल्यादा, और एलीपेलेत।

17 जब पलिश्तियों ने यह सुना कि इस्राएल का राजा होने के लिये दाऊद का अभिषेक हुआ, तब सब पलिश्ती दाऊद की खोज में निकले; यह सुनकर दाऊद गढ़ में चला गया।

18 तब पलिश्ती आकर रपाईम नाम तराई में फैल गए।

19 तब दाऊद ने यहावा से पूछा, क्या मैं पलिश्तियों पर चढ़ाई करूं? क्या तू उन्हें मेरे हाथ कर देगा? यहोवा ने दाऊद से कहा, चढ़ाई कर; क्योंकि मैं निश्चय पलिश्तियों को तेरे हाथ कर दूंगा।

20 तब दाऊद बालपरासीम को गया, और दाऊद ने उन्हें वहीं मारा; तब उसने कहा, यहोवा मेरे साम्हने हो कर मेरे शत्रुओं पर जल की धारा की नाईं टूट पड़ा है। इस कारण उसने उसका नाम बालपरासीम रखा।

21 वहां उन्होंने अपनी मूरतों को छोड़ दिया, और दाऊद और उसके जन उन्हें उठा ले गए।

22 फिर दूसरी बार पलिश्ती चढ़ाई करके रपाईम नाम तराई में फैल गए।

23 जब दाऊद ने यहोवा से पूछा, तब उसने कहा, चढ़ाई न कर; उनके पीछे से घूमकर तूत वृक्षों के साम्हने से उन पर छापा मार।

24 और जब तूत वृक्षों की फुनगियों में से सेना के चलने की सी आहट तुझे सुनाईं पड़े, तब यह जानकर फुर्ती करना, कि यहोवा पलिश्तियों की सेना को मारने को मेरे आगे अभी पधारा है।

25 यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार दाऊद गेबा से ले कर गेजेर तक पलिश्तियों को मारता गया।

2 शमूएल 6

1 ( पवित्र सन्दूक का यरूशलेम में पहुंचाया जाना ) फिर दाऊद ने एक और बार इस्राएल में से सब बड़े वीरों को, जो तीस हजार थे, इकट्ठा किया।

2 तब दाऊद और जितने लोग उसके संग थे, वे सब उठ कर यहूदा के बाले नाम स्थान से चले, कि परमेश्वर का वह सन्दूक ले आएं, जो करूबों पर विराजने वाले सेनाओं के यहोवा का कहलाता है।

3 तब उन्होंने परमेश्वर का सन्दूक एक नई गाड़ी पर चढ़ाकर टीले पर रहने वाले अबीनादाब के घर से निकाला; और अबीनादाब के उज्जा और अहह्मो नाम दो पुत्र उस नई गाड़ी को हांकने लगे।

4 और उन्होंने उसको परमेश्वर के सन्दूक समेत टीले पर रहने वाले अबीनादाब के घर से बाहर निकाला; और अहह्मो सन्दूक के आगे आगे चला।

5 और दाऊद और इस्राएल का समस्त घराना यहोवा के आगे सनौवर की लकड़ी के बने हुए सब प्रकार के बाजे और वीणा, सारंगियां, डफ, डमरू, झांझ बजाते रहे।

6 जब वे नाकोन के खलिहान तक आए, तब उज्जा ने अपना हाथ परमेश्वर के सन्दूक की ओर बढ़ाकर उसे थाम लिया, क्योंकि बैलों ने ठोकर खाई।

7 तब यहोवा का कोप उज्जा पर भड़क उठा; और परमेश्वर ने उसके दोष के कारण उसको वहां ऐसा मारा, कि वह वहां परमेश्वर के सन्दूक के पास मर गया।

8 तब दाऊद अप्रसन्न हुआ, इसलिये कि यहोवा उज्जा पर टूट पड़ा था; और उसने उस स्थान का नाम पेरेसुज्जा रखा, यह नाम आज के दिन तक वर्तमान है।

9 और उस दिन दाऊद यहोवा से डरकर कहने लगा, यहोवा का सन्दूक मेरे यहां क्योंकर आए?

10 इसलिये दाऊद ने यहोवा के सन्दूक को अपने यहां दाऊदपुर में पहुंचाना न चाहा; परन्तु गतवासी ओबेदेदोम के यहां पहुंचाया।

11 और यहोवा का सन्दूक गती ओबेदेदोम के घर में तीन महीने रहा; और यहोवा ने ओबेदेदोम और उसके समस्त घराने को आशिष दी।

12 तब दाऊद राजा को यह बताया गया, कि यहोवा ने ओबेदेदोम के घराने पर, और जो कुछ उसका है, उस पर भी परमेश्वर के सन्दूक के कारण आशिष दी है। तब दाऊद ने जा कर परमेश्वर के सन्दूक को ओबेदेदोम के घर से दाऊदपुर में आनन्द के साथ पहूंचा दिया।

13 जब यहोवा के सन्दूक के उठाने वाले छ: कदम चल चुके, तब दाऊद ने एक बैल और एक पाला पोसा हुआ बछड़ा बलि कराया।

14 और दाऊद सनी का एपोद कमर में कसे हुए यहोवा के सम्मुख तन मन से नाचता रहा।

15 यों दाऊद और इस्राएल का समस्त घराना यहोवा के सन्दूक को जयजयकार करते और नरसिंगा फूंकते हुए ले चला।

16 जब यहोवा का सन्दूक दाऊदपुर में आ रहा था, तब शाऊल की बेटी मीकल ने खिड़की में से झांककर दाऊद राजा को यहोवा के सम्मुख नाचते कूदते देखा, और उसे मन ही मन तुच्छ जाना।

17 और लोग यहोवा का सन्दूक भीतर ले आए, और उसके स्थान में, अर्थात उस तम्बू में रखा, जो दाऊद ने उसके लिये खड़ा कराया था; और दाऊद ने यहोवा के सम्मुख होमबलि और मेलबलि चढ़ाए।

18 जब दाऊद होमबलि और मेलबलि चढ़ा चुका, तब उसने सेनाओं के यहोवा के नाम से प्रजा को आशीर्वाद दिया।

19 तब उसने समस्त प्रजा को, अर्थात, क्या स्त्री क्या पुरुष, समस्त इस्राएली भीड़ के लोगों को एक एक रोटी, और एक एक टुकड़ा मांस, और किशमिश की एक एक टिकिया बंटवा दी। तब प्रजा के सब लोग अपने अपने घर चले गए।

20 तब दाऊद अपने घराने को आशीर्वाद देने के लिये लौटा। और शाऊल की बेटी मीकल दाऊद से मिलने को निकली, और कहने लगी, आज इस्राएल का राजा जब अपना शरीर अपने कर्मचारियों की लौंडियों के साम्हने ऐसा उघाड़े हुए था, जैसा कोई निकम्मा अपना तन उघाढ़े रहता है, तब क्या ही प्रतापी देख पड़ता था!

21 दाऊद ने मीकल से कहा, यहोवा, जिसने तेरे पिता और उसके समस्त घराने की सन्ती मुझ को चुनकर अपनी प्रजा इस्राएल का प्रधान होने को ठहरा दिया है, उसके सम्मुख मैं ने ऐसा खेला–और मैं यहोवा के सम्मुख इसी प्रकार खेला करूंगा।

22 और इस से भी मैं अधिक तुच्छ बनूंगा, और अपने लेखे नीच ठहरूंगा; और जिन लौंडियों की तू ने चर्चा की वे भी मेरा आदरमान करेंगी।

23 और शाऊल की बेटी मीकल के मरने के दिन तक उसके कोई सन्तान न हुआ।

2 शमूएल 7

1 जब राजा अपने भवन में रहता था, और यहोवा ने उसको उसके चारों ओर के सब शत्रुओं से विश्राम दिया था,

2 तब राजा नातान नाम भविष्यद्वक्ता से कहने लगा, देख, मैं तो देवदारु के बने हुए घर में रहता हूँ, परन्तु परमेश्वर का सन्दूक तम्बू में रहता है।

3 नातान ने राजा से कहा, जो कुछ तेरे मन में हो उसे कर; क्योंकि यहोवा तेरे संग है।

4 उसी दिन रात को यहोवा का यह वचन नातान के पास पहुंचा,

5 कि जा कर मेरे दास दाऊद से कह, यहोवा यों कहता है, कि क्या तू मेरे निवास के लिये घर बनवाएगा?

6 जिस दिन से मैं इस्रालिएयों को मिस्र से निकाल लाया आज के दिन तक मैं कभी घर में नहीं रहा, तम्बू के निवास में आया जाया करता हूँ।

7 जहां जहां मैं समस्त इस्राएलियों के बीच फिरता रहा, क्या मैं ने कहीं इस्राएल के किसी गोत्र से, जिसे मैं ने अपनी प्रजा इस्राएल की चरवाही करने को ठहराया हो, ऐसी बात कभी कही, कि तुम ने मेरे लिऐ देवदारु का घर क्यों नहीं बनवाया?

8 इसलिये अब तू मेरे दास दाऊद से ऐसा कह, कि सेनाओं का यहोवा यों कहता है, कि मैं ने तो तुझे भेड़शाला से, और भेड़-बकरियों के पीछे पीछे फिरने से, इस मनसा से बुला लिया कि तू मेरी प्रजा इस्राएल का प्रधान हो जाए।

9 और जहां कहीं तू आया गया, वहां वहां मैं तेरे संग रहा, और तेरे समस्त शत्रुओं को तेरे साम्हने से नाश किया है; फिर मैं तेरे नाम को पृथ्वी पर के बड़े बड़े लोगों के नामों के समान महान कर दूंगा।

10 और मैं अपनी प्रजा इस्राएल के लिये एक स्थान ठहराऊंगा, और उसको स्थिर करूंगा, कि वह अपने ही स्थान में बसी रहेगी, और कभी चलायमान न होगी; और कुटिल लोग उसे फिर दु:ख न देने पाएंगे, जैसे कि पहिले दिनों में करते थे,

11 वरन उस समय से भी जब मैं अपनी प्रजा इस्राएल के ऊपर न्यायी ठहराता था; और मैं तुझे तेरे समस्त शत्रुओं से विश्राम दूंगा। और यहोवा तुझे यह भी बताता है कि यहोवा तेरा घर बनाए रखेगा।

12 जब तेरी आयु पूरी हो जाएगी, और तू अपने पुरखाओं के संग सो जाएगा, तब मैं तेरे निज वंश को तेरे पीछे खड़ा करके उसके राज्य को स्थिर करूंगा।

13 मेरे नाम का घर वही बनवाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्थिर रखूंगा।

14 मैं उसका पिता ठहरूंगा, और वह मेरा पुत्र ठहरेगा। यदि वह अधर्म करे, तो मैं उसे मनुष्यों के योग्य दण्ड से, और आदमियों के योग्य मार से ताड़ना दूंगा।

15 परन्तु मेरी करुणा उस पर से ऐसे न हटेगी, जैसे मैं ने शाऊल पर से हटाकर उसको तेरे आगे से दूर किया।

16 वरन तेरा घराना और तेरा राज्य मेरे साम्हने सदा अटल बना रहेगा; तेरी गद्दी सदैव बनी रहेगी।

17 इन सब बातों और इस दर्शन के अनुसार नातान ने दाऊद को समझा दिया।

18 तब दाऊद राजा भीतर जा कर यहोवा के सम्मुख बैठा, और कहने लगा, हे प्रभु यहोवा, क्या कहूं, और मेरा घराना क्या है, कि तू ने मुझे यहां तक पहुंचा दिया है?

19 परन्तु तौभी, हे प्रभु यहोवा, यह तेरी दृष्टी में छोटी सी बात हुई; क्योंकि तु ने अपने दास के घराने के विषय आगे के बहुत दिनों तक की चर्चा की है, और हे प्रभु यहोवा, यह तो मनुष्य का नियम है!

20 दाऊद तुझ से और क्या कह सकता है? हे प्रभु यहोवा, तू तो अपने दास को जानता है!

21 तू ने अपने वचन के निमित्त, और अपने ही मन के अनुसार, यह सब बड़ा काम किया है, कि तेरा दास उसको जान ले।

22 इस कारण, हे यहोवा परमेश्वर, तू महान् है; क्योंकि जो कुछ हम ने अपने कानों से सुना है, उसके अनुसार तेरे तुल्य कोई नहीं, और न तुझे छोड़ कोई और परमेश्वर है।

23 फिर तेरी प्रजा इस्राएल के भी तुल्य कौन है? वह तो पृथ्वी भर में एक ही जाति है जिसे परमेश्वर ने जा कर अपनी निज प्रजा करने को छुड़ाया, इसलिये कि वह अपना नाम करे, ( और तुम्हारे लिये बड़े बड़े काम करे ) और तू अपनी प्रजा के साम्हने, जिसे तू ने मिस्री आदि जाति जाति के लोगों और उनके देवताओं से छुड़ा लिया, अपने देश के लिये भयानक काम करे।

24 और तू ने अपनी प्रजा इस्राएल को अपनी सदा की प्रजा होने के लिये ठहराया; और हे यहोवा, तू आप उसका परमेश्वर है।

25 अब हे यहोवा परमेश्वर, तू ने जो वचन अपने दास के और उसके घराने के विषय दिया है, उसे सदा के लिये स्थिर कर, और अपने कहने के अनूसार ही कर;

26 और यह कर कि लोग तेरे नाम की महिमा सदा किया करें, कि सेनाओं का यहोवा इस्राएल के ऊपर परमेश्वर है; और तेरे दास दाऊद का घराना तेरे साम्हने अटल रहे।

27 क्योंकि, हे सेनाओं के यहोवा, हे इस्राएल के परमेश्वर, तू ने यह कहकर अपने दास पर प्रगट किया है, कि मैं तेरा घर बनाए रखूंगा; इस कारण तेरे दास को तुझ से यह प्रार्थना करने का हियाव हुआ है।

28 और अब हे प्रभु यहोवा, तू ही परमेश्वर है, और तेरे वचन सत्य हैं, और तू ने अपने दास को यह भलाई करने का वचन दिया है;

29 तो अब प्रसन्न हो कर अपने दास के घराने पर ऐसी आशीष दे, कि वह तेरे सम्मुख सदैव बना रहे; क्योंकि, हे प्रभु यहोवा, तू ने ऐसा ही कहा है, और तेरे दास का घराना तुझ से आशीष पाकर सदैव धन्य रहे।

2 शमूएल 8

1 इसके बाद दाऊद ने पलिश्तियों को जीतकर अपने आधीन कर लिया, और दाऊद ने पलिश्तियों की राजधानी की प्रभुता उनके हाथ से छीन ली।

2 फिर उसने मोआबियों को भी जीता, और इन को भूमि पर लिटाकर डोरी से मापा; तब दो डोरी से लोगों को मापकर घात किया, और डोरी भर के लोगों को जीवित छोड़ दिया। तब मोआबी दाऊद के आधीन हो कर भेंट ले आने लगे।

3 फिर जब सोबा का राजा रहोब का पुत्र हददेजेर महानद के पास अपना राज्य फिर ज्यों का त्यों करने को जा रहा था, तब दाऊद ने उसको जीत लिया।

4 और दाऊद ने उस से एक हजार सात सौ सवार, और बीस हजार प्यादे छीन लिए; और सब रथ वाले घोड़ों के सुम की नस कटवाई, परन्तु एक सौ रथ वाले घोड़े बचा रखे।

5 और जब दमिश्क के अरामी सोबा के राजा हददेजेर की सहायता करने को आए, तब दाऊद ने आरामियों में से बाईस हज़ार पुरुष मारे।

6 तब दाऊद ने दमिश्क में अराम के सिपाहियों की चौकियां बैठाई; इस प्रकार अरामी दाऊद के आधीन हो कर भेंट ले आने लगे। और जहां जहां दाऊद जाता था वहां वहां यहोवा उसको जयवन्त करता था।

7 और हददेजेर के कर्मचारियों के पास सोने की जो ढालें थीं उन्हें दाऊद ले कर यरूशलेम को आया।

8 और बेतह और बरौतै नाम हददेजेर के नगरों से दाऊद राजा बहुत सा पीतल ले आया।

9 और जब हमात के राजा तोई ने सुना कि दाऊद ने हददेजेर की समस्त सेना को जीत लिया है,

10 तब तोई ने योराम नाम अपने पुत्र को दाऊद राजा के पास उसका कुशल क्षेम पूछने, और उसे इसलिये बधाई देने को भेजा, कि उसने हददेजेर से लड़ कर उसको जीत लिया था; क्योंकि हददेजेर तोई से लड़ा करता था। और योराम चांदी, सोने और पीतल के पात्र लिए हुए आया।

11 इन को दाऊद राजा ने यहोवा के लिये पवित्र करके रखा; और वैसा ही अपने जीती हुई सब जातियों के सोने चांदी से भी किया,

12 अर्थात अरामियों, मोआबियों, अम्मानियों, पलिश्तियों, और अमालेकियों के सोने चांदी को, और रहोब के पुत्र सोबा के राजा हददेजेर की लूट को भी रखा।

13 और जब दाऊद लोमवाली तराई में अठारह हजार अरामियों को मार के लौट आया, तब उसका बड़ा नाम हो गया।

14 फिर उसने एदोम में सिपाहियों की चौकियां बैठाई; पूरे एदोम में उसने सिपाहियों की चौकियां। बैठाई, और सब एदोमी दाऊद के आधीन हो गए। और दाऊद जहां जहां जाता था वहां वहां यहोवा उसको जयवन्त करता था।

15 ( दाऊद के कर्मचारियों की नामावली ) दाऊद तो समस्त इस्राएल पर राज्य करता था, और दाऊद अपनी समस्त प्रजा के साथ न्याय और धर्म के काम करता था।

16 और प्रधान सेनापति सरूयाह का पुत्र योआब था; इतिहास का लिखने वाला अहीलूद का पुत्र यहोशापात था;

17 प्रधान याजक अहीतूब का पुत्र सादोक और एब्यातर का पुत्र अहीमेलेक थे; मंत्री सरायाह था;

18 करेतियो और पकेतियों का प्रधान यहोयादा का पुत्र बनायाह था; और दाऊद के पुत्र भी मंत्री थे।

2 शमूएल 9

1 दाऊद ने पूछा, क्या शाऊल के घराने में से कोई अब तक बचा है, जिस को मैं योनातन के कारण प्रीति दिखाऊं?

2 शाऊल के घराने का सीबा नाम एक कर्मचारी था, वह दाऊद के पास बुलाया गया; और जब राजा ने उस से पूछा, क्या तू सीबा है? तब उसने कहा, हां, तेरा दास वही है।

3 राजा ने पूछा, क्या शाऊल के घराने में से कोई अब तक बचा है, जिस को मैं परमेश्वर की सी प्रीति दिखाऊं? सीबा ने राजा से कहा, हां, योनातन का एक बेटा तो है, जो लंगड़ा है।

4 राजा ने उस से पूछा, वह कहां है? सीबा ने राजा से कहा, वह तो लोदबार नगर में, अम्मीएल के पुत्र माकीर के घर में रहता है।

5 तब राजा दाऊद ने दूत भेज कर उसको लोदबार से, अम्मीएल के पुत्र माकीर के घर से बुलवा लिया।

6 जब मपीबोशेत, जो योनातन का पुत्र और शाऊल का पोता था, दाऊद के पास आया, तब मुह के बल गिर के दण्डवत् किया। दाऊद ने कहा, हे मपीबोशेत! उसने कहा, तेरे दास को क्या आज्ञा?

7 दाऊद ने उस से कहा, मत डर; तेरे पिता योनातन के कारण मैं निश्चय तुझ को प्रीति दिखाऊंगा, और तेरे दादा शाऊल की सारी भूमि तुझे फेर दूंगा; और तू मेरी मेज पर नित्य भोजन किया कर।

8 उसने दण्डवत् करके कहा, तेरा दास क्या है, कि तू मुझे ऐसे मरे कुत्ते की ओर दृष्टि करे?

9 तब राजा ने शाऊल के कर्मचारी सीबा को बुलवाकर उस से कहा, जो कुछ शाऊल और उसके समस्त घराने का था वह मैं ने तेरे स्वामी के पोते को दे दिया है।

10 अब से तू अपने बेटों और सेवकों समेत उसकी भूमि पर खेती करके उसकी उपज ले आया करना, कि तेरे स्वामी के पोते को भोजन मिला करे; परन्तु तेरे स्वामी का पोता मपीबोशेत मेरी मेज पर नित्य भोजन किया करेगा। और सीबा के तो पन्द्रह पुत्र और बीस सेवक थे।

11 सीबा ने राजा से कहा, मेरा प्रभु राजा अपने दास को जो जो आज्ञा दे, उन सभों के अनुसार तेरा दास करेगा। दाऊद ने कहा, मपीबोशेत राजकुमारों की नाईं मेरी मेज पर भोजन किया करे।

12 मपीबोशेत के भी मीका नाम एक छोटा बेटा था। और सीबा के घर में जितने रहते थे वे सब मपीबोशेत की सेवा करते थे।

13 और मपीबोशेत यरूशलेम में रहता था; क्योंकि वह राजा की मेज पर नित्य भोजन किया करता था। और वह दोनों पांवों का पंगुला था।

2 शमूएल 10

1 इसके बाद अम्मोनियों का राजा मर गया, और उसका हानून नाम पुत्र उसके स्थान पर राजा हुआ।

2 तब दाऊद ने यह सोचा, कि जैसे हानून के पिता नाहाश ने मुझ को प्रीति दिखाई थी, वैसे ही मैं भी हानून को प्रीति दिखाऊंगा। तब दाऊद ने अपने कई कर्मचारियों को उसके पास उसके पिता के विषय शान्ति देने के लिये भेज दिया। और दाऊद के कर्मचारी अम्मोनियों के देश में आए।

3 परन्तु अम्मोनियों के हाकिम अपने स्वामी हानून से कहने लगे, दाऊद ने जो तेरे पास शान्ति देने वाले भेजे हैं, वह क्या तेरी समझ में तेरे पिता का आदर करने की मनसा मे भेजे हैं? क्या दाऊद ने अपने कर्मचारियों को तेरे पास इसी मनसा मे नहीं भेजा कि इस नगर में ढूंढ़ ढांढ़ करके और इसका भेद ले कर इस को उलट दें?

4 इसलिये हानून ने दाऊद के कर्मचारियों को पकडा, और उनकी आधी-आधी डाढ़ी मुड़वाकर और आधे वस्त्र, अर्थात नितम्ब तक कटवाकर, उन को जाने दिया।

5 इसका समाचार पाकर दाऊद ने लोगों को उन से मिलने के लिये भेजा, क्योंकि वे बहुत लजाते थे। और राजा ने यह कहा, कि जब तक तुम्हारी डाढिय़ां बढ़ न जाएं तब तक यरीहो में ठहरे रहो, तब लौट आना।

6 जब अम्मानियों ने देखा कि हम से दाऊद अप्रसन्न हैं, तब अम्मोनियों ने बेत्रहोब और सोबा के बीस हजार अरामी प्यादों को, और हजार पुरुषों समेत माका के राजा को, और बारह हज़ार तोबी पुरुषों को, वेतन पर बुलवाया।

7 यह सुनकर दाऊद ने योआब और शूरवीरों की समस्त सेना को भेजा।

8 तब अम्मोनी निकले और फाटक ही के पास पांती बान्धी; और सोबा और रहोब के अरामी और तोब और माका के पूरुष उन से न्यारे मैदान में थे।

9 यह देखकर कि आगे पीछे दोनोंओर हमारे विरुद्व पांति बन्धी है, योआब ने सब बड़े बढ़े इस्राएली वीरोंमें से बहुतों को छांटकर अरामियोंके साम्हने उनकी पांति बन्धाई,

10 और और लोगों को अपने भाई अबीशै के हाथ सौंप दिया, और उसने अम्मोनियों के साम्हने उनकी पांति बन्धाई।

11 फिर उसने कहा, यदि अरामी मुझ पर प्रबल होने लगें, तो तू मेरी सहायता करना; और यदि अम्मोनी तुझ पर प्रबल होने लगोंगे, तो मैं आकर तेरी सहायता करूंगा।

12 तू हियाव बान्ध, और हम अपने लोगों और अपने परमेश्वर के नगरों के निमित्त पुरुषार्थ करें; और यहोवा जैसा उसको अच्छा लगे वैसा करे।

13 तब योआब और जो लोग उसके साथ थे अरामियों से युद्ध करने को निकट गए; और वे उसके साम्हने से भागे।

14 यह देखकर कि अरामी भाग गए हैं अम्मोनी भी अबीशै के साम्हने से भागकर नगर के भीतर घुसे। तब योआब अम्मोनियों के पास से लौटकर यरूशलेम को आया।

15 फिर यह देखकर कि हम इस्राएलियों से हार गए अरामी इकट्ठे हुए।

16 और हददेजेर ने दूत भेज कर महानद के पार के अरामियों को बुलवाया; और वे हददेजेर के सेनापति शोवक को अपना प्रधान बनाकर हेलाम को आए।

17 इसका समाचार पाकर दाऊद ने समस्त इस्राएलियों को इकट्ठा किया, और यरदन के पार हो कर हेलाम में पहुंचा। तब अराम दाऊद के विरुद्ध पांति बान्धकर उस से लड़ा।

18 परन्तु अरामी इस्राएलियों से भागे, और दाऊद ने अरामियों में से सात सौ रथियों और चालीस हजार सवारों को मार डाला, और उनके सेनापति शोबक को ऐसा घायल किया कि वह वहीं मर गया।

19 यह देखकर कि हम इस्राएल से हार गए हैं, जितने राजा हददेजेर के आधीन थे उन सभों ने इस्राएल के साथ संधि की, और उसके आधीन हो गए। और अरामी अम्मोनियों की और सहायता करने से डर गए।

2 शमूएल 11

1 फिर जिस समय राजा लोग युद्ध करने को निकला करते हैं, उस समय, अर्थात वर्ष के आरम्भ में दाऊद ने योआब को, और उसके संग अपने सेवकों और समस्त इस्राएलियों को भेजा; और उन्होंने अम्मोनियों को नाश किया, और रब्बा नगर को घेर लिया। परन्तु दाऊद सरूशलेम में रह गया।

2 सांझ के समय दाऊद पलंग पर से उठ कर राजभवन की छत पर टहल रहा था, और छत पर से उसको एक स्त्री, जो अति सुन्दर थी, नहाती हुई देख पड़ी।

3 जब दाऊद ने भेज कर उस स्त्री को पुछवाया, तब किसी ने कहा, क्या यह एलीआम की बेटी, और हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी बतशेबा नहीं है?

4 तब दाऊद ने दूत भेज कर उसे बुलवा लिया; और वह दाऊद के पास आई, और वह उसके साथ सोया। ( वह तो ऋतु से शुद्ध हो गई थी ) तब वह अपने घर लौट गई।

5 और वह स्त्री गर्भवती हुई, तब दाऊद के पास कहला भेजा, कि मुझे गर्भ है।

6 तब दाऊद ने योआब के पास कहला भेजा, कि हित्ती ऊरिय्याह को मेरे पास भेज, तब योआब ने ऊरिय्याह को दाऊद के पास भेज दिया।

7 जब ऊरिय्याह उसके पास आया, तब दाऊद ने उस से योआब और सेना का कुशल क्षेम और युद्ध का हाल पूछा।

8 तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, अपने घर जा कर अपने पांव धो। और ऊरिय्याह राजभवन से निकला, और उसके पीछे राजा के पास से कुछ इनाम भेजा गया।

9 परन्तु ऊरिय्याह अपने स्वामी के सब सेवकों के संग राजभवन के द्वार में लेट गया, और अपने घर न गया।

10 जब दाऊद को यह समाचार मिला, कि ऊरिय्याह अपने घर नहीं गया, तब दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, क्या तू यात्रा करके नहीं आया? तो अपने घर क्यों नहीं गया?

11 ऊरिय्याह ने दाऊद से कहा, जब सन्दूक और इस्राएल और यहूदा झोंपडिय़ों में रहते हैं, और मेरा स्वामी योआब और मेरे स्वामी के सेवक खुले मैदान पर डेरे डाले हुए हैं, तो क्या मैं घर जा कर खाऊं, पीऊं, और अपनी पत्नी के साथ सोऊं? तेरे जीवन की शपथ, और तेरे प्राण की शपथ, कि मैं ऐसा काम नहीं करने का।

12 दाऊद ने ऊरिय्याह से कहा, आज यहीं रह, और कल मैं तुझे विदा करूंगा। इसलिये ऊरिय्याह उस दिन और दूसरे दिन भी यरूशलेम में रहा।

13 तब दाऊद ने उसे नेवता दिया, और उसने उसके साम्हने खाया पिया, और उसी ने उसे मतवाला किया; और सांझ को वह अपने स्वामी के सेवकों के संग अपनी चारपाई पर सोने को निकला, परन्तु अपने घर न गया।

14 बिहान को दाऊद ने योआब के नाम पर एक चिट्ठी लिखकर ऊरिय्याह के हाथ से भेजदी।

15 उस चिट्ठी में यह लिखा था, कि सब से घोर युद्ध के साम्हने ऊरिय्याह को रखना, तब उसे छोडकर लौट आओ, कि वह घायल हो कर मर जाए।

16 और योआब ने नगर को अच्छी रीति से देख भालकर जिस स्थान में वह जानता था कि वीर हैं, उसी में ऊरिय्याह को ठहरा दिया।

17 तब नगर के पुरुषों ने निकलकर योआब से युद्ध किया, और लोगों में से, अर्थात दाऊद के सेवकों में से कितने खेत आए; और उन में हित्ती ऊरिय्यह भी मर गया।

18 तब योआब ने भेज कर दाऊद को युद्ध का पूरा हाल बताया;

19 और दूत को आज्ञा दी, कि जब तू युद्ध का पूरा हाल राजा को बता चुके,

20 तब यदि राजा जलकर कहने लगे, कि तुम लोग लड़ने को नगर के ऐसे निकट क्यों गए? क्या तुम न जानते थे कि वे शहरपनाह पर से तीर छोड़ेंगे?

21 यरुब्बेशेत के पुत्र अबीमेलेक को किसने मार डाला? क्या एक स्त्री ने शहरपनाह पर से चक्की का उपरला पाट उस पर ऐसा न डाला कि वह तेबेस में मर गया? फिर तुम शहरपनाह के एसे निकट क्यों गए? तो तू यों कहना, कि तेरा दास ऊरिय्याह हित्ती भी मर गया।

22 तब दूत चल दिया, और जा कर दाऊद से योआब की सब बातें वर्णन कीं।

23 दूत ने दाऊद से कहा, कि वे लोग हम पर प्रबल हो कर मैदान में हमारे पास निकल आए, फिर हम ने उन्हें फाटक तक खदेड़ा।

24 तब धनुर्धारियों ने शहरपनाह पर से तेरे जनों पर तीर छोड़े; और राजा के कितने जन मर गए, और तेरा दास ऊरिय्याह हित्ती भी मर गया।

25 दाऊद ने दूत से कहा, योआब से यों कहना, कि इस बात के कारण उदास न हो, क्योंकि तलवार जैसे इस को वैसे उसको नाश करती है; तो तू नगर के विरुद्ध अधिक दृढ़ता से लड़कर उसे उलट दे। और तू उसे हियाव बन्धा।

26 जब ऊरिय्याह की स्त्री ने सुना कि मेरा पति मर गया, तब वह अपने पति के लिये रोने पीटने लगी।

27 और जब उसके विलाप के दिन बीत चुके, तब दाऊद ने उसे बुलवाकर अपने घर में रख लिया, और वह उसकी पत्नी हो गई, और उसके पुत्र उत्पन्न हुआ। परन्तु उस काम से जो दाऊद ने किया था यहोवा क्रोधित हुआ।

2 शमूएल 12

1 तब यहोवा ने दाऊद के पास नातान को भेजा, और वह उसके पास जा कर कहने लगा, एक नगर में दो मनुष्य रहते थे, जिन में से एक धनी और एक निर्धन था।

2 धनी के पास तो बहुत सी भेड़-बकरियां और गाय बैल थे;

3 परन्तु निर्धन के पास भेड़ की एक छोटी बच्ची को छोड़ और कुछ भी न था, और उसको उसने मोल ले कर जिलाया था। और वह उसके यहां उसके बालबच्चों के साथ ही बढ़ी थी; वह उसके टुकड़े में से खाती, और उसके कटोरे में से पीती, और उसकी गोद मे सोती थी, और वह उसकी बेटी के समान थी।

4 और धनी के पास एक बटोही आया, और उसने उस बटोही के लिये, जो उसके पास आया था, भोजन बनवाने को अपनी भेड़-बकरियों वा गाय बैलों में से कुछ न लिया, परन्तु उस निर्धन मनुष्य की भेड़ की बच्ची ले कर उस जन के लिये, जो उसके पास आया था, भोजन बनवाया।

5 तब दाऊद का कोप उस मनुष्य पर बहुत भड़का; और उसने नातान से कहा, यहोवा के जीवन की शपथ, जिस मनुष्य ने ऐसा काम किया वह प्राण दण्ड के योग्य है;

6 और उसको वह भेड़ की बच्ची का औगुणा भर देना होगा, क्योंकि उसने ऐसा काम किया, और कुछ दया नहीं की।

7 तब नातान ने दाऊद से कहा, तू ही वह मनुष्य है। इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि मैं ने तेरा अभिशेक कराके तुझे इस्राएल का राजा ठहराया, और मैं ने तुझे शाऊल के हाथ से बचाया;

8 फिर मैं ने तेरे स्वामी का भवन तुझे दिया, और तेरे स्वामी की पत्नियां तेरे भोग के लिये दीं; और मैं ने इस्राएल और यहूदा का घराना तुझे दिया था; और यदि यह थोड़ा था, तो मैं तुझे और भी बहुत कुछ देने वाला था।

9 तू ने यहोवा की आज्ञा तुच्छ जान कर क्यों वह काम किया, जो उसकी दृष्टि में बुरा है? हित्ती ऊरिय्याह को तू ने तलवार से घात किया, और उसकी पत्नी को अपनी कर लिया है, और ऊरिय्याह को अम्मोनियों की तलवार से मरवा डाला है।

10 इसलिये अब तलवार तेरे घर से कभी दूर न होगी, क्योंकि तू ने मुझे तुच्छ जानकर हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी को अपनी पत्नी कर लिया है।

11 यहोवा यों कहता है, कि सुन, मैं तेरे घर में से विपत्ति उठा कर तुझ पर डालूंगा; और तेरी पत्नियों को तेरे साम्हने ले कर दूसरे को दूंगा, और वह दिन दुपहरी में तेरी पत्नियों से कुकर्म करेगा।

12 तू ने तो वह काम छिपाकर किया; पर मैं यह काम सब इस्राएलियों के साम्हने दिन दुपहरी कराऊंगा।

13 तब दाऊद ने नातान से कहा, मैं ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। नातान ने दाऊद से कहा, यहोवा ने तेरे पाप को दूर किया है; तू न मरेगा।

14 तौभी तू ने जो इस काम के द्वारा यहोवा के शत्रुओं को तिरस्कार करने का बड़ा अवसर दिया है, इस कारण तेरा जो बेटा उत्पन्न हुआ है वह अवश्य ही मरेगा।

15 तब नातान अपने घर चला गया। और जो बच्चा ऊरिय्याह की पत्नी से दाऊद के द्वारा उत्पन्न था, वह यहोवा का मारा बहुत रोगी हो गया।

16 और दाऊद उस लड़के के लिये परमेश्वर से बिनती करने लगा; और उपवास किया, और भीतर जा कर रात भर भूमि पर पड़ा रहा।

17 तब उसके घराने के पुरनिये उठ कर उसे भूमि पर से उठाने के लिये उसके पास गए; परन्तु उसने न चाहा, और उनके संग रोटी न खाई।

18 सातवें दिन बच्चा मर गया, और दाऊद के कर्मचारी उसको बच्चे के मरने का समाचार देने से डरे; उन्होंने तो कहा था, कि जब तक बच्चा जीवित रहा, तब तक उसने हमारे समझाने पर मन न लगाया; यदि हम उसको बच्चे के मर जाने का हाल सुनाएं तो वह बहुत ही अधिक दु:खी होगा।

19 अपने कर्मचारियों को आपस में फुसफुसाते देखकर दाऊद ने जान लिया कि बच्चा मर गया; तो दाऊद ने अपने कर्मचारियों से पूछा, क्या बच्चा मर गया? उन्होंने कहा, हां, मर गया है।

20 तब दाऊद भूमि पर से उठा, और नहाकर तेल लगाया, और वस्त्र बदला; तब यहोवा के भवन में जा कर दण्डवत् की; फिर अपने भवन में आया; और उसकी आज्ञा पर रोटी उसको परोसी गई, और उसने भोजन किया।

21 तब उसके कर्मचारियों ने उस से पूछा, तू ने यह क्या काम किया है? जब तक बच्चा जीवित रहा, तब तक तू उपवास करता हुआ रोता रहा; परन्तु ज्योंही बच्चा मर गया, त्योंही तू उठ कर भोजन करने लगा।

22 उसने उत्तर दिया, कि जब तक बच्चा जीवित रहा तब तक तो मैं यह सोचकर उपवास करता और रोता रहा, कि क्या जाने यहोवा मुझ पर ऐसा अनुग्रह करे कि बच्चा जीवित रहे।

23 परन्तु अब वह मर गया, फिर मैं उपवास क्यों करूं? क्या मैं उसे लौटा ला सकता हूं? मैं तो उसके पास जाऊंगा, परन्तु वह मेरे पास लौट न आएगा।

24 तब दाऊद ने अपनी पत्नी बतशेबा को शान्ति दी, और वह उसके पास गया; और असके एक पुत्र उत्पन्न हुआ, और उसने उसका नाम सुलैमान रखा। और वह यहोवा का प्रिय हुआ।

25 और उसने नातान भविष्यद्वक्ता के द्वारा सन्देश भेज दिया; और उसने यहोवा के कारण उसका नाम यदीद्याह रखा।

26 और योआब ने अम्मोनियों के रब्बा नगर से लड़कर राजनगर को ले लिया।

27 तब योआब ने दूतों से दाऊद के पास यह कहला भेजा, कि मैं रब्बा से लड़ा और जल वाले नगर को ले लिया है।

28 सो अब रहे हुए लोगों को इकट्ठा करके नगर के विरुद्ध छावनी डालकर उसे भी ले ले; ऐसा न हो कि मैं उसे ले लूं, और वह मेरे नाम पर कहलाए।

29 तब दाऊद सब लोगों को इकट्ठा करके रब्बा को गया, और उस से युद्ध करके उसे ले लिया।

30 तब उसने उनके राजा का मुकुट, जो तौल में किक्कार भर सोने का था, और उस में मणि जड़े थे, उसको उसके सिर पर से उतारा, और वह दाऊद के सिर पर रखा गया। फिर उसने उस नगर की बहुत ही लूट पाई।

31 और उसने उसके रहने वालों को निकाल कर आरों से दो दो टुकड़े कराया, और लोहे के हेंगे उन पर फिरवाए, और लोहे की कुल्हाडिय़ों से उन्हें कटवाया, और ईट के पजावे में से चलवाया; और अम्मोनियों के सब नगरों से भी उसने ऐसा ही किया। तब दाऊद समस्त लोगों समेत यरूशलेम को लौट आया।