यिर्मयाह 39

1 यहूदा के राजा सिदकिय्साह के राज्य के नौवें वर्ष के दसवें महीने में, बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने अपनी सारी सेना समेत यरूशलेम पर चढ़ाई कर के उसे घेर लिया।

2 और सिदकिय्याह के राज्य के ग्यारहवें वर्ष के चौथे महीने के नौवें दिन को उस नगर की शहरपनाह तोड़ी गई।

3 सो जब यरूशलेम ले लिया गया, तब नेर्गलसरेसेर, और समगर्नबो, और खेजों का प्रधान सर्सकीम, और मगों का प्रधान नेर्गलसरेसेर आदि, बाबुल के राजा के सब हाकिम बीच के फाटक में प्रवेश कर के बैठ गए।

4 जब यहूदा के राजा सिदकिय्याह और सब योद्धाओं ने उन्हें देखा तब रात ही रात राजा की बारी के मार्ग से दोनों भीतों के बीच के फाटक से हो कर नगर से निकल कर भाग चले और अराबा का मार्ग लिया।

5 परन्तु कसदियों की सेना ने उन को खदेड़ कर सिदकिय्याह को यरीहो के अराबा में जा लिया और उन को बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के पास हमात देश के रिबला में ले गए; और उसने वहां उसके दण्ड की आज्ञा दी।

6 तब बाबुल के राजा ने सिदकिय्याह के पुत्रों को उसकी आंखों के साम्हने रिबला में घात किया; और सब कुलीन यहूदियों को भी घात किया।

7 उसने सिदकिय्याह की आंखों को फुड़वा डाला और उसको बाबुल ले जाने के लिये बेडिय़ों से जकड़वा रखा।

8 कसदियों ने राजभवन और प्रजा के घरों को आग लगा कर फूंक दिया, ओर यरूशलेम की शहरपनाह को ढा दिया।

9 तब जल्लादों का प्रधान नबूजरदान प्रजा के बचे हुओं को जो नगर में रह गए थे, और जो लोग उसके पास भाग आए थे उन को अर्थात प्रजा में से जितने रह गए उन सब को बंधुआ कर के बाबुल को ले गया।

10 परन्तु प्रजा में से जो ऐसे कंगाल थे जिनके पास कुछ न था, उन को जल्लादों का प्रधान नबूजरदान यहूदा देश में छोड़ गया, और जाते समय उन को दाख की बारियां और खेत दे दिए।

11 बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने जल्लादों के प्रधान नबूजरदान को यिर्मयाह के विषय में यह आज्ञा दी,

12 कि उसको ले कर उस पर कृपादृष्टि बनाए रखना और उसकी कुछ हानि न करना; जैसा वह तुझ से कहे वैसा ही उस से व्यवहार करना।

13 सो जल्लादों के प्रधान नबूजरदान और खोजों के प्रधान नबूसजबान और मगों के प्रधान नेर्गलसरेसेर ज्योतिषियों के सरदार,

14 और बाबुल के राजा के सब प्रधानों ने, लोगों को भेज कर यिर्मयाह को पहरे के आंगन में से बुलवा लिया और गदल्याह को जो अहीकाम का पुत्र और शापान का पोता था सौंप दिया कि वह उसे घर पहुंचाए। तब से वह लोगों के साथ रहने लगा।

15 जब यिर्मयाह पहरे के आंगन में कैद था, तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहुंचा,

16 कि, जा कर एबेदमेलेक कूशी से कह कि इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा तुझ से यों कहता है, देख, मैं अपने वे वचन जो मैं ने इस नगर के विषय में कहे हैं इस प्रकार पूरा करूंगा कि इसका कुशल न होगा, हानि ही होगी, ओर उस समय उनका पूरा होना तुझे दिखाई पड़ेगा।

17 परन्तु यहोवा की यह वाणी है कि उस समय मैं तुझे बचाऊंगा, और जिन मनुष्यों से तू भय खाता है, तू उनके वश में नहीं किया जाएगा।

18 क्योंकि मैं तुझे, निश्चय बचाऊंगा, और तू तलवार से न मरेगा, तेरा प्राण बचा रहेगा, यहोवा की यह वाणी है। यह इस कारण होगा, कि तू ने मुझ पर भरोसा रखा है।

यिर्मयाह 40

1 जब जल्लादों के प्रधान नबूजरदान ने यिर्मयाह को रामा में उन सब यरूशलेमी और यहूदी बंधुओं के बीच हथकडिय़ों से बन्धा हुआ पाकर जो बाबुल जाने को थे छुड़ा लिया, उसके बाद यहोवा का वचन उसके पास पहुंचा।

2 जल्लादों के प्रधान नबूजरदान ने यिर्मयाह को उस समय अपने पास बुला लिया, और कहा, इस स्थान पर यह जो विपत्ति पड़ी है वह तेरे परमेश्वर यहोवा की कही हुई थी।

3 ओर जैसा यहोवा ने कहा था वैसा ही उसने पूरा भी किया है। तुम लोगों ने जो यहोवा के विरुद्ध पाप किया ओर उसकी आज्ञा नहीं मानी, इस कारण तुम्हारी यह दशा हुई है।

4 अब मैं तेरी इन हथकडिय़ों को काटे देता हूँ, और यदि मेरे संग बाबुल में जाना तुझे अच्छा लगे तो चल, वहां मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूंगा; और यदि मेरे संग बाबुल जाना तुझे न भाए, तो यहीं रह जा। देख, सारा देश तेरे साम्हने पड़ा हे, जिधर जाना तुझे अच्छा और ठीक जंचे उधर ही चला जा।

5 वह वहीं था कि नबूजरदान ने फिर उस से कहा, गदल्याह जो अहीकाम का पुत्र और शापान का पोता है, जिस को बाबुल के राजा ने यहूदा के नगरों पर अधिकारी ठहराया है, उसके पास लौट जा और उसके संग लोगों के बीच रह, वा जहां कहीं तुझे जाना ठीक जान पड़े वहीं चला जा। से जल्लादों के प्रधान ने उसको सीधा और कुछ द्रव्य भी देकर विदा किया।

6 तब यिर्मयाह अहीकाम के पुत्र गदल्याह के पास मिस्पा को गया, और वहां उन लोगों के बीच जो देश में रह गए थे, रहने लगा।

7 योद्धाओं के जो दल दिहात में थे, जब उनके सब प्रधानों ने अपने जनों समेत सुना कि बाबुल के राजा ने अहीकाम के पुत्र गदल्याह को देश का अधिकारी ठहराया है, और देश के जिन कंगाल लोगों को वह बाबुल को नहीं ले गया, क्या पुरुष, क्या स्त्री, क्या बाल-बच्चे, उन सभों को उसे सौंप दिया है,

8 तब नतन्याह का पुत्र इश्माएल, कारेह के पुत्र योहानान, योनातान और तन्हूसेत का पुत्र सरायाह, एपै नतोपावासी के पुत्र और किसी माकावासी का पुत्र याजन्याह अपने जनों समेत गदल्याह के पास मिस्पा में आए।

9 और गदल्याह जो अहीकाम का पुत्र और शापान का पोता था, उसने उन से और उनके जनों से शपथ खाकर कहा, कसदियों के आधीन रहने से मत डरो। इसी देश में रहते हुए बाबुल के राजा के आधीन रहो तब तुम्हारा भला होगा।

10 मैं तो इसीलिये मिस्पा में रहता हूं कि जो कसदी लोग हमारे यहां आएं, उनके साम्हने हाज़िर हुआ करूं; परन्तु तुम दाखमधु और धूपकाल के फल और तेल को बटोर के अपने बरतनों में रखो और अपने लिए हुए नगरों में बसे रहो।

11 फिर जब मोआबियों, अम्मोनियों, एदोमियों और अन्य सब जातियों के बीच रहने वाले सब यहूदियों ने सुना कि बाबुल के राजा ने यहूदियों में से कुछ लोगों को बचा लिया और उन पर गदल्याह को जो अहीकाम का पुत्र और शापान का पोता है अधिकारी नियुक्त किया है,

12 तब सब यहूदी जिन जिन स्थानों में तितर-बितर हो गए थे, वहां से लौट कर यहूदा देश के मिस्पा नगर में गदल्याह के पास, और बहुत दाखमधु और धूपकाल के फल बटोरने लगे।

13 तब कारेह का पुत्र योहानान और मैदान में रहने वाले योद्धाओं के सब दलों के प्रधान मिस्पा में गदल्याह के पास आकर कहने लगे, क्या तू जानता है

14 कि अम्मोनियों के राजा बालीस ने नतन्याह के पुत्र इश्माएल को तुझे जान से मारने के लिये भेजा है? परन्तु अहीकाम के पुत्र गदल्याह ने उनकी प्रतीति न की।

15 फिर कारेह के पुत्र योहानान ने गदल्याह से मिस्पा में छिप कर कहा, मुझे जा कर नतन्याह के पुत्र इश्माएल को मार डालने दे ओर कोई इसे न जानेगा। वह क्यों तुझे मार डाले, और जितने यहूदी लोग तेरे पास इकट्ठे हुए हैं वे क्यों तितर-बितर हो जाएं और बचे हुए यहूदी क्यों नाश हों?

16 अहीकाम के पुत्र गदल्याह ने कारेह के पुत्र योहानान से कहा, ऐसा काम मत कर, तू इश्माएल के विषय में झूठ बोलता है।

यिर्मयाह 41

1 और सातवें महीने में ऐसा हुआ कि इश्माएल जो नतन्याह का पुत्र और एलीशामा का पोता और राजवंश का और राजा के प्रधान पुरुषों में से था, सो दस जन संग ले कर मिस्पा में अहीकाम के पुत्र गदल्याह के पास आया। वहां मिस्पा में उन्होंने एक संग भोजन किया।

2 तब नतन्याह के पुत्र इश्माएल और उसके संग के दस जनों ने उठ कर गदल्याह को, जो अहीकाम का पुत्र और शपान का पोता था, ओर जिसे बाबुल के राजा ने देश का अधिकारी ठहराया था, उसे तलवार से ऐसा मारा कि वह मर गया।

3 और इश्माएल ने गदल्याह के संग जितने यहूदी मिस्पा में थे, और जो कसदी योद्धा वहां मिले, उन सभों को मार डाला।

4 गदल्याह के मार डालने के दूसरे दिन जब कोई इसे न जानता था,

5 तब शकेम और शीलो और शोमरोन से अस्सी पुरुष डाढ़ी मुड़ाए, वस्त्र फाड़े, शरीर चीरे हुए और हाथ में अन्नबलि और लोबान लिए हुए, यहोवा के भवन में जाने को आते दिखाई दिए।

6 तब नतन्याह का पुत्र इश्माएल उन से मिलने को मिस्पा से निकला, और रोता हुआ चला। जब वह उन से मिला, तब कहा, अहीकाम के पुत्र गदल्याह के पास चलो।

7 जब वे उस नगर में आए तब नतन्याह के पुत्र इश्माएल ने अपने संगी जनों समेत उन को घात कर के गड़हे में फेंक दिया।

8 परन्तु उन में से दस मनुष्य इश्माएल से कहने लगे, हम को न मार; क्योंकि हमारे पास मैदान में रखा हुआ गेहूं, जव, तेल और मधु है। सो उसने उन्हें छोड़ दिया और उनके भाइयों के साथ नहीं मारा।

9 जिस गड़हे में इश्माएल न उन लोगों की सब लोथें जिन्हें उसने मारा था, गदल्याह की लोथ के पास फेंक दी थी, (यह वही गड़हा है जिसे आसा राजा ने इस्राएल के राजा बाशा के डर के मारे खुदवाया था), उसको नतन्याह के पुत्र इश्माएल ने मारे हुओं से भर दिया।

10 तब जो लोग मिस्पा में बचे हुए थे, अर्थात राजकुमारियां और जितने और लोग मिस्पा में रह गए थे जिन्हें जल्लादों के प्रधान नबूजरदान ने अहीकाम के पुत्र गदल्याह को सौंप दिया था, उन सभों को नतन्याह का पुत्र इश्माएल बंधुआ कर के अम्मोनियों के पास ले जाने को चला।

11 जब कारेह के पुत्र योहानान ने और योद्धाओं के दलों के उन सब प्रधानों ने जो उसके संग थे, सुना, कि नतन्याह के पुत्र इश्माएल ने यह सब बुराई की है,

12 तब वे सब जनों को ले कर नतन्याह के पुत्र इश्माएल से लड़ने को निकले और उसको उस बड़े जलाशय के पास पाया जो गिबोन में है।

13 कारेह के पुत्र योहानान को, और दलों के सब प्रधानों को देख कर जो उसके संग थे, इश्माएल के साथ जो लोग थे, वे सब आनन्दित हुए।

14 और जितने लोगों को इश्माएल मिस्पा से बंधुआ कर के लिए जाता था, वे पलट कर कारेह के पुत्र योहानान के पास चले आए।

15 परन्तु नतन्याह का पुत्र इश्माएल आठ पुरुष समेत योहानान के हाथ से बच कर अम्मोनियों के पास चला गया।

16 तब प्रजा में से जितने बच गए थे, अर्थात जिन योद्धाओं, स्त्रियों, बाल-बच्चों और खोजों को कारेह का पुत्र योहानान, अहीकाम के पुत्र गदल्याह के मिस्पा में मारे जाने के बाद नतन्याह के पुत्र इश्माएल के पास से छुड़ा कर गिबोन से फेर ले आया था, उन को वह अपने सब संगी दलों के प्रधानों समेत ले कर चल दिया।

17 और बेतलेहेम के निकट जो किम्हाम की सराय है, उस में वे इसलिये टिक गए कि मिस्र में जाएं।

18 क्योंकि वे कसदियों से डरते थे; इसका कारण यह था कि अहीकाम का पुत्र गदल्याह जिसे बाबुल के राजा ने देश का अधिकारी ठहराया था, उसे नतन्याह के पुत्र इश्माएल ने मार डाला था।

यिर्मयाह 42

1 तब कारेह का पुत्र योहानान, होशयाह का पुत्र याजन्याह, दलों के सब प्रधान और छोटे से ले कर बड़े तक, सब लोग यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के निकट आकर कहने लगे,

2 हमारी बिनती ग्रहण कर के अपने परमेश्वर यहोवा से हम सब बचे हुओं के लिये प्रार्थना कर, क्योंकि तू अपनी आंखों से देख रहा है कि हम जो पहले बहुत थे, अब थोड़े ही बच गए हैं।

3 इसलिये प्रार्थना कर कि तेरा परमेश्वर यहोवा हम को बताए कि हम किस मार्ग से चलें, और कौन सा काम करें?

4 सो यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता ने उन से कहा, मैं ने तुम्हारी सुनी है; देखो, मैं तुम्हारे वचनों के अनुसार तुम्हारे परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना करूंगा ओर जो उत्तर यहोवा तुम्हारे लिये देगा मैं तुम को बताऊंगा; मैं तुम से कोई बात न छिपाऊंगा।

5 तब उन्होंने यिर्मयाह से कहा, यदि तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे द्वारा हमारे पास कोई वचन पहुंचाए और हम उसके अनुसार न करें, तो यहोवा हमारे बीच में सच्चा और विश्वासयोग्य साक्षी ठहरे।

6 चाहे वह भली बात हो, चाहे बुरी, तौभी हम अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा, जिसके पास हम तुझे भेजते हैं, मानेंगे, क्योंकि जब हम अपने परमेश्वर यहोवा की बात मानें तब हमारा भला हो।

7 दस दिन के बीतने पर यहोवा का वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा।

8 तब उसने कारेह के पुत्र योहानान को, उसके साथ के दलों के प्रधानों को, और छोटे से ले कर बड़े तक जितने लोग थे, उन सभों को बुला कर उन से कहा,

9 इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसके पास तुम ने मुझ को इसलिये भेजा कि मैं तुम्हारी बिनती उसके आगे कह सुनाऊं, वह यों कहता है,

10 यदि तुम इसी देश में रह जाओ, तब तो मैं तुम को नाश नहीं करूंगा वरन बनाए रखूंगा; और तुम्हें न उखाडूंगा, वरन रोपे रखूंगा; क्योंकि तुम्हारी जो हानि मैं ने की है उस से मैं पछताता हूँ।

11 तुम बाबुल के राजा से डरते हो, सो उस से मत डरो; यहोवा की यह वाणी है, उस से मत डरो, क्योंकि मैं तुम्हारी रक्षा करने और तुम को उसके हाथ से बचाने के लिये तुम्हारे साथ हूँ।

12 मैं तुम पर दया करूंगा, कि वह भी तुम पर दया कर के तुम को तुम्हारी भूमि पर फिर से बसा देगा।

13 परन्तु यदि तुम यह कहकर कि हम इस देश में न रहेंगे अपने परमेश्वर यहोवा की बात न मानो, और कहो कि हम तो मिस्र देश जा कर वहीं रहेंगे,

14 क्योंकि वहां न हम युद्ध देखेंगे, न नरसिंगे का शब्द सुनेंगे और न हम को भोजन की घटी होगा, तो, हे बचे हुए यहूदियो, यहोवा का यह वचन सुनो:

15 इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यों कहता है, कि यदि तुम सचमुच मिस्र की ओर जाने का मुंह करो, और वहां रहने के लिये जाओ,

16 तो ऐसा होगा कि जिस तलवार से तुम डरते हो, वही वहां मिस्र देश में तुम को जा लेगी, और जिस महंगी का भय तुम खाते हो, वह मिस्र में तुम्हारा पीछा न छोड़ेगी; और वहीं तुम मरोगे।

17 जितने मनुष्य मिस्र में रहने के लिये उसकी ओर मुंह करें, वे सब तलवार, महंगी और मरी से मरेंगे, और जो विपत्ति मैं उनके बीच डालूंगा, उस से कोई बचा न रहेगा।

18 इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यों कहता है, कि जिस प्रकार से मेरा कोप और जलजलाहट यरूशलेम के निवासियों पर भड़क उठी थी, उसी प्रकार से यदि तुम मिस्र में जाओ, तो मेरी जलजलाहट तुम्हारे ऊपर ऐसी भड़क उठेगी कि लोग चकित होंगे, और तुम्हारी उपमा देकर शाप दिया करेंगे और तुम्हारी निन्दा किया करेंगे। तुम उस स्थान को फिर न देखने पाओगे।

19 हे बचे हुए यहूदियो, यहोवा ने तुम्हारे विषय में कहा है, मिस्र में मत जाओ। तुम निश्चय जानो कि मैं ने आज तुम को चिताकर यह बात बता दी है।

20 क्योंकि जब तुम ने मुझ को यह कह कर अपने परमेश्वर यहोवा के पास भेज दिया कि हमारे निमित्त हमारे परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना कर और जो कुछ हमारा परमेश्वर यहोवा कहे उसी के अनुसार हम को बता और हम वैसा ही करेंगे, तब तुम जान बूझ के अपने ही को धोखा देते थे।

21 देखो, मैं आज तुम को बताए देता हूं, परन्तु, और जो कुछ तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम से कहने के लिये मुझ को भेजा है, उस में से तुम कोई बात नहीं मानते।

22 अब तुम निश्चय जानो, कि जिस स्थान में तुम परदेशी हो के रहने की इच्छा करते हो, उस में तुम तलवार, महंगी और मरी से मर जाओगे।

यिर्मयाह 43

1 जब यिर्मयाह उनके परमेश्वर यहोवा के वे सब वचन कह चुका, जिनके कहने के लिये उसने उसको उन सब लोगों के पास भेजा था,

2 तब होशाया के पुत्र अजर्याह और कारेह के पुत्र योहानान और सब अभिमानी पुरुषों ने यिर्मयाह से कहा, तू झूठ बोलता है। हमारे परमेश्वर यहोवा ने तुझे यह कहने के लिये नहीं भेजा कि मिस्र में रहने के लिये मत जाओ;

3 परन्तु नेरिय्याह का पुत्र बारूक तुझ को हमारे विरुद्ध उकसाता है कि हम कसदियों के हाथ में पड़ें और वे हम को मार डालें वा बंधुआ कर के बाबुल को ले जाएं।

4 सो कारेह का पुत्र योहानान और दलों के सब प्रधानों और सब लोगों ने यहोवा की यह आज्ञा न मानी कि वे यहूदा के देश में ही रहें।

5 और कारेह का पुत्र योहानान और दलों के और सब प्रधान उन सब यहूदियों को जो अन्यजातियों के बीच तितरबितर हो गए थे, और उन में से लौटकर यहूदा देश में रहने लगे थे, वे उन को ले गए–

6 पुरुष, स्त्री, बाल-बच्चे, राजकुमारियां, और जितने प्राणियों को जल्लादों के प्रधान नबूजरदान ने गदल्याह को जो अहीकाम का पुत्र और शापान का पोता था, सौंप दिया था, उन को और यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता और नेरिय्याह के पुत्र बारूक को वे ले गए;

7 और यहोवा की आज्ञा न मान कर वे मिस्र देश में तहपन्हेस नगर तक आ गए।

8 तब यहोवा का यह वचन तहपन्हेस में यिर्मयाह के पास पहुंचा:

9 अपने हाथ से बड़े पत्थर ले, और यहूदी पुरुषों के साम्हने उस ईंट के चबूतरे में जो तहपन्हेस में फिरौन के भवन के द्वार के पास है, चूना फेर के छिपा दे,

10 और उन पुरुषों से कह, कि इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा, यों कहता है, देखो, मैं बाबुल के राजा अपने सेवक नबूकदनेस्सर को बुलवा भेजूंगा, और वह अपना सिंहासन इन पत्थरों के ऊपर जो मैं ने छिपा रखे हैं, रखेगा; और अपना छत्र इनके ऊपर तनवाएगा।

11 वह आके मिस्र देश को मारेगा, तब जो मरने वाले हों वे मृत्यु के वश में, जो बंधुए होने वाले हों वे बंधुआई में, और जो तलवार के लिये हें वे तलवार के वश में कर दिए जाएंगे।

12 मैं मिस्र के देवालयों में आग लगाऊंगा; और वह उन्हें फुंकवा देगा और बंधुआई में ले जाएगा; और जैसा कोई चरवाहा अपना वस्त्र ओढ़ता है, वैसा ही वह मिस्र देश को समेट लेगा; और तब बेखटके चला जाएगा।

13 वह मिस्र देश के सूर्यगृह के खम्भों को तुड़वा डालेगा; और मिस्र के देवालयों को आग लगा कर फूंकवा देगा।

यिर्मयाह 44

1 जितने यहूदी लोग मिस्र देश में मिग्दोल, तहपन्हेस और नोप नगरों और पत्रोस देश में रहते थे, उनके विषय यिर्मयाह के पास यह वचन पहुंचा,

2 इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा यों कहता है कि जो विपत्ति मैं यरूशलेम और यहूदा के सब नगरों पर डाल चुका हूँ, वह सब तुम लोगों ने देखी है। देखो, वे आज के दिन कैसे उजड़े हुए और निर्जन हैं,

3 क्योंकि उनके निवासियों ने वह बुराई की जिस से उन्होंने मुझे रिस दिलाई थी वे जा कर दूसरे देवताओं के लिये धूप जलाते थे और उनकी उपासना करते थे, जिन्हें न तो तुम और न तुम्हारे पुरखा जानते थे।

4 तौभी मैं अपने सब दास भविष्यद्वक्ताओं को बड़े यत्न से यह कहने के लिये तुम्हारे पास भेजता रहा कि यह घृणित काम मत करो, जिस से मैं घृणा रखता हूँ।

5 पर उन्होंने मेरी न सुनी और न मेरी ओर कान लगाया कि अपनी बुराई से फिरें और दूसरे देवताओं के लिये धूप न जलाएं।

6 इस कारण मेरी जलजलाहट और कोप की आग यहूदा के नगरों और यरूशलेम की सड़कों पर भड़क गई; और वे आज के दिन तक उजाड़ और सुनसान पड़े हैं।

7 अब यहोवा, सेनाओं का परमेश्वर, जो इस्राएल का परमेश्वर है, यों कहता है, तुम लोग क्यों अपनी यह बड़ी हानि करते हो, कि क्या पुरुष, क्या स्त्री, क्या बालक, क्या दूधपिउवा बच्चा, तुम सब यहूदा के बीच से नाश किए जाओ, और कोई न रहे?

8 क्योंकि इस मिस्र देश में जहां तुम परदेशी हो कर रहने के लिये आए हो, तुम अपने कामों के द्वारा, अर्थात दूसरे देवताओं के लिये धूप जला कर मुझे रिस दिलाते हो जिस से तुम नाश हो जाओगे ओर पृथ्वी भर की सब जातियों के लोग तुम्हारी जाति की नामधराई करेंगे और तुम्हारी उपमा देकर शाप दिया करेंगे।

9 जो जो बुराइयां तुम्हारे पुरखा, यहूदा के राजा और उनकी स्त्रियां, और तुम्हारी स्त्रियां, वरन तुम आप यहूदा देश और यरूशलेम की सड़कों में करते थे, क्या उसे तुम भूल गए हो?

10 आज के दिन तक उनका मन चूर नहीं हुआ ओर न वे डरते हैं; और न मेरी उस व्यवस्था और उन विधियों पर चलते हैं जो मैं ने तुम्हारे पूर्वजों को और तुम को भी सुनवाई हैं।

11 इस कारण इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा, यों कहता है, देखो, मैं तुम्हारे विरुद्ध हो कर तुम्हारी हानि करूंगा, ताकि सब यहूदियों का अन्त कर दूं।

12 और बचे हुए यहूदी जो हठ कर के मिस्र देश में आकर रहने लगे हैं, वे सब मिट जाएंगे; इस मिस्र देश में छोटे से ले कर बड़े तक वे तलवार और महंगी के द्वारा मर के मिट जाएंगे; और लोग उन्हें कोसेंगे और चकित होंगे; और उनकी उपमा देकर शाप दिया करेंगे और निन्दा भी करेंगे।

13 सो जैसा मैं ने यरूशलेम को तलवार, महंगी और मरी के द्वारा दण्ड दिया है, वैसा ही मिस्र देश में रहने वालों को भी दण्ड दूंगा,

14 कि जो बचे हुए यहूदी मिस्र देश में परदेशी हो कर रहने के लिये आए हैं, यद्यपि वे यहूदा देश में रहने के लिये लौटने की बड़ी अभिलाषा रखते हैं, तौभी उन में से एक भी बच कर वहां न लौटने पाएगा; केवल कुछ ही भागे हुओं को छोड़ कोई भी वहां न लौटने पाएगा।

15 तब मिस्र देश के पत्रोस में रहने वाले जितने पुरुष जानते थे कि उनकी स्त्रियां दूसरे देवताओं के लिये धूप जलाती हैं, और जितनी स्त्रियां बड़ी मण्डली में पास खड़ी थी, उन सभों ने यिर्मयाह को यह उत्तर दिया,

16 जो वचन तू ने हम को यहोवा के नाम से सुनाया है, उसको हम नहीं सुनने के।

17 जो जो मन्नतें हम मान चुके हैं उन्हें हम निश्चय पूरी करेंगी, हम स्वर्ग की रानी के लिये धूप जलाएंगे और तपावन देंगे, जैसे कि हमारे पुरखा लोग और हम भी अपने राजाओं और और हाकिमों समेत यहूदा के नगरों में और यरूशलेम की सड़कों में करते थे; क्योंकि उस समय हम पेट भर के खाते और भले चंगे रहते और किसी विपत्ति में नहीं पड़ते थे।

18 परन्तु जब से हम ने स्वर्ग की रानी के लिये धूप जलाना और तपावन देना छोड़ दिया, तब से हम को सब वस्तुओं की घटी है; और हम तलवार और महंगी के द्वारा मिट चले हैं।

19 और स्त्रियों ने कहा, जब हम स्वर्ग की रानी के लिये धूप जलातीं और चन्द्राकार रोटियां बनाकर तपावन देती थीं, तब अपने अपने पति के बिन जाने ऐसा नहीं करती थीं।

20 तब यिर्मयाह ने, क्या स्त्री, क्या पुरुष, जितने लोगों ने यह उत्तर दिया, उन सब से कहा,

21 तुम्हारे पुरखा और तुम जो अपने राजाओं और हाकिमों और लोगों समेत यहूदा देश के नगरों और यरूशलेम की सड़कों में धूप जलाते थे, क्या वह यहोवा के ध्यान में नहीं आया?

22 क्या उसने उसको स्मरण न किया? सो जब यहोवा तुम्हारे बुरे और सब घृणित कामों को और अधिक न सह सका, तब तुम्हारा देश उजड़ कर निर्जन और सुनसान हो गया, यहां तक कि लोग उसकी उपमा देकर शाप दिया करते हैं, जैसे कि आज होता है।

23 क्योंकि तुम धूप जलाकर यहोवा के विरुद्ध पाप करते और उसकी नहीं सुनते थे, और उसकी व्यवस्था और विधियों और चितौनियों के अनुसार नहीं चले, इस कारण यह विपत्ति तुम पर आ पड़ी है, जैसे कि आज है।

24 फिर यिर्मयाह ने उन सब लोगों से और उन सब स्त्रियों से कहा, हे सारे मिस्र देश में रहने वाले यहूदियो, यहोवा का वचन सुनो:

25 इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा, यों कहता है, कि तुम ने और तुम्हारी स्त्रियों ने मन्नतें मानी और यह कह कर उन्हें पूरी करते हो कि हम ने स्वर्ग की रानी के लिये धूप जलाने और तपावन देने की जो जो मन्नतें मानी हैं उन्हें हम अवश्य ही पूरी करेंगे; और तुम ने अपने हाथों से ऐसा ही किया। सो अब तुम अपनी अपनी मन्नतों को मान कर पूरी करो!

26 परन्तु हे मिस्र देश में रहने वाले सारे यहूदियो यहोवा का वचन सुनो: सुनो, मैं ने अपने बड़े नाम की शपथ खाई है कि अब पूरे मिस्र देश में कोई यहूदी मनुष्य मेरा नाम ले कर फिर कभी यह न कहने पाएगा कि “प्रभु यहोवा के जीवन की सौगन्ध”।

27 सुनो, अब मैं उनकी भलाई नहीं, हानि ही की चिन्ता करूंगा; सो मिस्र देश में रहने वाले सब यहूदी, तलवार और महंगी के द्वारा मिटकर नाश हो जाएंगे जब तक कि उनका सर्वनाश न हो जाए।

28 और जो तलवार से बच कर और मिस्र देश से लौट कर यहूदा देश में पहुंचेंगे, वे थोड़े ही होंगे; और मिस्र देश में रहने के लिये आए हुए सब यहूदियों में से जो बच पाएंगे, वे जान लेंगे कि किसका वचन पूरा हुआ, मेरा वा उनका।

29 इस बात का मैं यह चिन्ह देता हूं, यहोवा की यह वाणी है, कि मैं तुम्हें इसी स्थान में दण्ड दूंगा, जिस से तुम जान लोगे कि तुम्हारी हानि करने में मेरे वचन निश्चय पूरे होंगे।

30 यहोवा यों कहता हे, देखो, जैसा मैं ने यहूदा के राजा सिदकिय्याह को उसके शत्रु अर्थात उसके प्राण के खोजी बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के हाथ में कर दिया, वैसे ही मैं मिस्र के राजा फिरौन होप्रा को भी उसके शत्रुओं के, अर्थात उसके प्राण के खोजियों के हाथ में कर दूंगा।

यिर्मयाह 45

1 योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के चौथे वर्ष में, जब नेरिय्याह का पुत्र बारूक यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता से भविष्यद्वाणी के ये वचन सुन कर पुस्तक में लिख चुका था,

2 तब उसने उस से यह वचन कहा, कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, तुझ से यों कहता है,

3 हे बारूक, तू ने कहा, हाय मुझ पर! क्योंकि यहोवा ने मुझे दु:ख पर दु:ख दिया है; मैं कराहते कराहते थक गया और मुझे कुछ चैन नहीं मिलता।

4 तू यों कह, यहोवा यों कहता है, कि देख, इस सारे देश को जिसे मैं ने बनाया था, उसे मैं आप ढा दूंगा, और जिन को मैं ने रोपा था, उन्हें स्वयं उखाड़ फेंकूंगा।

5 इसलिये सुन, क्या तू अपने लिये बड़ाई खोज रहा है? उसे मत खोज; क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि मैं सारे मनुष्यों पर विपत्ति डालूंगा; परन्तु जहां कहीं तू जाएगा वहां मैं तेरा प्राण बचा कर तुझे जीवित रखूंगा।

यिर्मयाह 46

1 अन्यजातियों के विषय यहोवा का जो वचन यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के पास पहुंचा, वह यह है।

2 मिस्र के विषय। मिस्र के राजा फिरौन निको की सेना जो परात महानद के तीर पर कर्कमीश में थी, और जिसे बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के चौथे वर्ष में जीत लिया था,

3 उससेना के विषय:–ढालें और फरियां तैयार कर के लड़ने को निकट चले आओ।

4 घोड़ों को जुतवाओ; और हे सवारो, घोड़ों पर चढ़ कर टोप पहिने हुए खड़े हो जाओ; भालों को पैना करो, झिलमों को पहिन लो!

5 मैं क्यों उन को व्याकुल देखता हूँ? वे विस्मित हो कर पीछे हट गए। उनके शूरवीर गिराए गए और उतावली कर के भाग गए; वे पीछे देखते भी नहीं; क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि चारों ओर भय ही भय है!

6 न वेग चलने वाला भागने पाएगा और न वीर बचने पाएगा; क्योंकि उत्तर दिशा में परात महानद के तीर पर वे सब ठोकर खाकर गिर पड़े।

7 यह कौन है, जो नील नदी की नाईं, जिसका जल महानदों का सा उछलता है, बढ़ा चला आता है?

8 मिस्र नील नदी की नाईं बढ़ता है, उसका जल महानदों का सा उछलता है। वह कहता है, मैं चढ़कर पृथ्वी को भर दूंगा, मैं नगरों को उनके निवासियों समेत नाश कर दूंगा।

9 हे मिस्री सवारो आगे बढ़ो, हे रथियो बहुत ही वेग से चलाओ! हे ढाल पकड़ने वाले कूशी और पूती वीरो, हे धनुर्धारी लूदियो चले आओ।

10 क्योंकि वह दिन सेनाओं के यहोवा प्रभु के बदला लेने का दिन होगा जिस में वह अपने द्रोहियों से बदला लेगा। सो तलवार खाकर तृप्त होगी, और उनका लोहू पीकर छक जाएगी। क्योंकि, उत्तर के देश में परात महानद के तीर पर, सेनाओं के यहोवा प्रभु का यज्ञ है।

11 हे मिस्र की कुमारी कन्या, गिलाद को जा कर बलसान औषधि ले; तू व्यर्थ ही बहुत इलाज करती है, तू चंगी नहीं होगी!

12 क्योंकि सब जाति के लोगों ने सुना है कि तू नीच हो गई और पृथ्वी तेरी चिल्लाहट से भर गई है; वीर से वीर ठोकर खाकर गिर पड़े; वे दोनों एक संग गिर गए हैं।

13 यहोवा ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता से यह वचन भी कहा कि बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर क्योंकर आकर मिस्र देश को मार लेगा:

14 मिस्र में वर्णन करो, और मिग्दोल में सुनाओ; हां, ओर नोप और तहपन्हेस में सुना कर यह कहो कि खड़े हो कर तैयार हो जाओ; क्योंकि तुम्हारे चारों ओर सब कुछ तलवार खा गई है।

15 तेरे बलवन्त जन क्यों बिलाय गए हैं? वे इस कारण खड़े न रह सके क्योंकि यहोवा ने उन्हें ढकेल दिया।

16 उसने बहुतों को ठोकर खिलाई, वे एक दूसरे पर गिर पड़े; और वे कहने लगे, उठो, चलो, हम अन्धेर करने वाले की तलवार के डर के मारे अपने अपने लोगों ओर अपनी अपनी जन्मभूमि में फिर लौट जाएं।

17 वहां वे पुकार के कहते हैं, मिस्र का राजा फिरौन सत्यानाश हुआ; क्योंकि उसने अपना बहुमूल्य अवसर खो दिया।

18 वह राजाधिराज जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है, उसकी यह वाणी है कि मेरे जीवन की सौगन्ध, जैसा ताबोर अन्य पहाड़ों में, और जैसा कमल समुद्र के किनारे है, वैसा ही वह आएगा।

19 हे मिस्र की रहने वाली पुत्री! बंधुआई में जाने का सामान तैयार कर, क्योंकि नोप नगर उजाड़ और ऐसा भस्म हो जाएगा कि उस में कोई भी न रहेगा।

20 मिस्र बहुत ही सुन्दर बछिया तो है, परन्तु उत्तर दिशा से नाश चला आता है, वह आ ही गया है।

21 उसके जो सिपाही किराये पर आए हैं वह पोसे हुए बछड़ों के समान हैं; उन्होंने मुंह मोड़ा, और एक संग भाग गए, वे खड़े नहीं रहे; क्योंकि उनकी विपत्ति का दिन और दण्ड पाने का समय आ गया।

22 उसकी आहट सर्प के भागने की सी होगी; क्योंकि वे वृक्षों के काटने वालों की सेना और कुल्हाडिय़ां लिए हुए उसके विरुद्ध चढ़ आएंगे।

23 यहोवा की यह वाणी है, कि चाहे उसका वन बहुत ही घना हो, परन्तु वे उसको काट डालेंगे, क्योंकि वे टिड्डियों से भी अधिक अनगिनित हैं।

24 मिस्री कन्या लज्जित होगी, वह उत्तर दिशा के लोगों के वश में कर दी जाएगी।

25 इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा कहता है, देखो, मैं नगरवासी आमोन और फिरौन राजा और मिस्र को उसके सब देवताओं और राजाओं समेत और फिरौन को उन समेत जो उस पर भरोसा रखते हैं दण्ड देने पर हूँ।

26 मैं उन को बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर और उसके कर्मचारियों के वश में कर दूंगा जो उनके प्राण के खोजी हैं। उसके बाद वह प्राचीनकाल की नाईं फिर बसाया जाएगा, यहोवा की यह वाणी है।

27 परन्तु हे मेरे दास याकूब, तू मत डर, और हे इस्राएल, विस्मित न हो; क्योंकि मैं तुझे और तेरे वंश को बंधुआई के दूर देश से छुड़ा ले आऊंगा। याकूब लौटकर चैन और सुख से रहेगा, और कोई उसे डराने न पाएगा।

28 हे मेरे दास याकूब, यहोवा की यह वाणी है, कि तू मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ। ओर यद्यपि मैं उन सब जातियों का अन्त कर डालूंगा जिन में मैं ने तुझे बरबस निकाल दिया है, तौभी तेरा अन्त न करूंगा। मैं तेरी ताड़ना विचार कर के करूंगा, परन्तु तुझे किसी प्रकार से निर्दोष न ठहराऊंगा।

यिर्मयाह 47

1 फिरोन के गज़्जा नगर को जीत लेने से पहिले यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के पास पलिश्तियों के विषय यहोवा का यह वचन पहुंचा:

2 यहोवा यों कहता है कि देखो, उत्तर दिशा से उमण्डने वाली नदी देश को उस सब समेत जो उस में है, और निवासियों समेत नगर को डुबो लेगी। तब मनुष्य चिल्लाएंगे, वरन देश के सब रहने वाले हाय-हाय करेंगे।

3 शत्रुओं के बलवन्त घोड़ों की टाप, रथों के वेग चलने और उनके पहियों के चलने का कोलाहल सुन कर पिता के हाथ-पांव ऐसे ढीले पड़ जाएंगे, कि वह मुंह मोड़ कर अपने लड़कों को भी न देखेगा।

4 क्योंकि सब पलिश्तियों के नाश होने का दिन आता है; और सोर और सिदोन के सब बचे हुए सहायक मिट जाएंगे। क्योंकि यहोवा पलिश्तियों को जो कप्तोर नाम समुद्र तीर के बचे हुए रहने वाले हैं, उन को भी नाश करने पर है।

5 गज़्जा के लोग सिर मुड़ाए हैं, अश्कलोन जो पलिश्तियों के नीचान में अकेला रह गया है, वह भी मिटाया गया है; तू कब तक अपनी देह चीरता रहेगा?

6 हे यहोवा की तलवार! तू कब तक शान्त न होगी? तू अपनी मियान में घुस जा, शान्त हो, और थमी रह!

7 तू क्योंकर थम सकती है? क्योंकि यहोवा ने तुझ को आज्ञा देकर अश्कलोन और समुद्रतीर के विरुद्ध ठहराया है।

यिर्मयाह 48

1 मोआब के विषय इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा यों कहता है: नबू पर हाय, क्योंकि वह नाश हो गया! किर्यातैम की आशा टूट गई, वह ले लिया गया है; ऊंचा गढ़ निराश और विस्मित हो गया है।

2 मोआब की प्रशंसा जाती रही। हेशबोन में उसकी हानि की कल्पना की गई है: आओ, हम उसको ऐसा नाश करें कि वह राज्य न रह जाए। हे मदमेन, तू भी सुनसान हो जाएगा; तलवार तेरे पीछे पड़ेगी।

3 होरोनैम से चिल्लाहट का शब्द सुनो! नाश और बड़े द:ख का शब्द सुनाईं देता है!

4 मोआब का सत्यानाश हो रहा है; उसके नन्हे बच्चों की चिल्लाहट सुन पड़ी।

5 क्योंकि लूहीत की चढ़ाई में लोग लगातार रोते हुए चढ़ेंगे; और होरोनैम की उतार में नाश की चिल्लाहट का संकट हुआ है।

6 भागो! अपना अपना प्राण बचाओ! उस अधमूए पेड़ के समान हो जाओ जंगल में होता है!

7 क्योंकि तू जो अपने कामों और सम्पत्ति पर भरोसा रखता है, इस कारण तू भी पकड़ा जाएगा; और कमोश देवता भी अपने याजकों और हाकिमों समेत बंधुआई में जाएगा।

8 यहोवा के वचन के अनुसार नाश करने वाले तुम्हारे हर एक नगर पर चढ़ाई करेंगे, और कोई नगर न बचेगा; नीचान वाले और पहाड़ पर की चौरस भूमि वाले दोनों नाश किए जाएंगे।

9 मोआब के पंख लगा दो ताकि वह उड़कर दूर हो जाए; क्योंकि उसके नगर ऐसे उजाड़ हो जाएंगे कि उन में कोई भी न बसने पाएगा।

10 शापित है वह जो यहोवा का काम आलस्य से करता है; और वह भी जो अपनी तलवार लोहू बहाने से रोक रखता है।

11 मोआब बचपन ही से सुखी है, उसके नीचे तलछट है, वह एक बरतन से दूसरे बरतन में उण्डेला नहीं गया और न बंधुआई में गया; इसलिये उसका स्वाद उस में स्थिर है, और उसकी गन्ध ज्यों की त्यों बनी रहती है।

12 इस कारण यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आएंगे, कि मैं लोगों को उसके उण्डेलने के लिये भेजूंगा, और वे उसको उण्डेलेंगे, और जिन घड़ों में वह रखा हुआ है, उन को छूछे कर के फोड़ डालेंगे।

13 तब जैसे इस्राएल के घराने को बेतेल से लज्जित होना पड़ा, जिस पर वे भरोसा रखते थे, वैसे ही मोआबी लोग कमोश से लज्जित हांगे।

14 तुम कैसे कह सकते हो कि हम वीर और पराक्रमी योद्धा हैं?

15 मोआब तो नाश हुआ, उसके नगर भस्म हो गए और उसके चुने हुए जवान घात होने को उतर गए, राजाधिराज, जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है, उसकी यही वाणी है।

16 मोआब की विपत्ति निकट आ गई, और उसके संकट में पड़ने का दिन बहुत ही वेग से आता है।

17 उसके आस पास के सब रहने वालो, और उसकी कीर्ति के सब जानने वालो, उसके लिये विलाप करो; कहो हाय! यह मजबूत सोंटा और सुन्दर छड़ी कैसे टूट गई है?

18 हे दीबोन की रहने वाली तू अपना वैभव छोड़कर प्यासी बैठी रह! क्योंकि मोआब के नाश करने वाले ने तुझ पर चढ़ाई कर के तेरे दृढ़ गढ़ों को नाश किया है।

19 हे अरोएर की रहने वाली तू मार्ग में खड़ी हो कर ताकती रह! जो भागता है उस से, और जो बच निकलती है उस से पूछ, कि, क्या हुआ है?

20 मोआब की आशा टूटेगी, वह विस्मित हो गया; तुम हाय हाय करो और चिल्लाओ; अर्नोन में भी यह बताओ कि मोआब नाश हुआ है।

21 चौरस भूमि के देश में होलोन,

22 यहसा, मेपात, दीबोन, नबो, बेतदिबलातैम,

23 और किर्य्यातैम, बेतगामूल, बेतमोन,

24 और करिय्योत, बोस्रा, और क्या दूर क्या निकट, मोआब देश के सारे नगरों में दण्ड की आज्ञा पूरी हुई है।

25 यहोवा की यह वाणी है, मोआब का सींग कट गया, और भुजा टूट गई है।

26 उसको मतवाला करो, क्योंकि उसने यहोवा के विरुद्ध बड़ाई मारी है; इसलिये मोआब अपनी छांट में लोटेगा, और ठट्ठों में उड़ाया जाएगा।

27 क्या तू ने भी इस्राएल को ठट्ठों में नहीं उड़ाया? क्या वह चोरों के बीच पकड़ा गया था कि जब तू उसकी चर्चा करता तब तू सिर हिलाता था?

28 हे मोआब के रहने वालो अपने अपने नगर को छोड़ कर ढांग की दरार में बसो! उस पण्डुकी के समान हो जो गुफा के मुंह की एक ओर घोंसला बनाती हो।

29 हम ने मोआब के गर्व के विषय में सुना है कि वह अत्यन्त अभिमानी है; उसका गर्व, अभिमान और अहंकार, और उसका मन फूलना प्रसिद्ध है।

30 यहोवा की यह वाणी है, मैं उसके रोष को भी जानता हूँ कि वह व्यर्थ ही है, उसके बड़े बोल से कुछ बन न पड़ा।

31 इस कारण मैं मोआबियों के लिये हाय-हाय करूंगा; हां मैं सारे मोआबियों के लिये चिल्लाऊंगा; कीर्हेरेस के लोगों के लिये विलाप किया जाएगा।

32 हे सिबमा की दाखलता, मैं तुम्हारे लिये याजेर से भी अधिक विलाप करूंगा! तेरी डालियां तो ताल के पार बढ़ गई, वरन याजेर के ताल तक भी पहुंची थीं; पर नाश करने वाला तेरे धूपकाल के फलों पर, और तोड़ी हुई दाखों पर भी टूट पड़ा है।

33 फलवाली बारियों से और मोआब के देश से आनन्द और मगन होना उठ गया है; मैं ने ऐसा किया कि दाखरस के कुण्डों में कुछ दाखमधु न रहा; लोग फिर ललकारते हुए दाख न रौंदेंगे; जो ललकार होने वाली है, वह अब नहीं होगी।

34 हेशबोन की चिल्लाहट सुन कर लोग एलाले और यहस तक, और सोआर से होरोनैम और एग्लतशलीशिया तक भी चिल्लाते हुए भागे चले गए हैं। क्योंकि निम्रीम का जल भी सूख गया है।

35 और यहोवा की यह वाणी है, कि मैं ऊंचे स्थान पर चढ़ावा चढ़ाना, और देवताओं के लिये धूप जलाना, दोनों को मोआब में बन्द कर दूंगा।

36 इस कारण मेरा मन मोआब और कीर्हेरेस के लोगों के लिये बांसुली सा रो रोकर आलापता है, क्योंकि जो कुछ उन्होंने कमा कर बचाया है, वह नाश हो गया है।

37 क्योंकि सब के सिर मुंड़े गए और सब की दाढिय़ां नोची गई; सब के हाथ चीरे हुए, और सब की कमरों में टाट बन्धा हुआ है।

38 मोआब के सब घरों की छतों पर और सब चौंकों में रोना पीटना हो रहा है; क्योंकि मैं ने मोआब को तुच्छ बरतन की नाईं तोड़ डाला है यहोवा की यह वाणी है।

39 मोआब कैसे विस्मित हो गया! हाय, हाय, करो! क्योंकि उसने कैसे लज्जित हो कर पीठ फेरी है! इस प्रकार मोआब के चारों ओर के सब रहने वाले उसका ठट्ठा करेंगे और विस्मित हो जाएंगे।

40 क्योंकि यहोवा यों कहता है, देखो, वह उकाब सा उड़ेगा और मोआब के ऊपर अपने पंख फैलाएगा।

41 करिय्योत ले लिया गया, और गढ़ वाले नगर दूसरों के वश में पड़ गए। उस दिन मोआबी वीरों के मन जच्चा स्त्री के से हो जाएंगे;

42 और मोआब ऐसा तितर-बितर हो जाएगा कि उसका दल टूट जाएगा, क्योंकि उसने यहोवा के विरुद्ध बड़ाई मारी है।

43 यहोवा की यह वाणी है कि हे मोआब के रहने वाले, तेरे लिये भय और गड़हा और फन्दे ठहराए गए हैं।

44 जो कोई भय से भागे वह गड़हे में गिरेगा, और जो कोई गड़हे में से निकले, वह फन्दे में फंसेगा। क्योंकि मैं मोआब के दण्ड का दिन उस पर ले आऊंगा, यहोवा की यही वाणी है।

45 जो भागे हुए हैं वह हेशबोन में शरण ले कर खड़े हो गए हैं; परन्तु हेशबोन से आग और सीहोन के बीच से लौ निकली, जिस से मोआब देश के कोने और बलवैयों के चोण्डे भस्म हो गए हैं।

46 हे मोआब तुझ पर हाय! कमोश की प्रजा नाश हो गई; क्योंकि तेरे स्त्री-पुरुष दोनों बंधुआई में गए हैं।

47 तौभी यहोवा की यह वाणी है, कि अन्त के दिनों में मैं मोआब को बंधुआई से लौटा ले आऊंगा। मोआब के दण्ड का वचन यहीं तक हुआ।