भजन संहिता 80

1 हे इस्त्राएल के चरवाहे, तू जो यूसुफ की अगुवाई भेड़ों की सी करता है, कान लगा! तू जो करूबों पर विराजमान है, अपना तेज दिखा!

2 एप्रैम, बिन्यामीन, और मनश्शे के साम्हने अपना पराक्रम दिखा कर, हमारा उद्धार करने को आ!

3 हे परमेश्वर, हम को ज्यों का त्यों कर दे; और अपने मुख का प्रकाश चमका, तब हमारा उद्धार हो जाएगा!

4 हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, तू कब तक अपनी प्रजा की प्रार्थना पर क्रोधित रहेगा?

5 तू ने आंसुओं को उनका आहार कर दिया, और मटके भर भर के उन्हें आंसु पिलाए हैं।

6 तू हमें हमारे पड़ोसियों के झगड़ने का कारण कर देता है; और हमारे शत्रु मनमाने ठट्ठा करते हैं॥

7 हे सेनाओं के परमेश्वर, हम को ज्यों का त्यों कर दे; और अपने मुख का प्रकाश हम पर चमका, तब हमारा उद्धार हो जाएगा॥

8 तू मिस्त्र से एक दाखलता ले आया; और अन्यजातियों को निकाल कर उसे लगा दिया।

9 तू ने उसके लिये स्थान तैयार किया है; और उसने जड़ पकड़ी और फैल कर देश को भर दिया।

10 उसकी छाया पहाड़ों पर फैल गई, और उसकी डालियां ईश्वर के देवदारों के समान हुईं;

11 उसकी शाखाएं समुद्र तक बढ़ गई, और उसके अंकुर महानद तक फैल गए।

12 फिर तू ने उसके बाड़ों को क्यों गिरा दिया, कि सब बटोही उसके फलों को तोड़ते हैं?

13 जंगली सूअर उसको नाश किए डालता है, और मैदान के सब पशु उसे चर जाते हैं॥

14 हे सेनाओं के परमेश्वर, फिर आ! स्वर्ग से ध्यान देकर देख, और इस दाखलता की सुधि ले,

15 ये पौधा तू ने अपने दाहिने हाथ से लगाया, और जो लता की शाखा तू ने अपने लिये दृढ़ की है।

16 वह जल गई, वह कट गई है; तेरी घुड़की से वे नाश होते हैं।

17 तेरे दाहिने हाथ के सम्भाले हुअ पुरूष पर तेरा हाथ रखा रहे, उस आदमी पर, जिसे तू ने अपने लिये दृढ़ किया है।

18 तब हम लोग तुझ से न मुड़ेंगे: तू हम को जिला, और हम तुझ से प्रार्थना कर सकेंगे।

19 हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, हम को ज्यों का त्यों कर दे! और अपने मुख का प्रकाश हम पर चमका, तब हमारा उद्धार हो जाएगा!

भजन संहिता 81

1 परमेश्वर जो हमारा बल है, उसका गीत आनन्द से गाओ; याकूब के परमेश्वर का जयजयकार करो!

2 भजन उठाओ, डफ और मधुर बजने वाली वीणा और सारंगी को ले आओ।

3 नये चाँद के दिन, और पूर्णमासी को हमारे पर्व के दिन नरसिंगा फूंको।

4 क्योंकि यह इस्त्राएल के लिये विधि, और याकूब के परमेश्वर का ठहराया हुआ नियम है।

5 इस को उसने यूसुफ में चितौनी की रीति पर उस समय चलाया, जब वह मिस्त्र देश के विरुद्ध चला॥ वहां मैं ने एक अनजानी भाषा सुनी;

6 मैं ने उनके कन्धों पर से बोझ को उतार दिया; उनका टोकरी ढोना छुट गया।

7 तू ने संकट में पड़ कर पुकारा, तब मैं ने तुझे छुड़ाया; बादल गरजने के गुप्त स्थान में से मैं ने तेरी सुनी, और मरीबा नाम सोते के पास तेरी परीक्षा की। (सेला)

8 हे मेरी प्रजा, सुन, मैं तुझे चिता देता हूं! हे इस्त्राएल भला हो कि तू मेरी सुने!

9 तेरे बीच में पराया ईश्वर न हो; और न तू किसी पराए देवता को दणडवत करना!

10 तेरा परमेश्वर यहोवा मैं हूं, जो तुझे मिस्त्र देश से निकाल लाया है। तू अपना मुंह पसार, मैं उसे भर दूंगा॥

11 परन्तु मेरी प्रजा ने मेरी न सुनी; इस्त्राएल ने मुझ को न चाहा।

12 इसलिये मैं ने उसको उसके मन के हठ पर छोड़ दिया, कि वह अपनी ही युक्तियों के अनुसार चले।

13 यदि मेरी प्रजा मेरी सुने, यदि इस्त्राएल मेरे मार्गों पर चले,

14 तो क्षण भर में उनके शत्रुओं को दबाऊं, और अपना हाथ उनके द्रोहियों के विरुद्ध चलाऊं।

15 यहोवा के बैरी तो उस के वश में हो जाते, और उनका अन्त सदाकाल तक बना रहता हैं।

16 और उनको उत्तम से उत्तम गेहूं खिलाता, और मैं चट्टान में के मधु से उन को तृप्त करूं॥

भजन संहिता 82

1 परमेश्वर की सभा में परमेश्वर ही खड़ा है; वह ईश्वरों के बीच में न्याय करता है।

2 तुम लोग कब तक टेढ़ा न्याय करते और दुष्टों का पक्ष लेते रहोगे?

3 कंगाल और अनाथों का न्याय चुकाओ, दीन दरिद्र का विचार धर्म से करो।

4 कंगाल और निर्धन को बचा लो; दुष्टों के हाथ से उन्हें छुड़ाओ॥

5 वे न तो कुछ समझते और न कुछ बूझते हैं, परन्तु अन्धेरे में चलते फिरते रहते हैं; पृथ्वी की पूरी नीव हिल जाती है॥

6 मैं ने कहा था कि तुम ईश्वर हो, और सब के सब परमप्रधान के पुत्र हो;

7 तौभी तुम मनुष्यों की नाईं मरोगे, और किसी प्रधान के समान गिर जाओगे॥

8 हे परमेश्वर उठ, पृथ्वी का न्याय कर; क्योंकि तू ही सब जातियों को अपने भाग में लेगा!

भजन संहिता 83

1 हे परमेश्वर मौन न रह; हे ईश्वर चुप न रह, और न शांत रह!

2 क्योंकि देख तेरे शत्रु धूम मचा रहे हैं; और तेरे बैरियों ने सिर उठाया है।

3 वे चतुराई से तेरी प्रजा की हानि की सम्मति करते, और तेरे रक्षित लोगों के विरुद्ध युक्तियां निकालते हैं।

4 उन्होंने कहा, आओ, हम उन को ऐसा नाश करें कि राज्य भी मिट जाए; और इस्त्राएल का नाम आगे को स्मरण न रहे।

5 उन्होंने एक मन हो कर युक्ति निकाली है, और तेरे ही विरुद्ध वाचा बान्धी है।

6 ये तो एदोम के तम्बू वाले और इश्माइली, मोआबी और हुग्री,

7 गबाली, अम्मोनी, अमालेकी, और सोर समेत पलिश्ती हैं।

8 इनके संग अश्शूरी भी मिल गए हैं; उन से भी लूतवंशियों को सहारा मिला है।

9 इन से ऐसा कर जैसा मिद्यानियों से, और कीशोन नाले में सीसरा और याबीन से किया था, जो एन्दोर में नाश हुए,

10 और भूमि के लिये खाद बन गए।

11 इनके रईसों को ओरेब और जाएब सरीखे, और इनके सब प्रधानों को जेबह और सल्मुन्ना के समान कर दे,

12 जिन्होंने कहा था, कि हम परमेश्वर की चराइयों के अधिकारी आप ही हो जाएं॥

13 हे मेरे परमेश्वर इन को बवन्डर की धूलि, वा पवन से उड़ाए हुए भूसे के समान कर दे।

14 उस आग की नाईं जो वन को भस्म करती है, और उस लौ की नाईं जो पहाड़ों को जला देती है,

15 तू इन्हे अपनी आंधी से भाग दे, और अपने बवन्डर से घबरा दे!

16 इनके मुंह को अति लज्जित कर, कि हे यहोवा ये तेरे नाम को ढूंढ़ें।

17 ये सदा के लिये लज्जित और घबराए रहें इनके मुंह काले हों, और इनका नाश हो जाए,

18 जिस से यह जानें कि केवल तू जिसका नाम यहोवा है, सारी पृथ्वी के ऊपर परमप्रधान है॥

भजन संहिता 84

1 हे सेनाओं के यहोवा, तेरे निवास क्या ही प्रिय हैं!

2 मेरा प्राण यहोवा के आंगनों की अभिलाषा करते करते मूर्छित हो चला; मेरा तन मन दोनों जीवते ईश्वर को पुकार रहे॥

3 हे सेनाओं के यहोवा, हे मेरे राजा, और मेरे परमेश्वर, तेरी वेदियों मे गौरैया ने अपना बसेरा और शूपाबेनी ने घोंसला बना लिया है जिस में वह अपने बच्चे रखे।

4 क्या ही धन्य हैं वे, जो तेरे भवन में रहते हैं; वे तेरी स्तुति निरन्तर करते रहेंगे॥

5 क्या ही धन्य है, वह मनुष्य जो तुझ से शक्ति पाता है, और वे जिन को सिय्योन की सड़क की सुधि रहती है।

6 वे रोने की तराई में जाते हुए उसको सोतों का स्थान बनाते हैं; फिर बरसात की अगली वृष्टि उसमें आशीष ही आशीष उपजाती है।

7 वे बल पर बल पाते जाते हैं; उन में से हर एक जन सिय्योन में परमेश्वर को अपना मुंह दिखाएगा॥

8 हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन, हे याकूब के परमेश्वर, कान लगा!

9 हे परमेश्वर, हे हमारी ढ़ाल, दृष्टि कर; और अपने अभिषिक्ति का मुख देख!

10 क्योंकि तेरे आंगनों में का एक दिन और कहीं के हजार दिन से उत्तम है। दुष्टों के डेरों में वास करने से अपने परमेश्वर के भवन की डेवढ़ी पर खड़ा रहना ही मुझे अधिक भावता है।

11 क्योंकि यहोवा परमेश्वर सूर्य और ढाल है; यहोवा अनुग्रह करेगा, और महिमा देगा; और जो लोग खरी चाल चलते हैं; उन से वह कोई अच्छा पदार्थ रख न छोड़ेगा।

12 हे सेनाओं के यहोवा, क्या ही धन्य वह मनुष्य है, जो तुझ पर भरोसा रखता है!

भजन संहिता 85

1 हे यहोवा, तू अपने देश पर प्रसन्न हुआ, याकूब को बन्धुआई से लौटा ले आया है।

2 तू ने अपनी प्रजा के अधर्म को क्षमा किया है; और उसके सब पापों को ढांप दिया है।

3 तू ने अपने रोष को शान्त किया है; और अपने भड़के हुए कोप को दूर किया है॥

4 हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर हम को फेर, और अपना क्रोध हम पर से दूर कर!

5 क्या तू हम पर सदा कोपित रहेगा? क्या तू पीढ़ी से पीढ़ी तक कोप करता रहेगा?

6 क्या तू हम को फिर न जिलाएगा, कि तेरी प्रजा तुझ में आनन्द करे?

7 हे यहोवा अपनी करूणा हमें दिखा, और तू हमारा उद्धार कर॥

8 मैं कान लगाए रहूंगा, कि ईश्वर यहोवा क्या कहता है, वह तो अपनी प्रजा से जो उसके भक्त है, शान्ति की बातें कहेगा; परन्तु वे फिर के मूर्खता न करने लगें।

9 निश्चय उसके डरवैयों के उद्धार का समय निकट है, तब हमारे देश में महिमा का निवास होगा॥

10 करूणा और सच्चाई आपस में मिल गई हैं; धर्म और मेल ने आपस में चुम्बन किया है।

11 पृथ्वी में से सच्चाई उगती और स्वर्ग से धर्म झुकता है।

12 फिर यहोवा उत्तम पदार्थ देगा, और हमारी भूमि अपनी उपज देगी।

13 धर्म उसके आगे आगे चलेगा, और उसके पांवों के चिन्हों को हमारे लिये मार्ग बनाएगा॥

भजन संहिता 86

1 हे यहोवा कान लगा कर मेरी सुन ले, क्योंकि मैं दीन और दरिद्र हूं।

2 मेरे प्राण की रक्षा कर, क्योंकि मैं भक्त हूं; तू मेरा परमेश्वर है, इसलिये अपने दास का, जिसका भरोसा तुझ पर है, उद्धार कर।

3 हे प्रभु मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तुझी को लगातार पुकारता रहता हूं।

4 अपने दास के मन को आनन्दित कर, क्योंकि हे प्रभु, मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूं।

5 क्योंकि हे प्रभु, तू भला और क्षमा करने वाला है, और जितने तुझे पुकारते हैं उन सभों के लिये तू अति करूणामय है।

6 हे यहोवा मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा, और मेरे गिड़गिड़ाने को ध्यान से सुन।

7 संकट के दिन मैं तुझ को पुकारूंगा, क्योंकि तू मेरी सुन लेगा॥

8 हे प्रभु देवताओं में से कोई भी तेरे तुल्य नहीं, और ने किसी के काम तेरे कामों के बराबर हैं।

9 हे प्रभु जितनी जातियों को तू ने बनाया है, सब आकर तेरे साम्हने दणडवत करेंगी, और तेरे नाम की महिमा करेंगी।

10 क्योंकि तू महान और आश्चर्य कर्म करने वाला है, केवल तू ही परमेश्वर है।

11 हे यहोवा अपना मार्ग मुझे दिखा, तब मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलूंगा, मुझ को एक चित्त कर कि मैं तेरे नाम का भय मानूं।

12 हे प्रभु हे मेरे परमेश्वर मैं अपने सम्पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम की महिमा सदा करता रहूंगा।

13 क्योंकि तेरी करूणा मेरे ऊपर बड़ी है; और तू ने मुझ को अधोलोक की तह में जाने से बचा लिया है॥

14 हे परमेश्वर अभिमानी लोग तो मेरे विरुद्ध उठे हैं, और बलात्कारियों का समाज मेरे प्राण का खोजी हुआ है, और वे तेरा कुछ विचार नहीं रखते।

15 परन्तु प्रभु तू दयालु और अनुग्रहकारी ईश्वर है, तू विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है।

16 मेरी ओर फिर कर मुझ पर अनुग्रह कर; अपने दास को तू शक्ति दे, और अपनी दासी के पुत्र का उद्धार कर॥

17 मुझे भलाई का कोई लक्षण दिखा, जिसे देख कर मेरे बैरी निराश हों, क्योंकि हे यहोवा तू ने आप मेरी सहायता की और मुझे शान्ति दी है॥

भजन संहिता 87

1 उसकी नेव पवित्र पर्वतों में है;

2 और यहोवा सिय्योन के फाटकों को याकूब के सारे निवासों से बढ़ कर प्रीति रखता है।

3 हे परमेश्वर के नगर, तेरे विषय महिमा की बातें कही गई हैं।

4 मैं अपने जान- पहचान वालों से रहब और बाबेल की भी चर्चा करूंगा; पलिश्त, सोर और कूश को देखो, यह वहां उत्पन्न हुआ था।

5 और सिय्योन के विषय में यह कहा जाएगा, कि अमुक अमुक मनुष्य उस में उत्पन्न हुआ था; और परमप्रधान आप ही उसको स्थिर रखेगा।

6 यहोवा जब देश देश के लोगों के नाम लिख कर गिन लेगा, तब यह कहेगा, कि यह वहां उत्पन्न हुआ था॥

7 गवैये और नृतक दोनों कहेंगे कि हमारे सब सोते तुझी में पाए जाते हैं॥

भजन संहिता 88

1 हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर यहोवा, मैं दिन को और रात को तेरे आगे चिल्लाता आया हूं।

2 मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचे, मेरे चिल्लाने की ओर कान लगा!

3 क्योंकि मेरा प्राण क्लेश में भरा हुआ है, और मेरा प्राण अधोलोक के निकट पहुंचा है।

4 मैं कबर में पड़ने वालों में गिना गया हूं; मैं बलहीन पुरूष के समान हो गया हूं।

5 मैं मुर्दों के बीच छोड़ा गया हूं, और जो घात हो कर कबर में पड़े हैं, जिन को तू फिर स्मरण नहीं करता और वे तेरी सहायता रहित हैं, उनके समान मैं हो गया हूं।

6 तू ने मुझे गड़हे के तल ही में, अन्धेरे और गहिरे स्थान में रखा है।

7 तेरी जलजलाहट मुझी पर बनी हुई है, और तू ने अपने सब तरंगों से मुझे दु:ख दिया है;

8 तू ने मेरे पहिचान वालों को मुझ से दूर किया है; और मुझ को उनकी दृष्टि में घिनौना किया है। मैं बन्दी हूं और निकल नही सकता;

9 दु:ख भोगते भोगते मेरी आंखे धुन्धला गई। हे यहोवा मैं लगातार तुझे पुकारता और अपने हाथ तेरी ओर फैलाता आया हूं।

10 क्या तू मुर्दों के लिये अदभुत काम करेगा? क्या मरे लोग उठ कर तेरा धन्यवाद करेंगे?

11 क्या कबर में तेरी करूणा का, और विनाश की दशा में तेरी सच्चाई का वर्णन किया जाएगा?

12 क्या तेरे अदभुत काम अन्धकार में, वा तेरा धर्म विश्वासघात की दशा में जाना जाएगा?

13 परन्तु हे यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी है; और भोर को मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचेगी।

14 हे यहोवा, तू मुझ को क्यों छोड़ता है? तू अपना मुख मुझ से क्यों छिपाता रहता है?

15 मैं बचपन ही से दु:खी वरन अधमुआ हूं, तुझ से भय खाते मैं अति व्याकुल हो गया हूं।

16 तेरा क्रोध मुझ पर पड़ा है; उस भय से मैं मिट गया हूं।

17 वह दिन भर जल की नाईं मुझे घेरे रहता है; वह मेरे चारों ओर दिखाई देता है।

18 तू ने मित्र और भाईबन्धु दोनों को मुझ से दूर किया है; और मेरे जान-पहिचान वालों को अन्धकार में डाल दिया है॥

भजन संहिता 89

1 मैं यहोवा की सारी करूणा के विषय सदा गाता रहूंगा; मैं तेरी सच्चाई पीढ़ी पीढ़ी तक जताता रहूंगा।

2 क्योंकि मैं ने कहा है, तेरी करूणा सदा बनी रहेगी, तू स्वर्ग में अपनी सच्चाई को स्थिर रखेगा।

3 मैं ने अपने चुने हुए से वाचा बान्धी है, मैं ने अपने दास दाऊद से शपथ खाई है,

4 कि मैं तेरे वंश को सदा स्थिर रखूंगा; और तेरी राजगद्दी को पीढ़ी पीढ़ी तक बनाए रखूंगा।

5 हे यहोवा, स्वर्ग में तेरे अद्भुत काम की, और पवित्रों की सभा में तेरी सच्चाई की प्रशंसा होगी।

6 क्योंकि आकाश मण्डल में यहोवा के तुल्य कौन ठहरेगा? बलवन्तों के पुत्रों में से कौन है जिसके साथ यहोवा की उपमा दी जाएगी?

7 ईश्वर पवित्रों की गोष्ठी में अत्यन्त प्रतिष्ठा के योग्य, और अपने चारों ओर सब रहने वालों से अधिक भय योग्य है।

8 हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, हे याह, तेरे तुल्य कौन सामर्थी है? तेरी सच्चाई तो तेरे चारों ओर है!

9 समुद्र के गर्व को तू ही तोड़ता है; जब उसके तरंग उठते हैं, तब तू उन को शान्त कर देता है।

10 तू ने रहब को घात किए हुए के समान कुचल डाला, और अपने शत्रुओं को अपने बाहुबल से तितर बितर किया है।

11 आकाश तेरा है, पृथ्वी भी तेरी है; जगत और जो कुछ उस में है, उसे तू ही ने स्थिर किया है।

12 उत्तर और दक्खिन को तू ही ने सिरजा; ताबोर और हेर्मोन तेरे नाम का जयजयकार करते हैं।

13 तेरी भुजा बलवन्त है; तेरा हाथ शक्तिमान और तेरा दहिना हाथ प्रबल है।

14 तेरे सिंहासन का मूल, धर्म और न्याय है; करूणा और सच्चाई तेरे आगे आगे चलती है।

15 क्या ही धन्य है वह समाज जो आनन्द के ललकार को पहिचानता है; हे यहोवा, वे लोग तेरे मुख के प्रकाश में चलते हैं,

16 वे तेरे नाम के हेतु दिन भर मगन रहते हैं, और तेरे धर्म के कारण महान हो जाते हैं।

17 क्योंकि तू उनके बल की शोभा है, और अपनी प्रसन्नता से हमारे सींग को ऊंचा करेगा।

18 क्योंकि हमारी ढाल यहोवा की ओर से है हमारा राजा इस्राएल के पवित्र की ओर से है॥

19 एक समय तू ने अपने भक्त को दर्शन देकर बातें की; और कहा, मैं ने सहायता करने का भार एक वीर पर रखा है, और प्रजा में से एक को चुन कर बढ़ाया है।

20 मैं ने अपने दास दाऊद को लेकर, अपने पवित्र तेल से उसका अभिषेक किया है।

21 मेरा हाथ उसके साथ बना रहेगा, और मेरी भुजा उसे दृढ़ रखेगी।

22 शत्रु उसको तंग करने न पाएगा, और न कुटिल जन उसको दु:ख देने पाएगा।

23 मैं उसके द्रोहियों को उसके साम्हने से नाश करूंगा, और उसके बैरियों पर विपत्ति डालूंगा।

24 परन्तु मेरी सच्चाई और करूणा उस पर बनी रहेंगी, और मेरे नाम के द्वारा उसका सींग ऊंचा हो जाएगा।

25 मैं समुद्र को उसके हाथ के नीचे और महानदों को उसके दाहिने हाथ के नीचे कर दूंगा।

26 वह मुझे पुकार के कहेगा, कि तू मेरा पिता है, मेरा ईश्वर और मेरे बचने की चट्टान है।

27 फिर मैं उसको अपना पहिलौठा, और पृथ्वी के राजाओं पर प्रधान ठहराऊंगा।

28 मैं अपनी करूणा उस पर सदा बनाए रहूंगा, और मेरी वाचा उसके लिये अटल रहेगी।

29 मैं उसके वंश को सदा बनाए रखूंगा, और उसकी राजगद्दी स्वर्ग के समान सर्वदा बनी रहेगी।

30 यदि उसके वंश के लोग मेरी व्यवस्था को छोड़ें और मेरे नियमों के अनुसार न चलें,

31 यदि वे मेरी विधियों का उल्लंघन करें, और मेरी आज्ञाओं को न मानें,

32 तो मैं उनके अपराध का दण्ड सोंटें से, और उनके अधर्म का दण्ड कोड़ों से दूंगा।

33 परन्तु मैं अपनी करूणा उस पर से न हटाऊंगा, और न सच्चाई त्याग कर झूठा ठहरूंगा।

34 मैं अपनी वाचा न तोडूंगा, और जो मेरे मुंह से निकल चुका है, उसे न बदलूंगा।

35 एक बार मैं अपनी पवित्राता की शपथ खा चुका हूं; मैं दाऊद को कभी धोखा न दूंगा।

36 उसका वंश सर्वदा रहेगा, और उसकी राजगद्दी सूर्य की नाईं मेरे सम्मुख ठहरी रहेगी।

37 वह चन्द्रमा की नाईं, और आकाश मण्डल के विश्वास योग्य साक्षी की नाईं सदा बना रहेगा।

38 तौभी तू ने अपने अभिषिक्त को छोड़ा और उसे तज दिया, और उस पर अति क्रोध किया है।

39 तू अपने दास के साथ की वाचा से घिनाया, और उसके मुकुट को भूमि पर गिरा कर अशुद्ध किया है।

40 तू ने उसके सब बाड़ों को तोड़ डाला है, और उसके गढ़ों को उजाड़ दिया है।

41 सब बटोही उसको लूट लेते हैं, और उसके पड़ोसियों में उसकी नामधराई होती है।

42 तू ने उसके द्रोहियों को प्रबल किया; और उसके सब शत्रुओं को आनन्दित किया है।

43 फिर तू उसकी तलवार की धार को मोड़ देता है, और युद्ध में उसके पांव जमने नहीं देता।

44 तू ने उसका तेज हर लिया है और उसके सिंहासन को भूमि पर पटक दिया है।

45 तू ने उसकी जवानी को घटाया, और उसको लज्जा से ढांप दिया है॥

46 हे यहोवा तू कब तक लगातार मूंह फेरे रहेगा, तेरी जलजलाहट कब तक आग की नाईं भड़की रहेगी॥

47 मेरा स्मरण कर, कि मैं कैसा अनित्य हूं, तू ने सब मनुष्यों को क्यों व्यर्थ सिरजा है?

48 कौन पुरूष सदा अमर रहेगा? क्या कोई अपने प्राण को अधोलोक से बचा सकता है?

49 हे प्रभु तेरी प्राचीनकाल की करूणा कहां रही, जिसके विषय में तू ने अपनी सच्चाई की शपथ दाऊद से खाई थी?

50 हे प्रभु अपने दासों की नामधराई की सुधि कर; मैं तो सब सामर्थी जातियों का बोझ लिए रहता हूं।

51 तेरे उन शत्रुओं ने तो हे यहोवा तेरे अभिषिक्त के पीछे पड़ कर उसकी नामधराई की है॥

52 यहोवा सर्वदा धन्य रहेगा! आमीन फिर आमीन॥