भजन संहिता 120

1 संकट के समय मैं ने यहोवा को पुकारा, और उसने मेरी सुन ली।

2 हे यहोवा, झूठ बोलने वाले मुंह से और छली जीभ से मेरी रक्षा कर॥

3 हे छली जीभ, तुझ को क्या मिले? और तेरे साथ और क्या अधिक किया जाए?

4 वीर के नोकीले तीर और झाऊ के अंगारे!

5 हाय, हाय, क्योंकि मुझे मेशेक में परदेशी होकर रहना पड़ा और केदार के तम्बुओं में बसना पड़ा है!

6 बहुत काल से मुझ को मेल के बैरियों के साथ बसना पड़ा है।

7 मैं तो मेल चाहता हूं; परन्तु मेरे बोलते ही, वे लड़ना चाहते हैं!

भजन संहिता 121

1 मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी?

2 मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है॥

3 वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा।

4 सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा॥

5 यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है।

6 न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी॥

7 यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा।

8 यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा॥

भजन संहिता 122

1 जब लोगों ने मुझ से कहा, कि हम यहोवा के भवन को चलें, तब मैं आनन्दित हुआ।

2 हे यरूशलेम, तेरे फाटकों के भीतर, हम खड़े हो गए हैं!

3 हे यरूशलेम, तू ऐसे नगर के समान बना है, जिसके घर एक दूसरे से मिले हुए हैं।

4 वहां याह के गोत्र गोत्र के लोग यहोवा के नाम का धन्यवाद करने को जाते हैं; यह इस्राएल के लिये साक्षी है।

5 वहां तो न्याय के सिंहासन, दाऊद के घराने के लिये धरे हुए हैं॥

6 यरूशलेम की शान्ति का वरदान मांगो, तेरे प्रेमी कुशल से रहें!

7 तेरी शहरपनाह के भीतर शान्ति, और तेरे महलों में कुशल होवे!

8 अपने भाइयों और संगियों के निमित्त, मैं कहूंगा कि तुझ में शान्ति होवे!

9 अपने परमेश्वर यहोवा के भवन के निमित्त, मैं तेरी भलाई का यत्न करूंगा॥

भजन संहिता 123

1 हे स्वर्ग में विराजमान मैं अपनी आंखें तेरी ओर लगाता हूं!

2 देख, जैसे दासों की आंखें अपने स्वामियों के हाथ की ओर, और जैसे दासियों की आंखें अपनी स्वामिनी के हाथ की ओर लगी रहती है, वैसे ही हमारी आंखें हमारे परमेश्वर यहोवा की ओर उस समय तक लगी रहेंगी, जब तक वह हम पर अनुग्रह न करे॥

3 हम पर अनुग्रह कर, हे यहोवा, हम पर अनुग्रह कर, क्योंकि हम अपमान से बहुत ही भर गए हैं।

4 हमारा जीव सुखी लोगों के ठट्ठों से, और अहंकारियों के अपमान से बहुत ही भर गया है॥

भजन संहिता 124

1 इस्राएल यह कहे, कि यदि हमारी ओर यहोवा न होता,

2 यदि यहोवा उस समय हमारी ओर न होता जब मनुष्यों ने हम पर चढ़ाई की,

3 तो वे हम को उसी समय जीवित निगल जाते, जब उनका क्रोध हम पर भड़का था,

4 हम उसी समय जल में डूब जाते और धारा में बह जाते;

5 उमड़ते जल में हम उसी समय ही बह जाते॥

6 धन्य है यहोवा, जिसने हम को उनके दातों तले जाने न दिया!

7 हमार जीव पक्षी की नाईं चिड़ीमार के जाल से छूट गया; जाल फट गया, हम बच निकले!

8 यहोवा जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है, हमारी सहायता उसी के नाम से होती है।

भजन संहिता 125

1 जो यहोवा पर भरोसा रखते हैं, वे सिय्योन पर्वत के समान हैं, जो टलता नहीं, वरन सदा बना रहता है।

2 जिस प्रकार यरूशलेम के चारों ओर पहाड़ हैं, उसी प्रकार यहोवा अपनी प्रजा के चारों ओर अब से लेकर सर्वदा तक बना रहेगा।

3 क्योंकि दुष्टों का राजदण्ड धर्मियों के भाग पर बना न रहेगा, ऐसा न हो कि धर्मी अपने हाथ कुटिल काम की ओर बढ़ाएं॥

4 हे यहोवा, भलों का, और सीधे मन वालों का भला कर!

5 परन्तु जो मुड़ कर टेढ़े मार्गों में चलते हैं, उन को यहोवा अनर्थकारियों के संग निकाल देगा! इस्राएल को शान्ति मिले!

भजन संहिता 126

1 जब यहोवा सिय्योन से लौटने वालों को लौटा ले आया, तब हम स्वप्न देखने वाले से हो गए।

2 तब हम आनन्द से हंसने और जयजयकार करने लगे; तब जाति जाति के बीच में कहा जाता था, कि यहोवा ने, इनके साथ बड़े बड़े काम किए हैं।

3 यहोवा ने हमारे साथ बड़े बड़े काम किए हैं; और इस से हम आनन्दित हैं॥

4 हे यहोवा, दक्खिन देश के नालों की नाईं, हमारे बन्धुओं को लौटा ले आ!

5 जो आंसू बहाते हुए बोते हैं, वे जयजयकार करते हुए लवने पाएंगे।

6 चाहे बोने वाला बीज ले कर रोता हुआ चला जाए, परन्तु वह फिर पूलियां लिए जयजयकार करता हुआ निश्चय लौट आएगा॥

भजन संहिता 127

1 यदि घर को यहोवा न बनाए, तो उसके बनाने वालों को परिश्रम व्यर्थ होगा। यदि नगर की रक्षा यहोवा न करे, तो रखवाले का जागना व्यर्थ ही होगा।

2 तुम जो सवेरे उठते और देर करके विश्राम करते और दु:ख भरी रोटी खाते हो, यह सब तुम्हारे लिये व्यर्थ ही है; क्योंकि वह अपने प्रियों को यों ही नींद दान करता है॥

3 देखे, लड़के यहोवा के दिए हुए भाग हैं, गर्भ का फल उसकी ओर से प्रतिफल है।

4 जैसे वीर के हाथ में तीर, वैसे ही जवानी के लड़के होते हैं।

5 क्या ही धन्य है वह पुरूष जिसने अपने तर्कश को उन से भर लिया हो! वह फाटक के पास शत्रुओं से बातें करते संकोच न करेगा॥

भजन संहिता 128

1 क्या ही धन्य है हर एक जो यहोवा का भय मानता है, और उसके मार्गों पर चलता है!

2 तू अपनी कमाई को निश्चय खाने पाएगा; तू धन्य होगा, और तेरा भला ही होगा॥

3 तेरे घर के भीतर तेरी स्त्री फलवन्त दाखलता सी होगी; तेरी मेज के चारों ओर तेरे बालक जलपाई के पौधे से होंगे।

4 सुन, जो पुरूष यहोवा का भय मानता हो, वह ऐसी ही आशीष पाएगा॥

5 यहोवा तुझे सिय्योन से आशीष देवे, और तू जीवन भर यरूशलेम का कुशल देखता रहे!

6 वरन तू अपने नाती- पोतों को भी देखने पाए! इस्राएल को शान्ति मिले!

भजन संहिता 129

1 इस्राएल अब यह कहे, कि मेरे बचपन से लोग मुझे बार बार क्लेश देते आए हैं,

2 मेरे बचपन से वे मुझ को बार बार क्लेश देते तो आए हैं, परन्तु मुझ पर प्रबल नहीं हुए।

3 हलवाहों ने मेरी पीठ के ऊपर हल चलाया, और लम्बी लम्बी रेखाएं कीं।

4 यहोवा धर्मी है; उसने दुष्टों के फन्दों को काट डाला है।

5 जितने सिय्योन से बैर रखते हैं, उन सभों की आशा टूटे, ओर उन को पीछे हटना पड़े!

6 वे छत पर की घास के समान हों, जो बढ़ने से पहिले सूख जाती है;

7 जिस से कोई लवैया अपनी मुट्ठी नहीं भरता, न पूलियों का कोई बान्धने वाला अपनी अंकवार भर पाता है,

8 और न आने जाने वाले यह कहते हैं, कि यहोवा की आशीष तुम पर होवे! हम तुम को यहोवा के नाम से आशीर्वाद देते हैं!