2 राजा 10

1 अहाब के तो सत्तर बेटे, पोते, शोमरोन में रहते थे। सो येहू ने शोमरोन में उन पुरनियों के पास, और जो यिज्रैल के हाकिम थे, और जो अहाब के लड़के-बालों के पालने वाले थे, उनके पास पत्र लिख कर भेजे,

2 कि तुम्हारे स्वामी के बेटे, पोते तो तुम्हारे पास रहते हैं, और तुम्हारे रथ, और घोड़े भी हैं, और तुम्हारे एक गढ़वाला नगर, और हथियार भी हैं; तो इस पत्र के हाथ लगते ही,

3 अपने स्वामी के बेटों में से जो सब से अच्छा और योग्य हो, उसको छांट कर, उसके पिता की गद्दी पर बैठाओ, और अपने स्वामी के घराने के लिये लड़ो।

4 परंतु वे निपट डर गए, और कहने लगे, उसके साम्हने दो राजा भी ठहर न सके, फिर हम कहां ठहर सकेंगे?

5 तब जो राज घराने के काम पर था, और जो नगर के ऊपर था, उन्होंने और पुरनियों और लड़के-बालों के पालने वालों ने येहू के पास यों कहला भेजा, कि हम तेरे दास हैं, जो कुछ तू हम से कहे, उसे हम करेंगे; हम किसी को राजा न बनाएंगे, जो तुझे भाए वहीं कर।

6 तब उसने दूसरा पत्र लिख कर उनके पास भेजा, कि यदि तुम मेरी ओर के हो और मेरी मानो, तो अपने स्वामी के बेटों-पोतों के सिर कटवाकर कल इसी समय तक मेरे पास यिज्रैल में हाजिर होना। राजपुत्र तो जो सत्तर मतुष्य थे, वे उस नगर के रईसों के पास पलते थे।

7 यह पत्र उनके हाथ लगते ही, उन्होंने उन सत्तरों राजपुत्रों को पकड़ कर मार डाला, और उनके सिर टोकरियों में रख कर यिज्रैल को उसके पास भेज दिए।

8 और एक दूत ने उसके पास जा कर बता दिया, कि राजकुमारों के सिर आ गए हैं। तब उसने कहा, उन्हें फाटक में दो ढेर कर के बिहान तक रखो।

9 बिहान को उसने बाहर जा खड़े हो कर सब लोगों से कहा, तुम तो निर्दोष हो, मैं ने अपने स्वामी से राजद्रोह की गोष्ठी कर के उसे घात किया, परन्तु इन सभों को किस ने मार डाला?

10 अब जान लो कि जो वचन यहोवा ने अपने दास एलिय्याह के द्वारा कहा था, उसे उसने पूरा किया है; जो वचन यहोवा ने अहाब के घराने के विषय कहा, उस में से एक भी बात बिना पूरी हुए न रहेगी।

11 तब अहाब के घराने के जितने लोग यिज्रैल में रह गए, उन सभों को और उसके जितने प्रधान पुरुष और मित्र और याजक थे, उन सभों को येहू ने मार डाला, यहां तक कि उसने किसी को जीवित न छोड़ा।

12 तब वह वहां से चलकर शोमरोन को गया। और मार्ग में चरवाहों के ऊन कतरने के स्थान पर पहुंचा ही था,

13 कि यहूदा के राजा अहय्याह के भाई येहू से मिले और जब उसने पूछा, तुम कौन हो? तब उन्होंने उत्तर दिया, हम अहज्याह के भाई हैं, और राजपुत्रों और राजमाता के बेटों का कुशलक्षेम पूछने को जाते हैं।

14 तब उसने कहा, इन्हें जीवित पकड़ो। सो उन्होंने उन को जो बयालीस पुरुष थे, जीवित पकड़ा, और ऊन कतरने के स्थान की बावली पर मार डाला, उसने उन में से किसी को न छोड़ा।

15 जब वह वहां से चला, तब रेकाब का पुत्र यहोनादाब साम्हने से आता हुआ उसको मिला। उसका कुशल उस ने पूछ कर कहा, मेरा मन तो तेरी ओर निष्कपट है सो क्या तेरा मन भी वैसा ही है? यहोनादाब ने कहा, हां, ऐसा ही है। फिर उसने कहा, ऐसा हो, तो अपना हाथ मुझे दे। उसने अपना हाथ उसे दिया, और वह यह कह कर उसे अपने पास रथ पर चढ़ाने लगा, कि मेरे संग चल।

16 और देख, कि मुझे यहोवा के निमित्त कैसी जलन रहती है। तब वह उसके रथ पर चढ़ा दिया गया।

17 शोमरोन को पहुंच कर उसने यहोवा के उस वचन के अनुसार जो उसने एलिय्याह से कहा था, अहाब के जितने शोमरोन में बचे रहे, उन सभों को मार के विनाश किया।

18 तब येहू ने सब लोगों को इकट्ठा कर के कहा, अहाब ने तो बाल की थोड़ी ही उपासना की थी, अब येहू उसकी अपासना बढ़के करेगा।

19 इसलिये अब बाल के सब नबियों, सब उपासकों और सब याजकों को मेरे पास बुला लाओ, उन में से कोई भी न रह जाए; क्योंकि बाल के लिये मेरा एक बड़ा यज्ञ होने वाला है; जो कोई न आए वह जीवित न बचेगा। येहू ने यह काम कपट कर के बाल के सब उपासकों को नाश करने के लिये किया।

20 तब येहू ने कहा, बाल की एक पवित्र महासभा का प्रचार करो। और लोगों ने प्रचार किया।

21 और येहू ने सारे इस्राएल में दूत भेजे; तब बाल के सब उपासक आए, यहां तक कि ऐसा कोई न रह गया जो न आया हो। और वे बाल के भवन में इतने आए, कि वह एक सिरे से दूसरे सिरे तक भर गया।

22 तब उसने उस मनुष्य से जो वस्त्र के घर का अधिकारी था, कहा, बाल के सब उपासकों के लिये वस्त्र निकाल ले आ; सो वह उनके लिये वस्त्र निकाल ले आया।

23 तब येहू रेकाब के पुत्र यहोनादाब को संग ले कर बाल के भवन में गया, और बाल के उपासकों से कहा, ढूंढ़ कर देखो, कि यहां तुम्हारे संग यहोवा का कोई उपासक तो नहीं है, केवल बाल ही के उपासक हैं। तब वे मेलबलि और होमबलि चढ़ाने को भीतर गए।

24 येहू ने तो अस्सी पुरुष बाहर ठहरा कर उन से कहा था, यदि उन मनुष्यों में से जिन्हें मैं तुम्हारे हाथ कर दूं, कोई भी बचने पाए, तो जो उसे जाने देगा उसका प्राण, उसके प्राण की सन्ती जाएगा।

25 फिर जब होमबलि चढ़ चुका, तब येहू ने पहरुओं उौर सरदारों से कहा, भीतर जा कर उन्हें मार डालो; कोई निकलने न पाए। तब उन्होंने उन्हें तलवार से मारा और पहरुए और सरदार उन को बाहर फेंक कर बाल के भवन के नगर को गए।

26 और उन्होंने बाल के भवन में की लाठें निकाल कर फूंक दीं।

27 और बाल की लाठ को उन्होंने तोड़ डाला; और बाल के भवन को ढाकर पायखाना बना दिया; और वह आज तक ऐसा ही है।

28 यों येहू ने बाल को इस्राएल में से नाश कर के दूर किया।

29 तौभी नबात के पुत्र यारोबाम, जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार करने, अर्थात बेतेल और दान में के सोने के बछड़ों की पूजा, उस से येहू अलग न हुआ।

30 और यहोवा ने येहू से कहा, इसलिये कि नू ने वह किया, जो मेरी दृष्टि में ठीक है, और अहाब के घराने से मेरी इच्छा के अनुसार बर्ताव किया है, तेरे पर पोते के पुत्र तक तेरी सन्तान इस्राएल की गद्दी पर विराजती रहेगी।

31 परन्तु येहू ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की व्यवस्था पर पूर्ण मन से चलने की चौकसी न की, वरन यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार करने से वह अलग न हुआ।

32 उन दिनों यहोवा इस्राएल को घटाने लगा, इसलिये हजाएल ने इस्राएल के उन सारे देशों में उन को मारा:

33 यरदन से पूरब की ओर गिलाद का सारा देश, और गादी और रूबेनी और मनश्शेई का देश अर्थात अरोएर से ले कर जो अर्नोन की तराई के पास है, गिलाद और बाशान तक।

34 येहू के और सब काम और जो कुछ उसने किया, और उसकी पूर्ण वीरता, यह सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?

35 निदान येहू अपने पुरखाओं के संग सो गया, और शोमरोन में उसको मिट्टी दी गई, और उसका पुत्र यहोआहाज उसके स्थान पर राजा बन गया।

36 येहू के शोमरोन में इस्राएल पर राज्य करने का समय तो अट्ठाईस वर्ष का था।

2 राजा 11

1 जब अहज्याह की माता अतल्याह ने देखा, कि मेरा पुत्र मर गया, तब उसने पूरे राजवंश को नाश कर डाला।

2 परन्तु यहोशेबा जो राजा योराम की बेटी, और अहज्याह की बहिन थी, उसने अहज्याह के पुत्र योआश को घात होने वाले राजकुमारों के बीच में से चुराकर धाई समेत बिछौने रखने की कोठरी में छिपा दिया। और उन्होंने उसे अतल्याह से ऐसा छिपा रखा, कि वह मारा न गया।

3 और वह उसके पास यहोवा के भवन में छ:वर्ष छिपा रहा, और अतल्याह देश पर राज्य करती रही।

4 सातवें वर्ष में यहोयादा ने जल्लादों और पहरुओं के शतपतियों को बुला भेजा, और उन को यहोवा के भवन में अपने पास ले आया; और उन से वाचा बान्धी और यहोवा के भवन में उन को शपथ खिला कर, उन को राजपुत्र दिखाया।

5 और उसने उन्हें आज्ञा दी, कि एक काम करो: अर्थात तुम में से एक तिहाई लोग जो विश्रामदिन को आने वाले हों, वह राजभवन के पहरे की चौकसी करें।

6 और एक तिहाई लोग सूर नाम फाटक में ठहरे रहें, और एक तिहाई लोग पहरुओं के पीछे के फाटक में रहें; यों तुम भवन की चौकसी कर के लोगों को रोके रहना।

7 और तुम्हारे दो दल अर्थात जितने विश्राम दिन को बाहर जाने वाले हों वह राजा के आसपास हो कर यहोवा के भवन की चौकसी करें।

8 और तुम अपने अपने हाथ में हथियार लिये हुए राजा के चारों ओर रहना, और जो कोई पांतियों के भीतर घुसना चाहे वह मार डाला जाए, और तुम राजा के आते-जाते समय उसके संग रहना।

9 यहोयादा याजक की इन सब आज्ञाओं के अनुसार शतपतियों ने किया। वे विश्रामदिन को आने वाले और जाने वाले दोनों दलों के अपने अपने जनों को संग ले कर यहोयादा याजक के पास गए।

10 तब याजक ने शतपतियों को राजा दाऊद के बर्छे, और ढालें जो यहोवा के भवन में थीं दे दीं।

11 इसलिये वे पहरुए अपने अपने हाथ में हथियार लिए हुए भवन के दक्खिनी कोने से ले कर उत्तरी कोने तक वेदी और भवन के पास राजा के चारों ओर उसकी आड़ कर के खड़े हुए।

12 तब उसने राजकुमार को बाहर ला कर उसके सिर पर मुकुट, और साक्षीपत्र धर दिया; तब लोगों ने उसका अभिषेक कर के उसको राजा बनाया; फिर ताली बजा बजा कर बोल उठे, राजा जीवित रहे।

13 जब अतल्याह को पहरुओं और लोगों का हलचल सुन पड़ा, तब वह उनके पास यहोवा के भवन में गई।

14 और उसने क्या देखा कि राजा रीति के अनुसार खम्भे के पास खड़ा है, और राजा के पास प्रधान और तुरही बजाने वाले खड़े हैं। और लोग आनन्द करते और तुरहियां बजा रहे हैं। तब अतल्याह अपने वस्त्र फाड़कर राजद्रोह राजद्रोह यों पुकारने लगी।

15 तब यहोयादा याजक ने दल के अधिकारी शतपतियों को आज्ञा दी कि उसे अपनी पांतियों के बीच से निकाल ले जाओ; और जो कोई उसके पीछे चले उसे तलवार से मार डालो। क्योंकि याजक ने कहा, कि वह यहोवा के भवन में न मार डाली जाए।

16 इसलिये उन्होंने दोनों ओर से उसको जगह दी, और वह उस मार्ग के बीच से चली गई, जिस से घोड़े राजभवन में जाया करते थे; और वहां वह मार डाली गई।

17 तब यहोयादा ने यहोवा के, और राजा-प्रजा के बीच यहोवा की प्रजा होने की वाचा बन्धाई, और उसने राजा और प्रजा के मध्य भी वाचा बन्धाई।

18 तब सब लोगों ने बाल के भवन को जा कर ढा दिया, और उसकी वेदियां और मूरतें भली भंति तोड़ दीं; और मतान नाम बाल के याजक को वेदियों के साम्हने ही घात किया। और याजक ने यहोवा के भवन पर अधिकारी ठहरा दिए।

19 तब वह शतपतियों, जल्लादों और पहरुओं और सब लोगों को साथ ले कर राजा को यहोवा के भवन से नीचे ले गया, और पहरुओं के फाटक के मार्ग से राजभवन को पहुंचा दिया। और राजा राजगद्दी पर विराजमान हुआ।

20 तब सब लोग आनन्दित हुए, और नगर में शान्ति हुई। अतल्याह तो राजभवन के पास तलवार से मार डाली गई थी।

21 जब योआश राजा हुआ, उस समय वह सात पर्ष का था।

2 राजा 12

1 येहू के सातवें वर्ष में योआश राज्य करने लगा, और यरूशलेम में चालीस वर्ष तक राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम सिब्या था जो बेर्शेबा की थी।

2 और जब तक यहोयादा याजक योआश को शिक्षा देता रहा, तब तक वह वही काम करता रहा जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है।

3 तौभी ऊंचे स्थान गिराए न गए; प्रजा के लोग तब भी ऊंचे स्थान पर बलि चढ़ाते और धूप जलाते रहे।

4 और योआश ने याजकों से कहा, पवित्र की हुई वस्तुओं का जितना रुपया यहोवा के भवन में पहुंचाया जाए, अर्थात गिने हुए लोगों का रुपया और जितने रुपये के जो कोई योग्य ठहराया जाए, और जितना रुपया जिसकी इच्छा यहोवा के भवन में ले आने की हो,

5 इन सब को याजक लोग अपनी जान पहचान के लोगों से लिया करें और भवन में जो कुछ टूटा फूटा हो उसको सुधार दें।

6 तौभी याजकों ने भवन में जो टूटा फूटा था, उसे योआश राजा के तेईसवें वर्ष तक नहीं सुधारा था।

7 इसलिये राजा योआश ने यहोयादा याजक, और और याजकों को बुलवा कर पूछा, भवन में जो कुछ टूटा फूटा है, उसे तुम क्यों नहीं सुधारते? अब से अपनी जान पहचान के लोगों से और रुपया न लेना, और जो तुम्हें मिले, उसे भवन के सुधारने के लिये दे देना।

8 तब याजकों ने मानलिया कि न तो हम प्रजा से और रुपया लें और न भवन को सुधारें।

9 तब यहोयादा याजक ने एक सन्दूक ले, उस के ढकने में छेद कर के उसको यहोवा के भवन में आने वालों के दाहिने हाथ पर वेदी के पास धर दिया; और द्वार की रखवाली करने वाले याजक उस में वह सब रुपया डालते लगे जो यहोवा के भवन में लाया जाता था।

10 जब उन्होंने देखा, कि सन्दूक में बहुत रुपया है, तब राजा के प्रधान और महायाजक ने आकर उसे थैलियों में बान्ध दिया, और यहोवा के भवन में पाए हुए रुपये को गिन लिया।

11 तब उन्होंने उस तौले हुए रुपये को उन काम कराने वालों के हाथ में दिया, जो यहोवा के भवन में अधिकारी थे; और इन्होंने उसे यहोवा के भवन के बनाने वाले बढ़इयों, राजों, और संगतराशों को दिये।

12 और लकड़ी और गढ़े हुए पत्थर मोल लेने में, वरन जो कुछ भवन के टूटे फूटे की मरम्मत में खर्च होता था, उस में लगाया।

13 परन्तु जो रुपया यहोवा के भवन में आता था, उस से चान्दी के तसले, चिमटे, कटोरे, तुरहियां आदि सोने वा चान्दी के किसी प्रकार के पात्र न बने।

14 परन्तु वह काम करने वाले को दिया गया, और उन्होंने उसे ले कर यहोवा के भवन की मरम्मत की।

15 और जिनके हाथ में काम करने वालों को देने के लिये रुपया दिया जाता था, उन से कुछ हिसाब न लिया जाता था, क्योंकि वे सच्चाई से काम करते थे।

16 जो रुपया दोषबलियों और पापबलियों के लिये दिया जाता था, यह तो यहोवा के भवन में न लगाया गया, वह याजकों को मिलता था।

17 तब अराम के राजा हजाएल ने गत नगर पर चढ़ाई की, और उस से लड़ाई कर के उसे ले लिया। तब उसने यरूशलेम पर भी चढ़ाई करने को अपना मुंह किया।

18 तब यहूदा के राजा योआश ने उन सब पवित्र वस्तुओं को जिन्हें उसके पुरखा यहोशापात यहोराम और अहज्याह नाम यहूदा के राजाओं ने पवित्र किया था, और अपनी पवित्र की हुई वस्तुओं को भी और जितना सोना यहोवा के भवन के भणडारों में और राजभवन में मिला, उस सब को ले कर अराम के राजा हजाएल के पास भेज दिया; और वह यरूशलेम के पास से चला गया।

19 योआश के और सब काम जो उसने किया, वह क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं?

20 योआश के कर्मचारियों ने राजद्रोह की गोष्ठी कर के, उसको मिल्लो के भवन में जो सिल्ला की उतराई पर था, मार डाला।

21 अर्थात शिमात का पुत्र योजाकार और शोमेर का पुत्र यहोजाबाद, जो उसके कर्मचारी थे, उन्होंने उसे ऐसा मारा, कि वह मर गया। तब उसे उसके पुरखाओं के बीच दाऊदपुर में मिट्टी दी, और उसका पुत्र अमस्याह उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

2 राजा 13

1 अहज्याह के पुत्र यहूदा के राजा योआश के तेईसवें वर्ष में येहू का पुत्र यहोआहाज शोमरोन में इस्राएल पर राज्य करने लगा, और सत्रह वर्ष तक राज्य करता रहा।

2 और उसने वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था अर्थात नबात के पुत्र यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उन को छोड़ न दिया।

3 इसलिये यहोवा का क्रोध इस्राएलियों के विरुद्ध भड़क उठा, और उसने उन को अराम के राजा हजाएल, और उसके पुत्र बेन्हदद के आधीन कर दिया।

4 तब यहोआहाज यहोवा के साम्हने गिड़गिड़ाया और यहोवा ने उसकी सुन ली; क्योंकि उसने इस्राएल पर अन्धेर देखा कि अराम का राजा उन पर कैसा अन्धेर करता था।

5 इसलिये यहोवा ने इस्राएल को एक छुड़ाने वाला दिया और वे अराम के वश से छूट गए; और इस्राएली अगले दिनों की नाईं फिर अपने अपने डेरे में रहने लगे।

6 तौभी वे ऐसे पापों से न फिरे, जैसे यारोबाम के घराने ने किया, और जिनके अनुसार उसने इस्राएल से पाप कराए थे: परन्तु उन में चलते रहे, और शोमरोन में अशेरा भी खड़ी रही।

7 अराम के राजा ने तो यहोआहाज की सेना में से केवल पचास सवार, दस रथ, और दस हजार प्यादे छोड़ दिए थे; क्योंकि उसने उन को नाश किया, और रौंद रौंद कर के धूलि में मिला दिया था।

8 यहोआहाज के और सब काम जो उसने किए, और उसकी वीरता, यह सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?

9 निदान यहोआहाज अपने पुरखाओं के संग सो गया और शोमरोन में उसे मिद्दी दी गई; और उसका पुत्र योआश उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

10 यहूदा के राजा योआश के राज्य के सैंतीसवें वर्ष में यहोआहाज का पुत्र यहोआश शोमरोन में इस्राएल पर राज्य करने लगा, और सोलह वर्ष तक राज्य करता रहा।

11 और उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, अर्थात नबात का पुत्र यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उन से अलग न हुआ।

12 योआश के और सब काम जो उसने किए, और जिस वीरता से वह यहूदा के राजा अमस्याह से लड़ा, यह सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?

13 निदान योआश अपने पुरखाओं के संग सो गया और यारोबाम उसकी गद्दी पर विराजमान हुआ; और योआश को शोमरोन में इस्रा एल के राजाओं के बीच मिट्टी दी गई।

14 और एलीशा को वह रोग लग गया जिस से वह मरने पर था, तब इस्राएल का राजा योआश उसके पास गया, और उस के ऊपर रोकर कहने लगा, हाय मेरे पिता! हाय मेरे पिता! हाय इस्राएल के रथ और सवारो! एलीश ने उस से कहा, धनुष और तीर ले आ।

15 वह उसके पास धनुष और तीर ले आया।

16 तब उसने इस्राएल के राजा से कहा, धनुष पर अपना हाथ लगा। जब उसने अपना हाथ लगाया, तब एलीशा ने अपने हाथ राजा के हाथों पर धर दिए।

17 तब उसने कहा, पूर्व की खिड़की खोल। जब उसने उसे खोल दिया, तब एलीशा ने कहा, तीर छोड़ दे; उसने तीर छोड़ा। और एलीशा ने कहा, यह तीर यहोवा की ओर से छुटकारे अर्थात अराम से छुटकारे का चिन्ह है, इसलिये तू अपेक में अराम को यहां तक मार लेगा कि उनका अन्त कर डालेगा।

18 फिर उसने कहा, तीरों को ले; और जब उसने उन्हें लिया, तब उसने इस्राएल के राजा से कहा, भूमि पर मार; तब वह तीन बार मार कर ठहर गया।

19 और परमेश्वर के जन ने उस पर क्रोधित हो कर कहा, तुझे तो पांच छ: बार मारना चाहिये था। ऐसा करने से तो तू अराम को यहां तक मारता कि उनका अन्त कर डालता, परन्तु अब तू उन्हें तीन ही बार मारेगा।

20 तब एलीशा मर गया, और उसे मिट्टी दी गई। एक वर्ष के बाद मोआब के दल देश में आए।

21 लोग किसी मनुष्य को मिट्ठी दे रहे थे, कि एक दल उन्हें देख पड़ा तब उन्होंने उस लोथ को एलीशा की कबर में डाल दिया, और एलीशा की हड्डियों के छूते ही वह जी उठा, और अपने पावों के बल खड़ा हो गया।

22 यहोआहाज के जीवन भर अराम का राजा हजाएल इस्राएल पर अन्धेर ही करता रहा।

23 परन्तु यहोवा ने उन पर अनुग्रह किया, और उन पर दया कर के अपनी उस वाचा के कारण जो उसने इब्राहीम, इसहाक और याकूब से बान्धी थी, उन पर कृपा दृष्टि की, और न तो उन्हें नाश किया, और न अपने साम्हने से निकाल दिया।

24 तब अराम का राजा हजाएल मर गया, और उसका पुत्र बेन्हदद उसके स्थान पर राजा बन गया।

25 और यहोआहाज के पुत्र यहोआश ने हजाएल के पुत्र बेन्हदद के हाथ से वे नगर फिर ले लिए, जिन्हें उसने युद्ध कर के उसके पिता यहोआहाज के हाथ से छीन लिया था। योआश ने उसको तीन बार जीत कर इस्राएल के नगर फिर ले लिए।

2 राजा 14

1 इस्राएल के राजा यहोआहाज के पुत्र योआश के दूसरे वर्ष में यहूदा के राजा योआश का पुत्र असस्याह राजा हुआ।

2 जब वह राज्य करने लगा। तब वह पच्चीस वर्ष का था, और यरूशलेम में उनतीस वर्ष राज्य करता रहा। और उसकी माता का नाम यहोअद्दीन था, जो यरूशलेम की थी।

3 उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था तौभी अपने मूल पुरुष दाऊद की नाईं न किया; उसने ठीक अपने पिता योआश के से काम किए।

4 उसके दिनों में ऊंचे स्थान गिराए न गए; लोग तब भी उन पर बलि चढ़ाते, और धूप जलाते रहे।

5 जब राज्य उसके हाथ में स्थिर हो गया, तब उसने अपने उन कर्मचारियों को मार डाला, जिन्होंने उसके पिता राजा को मार डाला था।

6 परन्तु उन खूनियों के लड़के-बालों को उसने न मार डाला, क्योंकि यहोवा की यह आज्ञा मूसा की व्यवस्था की पुस्तक में लिखी है, कि पुत्र के कारण पिता न मार डाला जाए, और पिता के कारण पुत्र न मार डाला जाए: जिसने पाप किया हो, वही उस पाप के कारण मार डाला जाए।

7 उसी अमस्याह ने लोन की तराई में दस हजार एदोमी पुरुष मार डाले, और सेला नगर से युद्ध कर के उसे ले लिया, और उसका नाम योक्तेल रखा, और वह नाम आज तक चलता है।

8 तब अमस्याह ने इस्राएल के राजा योआश के पास जो येहू का पोता और यहोआहाज का पुत्र था दूतों से कहला भेजा, कि आ हम एक दूसरे का साम्हना करें।

9 इस्राएल के राजा योआश ने यहूदा के राजा अमस्याह के पास यों कहला भेजा, कि लबानोन पर की एक झड़बेरी ने लबानोन के एक देवदारु के पास कहला भेजा, कि अपनी बेटी मेरे बेटे को ब्याह दे; इतने में लबानोन में का एक बनपशु पास से चला गया और उस झड़बेरी को रौंद डाला।

10 तू ने एदोमियों को जीता तो है इसलिये तू फूल उठा है। उसी पर बड़ाई मारता हुआ घर रह जा; तू अपनी हानि के लिये यहां क्यों हाथ उठाता है, जिस से तू क्या वरन यहूदा भी नीचा खाएगा?

11 परन्तु अमस्याह ने न माना। तब इस्राएल के राजा योआश ने चढाई की, और उसने और यहूदा के राजा अमस्याह ने यहूदा देश के बेतशेमेश में एक दूसरे का सामहना किया।

12 और यहूदा इस्राएल से हार गया, और एक एक अपने अपने डेरे को भागा।

13 तब इस्राएल के राजा योआश ने यहूदा के राजा अमस्याह को जो अहज्याह का पोता, और योआश का पुत्र था, बेतशेमेश में पकड़ लिया, और यरूशलेम को गया, और यरूशलेम की शहरपनाह में से एप्रैमी फाटक से कोने वाले फाटक तक चार सौ हाथ गिरा दिए।

14 और जितना सोना, चान्दी और जितने पात्र यहोवा के भवन में और राजभवन के भणडारों में मिले, उन सब को और बन्धक लोगों को भी ले कर वह शोमरोन को लौट गया।

15 योआश के और काम जो उसने किए, ओर उसकी वीरता और उसने किस रीति यहूदा के राजा अमस्याह से युद्ध किया, यह सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?

16 निदान योआश अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसे इस्राएल के राजाओं के बीच शोमरोन में मिट्टी दी गई; और उसका पुत्र यारोबाम उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

17 यहोआहाज के पुत्र इस्राएल के राजा यहोआश के मरने के बाद योआश का पुत्र यहूदा का राजा अमस्याह पन्द्रह वर्ष जीवित रहा।

18 अमस्याह के और काम क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं?

19 जब यरूशलेम में उसके विरुद्ध राजद्रोह की गोष्ठी की गई, तब वह लाकीश को भाग गया। सो उन्होंने लाकीश तक उसका पीछा कर के उसको वहां मार डाला।

20 तब वह घोड़ों पर रख कर यरूशलेम में पहुंचाया गया, और वहां उसके पुरखाओं के बीच उसको दाऊदपुर में मिट्टी दी गई।

21 तब सारी यहूदी प्रजा ने अजर्याह को ले कर, जो सोलह वर्ष का था, उसके पिता अमस्याह के स्थान पर राजा नियुक्त कर दिया।

22 जब राजा अमस्याह अपने पुरखाओं के संग सो गया, उसके बाद अजर्याह ने एलत को दृढ़ कर के यहूदा के वश में फिर कर लिया।

23 यहूदा के राजा योआश के पुत्र अमस्याह के राज्य के पन्द्रहवें वर्ष में इस्राएल के राजा योआश का पुत्र यारोबाम शोमरोन में राज्य करने लगा, और एकतालीस वर्ष राज्य करता रहा।

24 उसने वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था; अर्थात नबात के पुत्र यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उन से वह अलग न हुआ।

25 उसने इस्राएल का सिवाना हमात की घाटी से ले अराबा के ताल तक ज्यों का त्यों कर दिया, जैसा कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने अमित्तै के पुत्र अपने दास गथेपेरवासी योना भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था।

26 क्योंकि यहोवा ने इस्राएल का दु:ख देखा कि बहुत ही कठिन है, वरन क्या बन्धुआ क्या स्वाधीन कोई भी बचा न रहा, और न इस्राएल के लिये कोई सहायक था।

27 यहोवा ने नहीं कहा था, कि मैं इस्राएल का नाम घरती पर से मिटा डालूंगा। सो उसने योआश के पुत्र यारोबाम के द्वारा उन को छूटकारा दिया।

28 यारोबाम के और सब काम जो उसने किए, और कैसे पराक्रम के साथ उसने युद्ध किया, और दमिश्क और हमात को जो पहले यहूदा के राज्य में थे इस्राएल के वश में फिर मिला लिया, यह सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?

29 निदान यारोबाम अपने पुरखाओं के संग जो इस्राएल के राजा थे सो गया, और उसका पुत्र जकर्याह उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

2 राजा 15

1 इस्राएल के राजा यारोबाम के सताईसवें वर्ष में यहूदा के राजा अमस्याह का पुत्र अजर्याह राजा हुआ।

2 जब वह राज्य करने लगा, तब सोलह वर्ष का था, और यरूशलेम में बावन वर्ष राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम यकोल्याह था, जो यरूशलेम की थी।

3 जैसे उसका पिता अमस्याह किया करता था जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था, वैसे ही वह भी करता था।

4 तौभी ऊंचे स्थान गिराए न गए; प्रजा के लोग उस समय भी उन पर बलि चढ़ाते, और धूप जलाते रहे।

5 और यहोवा ने उस राजा को ऐसा मारा, कि वह मरने के दिन तक कोढ़ी रहा, और अलग एक घर में रहता था। और योताम नाम राजपुत्र उसके घराने के काम पर अधिकारी हो कर देश के लोगों का न्याय करता था।

6 अजर्याह के और सब काम जो उसने किए, वह क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में तहीं लिखे हैं?

7 निदान अजर्याह अपने पुरखाओं के संग सो गया और उस को दाऊदपुर में उसके पुरखाओं के बीच मिट्टी दी गई, और उसका पुत्र योताम उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

8 यहूदा के राजा अजर्याह के अड़तीसवें वर्ष में यारोबाम का पुत्र जकर्याह इस्राएल पर शोमरोन में राज्य करने लगा, और छ: महीने राज्य किया।

9 उसने अपने पुरखाओं की नाईं वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, अर्थात नबात के पुत्र यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उन से वह अलग न हुआ।

10 और याबेश के पुत्र शल्लूम ने उस से राजद्रोह की गोष्ठी कर के उसको प्रजा के साम्हने मारा, और उसका घात कर के उसके स्थान पर राजा हुआ।

11 जकर्याह के और काम इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं।

12 यों यहोवा का वह वचन पूरा हुआ, जो उसने येहू से कहा था, कि तेरे परपोते के पुत्र तक तेरी सन्तान इस्राएल की गद्दी पर बैठती जाएगी। और वैसा ही हुआ।

13 यहूदा के राजा उज्जिय्याह के उनतालीसवें वर्ष में याबेश का पुत्र शल्लूम राज्य करने लगा, और महीने भर शोमरोन में राज्य करता रहा।

14 क्योंकि गादी के पुत्र मनहेम ने, तिर्सा से शोमरोन को जा कर याबेश के पुत्र शल्लूम को वहीं मारा, और उसे घात कर के उसके स्थान पर राजा हुआ।

15 शल्लूम के और काम और उसने राजद्रोह की जो गोष्ठी की, यह सब इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखा है।

16 तब मनहेम ने तिर्सा से जा कर, सब निवासियों और आस पास के देश समेत तिप्सह को इस कारण मार लिया, कि तिप्सहियों ने उसके लिये फाटक न खेले थे, इस कारण उसने उन्हें मार लिया, और उस में जितनी गर्भवती स्त्रियां थीं, उस सभों को चीर डाला।

17 यहूदा के राजा अजर्याह के उनतालीसवें वर्ष में गादी का पुत्र मनहेम इस्राएल पर राज्य करने लगा, और दस वर्ष शोमरोन में राज्य करता रहा।

18 उसने वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, अर्थात नबात के पुत्र यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उन से वह जीवन भर अलग न हुआ।

19 अश्शूर के राजा पूल ने देश पर चढ़ाई की, और मनहेम ने उसको हजार किक्कार चान्दी इस इच्छा से दी, कि वह उसका सहायक हो कर राज्य को उसके हाथ में स्थिर रखे।

20 यह चान्दी अश्शूर के राजा को देने के लिये मनहेम ने बड़े बड़े धनवान इस्राएलियों से ले ली, एक एक पुरुष को पचास पचास शेकेल चान्दी देनी पड़ी; तब अश्शूर का राजा देश को छोड़ कर लौट गया।

21 मनहेम के उौर काम जो उसने किए, वे सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं?

22 निदान मनहेम अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसका पुत्र पकहयाह उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

23 यहूदा के राजा अजर्याह के पचासवें वर्ष में मनहेम का पुत्र पकह्याह शोमरोन में इस्राएल पर राज्य करने लगा, और दो वर्ष तक राज्य करता रहा।

24 उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, अर्थात नबात के पुत्र यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उन से वह अलग न हुआ।

25 उसके सरदार रमल्याह के पुत्र पेकह ने उस से राजद्रोह की गोष्ठी कर के, शोमरोन के राजभवन के गुम्मट में उसको और उसके संग अर्गोब और अर्ये को मारा; और पेकह के संग पचास गिलादी पुरुष थे, और वह उसका घात कर के उसके स्थान पर राजा बन गया।

26 पकह्याह के और सब काम जो उसने किए, वह इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं।

27 यहूदा के राजा अजर्याह के बावनवें वर्ष में रमल्याह का पुत्र पेकह शोमरोन में इस्राएल पर राज्य करने लगा, और बीस वर्ष तक राज्य करता रहा।

28 उसने वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, अर्थात नबात के पुत्र यारोबाम, जिसने इस्राऐल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उन से वह अलग न हुआ।

29 इस्राएल के राजा पेकह के दिनों में अश्शूर के राजा तिग्लत्पिलेसेर ने आकर इय्योन, अबेल्बेत्माका, यानोह, केदेश और हासोर नाम नगरों को और गिलाद और गालील, वरन नप्ताली के पूरे देश को भी ले लिया, और उनके लोगों को बन्धुआ कर के अश्शूर को ले गया।

30 उजिय्याह के पुत्र योताम के बीसवें वर्ष में एला के पुत्र होशे ने रमल्याह के पुत्र पेकह से राजद्रोह की गोष्ठी कर के उसे मारा, और उसे घात कर के उसके स्थान पर राजा बन गया।

31 पेकह के और सब काम जो उसने किए वह इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं।

32 रमल्याह के पुत्र इस्राएल के राजा पेकह के दूसरे वर्ष में यहूदा के राजा उजिय्याह का पुत्र योताम राजा हुआ।

33 जब वह राज्य करने लगा, तब पच्चीस वर्ष का था, और यरूशलेम में सोलह वर्ष तक राज्य करता रहा। और उसकी पाता का नाम यरूशा था जो सादोक की बेटी थी।

34 उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था, अर्थात जैसा उसके पिता उजिय्याह ने किया था, ठीक वैसा ही उसने भी किया।

35 तौभी ऊंचे स्थान गिराए न गए, प्रजा के लोग उन पर उस समय भी बलि चढ़ाते और धूप जलाते रहे। यहोवा के भवन के ऊंचे फाटक को इसी ने बनाया था।

36 योताम के और सब काम जो उसने किए, वे क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं?

37 उन दिनों में यहोवा अराम के राजा रसीन को, और रमल्याह के पुत्र पेकह को, यहूदा के विरुद्ध भेजने लगा।

38 निदान योताम अपने पुरखाओं के संग सो गया और अपने मुलपुरुष दाऊद के नगर में अपने पुरखाओं के बीच उसको मिट्टी दी गई, और उसका पुत्र आहाज उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

2 राजा 16

1 रमल्याह के पुत्र पेकह के सत्रहवें वर्ष में यहूदा के राजा योताम का पुत्र आहाज राज्य करने लगा।

2 जब आहाज राज्य करने लगा, तब वह बीस पर्ष का था, और सोलह वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। और उसने अपने मूलपुरुष दाऊद का सा काम नहीं किया, जो उसके परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में ठीक था।

3 परन्तु वह इस्राएल के राजाओं की सी चाल चला, वरन उन जातियों के घिनौने कामों के अनुसार, जिन्हें यहोवा ने इस्राएलियों के साम्हने से देश से निकाल दिया था, उसने अपने बेटे को भी आग में होम कर दिया।

4 और ऊंचे स्थानों पर, और पहाडिय़ों पर, और सब हरे वृक्षों के तले, वह बलि चढ़ाया और धूप जलाया करता था।

5 तब अराम के राजा रसीन, और रमल्याह के पुत्र इस्राएल के राजा पेकह ने लड़ने के लिये यरूशलेम पर चढ़ाई की, और उन्होंने आहाज को घेर लिया, परन्तु युद्ध कर के उन से कुछ बन न पड़ा।

6 उस समय अराम के राजा रसीन ने, एलत को अराम के वश में कर के, यहूदियों को वहां से निकाल दिया; तब अरामी लोग एलत को गए, और आज के दिन तक वहां रहते हैं।

7 और आहाज ने दूत भेज कर अश्शूर के राजा तिग्लत्पिलेसेर के पास कहला भेजा कि मुझे अपना दास, वरन बेटा जान कर चढ़ाई कर, और मुझे अराम के राजा और इस्राएल के राजा के हाथ से बचा जो मेरे विरुद्ध उठे हैं।

8 और आहाज ने यहोवा के भवन में और राजभवन के भणडारों में जितना सोना-चान्दी मिला उसे अश्शूर के राजा के पास भेंट कर के भेज दिया।

9 उसकी मान कर अश्शूर के राजा ने दमिश्क पर चढ़ाई की, और उसे ले कर उसके लोगों को बन्धुआ कर के, कीर को ले गया, और रसीन को मार डाला।

10 तब राजा आहाज अश्शूर के राजा तिग्लत्पिलेसेर से भेंट करने के लिये दमिश्क को गया, और वहां की वेदी देख कर उसकी सब बनावट के अनुसार उसका नकशा ऊरिय्याह याजक के पास नमूना कर के भेज दिया।

11 और ठीक इसी नमूने के अनुसार जिसे राजा आहाज ने दमिश्क से भेजा था, ऊरिय्याह याजक ने राजा आहाज के दमिश्क से आने तक एक वेदी बना दी।

12 जब राजा दमिश्क से आया तब उसने उस वेदी को देखा, और उसके निकट जा कर उस पर बलि चढ़ाए।

13 उसी वेदी पर उसने अपना होमबलि और अन्नबलि जलाया, और अर्घ दिया और मेलबलियों का लोहू छिड़क दिया।

14 और पीतल की जो वेदी यहोवा के साम्हने रहती थी उसको उसने भवन के साम्हने से अर्थात अपनी वेदी और यहोवा के भवन के बीच से हटा कर, उस वेदी की उत्तर ओर रख दिया।

15 तब राजा आहाज ने ऊरिय्याह याजक को यह आज्ञा दी, कि भोर के होमबलि और सांझ के अन्नबलि, राजा के होमबलि और उसके अन्नबलि, और सब साधारण लोगों के होमबलि और अर्घ बड़ी वेदी पर चढ़ाया कर, और होमबलियों और मेलबलियों का सब लोहू उस पर छिड़क; और पीतल की वेदी के विषय मैं विचार करूंगा।

16 राजा आहाज की इस आज्ञा के अनुसार ऊरिय्याह याजक ने किया।

17 फिर राजा आहाज ने कुसिर्यों की पटरियों को काट डाला, और हौदियों को उन पर से उतार दिया, और बड़े हौद को उन पीतल के बैलों पर से जो उसके तले थे उतारकर, पत्थरों के फर्श पर धर दिया।

18 और विश्राम के दिन के लिये जो छाया हुआ स्थान भवन में बना था, और राजा के बाहर के प्रवेश करने का फाटक, उन को उसने अश्शूर के राजा के कारण यहोवा के भवन से अलग कर दिया।

19 आहाज के और काम जो उसने किए, वे क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं?

20 निदान आहाज अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसे उसके पुरखाओं के बीच दाऊदपुर में मिट्टी दी गई, और उसका पुत्र हिजकिय्याह उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

2 राजा 17

1 यहूदा के राजा आहाज के बारहवें वर्ष में एला का पुत्र होशे शोमरोन में, इस्राएल पर राज्य करने लगा, और नौ वर्ष तक राज्य करता रहा।

2 उसने वही किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, परन्तु इस्राएल के उन राजाओं के बराबर नहीं जो उस से पहिले थे।

3 उस पर अश्शूर के राजा शल्मनेसेर ने चढ़ाई की, और होशे उसके आधीन हो कर, उसको भेंट देने लगा।

4 परन्तु अश्शूर के राजा ने होशे को राजद्रोह की गोष्ठी करने वाला जान लिया, क्योंकि उसने “सो” नाम मिस्र के राजा के पास दूत भेजे, और अश्शूर के राजा के पास सालियाना भेंट भेजनी छोड़ दी; इस कारण अश्शूर के राजा ने उसको बन्द किया, और बेड़ी डालकर बन्दीगृह में डाल दिया।

5 तब अश्शूर के राजा ने पूरे देश पर चढ़ाई की, और शोमरोन को जा कर तीन वर्ष तक उसे घेरे रहा।

6 होशे के नौवें वर्ष में अश्शूर के राजा ने शोमरोन को ले लिया, और इस्राएल को अश्शूर में ले जा कर, हलह में और गोजान की नदी हाबोर के पास और मादियों के नगरों में बसाया।

7 इसका यह कारण है, कि यद्यपि इस्राएलियों का परमेश्वर यहोवा उन को मिस्र के राजा फ़िरौन के हाथ से छुड़ा कर मिस्र देश से निकाल लाया था, तौभी उन्होंने उसके विरुद्ध पाप किया, और पराये देवताओं का भय माना।

8 और जिन जातियों को यहोवा ने इस्राएलियों के साम्हने से देश से निकाला था, उनकी रीति पर, और अपने राजाओं की चलाई हुई रीतियों पर चलते थे।

9 और इस्राएलियों ने कपट कर के अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध अनुचित काम किए, अर्थात पहरुओं के गुम्मट से ले कर गढ़ वाले नगर तक अपनी सारी बस्तियों में ऊंचे स्थान बना लिए;

10 और सब ऊंची पहाडिय़ों पर, और सब हरे वृक्षों के तले लाठें और अशेरा खड़े कर लिए।

11 और ऐसे ऊंचे स्थानों में उन जातियों की नाईं जिन को यहोवा ने उनके साम्हने से निकाल दिया था, धूप जलाया, और यहोवा को क्रोध दिलाने के योग्य बुरे काम किए।

12 और मूरतों की उपासना की, जिसके विषय यहोवा ने उन से कहा था कि तुम यह काम न करना।

13 तौभी यहोवा ने सब भविष्यद्वक्ताओं और सब दशिर्यों के द्वारा इस्राएल और यहूदा को यह कह कर चिताया था, कि अपनी बुरी चाल छोड़ कर उस सारी व्यवस्था के अनुसार जो मैं ने तुम्हारे पुरखाओं को दी थी, और अपने दास भविष्यद्वक्ताओं के हाथ तुम्हारे पास पहुंचाई है, मेरी आज्ञाओं और विधियों को माना करो।

14 परन्तु उन्होंने न माना, वरन अपने उन पुरखाओं की नाईं, जिन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा का विश्वास न किया था, वे भी हठीले बन गए।

15 और वे उसकी विधियों और अपने पुरखाओं के साथ उसकी वाचा, और जो चितौनियां उसने उन्हें दी थीं, उन को तुच्छ जान कर, निकम्मी बातों के पीछे हो लिए; जिस से वे आप निकम्मे हो गए, और अपने चारों ओर की उन जातियों के पीछे भी हो लिए जिनके विषय यहोवा ने उन्हें आज्ञा दी थी कि उनके से काम न करना।

16 वरन उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाओं को त्याग दिया, और दो बछड़ों की मूरतें ढाल कर बनाईं, और अशेरा भी बनाईं; और आकाश के सारे गणों को दण्डवत की, और बाल की उपासना की।

17 और अपने बेटे-बेटियों को आग में होम कर के चढाया; और भावी कहने वालों से पूछने, और टोना करने लगे; और जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था जिस से वह क्रोधित भी होता है, उसके करने को अपनी इच्छा से बिक गए।

18 इस कारण यहोवा इस्राएल से अति क्रोधित हुआ, और उन्हें अपने साम्हने से दूर कर दिया; यहूदा का गोत्र छोड़ और कोई बचा न रहा।

19 यहूदा ने भी अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाएं न मानीं, वरन जो विधियां इस्राएल ने चलाई थीं, उन पर चलने लगे।

20 तब यहोवा ने इस्राएल की सारी सन्तान को छोड़ कर, उन को दु:ख दिया, और लूटने वालों के हाथ कर दिया, और अन्त में उन्हें अपने साम्हने से निकाल दिया।

21 उसने इस्राएल को तो दाऊद के घराने के हाथ से छीन लिया, और उन्होंने नबात के पुत्र यारोबाम को अपना राजा बनाया; और यारोबाम ने इस्राएल को यहोवा के पीछे चलने से दूर खींच कर उन से बड़ा पाप कराया।

22 सो जैसे पाप यारोबाम ने किए थे, वैसे ही पाप इस्राएली भी करते रहे, और उन से अलग न हुए।

23 अन्त में यहोवा ने इस्राएल को अपने साम्हने से दूर कर दिया, जैसे कि उसने अपने सब दास भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा कहा था। इस प्रकार इस्राएल अपने देश से निकाल कर अश्शूर को पहुंचाया गया, जहां वह आज के दिन तक रहता है।

24 और अश्शूर के राजा ने बाबेल, कूता, अब्वा हमात और सपवैंम नगरों से लोगों को लाकर, इस्राएलियों के स्थान पर शोमरोन के नगरों में बसाया; सो वे शोमरोन के अधिकारी हो कर उसके नगरों में रहने लगे।

25 जब वे वहां पहिले पहिले रहने लगे, तब यहोवा का भय न मानते थे, इस कारण यहोवा ने उनके बीच सिंह भेजे, जो उन को मार डालने लगे।

26 इस कारण उन्होंने अश्शूर के राजा के पास कहला भेजा कि जो जातियां तू ने उनके देशों से निकाल कर शोमरोन के नगरों में बसा दी हैं, वे उस देश के देवता की रीति नहीं जानतीं, उस से उसने उसके मध्य सिंह भेजे हैं जो उन को इसलिये मार डालते हैं कि वे उस देश के देवता की रीति नहीं जानते।

27 तब अश्शूर के राजा ने आज्ञा दी, कि जिन याजकों को तुम उस देश से ले आए, उन में से एक को वहां पहुंचा दो; और वह वहां जा कर रहे, और वह उन को उस देश के देवता की रीति सिखाए।

28 तब जो याजक शोमरोन से निकाले गए थे, उन में से एक जा कर बेतेल में रहने लगा, और उन को सिखाने लगा कि यहोवा का भय किस रीति से मानना चाहिये।

29 तौभी एक एक जाति के लोगों ने अपने अपने निज देवता बना कर, अपने अपने बसाए हुए नगर में उन ऊंचे स्थानों के भवनों में रखा जो शोमरोनियों ने बसाए थे।

30 बाबेल के मनुष्यों ने तो सुक्कोतबनोत को, कूत के मनुष्यों ने नेर्गल को, हमात के मनुष्यों ने अशीमा को,

31 और अव्वियों ने निभज, और तर्त्ताक को स्थापित किया; और सपवैंमी लोग अपने बेटों को अद्रम्मेलेक और अनम्मेलेक नाम सपवैंम के देवताओं के लिये होम कर के चढ़ाने लगे।

32 यों वे यहावा का भय मानते तो थे, परन्तु सब प्रकार के लोगों में से ऊंचे स्थानों के याजक भी ठहरा देते थे, जो ऊंचे स्थानों के भवनों में उनके लिये बलि करते थे।

33 वे यहोवा का भय मानते तो थे, परन्तु उन जातियों की रीति पर, जिनके बीच से वे निकाले गए थे, अपने अपने देवताओं की भी उपासना करते रहे।

34 आज के दिन तक वे अपनी पहिली रीतियों पर चलते हैं, वे यहोवा का भय नहीं मानते।

35 न तो उपनी विधियों और नियमों पर और न उस व्यवस्था और आज्ञा के अनुसार चलते हैं, जो यहोवा ने याकूब की सन्तान को दी थी, जिसका नाम उसने इस्राएल रखा था। उन से यहोवा ने वाचा बान्धकर उन्हें यह आज्ञा दी थी, कि तुम पाराये देवताओं का भय न मानना और न उन्हें दण्डवत करना और न उनकी उपासना करना और न उन को बलि चढ़ाना।

36 परन्तु यहोवा जो तुम को बड़े बल और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा मिस्त्र देश से निकाल ले आया, तुम उसी का भय मानना, उसी को दण्डवत करना और उसी को बलि चढ़ाना।

37 और उसने जो जो विधियां और नियम और जो व्यवस्था और आज्ञाएं तुम्हारे लिये लिखीं, उन्हें तुम सदा चौकसी से मानते रहो; और पराये देवताओं का भय न मानना।

38 और जो वाचा मैं ने तुम्हारे साथ बान्धी है, उसे न भूलना और पराये देवताओं का भय न मानना।

39 केवल अपने परमेश्वर यहोवा का भय पानना, वही तुम को तुम्हारे सब शत्रुओं के हाथ से बचाएगा।

40 तौभी उन्होंने न माना, परन्तु वे अपनी पहिली रीति के अनुसार करते रहे।

41 अतएव वे जातियां यहोवा का भय मानती तो थीं, परन्तु अपनी खुदी हुई मूरतों की उपासना भी करती रहीं, और जैसे वे करते थे वैसे ही उनके बेटे पोते भी आज के दिन तक करते हैं।

2 राजा 18

1 एला के पुत्र इस्राएल के राजा होशे के तीसरे वर्ष में यहूदा के राजा आहाज का पुत्र हिजकिय्याह राजा हुआ।

2 जब वह राज्य करने लगा तब पच्चीस वर्ष का था, और उनतीस वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। और उसकी माता का नाम अबी था, जो जकर्याह की बेटी थी।

3 जैसे उसके मूलपुरुष दाऊद ने किया था जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है वैसा ही उसने भी किया।

4 उसने ऊंचे स्थान गिरा दिए, लाठों को तोड़ दिया, अशेरा को काट डाला। और पीतल का जो सांप मूसा ने बनाया था, उसको उसने इस कारण चूर चूर कर दिया, कि उन दिनों तक इस्राएली उसके लिये धूप जलाते थे; और उसने उसका नाम नहुशतान रखा।

5 वह इस्राएल के परमेश्वर यहोवा पर भरोसा रखता था, और उसके बाद यहूदा के सब राजाओं में कोई उसके बराबर न हुआ, और न उस से पहिले भी ऐसा कोई हुआ था।

6 और वह यहोवा से लिपटा रहा और उसके पीछे चलना न छोड़ा; और जो आज्ञाएं यहोवा ने मूसा को दी थीं, उनका वह पालन करता रहा।

7 इसलिये यहोवा उसके संग रहा; और जहां कहीं वह जाता था, वहां उसका काम सफल होता था। और उसने अश्शूर के राजा से बलवा कर के, उसकी आधीनता छोड़ दी।

8 उसने पलिश्तियों को गाज़्ज़ा और उसके सिवानों तक, पहरुओं के गुम्मट और गढ़ वाले नगर तक मारा।

9 राजा हिजकिय्याह के चौथे वर्ष में जो एला के पुत्र इस्राएल के राजा होशे का सातवां वर्ष था, अश्शूर के राजा शल्मनेसेर ने शोमरोन पर चढ़ाई कर के उसे घेर लिया।

10 और तीन वर्ष के बीतने पर उन्होंने उसको ले लिया। इस प्रकार हिजकिय्याह के छठवें वर्ष में जो इस्राएल के राजा होशे का नौवां वर्ष था, शोमरोन ले लिया गया।

11 तब अश्शूर का राजा इस्राएल को बन्धुआ कर के अश्शूर में ले गया, और हलह में ओर गोजान की नदी हाबोर के पास और मादियों के नगरों में उसे बसा दिया।

12 इसका कारण यह था, कि उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा की बात न मानी, वरन उसकी वाचा को तोड़ा, और जितनी आज्ञाएं यहोवा के दास मूसा ने दी थीं, उन को टाल दिया और न उन को सुना और न उनके अनुसार किया।

13 हिजकिय्याह राजा के चौदहवें वर्ष में अश्शूर के राजा सन्हेरीब ने यहूदा के सब गढ़ वाले नगरों पर चढ़ाई कर के उन को ले लिया।

14 तब यहूदा के राजा हिजकिय्याह ने अश्शूर के राजा के पास लाकीश को कहला भेजा, कि मुझ से अपराध हुआ, मेरे पास से लौट जा; और जो भार तू मुझ पर डालेगा उसको मैं उठाऊंगा। तो अश्शूर के राजा ने यहूदा के राजा हिजकिय्याह के लिये तीन सौ किक्कार चान्दी और तीस किक्कार सोना ठहरा दिया।

15 तब जितनी चान्दी यहोवा के भवन और राजभवन के भणडारों में मिली, उस सब को हिजकिय्याह ने उसे दे दिया।

16 उस समय हिजकिय्याह ने यहोवा के मन्दिर के किवाड़ों से और उन खम्भों से भी जिन पर यहूदा के राजा हिजकिय्याह ने सोना मढ़ा था, सोने को छीलकर अश्शूर के राजा को दे दिया।

17 तौभी अश्शूर के राजा ने तर्त्तान, रबसारीस और रबशाके को बड़ी सेना देकर, लाकीश से यरूशलेम के पास हिजकिय्याह राजा के विरुद्ध भेज दिया। सो वे यरूशलेम को गए और वहां पहुंच कर ऊपर के पोखरे की नाली के पास धोबियों के खेत की सड़क पर जा कर खड़े हुए।

18 और जब उन्होंने राजा को पुकारा, तब हिलकिय्याह का पुत्र एल्याकीम जो राजघराने के काम पर था, और शेब्ना जो मन्त्री था और आसाप का पुत्र योआह जो इतिहास का लिखनेवाला था, ये तीनों उनके पास बाहर निकल गए।

19 रबशाके ने उन से कहा, हिजकिय्याह से कहो, कि महाराजाधिराज अर्थात अश्शूर का राजा यों कहता है, कि तू किस पर भरोसा करता है?

20 तू जो कहता है, कि मेरे यहां युद्ध के लिये युक्ति और पराक्रम है, सो तो केवल बात ही बात है। तू किस पर भरोसा रखता है कि तू ने मुझ से बलवा किया है?

21 सुन, तू तो उस कुचले हुए नरकट अर्थात मिस्र पर भरोसा रखता है, उस पर यदि कोई टेक लगाए, तो वह उसके हाथ में चुभकर छेदेगा। मिस्र का राजा फ़िरौन अपने सब भरोसा रखने वालों के लिये ऐसा ही है।

22 फिर यदि तुम मुझ से कहो, कि हमारा भरोसा अपने परमेश्वर यहोवा पर है, तो क्या यह वही नहीं है जिसके ऊंचे स्थानों और वेदियों को हिजकिय्याह ने दूर कर के यहूदा और यरूशलेम से कहा, कि तुम इसी वेदी के साम्हने जो यरूशलेम में है दण्डवत करना?

23 तो अब मेरे स्वामी अश्शूर के राजा के पास कुछ बन्धक रख, तब मैं तुझे दो हजार घोड़े दूंगा, क्या तू उन पर सवार चढ़ा सकेगा कि नहीं?

24 फिर तू मेरे स्वामी के छोटे से छोटे कर्मचारी का भी कहा न मान कर क्यों रथों और सवारों के लिये मिस्र पर भरोसा रखता है?

25 क्या मैं ने यहोवा के बिना कहे, इस स्थान को उजाड़ने के लिये चढ़ाई की है? यहोवा ने मुझ से कहा है, कि उस देश पर चढ़ाई कर के उसे उजाड़ दे।

26 तब हिलकिय्याह के पुत्र एल्याकीम और शेब्ना योआह ने रबशाके से कहा, अपने दासों से अरामी भाषा में बातें कर, क्योंकि हम उसे समझते हैं; और हम से यहूदी भाषा में शहरपनाह पर बैठे हुए लोगों के सुनते बातें न कर।

27 रबशाके ने उन से कहा, क्या मेरे स्वामी ने मुझे तुम्हारे स्वामी ही के, वा तुम्हारे ही पास ये बातें कहने को भेजा है? क्या उसने मुझे उन लोगों के पास नहीं भेजा, जो शहरपनाह पर बैठे हैं, ताकि तुम्हारे संग उन को भी अपनी बिष्ठा खाना और अपना मूत्र पीना पड़े?

28 तब रबशाके ने खड़े हो, यहूदी भाषा में ऊंचे शब्द से कहा, महाराजाधिराज अर्थात अश्शूर के राजा की बात सुनो।

29 राजा यों कहता है, कि हिजकिय्याह तुम को भुलाने न पाए, क्योंकि वह तुम्हें मेरे हाथ से बचा न सकेगा।

30 और वह तुम से यह कह कर यहोवा पर भरोसा कराने न पाए, कि यहोवा निश्चय हम को बचाएगा और यह नगर अश्शूर के राजा के वश में न पड़ेगा।

31 हिजकिय्याह की मत सुनो। अश्शूर का राजा कहता है कि भेंट भेज कर मुझे प्रसन्न करो और मेरे पास निकल आओ, और प्रत्येक अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष के फल खाता और अपने अपने कुण्ड का पानी पीता रहे।

32 तब मैं आकर तुम को ऐसे देश में ले जाऊंगा, जो तुम्हारे देश के समान अनाज और नये दाखमधु का देश, रोटी और दाख्बारियों का देश, जलपाइयों और मधु का देश है, वहां तुम मरोगे नहीं, जीवित रहोगे; तो जब हिजकिय्याह यह कह कर तुम को बहकाए, कि यहोवा हम को बचाएगा, तब उसकी न सुनना।

33 क्या और जातियों के देवताओं ने अपने अपने देश को अश्शूर के राजा के हाथ से कभी बचाया है?

34 हमात और अर्पाद के देवता कहां रहे? सपवैंम, हेना और इव्वा के देवता कहां रहे? क्या उन्होंने शोमरोन को मेरे हाथ से बचाया है,

35 देश देश के सब देवताओं में से ऐसा कौन है, जिसने अपने देश को मेरे हाथ से बचाया हो? फिर क्या यहोवा यरूशलेम को मेरे हाथ से बचाएगा।

36 परन्तु सब लोग चुप रहे और उसके उत्तर में एक बात भी न कही, क्योंकि राजा की ऐसी आज्ञा थी, कि उसको उत्तर न देना।

37 तब हिलकिय्याह का पुत्र एल्याकीम जो राजघराने के काम पर था, और शेब्ना जो मन्त्री था, और आसाप का पुत्र योआह जो इतिहास का लिखने वाला था, अपने वस्त्र फाड़े हुए, हिजकिय्याह के पास जा कर रबशाके की बातें कह सुनाईं।

2 राजा 19

1 जब हिजकिय्याह राजा ने यह सुना, तब वह अपने वस्त्र फाड़, टाट ओढ़कर यहोवा के भवन में गया।

2 और उसने एल्याकीम को जो राजघराने के काम पर था, और शेब्ना मन्त्री को, और याजकों के पुरनियों को, जो सब टाट ओढ़े हुए थे, आमोस के पुत्र यशायाह भविष्यद्वक्ता के पास भेज दिया।

3 उन्होंने उस से कहा, हिजकिय्याह यों कहता है, आज का दिन संकट, और उलहने, और निन्दा का दिन है; बच्चे जन्मने पर हुए पर जच्चा को जन्म देने का बल न रहा।

4 कदाचित तेरा परमेश्वर यहोवा रबशाके की सब बातें सुने, जिसे उसके स्वामी अश्शूर के राजा ने जीवते परमेश्वर की निन्दा करने को भेजा है, और जो बातें तेरे परमेश्वर यहावा ने सुनी हैं उन्हें डपटे; इसलिये तू इन बचे हुओं के लिये जो रह गए हैं प्रार्थना कर।

5 जब हिजकिय्याह राजा के कर्मचारी यशायाह के पास आए,

6 तब यशायाह ने उन से कहा, अपने स्वामी से कहो, यहेवा यों कहता है, कि जो वचन तू ने सुने हैं, जिनके द्वारा अश्शूर के राजा के जनों ने मेरी निन्दा की है, उनके कारण मत डर।

7 सुन, मैं उसके मन में प्रेरणा करूंगा, कि वह कुछ समाचार सुन कर अपने देश को लौट जाए, और मैं उसको उसी के देश में तलवार से मरवा डालूंगा।

8 तब रबशाके ने लौटकर अश्शूर के राजा को लिब्ना नगर से युद्ध करते पाया, क्योंकि उसने सुना था कि वह लाकीश के पास से उठ गया है।

9 और जब उसने कूश के राजा तिर्हाका के विष्य यह सुना, कि वह मुझ से लड़ने को निकला है, तब उसने हिजकिय्याह के पास दूतों को यह कह कर भेजा,

10 तुम यहूदा के राजा हिजकिय्याह से यों कहना: तेरा परमेश्वर जिसका तू भरोसा करता है, यह कह कर तुझे धोखा न देने पाए, कि यरूशलेम अश्शूर के राजा के वश में न पड़ेगा।

11 देख, तू ने तो सुना है अश्शूर के राजाओं ने सब देशों से कैसा व्यवहार किया है उन्हें सत्यानाश कर दिया है। फिर क्या तू बचेगा?

12 गोजान और हारान और रेसेप और तलस्सार में रहने वाले एदेनी, जिन जातियों को मेरे पुरखाओं ने नाश किया, क्या उन में से किसी जाति के देवताओं ने उसको बचा लिया?

13 हमात का राजा, और अर्पाद का राजा, और समवैंम नगर का राजा, और हेना और इव्वा के राजा ये सब कहां रहे? इस पत्री को हिजकिय्याह ने दूतों के हाथ से ले कर पढ़ा।

14 तब यहोवा के भवन में जा कर उसको यहोवा के साम्हने फैला दिया।

15 और यहोवा से यह प्रार्थना की, कि हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा! हे करूबों पर विराजने वाले ! पृथ्वी के सब राज्यों के ऊपर केवल तू ही परमेश्वर है। आकाश और पृथ्वी को तू ही ने बनाया है।

16 हे यहोवा! कान लगाकर सुन, हे यहोवा आंख खोल कर देख, और सन्हेरीब के वचनों को सुन ले, जो उसने जीवते परमेश्वर की निन्दा करने को कहला भेजे हैं।

17 हे यहोवा, सच तो है, कि अश्शूर के राजाओं ने जातियों को और उनके देशों को उजाड़ा है।

18 और उनके देवताओं को आग में झोंका है, क्योंकि वे ईश्वर न थे; वे मनुष्यों के बनाए हुए काठ और पत्थर ही के थे; इस कारण वे उन को नाश कर सके।

19 इसलिये अब हे हमारे परमेश्वर यहोवा तू हमें उसके हाथ से बचा, कि पृथ्वी के राज्य राज्य के लोग जान लें कि केवल तू ही यहोवा है।

20 तब आमोस के पुत्र यशायाह ने हिजकिय्याह के पास यह कहला भेजा, कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि जो प्रार्थना तू ने अश्शूर के राजा सन्हेरीब के विषय मुझ से की, उसे मैं ने सुना है।

21 उसके विषय में यहोवा ने यह वचन कहा है, कि सिय्योन की कुमारी कन्या तुझे तुच्छ जानती और तुझे ठट्ठों में उड़ाती है, यरूशलेम की पुत्री, तुझ पर सिर हिलाती है।

22 तू ने जो नामधराई और निन्दा की है, वह किसकी की है? और तू ने जो बड़ा बोल बोला और घमण्ड किया है वह किसके विरुद्ध किया है? इस्राएल के पवित्र के विरुद्ध तू ने किया है!

23 अपने दूतों के द्वारा तू ने प्रभु की निन्दा कर के कहा है, कि बहुत से रथ ले कर मैं पर्वतों की चोटियों पर, वरन लबानोन के बीच तक चढ़ आया हूँ, और मैं उसके ऊंचे ऊंचे देवदारुओं और अच्छे अच्छे सनोवरों को काट डालूंगा; और उस में जो सब से ऊंचा टिकने का स्थान होगा उस में और उसके वन की फलदाई बारियों में प्रवेश करूंगा।

24 मैं ने तो खुदवा कर परदेश का पानी पिया; और मिस्र की नहरों में पांव धरते ही उन्हें सुखा डालूंगा।

25 क्या तू ने नहीं सुना, कि प्राचीनकाल से मैं ने यही ठहराया? और अगले दिनों से इसकी तैयारी की थी, उन्हें अब मैं ने पूरा भी किया है, कि तू गढ़ वाले नगरों को खण्डहर ही खण्डहर कर दे,

26 इसी कारण उनके रहने वालों का बल घट गया; वे विस्मित और लज्जित हुए; वे मैदान के छोटे छोटे पेड़ों और हरी घास और छत पर की घास, और ऐसे अनाज के समान हो गए, जो बढ़ने से पहिले सूख जाता है।

27 मैं तो तेरा बैठा रहना, और कूच करना, और लौट आना जानता हूँ, और यह भी कि तू मुझ पर अपना क्रोध भड़काता है।

28 इस कारण कि तू मुझ पर अपना क्रोध भड़काता और तेरे अभिमान की बातें मेरे कानों में पड़ी हैं; मैं तेरी नाक में अपनी नकेल डाल कर और तेरे मुंह में अपना लगाम लगा कर, जिस मार्ग से तू आया है, उसी से तुझे लोटा दूंगा।

29 और तेरे लिये यह चिन्ह होगा, कि इस वर्ष तो तुम उसे खाओगे जो आप से आप उगे, और दूसरे वर्ष उसे जो उत्पन्न हो वह खाओगे; और तीसरे वर्ष बीज बोने और उसे लवने पाओगे, और दाख की बारियां लगाने और उनका फल खाने पाओगे।

30 और यहूदा के घराने के बचे हुए लोग फिर जड़ पकड़ेंगे, और फलेंगे भी।

31 क्योंकि यरूशलेम में से बचे हुए और सिय्योन पर्वत के भागे हुए लोग निकलेंगे। यहोवा यह काम अपनी जलन के कारण करेगा।

32 इसलिये यहोवा अश्शूर के राजा के विषय में यों कहता है कि वह इस नगर में प्रवेश करने, वरन इस पर एक तीर भी मारने न पाएगा, और न वह ढाल ले कर इसके साम्हने आने, वा इसके विरुद्ध दमदमा बनाने पाएगा।

33 जिस मार्ग से वह आया, उसी से वह लौट भी जाएगा, और इस नगर में प्रवेश न करने पाएगा, यहोवा की यही वाणी है।

34 और मैं अपने निमित्त और अपने दास दाऊद के निमित्त इस नगर की रक्षा कर के इसे बचाऊंगा।

35 उसी रात में क्या हुआ, कि यहोवा के दूत ने निकल कर अश्शूरियों की छावनी में एक लाख पचासी हजार पुरुषों को मारा, और भोर को जब लोग सबेरे उठे, तब देखा, कि लोथ ही लोथ पड़ी है।

36 तब अश्शूर का राजा सन्हेरीब चल दिया, और लौट कर नीनवे में रहने लगा।

37 वहां वह अपने देवता निस्रोक के मन्दिर में दण्डवत कर रहा था, कि अदेम्मेलेक और सरेसेर ने उसको तलवार से मारा, और अरारात देश में भाग गए। और उसी का पुत्र एसर्हद्दोन उसके स्थान पर राज्य करने लगा।