भजन संहिता 140

1 हे यहोवा, मुझ को बुरे मनुष्य से बचा ले; उपद्रवी पुरूष से मेरी रक्षा कर,

2 क्योंकि उन्होंने मन में बुरी कल्पनाएं की हैं; वे लगातार लड़ाइयां मचाते हैं।

3 उनका बोलना सांप का काटना सा है, उनके मुंह में नाग का सा विष रहता है॥

4 हे यहोवा, मुझे दुष्ट के हाथों से बचा ले; उपद्रवी पुरूष से मेरी रक्षा कर, क्योंकि उन्होंने मेरे पैरों के उखाड़ने की युक्ति की है।

5 घमण्डियों ने मेरे लिये फन्दा और पासे लगाए, और पथ के किनारे जाल बिछाया है; उन्होंने मेरे लिये फन्दे लगा रखे हैं॥

6 हे यहोवा, मैं ने तुझ से कहा है कि तू मेरा ईश्वर है; हे यहोवा, मेरे गिड़गड़ाने की ओर कान लगा!

7 हे यहोवा प्रभु, हे मेरे सामर्थी उद्धारकर्ता, तू ने युद्ध के दिन मेरे सिर की रक्षा की है।

8 हे यहोवा दुष्ट की इच्छा को पूरी न होने दे, उसकी बुरी युक्ति को सफल न कर, नहीं तो वह घमण्ड करेगा॥

9 मेरे घेरने वालों के सिर पर उन्हीं का विचारा हुआ उत्पात पड़े!

10 उन पर अंगारे डाले जाएं! वे आग में गिरा दिए जाएं! और ऐसे गड़हों में गिरें, कि वे फिर उठ न सकें!

11 बकवादी पृथ्वी पर स्थिर नहीं होने का; उपद्रवी पुरूष को गिराने के लिये बुराई उसका पीछा करेगी॥

12 हे यहोवा, मुझे निश्चय है कि तू दीन जन का और दरिद्रों का न्याय चुकाएगा।

13 नि:सन्देह धर्मी तेरे नाम का धन्यवाद करने पाएंगे; सीधे लोग तेरे सम्मुख वास करेंगे॥

भजन संहिता 141

1 हे यहोवा, मैं ने तुझे पुकारा है; मेरे लिये फुर्ती कर! जब मैं तुझ को पुकारूं, तब मेरी ओर कान लगा!

2 मेरी प्रार्थना तेरे साम्हने सुगन्ध धूप, और मेरा हाथ फैलाना, संध्या काल का अन्नबलि ठहरे!

3 हे यहोवा, मेरे मुख का पहरा बैठा, मेरे हाठों के द्वार पर रखवाली कर!

4 मेरा मन किसी बुरी बात की ओर फिरने न दे; मैं अनर्थकारी पुरूषों के संग, दुष्ट कामों में न लगूं, और मैं उनके स्वादिष्ट भोजन वस्तुओं में से कुछ न खाऊं!

5 धर्मी मुझ को मारे तो यह कृपा मानी जाएगी, और वह मुझे ताड़ना दे, तो यह मेरे सिर पर का तेल ठहरेगा; मेरा सिर उस से इन्कार न करेगा॥ लोगों के बुरे काम करने पर भी मैं प्रार्थना में लवलीन रहूंगा।

6 जब उनके न्यायी चट्टान के पास गिराए गए, तब उन्होंने मेरे वचन सुन लिए; क्योंकि वे मधुर हैं।

7 जैसे भूमि में हल चलने से ढेले फूटते हैं, वैसे ही हमारी हडि्डयां अधोलोक के मुंह पर छितराई हुई हैं॥

8 परन्तु हे यहोवा, प्रभु, मेरी आंखे तेरी ही ओर लगी हैं; मैं तेरा शरणागत हूं; तू मेरे प्राण जाने न दे!

9 मुझे उस फन्दे से, जो उन्होंने मेरे लिये लगाया है, और अनर्थकारियों के जाल से मेरी रक्षा कर!

10 दुष्ट लोग अपने जालों में आप ही फंसें, और मैं बच निकलूं॥

भजन संहिता 142

1 ममैं यहोवा की दोहाई देता, मैं यहोवा से गिड़गिड़ाता हूं,

2 मैं अपने शोक की बातें उस से खोलकर कहता, मैं अपना संकट उस के आगे प्रगट करता हूं।

3 जब मेरी आत्मा मेरे भीतर से व्याकुल हो रही थी, तब तू मेरी दशा को जानता था! जिस रास्ते से मैं जाने वाला था, उसी में उन्होंने मेरे लिये फन्दा लगाया।

4 मैं ने दाहिनी ओर देखा, परन्तु कोई मुझे नहीं देखता है। मेरे लिये शरण कहीं नहीं रही, न मुझ को कोई पूछता है॥

5 हे यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी है; मैं ने कहा, तू मेरा शरणस्थान है, मेरे जीते जी तू मेरा भाग है।

6 मेरी चिल्लाहट को ध्यान देकर सुन, क्योंकि मेरी बड़ी दुर्दशा हो गई है! जो मेरे पीछे पड़े हैं, उन से मुझे बचा ले; क्योंकि वे मुझ से अधिक सामर्थी हैं।

7 मुझ को बन्दीगृह से निकाल कि मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूं! धर्मी लोग मेरे चारों ओर आएंगे; क्योंकि तू मेरा उपकार करेगा॥

भजन संहिता 143

1 हे यहोवा मेरी प्रार्थना सुन; मेरे गिड़गिड़ाने की ओर कान लगा! तू जो सच्चा और धर्मी है, सो मेरी सुन ले,

2 और अपने दास से मुकद्दमा न चला! क्योंकि कोई प्राणी तेरी दृष्टि में निर्दोष नहीं ठहर सकता॥

3 शत्रु तो मेरे प्राण का ग्राहक हुआ है; उसने मुझे चूर कर के मिट्टी में मिलाया है, और मुझे ढेर दिन के मरे हुओं के समान अन्धेरे स्थान में डाल दिया है।

4 मेरी आत्मा भीतर से व्याकुल हो रही है मेरा मन विकल है॥

5 मुझे प्राचीन काल के दिन स्मरण आते हैं, मैं तेरे सब अद्भुत कामों पर ध्यान करता हूं, और तेरे काम को सोचता हूं।

6 मैं तेरी ओर अपने हाथ फैलाए हूए हूं; सूखी भूमि की नाईं मैं तेरा प्यासा हूं॥

7 हे यहोवा, फुर्ती कर के मेरी सुन ले; क्योंकि मेरे प्राण निकलने ही पर हैं मुझ से अपना मुंह न छिपा, ऐसा न हो कि मैं कबर में पड़े हुओं के समान हो जाऊं।

8 अपनी करूणा की बात मुझे शीघ्र सुना, क्योंकि मैं ने तुझी पर भरोसा रखा है। जिस मार्ग से मुझे चलना है, वह मुझ को बता दे, क्योंकि मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूं॥

9 हे यहोवा, मुझे शत्रुओं से बचा ले; मैं तेरी ही आड़ में आ छिपा हूं।

10 मुझ को यह सिखा, कि मैं तेरी इच्छा क्योंकर पूरी करूं, क्योंकि मेरा परमेश्वर तू ही है! तेरा भला आत्मा मुझ को धर्म के मार्ग में ले चले!

11 हे यहोवा, मुझे अपने नाम के निमित्त जिला! तू जो धर्मी है, मुझ को संकट से छुड़ा ले!

12 और करूणा करके मेरे शत्रुओं को सत्यानाश कर, और मेरे सब सताने वालों का नाश कर डाल, क्योंकि मैं तेरा दास हूं॥

भजन संहिता 144

1 धन्य है यहोवा, जो मेरी चट्टान है, वह मेरे हाथों को लड़ने, और युद्ध करने के लिये तैयार करता है।

2 वह मेरे लिये करूणानिधान और गढ़, ऊंचा स्थान और छुड़ाने वाला है, वह मेरी ढ़ाल और शरण स्थान है, जो मेरी प्रजा को मेरे वश में कर देता है॥

3 हे यहोवा, मनुष्य क्या है कि तू उसकी सुधि लेता है, या आदमी क्या है, कि तू उसकी कुछ चिन्ता करता है?

4 मनुष्य तो सांस के समान है; उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं॥

5 हे यहोवा, अपने स्वर्ग को नीचा करके उतर आ! पहाड़ों को छू तब उन से धुंआं उठेगा!

6 बिजली कड़का कर उन को तितर बितर कर दे, अपने तीर चला कर उन को घबरा दे!

7 अपने हाथ ऊपर से बढ़ा कर मुझे महासागर से उबार, अर्थात परदेशियों के वश से छुड़ा।

8 उनके मुंह से तो व्यर्थ बातें निकलती हैं, और उनके दाहिने हाथ से धोखे के काम होते हैं॥

9 हे परमेश्वर, मैं तेरी स्तुति का नया गीत गाऊंगा; मैं दस तार वाली सारंगी बजा कर तेरा भजन गाऊंगा।

10 तू राजाओं का उद्धार करता है, और अपने दास दाऊद को तलवार की मार से बचाता है।

11 तू मुझ को उबार और परदेशियों के वश से छुड़ा ले, जिन के मुंह से व्यर्थ बातें निकलती हैं, और जिनका दाहिना हाथ झूठ का दाहिना हाथ है॥

12 जब हमारे बेटे जवानी के समय पौधों की नाईं बढ़े हुए हों, और हमारी बेटियां उन कोने वाले पत्थरों के समान हों, जो मन्दिर के पत्थरों की नाईं बनाए जाएं;

13 जब हमारे खत्ते भरे रहें, और उन में भांति भांति का अन्न धरा जाए, और हमारी भेड़- बकरियां हमारे मैदानों में हजारों हजार बच्चे जनें;

14 जब हमारे बैल खूब लदे हुए हों; जब हमें न विघ्न हो और न हमारा कहीं जाना हो, और न हमारे चौकों में रोना- पीटना हो,

15 तो इस दशा में जो राज्य हो वह क्या ही धन्य होगा! जिस राज्य का परमेश्वर यहोवा है, वह क्या ही धन्य है!

भजन संहिता 145

1 हे मेरे परमेश्वर, हे राजा, मैं तुझे सराहूंगा, और तेरे नाम को सदा सर्वदा धन्य कहता रहूंगा।

2 प्रति दिन मैं तुझ को धन्य कहा करूंगा, और तेरे नाम की स्तुति सदा सर्वदा करता रहूंगा।

3 यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है, और उसकी बड़ाई अगम है॥

4 तेरे कामों की प्रशंसा और तेरे पराक्रम के कामों का वर्णन, पीढ़ी पीढ़ी होता चला जाएगा।

5 मैं तेरे ऐश्वर्य की महिमा के प्रताप पर और तेरे भांति भांति के आश्चर्यकर्मों पर ध्यान करूंगा।

6 लोग तेरे भयानक कामों की शक्ति की चर्चा करेंगे, और मैं तेरे बड़े बड़े कामों का वर्णन करूंगा।

7 लोग तेरी बड़ी भलाई का स्मरण करके उसकी चर्चा करेंगे, और तेरे धर्म का जयजयकार करेंगे॥

8 यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से क्रोध करने वाला और अति करूणामय है।

9 यहोवा सभों के लिये भला है, और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है॥

10 हे यहोवा, तेरी सारी सृष्टि तेरा धन्यवाद करेगी, और तेरे भक्त लोग तुझे धन्य कहा करेंगे!

11 वे तेरे राज्य की महिमा की चर्चा करेंगे, और तेरे पराक्रम के विषय में बातें करेंगे;

12 कि वे आदमियों पर तेरे पराक्रम के काम और तेरे राज्य के प्रताप की महिमा प्रगट करें।

13 तेरा राज्य युग युग का और तेरी प्रभुता सब पीढ़ियों तक बनी रहेगी॥

14 यहोवा सब गिरते हुओं को संभालता है, और सब झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है।

15 सभों की आंखें तेरी ओर लगी रहती हैं, और तू उन को आहार समय पर देता है।

16 तू अपनी मुट्ठी खोल कर, सब प्राणियों को आहार से तृप्त करता है।

17 यहोवा अपनी सब गति में धर्मी और अपने सब कामों में करूणामय है।

18 जितने यहोवा को पुकारते हैं, अर्थात जितने उसको सच्चाई से पुकारते हें; उन सभों के वह निकट रहता है।

19 वह अपने डरवैयों की इच्छा पूरी करता है, ओर उनकी दोहाई सुन कर उनका उद्धार करता है।

20 यहोवा अपने सब प्रेमियों की तो रक्षा करता, परन्तु सब दुष्टों को सत्यानाश करता है॥

21 मैं यहोवा की स्तुति करूंगा, और सारे प्राणी उसके पवित्र नाम को सदा सर्वदा धन्य कहते रहें॥

भजन संहिता 146

1 याह की स्तुति करो। हे मेरे मन यहोवा की स्तुति कर!

2 मैं जीवन भर यहोवा की स्तुति करता रहूंगा; जब तक मैं बना रहूंगा, तब तक मैं अपने परमेश्वर का भजन गाता रहूंगा॥

3 तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना, न किसी आदमी पर, क्योंकि उस में उद्धार करने की भी शक्ति नहीं।

4 उसका भी प्राण निकलेगा, वही भी मिट्टी में मिल जाएगा; उसी दिन उसकी सब कल्पनाएं नाश हो जाएंगी॥

5 क्या ही धन्य वह है, जिसका सहायक याकूब का ईश्वर है, और जिसका भरोसा अपने परमेश्वर यहोवा पर है।

6 वह आकाश और पृथ्वी और समुद्र और उन में जो कुछ है, सब का कर्ता है; और वह अपना वचन सदा के लिये पूरा करता रहेगा।

7 वह पिसे हुओं का न्याय चुकाता है; और भूखों को रोटी देता है॥ यहोवा बन्धुओं को छुड़ाता है;

8 यहोवा अन्धों को आंखें देता है। यहोवा झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है; यहोवा धर्मियों से प्रेम रखता है।

9 यहोवा परदेशियों की रक्षा करता है; और अनाथों और विधवा को तो सम्भालता है; परन्तु दुष्टों के मार्ग को टेढ़ा मेढ़ा करता है॥

10 हे सिय्योन, यहोवा सदा के लिये, तेरा परमेश्वर पीढ़ी पीढ़ी राज्य करता रहेगा। याह की स्तुति करो!

भजन संहिता 147

1 याह की स्तुति करो! क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; क्योंकि वह मन भावना है, उसकी स्तुति करनी मन भावनी है।

2 यहोवा यरूशलेम को बसा रहा है; वह निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठा कर रहा है।

3 वह खेदित मन वालों को चंगा करता है, और उनके शोक पर मरहम- पट्टी बान्धता है।

4 वह तारों को गिनता, और उन में से एक एक का नाम रखता है।

5 हमारा प्रभु महान और अति सामर्थी है; उसकी बुद्धि अपरम्पार है।

6 यहोवा नम्र लोगों को सम्भलता है, और दुष्टों को भूमि पर गिरा देता है॥

7 धन्यवाद करते हुए यहोवा का गीत गाओ; वीणा बजाते हुए हमारे परमेश्वर का भजन गाओ।

8 वह आकाश को मेघों से छा देता है, और पृथ्वी के लिये मेंह की तैयारी करता है, और पहाड़ों पर घास उगाता है।

9 वह पशुओं को और कौवे के बच्चों को जो पुकारते हैं, आहार देता है।

10 न तो वह घोड़े के बल को चाहता है, और न पुरूष के पैरों से प्रसन्न होता है;

11 यहोवा अपने डरवैयों ही से प्रसन्न होता है, अर्थात उन से जो उसकी करूणा की आशा लगाए रहते हैं॥

12 हे यरूशलेम, यहोवा की प्रशंसा कर! हे सिय्योन, अपने परमेश्वर की स्तुति कर!

13 क्योंकि उसने तेरे फाटकों के खम्भों को दृढ़ किया है; और तेरे लड़के बालों को आशीष दी है।

14 और तेरे सिवानों में शान्ति देता है, और तुझ को उत्तम से उत्तम गेहूं से तृप्त करता है।

15 वह पृथ्वी पर अपनी आज्ञा का प्रचार करता है, उसका वचन अति वेग से दौड़ता है।

16 वह ऊन के समान हिम को गिराता है, और राख की नाईं पाला बिखेरता है।

17 वह बर्फ के टुकड़े गिराता है, उसकी की हुई ठण्ड को कौन सह सकता है?

18 वह आज्ञा देकर उन्हें गलाता है; वह वायु बहाता है, तब जल बहने लगता है।

19 वह याकूब को अपना वचन, और इस्राएल को अपनी विधियां और नियम बताता है।

20 किसी और जाति से उसने ऐसा बर्ताव नहीं किया; और उसके नियमों को औरों ने नहीं जाना॥ याह की स्तुति करो।

भजन संहिता 148

1 याह की स्तुति करो! यहोवा की स्तुति स्वर्ग में से करो, उसकी स्तुति ऊंचे स्थानों में करो!

2 हे उसके सब दूतों, उसकी स्तुति करो: हे उसकी सब सेना उसकी स्तुति कर!

3 हे सूर्य और चन्द्रमा उसकी स्तुति करो, हे सब ज्योतिमय तारागण उसकी स्तुति करो!

4 हे सब से ऊंचे आकाश, और हे आकाश के ऊपर वाले जल, तुम दोनों उसकी स्तुति करो।

5 वे यहोवा के नाम की स्तुति करें, क्योंकि उसी ने आज्ञा दी और ये सिरजे गए।

6 और उसने उन को सदा सर्वदा के लिये स्थिर किया है; और ऐसी विधि ठहराई है, जो टलने की नहीं॥

7 पृथ्वी में से यहोवा की स्तुति करो, हे मगरमच्छों और गहिरे सागर,

8 हे अग्नि और ओलो, हे हिम और कुहरे, हे उसका वचन मानने वाली प्रचण्ड बयार!

9 हे पहाड़ों और सब टीलो, हे फलदाई वृक्षों और सब देवदारों!

10 हे वन- पशुओं और सब घरैलू पशुओं, हे रेंगने वाले जन्तुओं और हे पक्षियों!

11 हे पृथ्वी के राजाओं, और राज्य राज्य के सब लोगों, हे हाकिमों और पृथ्वी के सब न्यायियों!

12 हे जवानों और कुमारियों, हे पुरनियों और बालकों!

13 यहोवा के नाम की स्तुति करो, क्योंकि केवल उसकी का नाम महान है; उसका ऐश्वर्य पृथ्वी और आकाश के ऊपर है।

14 और उसने अपनी प्रजा के लिये एक सींग ऊंचा किया है; यह उसके सब भक्तों के लिये अर्थात इस्राएलियों के लिये और उसके समीप रहने वाली प्रजा के लिये स्तुति करने का विषय है। याह की स्तुति करो।

भजन संहिता 149

1 याह की स्तुति करो! यहोवा के लिये नया गीत गाओ, भक्तों की सभा में उसकी स्तुति गाओ!

2 इस्राएल अपने कर्ता के कारण आनन्दित हो, सिय्योन के निवासी अपने राजा के कारण मगन हों!

3 वे नाचते हुए उसके नाम की स्तुति करें, और डफ और वीणा बजाते हुए उसका भजन गाएं!

4 क्योंकि यहोवा अपनी प्रजा से प्रसन्न रहता है; वह नम्र लोगों का उद्धार कर के उन्हें शोभायमान करेगा।

5 भक्त लोग महिमा के कारण प्रफुल्लित हों; और अपने बिछौनों पर भी पड़े पड़े जयजयकार करें।

6 उनके कण्ठ से ईश्वर की प्रशंसा हो, और उनके हाथों में दोधारी तलवारें रहें,

7 कि वे अन्यजातियों से पलटा ले सकें; और राज्य राज्य के लोगों को ताड़ना दें,

8 और उनके राजाओं को सांकलों से, और उनके प्रतिष्ठित पुरूषों को लोहे की बेड़ियों से जकड़ रखें,

9 और उन को ठहराया हुआ दण्ड दें! उसके सब भक्तों की ऐसी ही प्रतिष्ठा होगी। याह की स्तुति करो।