यहेजकेल 12

1 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

2 हे मनुष्य के सन्तान, तू बलवा करने वाले घराने के बीच में रहता है, जिनके देखने के लिये आंखें तो हैं, परन्तु नहीं देखते; और सुनने के लिये कान तो हैं परन्तु नहीं सुनते; क्योंकि वे बलवा करने वाले घराने के हैं।

3 इसलिये हे मनुष्य के सन्तान दिन को बंधुआई का सामान, तैयार कर के उनके देखते हुए उठ जाना, उनके देखते हुए अपना स्थान छोड़ कर दूसरे स्थान को जाना। यद्यपि वे बलवा करने वाले घराने के हैं, तौभी सम्भव है कि वे ध्यान दें।

4 सो तू दिन को उनके देखते हुए बंधुआई के सामान की नाईं अपना सामान निकालना, और तब तू सांझ को बंधुआई में जाने वाले के समान उनके देखते हुए उठ जाना।

5 उनके देखते हुए भीत को फोड़कर उसी से अपना सामान निकालना।

6 उनके देखते हुए उसे अपने कंधे पर उठा कर अन्धेरे में निकालना, और अपना मुंह ढांपे रहना कि भूमि तुझे न देख पड़े; क्योंकि मैं ने तुझे इस्राएल के घराने के लिये एक चिन्ह ठहराया है।

7 उस आज्ञा के अनुसार मैं ने वैसा ही किया। दिन को मैं ने अपना सामान बंधुआई के सामान की नाईं निकाला, और सांझ को अपने हाथ से भीत को फोड़ा; फिर अन्धेरे में सामान को निकाल कर, उनके देखते हुए अपने कंधे पर उठाए हुए चला गया।

8 बिहान को यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

9 हे मनुष्य के सन्तान, क्या इस्राएल के घराने ने अर्थात उस बलवा करने वाले घराने ने तुझ से यह नहीं पूछा, कि यह तू क्या करता है?

10 तू उन से कह कि प्रभु यहोवा यों कहता है, यह प्रभावशाली वचन यरूशलेम के प्रधान पुरुष और इस्राएल के सारे घराने के विष्य में है जिसके बीच में वे रहते हैं।

11 तू उन से कह, मैं तुम्हारे लिये चिन्ह हूँ; जैसा मैं ने किया है, वैसा ही इस्राएली लोगों से भी किया जाएगा; उन को उठ कर बंधुआई में जाना पड़ेगा।

12 उनके बीच में जो प्रधान है, सो अन्धेरे में अपने कंधे पर बोझ उठाए हुए निकलेगा; वह अपना सामान निकालने के लिये भीत को फोड़ेगा, और अपना मुंह ढांपे रहेगा कि उसको भूमि न देख पड़े।

13 और मैं उस पर अपना जाल फैलाऊंगा, और वह मेरे फंदे में फंसेगा; और मैं उसे कसदियों के देश के बाबुल में पहुंचा दूंगा; यद्यपि वह उस नगर में मर जाएगा, तौभी उसको न देखेगा।

14 और जितने उसके सहायक उसके आस पास होंगे, उन को और उसकी सारी टोलियों को मैं सब दिशाओं में तितर-बितर कर दूंगा; और तलवार खींच कर उनके पीछे चलवाऊंगा।

15 और जब मैं उन्हे जाति जाति में तितर-बितर कर दूंगा, और देश देश में छिन्न भिन्न कर दूंगा, तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।

16 परन्तु मैं उन में से थोड़े से लोगों को तलवार, भूख और मरी से बचा रखूंगा; और वे अपने घृणित काम उन जातियों में बखान करेंगे जिनके बीच में वे पहुंचेंगे; तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।

17 तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

18 हे मनुष्य के सन्तान, कांपते हुए अपनी रोटी खाना और थरथराते और चिन्ता करते हुए अपना पानी पीना;

19 और इस देश के लोगों से यों कहना, कि प्रभु यहोवा यरूशलेम और इस्राएल के देश के निवासियों के विषय में यों कहता है, वे अपनी रोटी चिन्ता के साथ खाएंगे, और अपना पानी विस्मय के साथ पीएंगे; क्योंकि देश अपने सब रहने वालों के उपद्रव के कारण अपनी सारी भरपूरी से रहित हो जाएगा।

20 और बसे हुए नगर उजड़ जाएंगे, और देश भी उजाड़ हो जाएगा; तब तुम लोग जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।

21 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

22 हे मनुष्य के सन्तान यह क्या कहावत है जो तुम लोग इस्राएल के देश में कहा करते हो, कि दिन अधिक हो गए हैं, और दर्शन की कोई बात पूरी नहीं हुई?

23 इसलिये उन से कह, प्रभु यहोवा यों कहता है, मैं इस कहावत को बन्द करूंगा; और यह कहावत इस्राएल पर फिर न चलेगी। और तू उन से कह कि वह दिन निकट आ गया है, और दर्शन की सब बातें पूरी होने पर हैं।

24 क्योंकि इस्राएल के घराने में न तो और अधिक झूठे दर्शन की कोई बात और न कोई चिकनी-चुपड़ी बात फिर कही जाएगी।

25 क्योंकि मैं यहोवा हूँ; जब मैं बोलूं, तब जो वचन मैं कहूं, वह पूरा हो जाएगा। उस में विलम्ब न होगा, परन्तु, हे बलवा करने वाले घराने तुम्हारे ही दिनों में मैं वचन कहूंगा, और वह पूरा हो जाएगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

26 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

27 हे मनुष्य के सन्तान, देख, इस्राएल के घराने के लोग यह कह रहे हैं कि जो दर्शन वह देखता है, वह बहुत दिन के बाद पूरा होने वाला है; और कि वह दूर के समय के विषय में भविष्यद्वाणी करता है।

28 इसलिये तू उन से कह, प्रभु यहोवा यों कहता है, मेरे किसी वचन के पूरा होने में फिर विलम्ब न होगा, वरन जो वचन मैं कहूं, सो वह निश्चय पूरा होगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

यहेजकेल 13

1 यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

2 हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल के जो भविष्यद्वक्ता अपने ही मन से भविष्यवाणी करते हैं, उनके विरुद्ध भविष्यवाणी कर के तू कह, यहोवा का वचन सुनो।

3 प्रभु यहोवा यों कहता है, हाय, उन मूढ़ भविष्यद्वक्ताओं पर जो अपनी ही आत्मा के पीछे भटक जाते हैं, और कुछ दर्शन नहीं पाया!

4 हे इस्राएल, तेरे भविष्यद्वक्ता खण्डहरों में की लोमडिय़ों के समान बने हैं।

5 तुम ने नाकों में चढ़ कर इस्राएल के घराने के लिये भीत नहीं सुधारी, जिस से वे यहोवा के दिन युद्ध में स्थिर रह सकते।

6 वे लोग जो कहते हैं, यहोवा की यह वाणी है, उन्होंने भावी का व्यर्थ और झूठा दावा किया है; और तब भी यह आशा दिलाई कि यहोवा यह वचन पूरा करेगा; तौभी यहोवा ने उन्हें नहीं भेजा।

7 क्या तुम्हारा दर्शन झूठा नहीं है, और क्या तुम झूठमूठ भावी नहीं कहते? तुम कहते हो, कि यहोवा की यह वाणी है; परन्तु मैं ने कुछ नहीं कहा है।

8 इस कारण प्रभु यहोवा तुम से यों कहता है, तुम ने जो व्यर्थ बात कही और झूठे दर्शन देखे हैं, इसलिये मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

9 जो भविष्यद्वक्ता झूठे दर्शन देखते और झूठमूठ भावी कहते हैं, मेरा हाथ उनके विरुद्ध होगा, और वे मेरी प्रजा की गोष्ठी में भागी न होंगे, न उनके नाम इस्राएल की नामावली में लिखे जाएंगे, और न वे इस्राएल के देश में प्रवेश करने पाएंगे; इस से तुम लोग जान लोगे कि मैं प्रभु यहोवा हूँ।

10 क्योंकि हां, क्योंकि उन्होंने “शान्ति है”, ऐसा कहकर मेरी प्रजा को बहकाया है जब कि शान्ति नहीं है; और इसलिये कि जब कोई भीत बनाता है तब वे उसकी कच्ची लेसाई करते हैं।

11 उन कच्ची लेसाई करने वालों से कह कि वह गिर जाएगी। क्योंकि बड़े जोर की वर्षा होगी, और बड़े बड़े ओले भी गिरेंगे, और प्रचण्ड आंधी उसे गिराएगी।

12 सो जब भीत गिर जाएगी, तब क्या लोग तुम से यह न कहेंगे कि जो लेसाई तुम ने की वह कहां रही?

13 इस कारण प्रभु यहोवा तुम से यों कहता है, मैं जल कर उसको प्रचण्ड आंधी के द्वारा गिराऊंगा; और मेरे कोप से भारी वर्षा होगी, और मेरी जलजलाहट से बड़े बड़े ओले गिरेंगे कि भीत को नाश करें।

14 इस रीति जिस भीत पर तुम ने कच्ची लेसाई की है, उसे मैं ढा दूंगा, वरन मिट्टी में मिलाऊंगा, और उसकी नेव खुल जाएगी; और जब वह गिरेगी, तब तुम भी उसके नीचे दब कर नाश होगे; और तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।

15 इस रीति मैं भीत और उसकी कच्ची लेसाई करने वाले दोनों पर अपनी जलजलाहट पूर्ण रीति से भड़काऊंगा; फिर तुम से कहूंगा, न तो भीत रही,और न उसके लेसने वाले रहे,

16 अर्थात इस्राएल के वे भविष्यद्वक्ता जो यरूशलेम के विषय में भविष्यद्वाणी करते और उनकी शान्ति का दर्शन बताते थे, परन्तु प्रभु यहोवा की यह वाणी है, कि शान्ति है ही नहीं।

17 फिर हे मनुष्य के सन्तान, तू अपने लोगों की स्त्रियों से विमुख हो कर, जो अपने ही मन से भविष्यद्वाणी करती हे; उनके विरुद्ध भविष्यद्वाणी कर के कह,

18 प्रभु यहोवा यों कहता है, जो स्त्रियां हाथ के सब जोड़ो के लिये तकिया सीतीं और प्राणियों का अहेर करने को सब प्रकार के मनुष्यों की आंख ढांपने के लिये कपड़े बनाती हैं, उन पर हाय! क्या तुम मेरी प्रजा के प्राणों का अहेर कर के अपने निज प्राण बचा रखोगी?

19 तुम ने तो मुट्ठी मुट्ठी भर जव और रोटी के टुकड़ों के बदले मुझे मेरी प्रजा की दृष्टि में अपवित्र ठहरा कर, और अपनी उन झूठी बातों के द्वारा, जो मेरी प्रजा के लोग तुम से सुनते हैं, जो नाश के योग्य न थे, उन को मार डाला; और जो बचने के योग्य न थे उन प्राणों को बचा रखा है।

20 इस कारण प्रभु यहोवा तुम से यों कहता है, देखो, मैं तुम्हारे उन तकियों के विरुद्ध हूं, जिनके द्वारा तुम प्राणों का अहेर करती हो, इसलिये जिन्हें तुम अहेर कर कर के उड़ाती हो उन को मैं तुम्हारी बांह पर से छीन कर उन को छुड़ा दूंगा।

21 मैं तुम्हारे सिर के बुर्के को फाड़ कर अपनी प्रजा के लोगों को तुम्हारे हाथ से छुड़ाऊंगा, और आगे को वे तुम्हारे वश में न रहेंगे कि तुम उनका अहेर कर सको ; तब तुम जान लोगी कि मैं यहोवा हूँ।

22 तुम ने जो झूठ कह कर धमीं के मन को उदास किया है, यद्यपि मैं ने उसको उदास करना नहीं चाहा, और तुम ने दुष्ट जन को हियाव बन्धाया है, ताकि वह अपने बुरे मार्ग से न फिरे और जीवित रहे।

23 इस कारण तुम फिर न तो झूठा दर्शन देखोगी, और न भावी कहोगी; क्योंकि मैं अपनी प्रजा को तुम्हारे हाथ से छुड़ाऊंगा। तब तुम जान लोगी कि मैं यहोवा हूँ।

यहेजकेल 14

1 फिर इस्राएल के कितने पुरनिये मेरे पास आकर मेरे साम्हने बैठ गए।

2 तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

3 हे मनुष्य के सन्तान, इन पुरुषों ने तो अपनी मूरतें अपने मन में स्थापित कीं, और अपने अधर्म की ठोकर अपने साम्हने रखी है; फिर क्या वे मुझ से कुछ भी पूछने पाएंगे?

4 सो तू उन से कह, प्रभु यहोवा यों कहता है, कि इस्राएल के घराने में से जो कोई अपनी मूरतें अपने मन में स्थापित कर के, और अपने अधर्म की ठोकर अपने साम्हने रखकर भविष्यद्वक्ता के पास आए, उसको, मैं यहोवा, उसकी बहुत सी मूरतों के अनुसार ही उत्तर दूंगा,

5 जिस से इस्राएल का घराना, जो अपनी मूरतों के द्वारा मुझे त्याग कर दूर हो गया है, उन्हें मैं उन्हीं के मन के द्वारा फंसाऊंगा।

6 सो इस्राएल के घराने से कह, प्रभु यहोवा यों कहता हे, फिरो और अपनी मूरतों को पीठ के पीछे करो; और अपने सब घृणित कामों से मुंह मोड़ो।

7 क्योंकि इस्राएल के घराने में से और उसके बीच रहने वाले परदेशियों में से भी कोई क्यों न हो, जो मेरे पीछे हो लेना छोड़ कर अपनी मूरतें अपने मन में स्थापित करे, और अपने अधर्म की ठोकर अपने साम्हने रखे, और तब मुझ से अपनी कोई बात पूछने के लिये भविष्यद्वक्ता के पास आए, तो उसको, मैं यहोवा आप ही उत्तर दूंगा।

8 और मैं उस मनुष्य के विरुद्ध हो कर उसको विस्मित करूंगा, और चिन्ह ठहराऊंगा; और उसकी कहावत चलाऊंगा और उसे अपनी प्रजा में से नाश करूंगा; तब तुम लोग जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।

9 और यदि भविष्यद्वक्ता ने धोखा खाकर कोई वचन कहा हो, तो जानो कि मुझ यहोवा ने उस भविष्यद्वक्ता को धोखा दिया है; और मैं अपना हाथ उसके विरुद्ध बढ़ा कर उसे अपनी प्रजा इस्राएल में से नाश करूंगा।

10 वे सब लोग अपने अपने अधर्म का बोझ उठाएंगे, अर्थात जैसा भविष्यद्वक्ता से पूछने वाले का अधर्म ठहरेगा, वैसा ही भविष्यद्वक्ता का भी अधर्म ठहरेगा।

11 ताकि इस्राएल का घराना आगे को मेरे पीछे हो लेना न छोड़े और न अपने भांति भांति के अपराधों के द्वारा आगे को अशुद्ध बने; वरन वे मेरी प्रजा बनें और मैं उनका परमेश्वर ठहरूं, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

12 और यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

13 हे मनुष्य के सन्तान, जब किसी देश के लोग मुझ से विश्वासघात कर के पापी हो जाएं, और मैं अपना हाथ उस देश के विरुद्ध बढ़ा कर उसका अन्नरूपी आधार दूर करूं, और उस में अकाल डालकर उस में से मनुष्य और पशु दोनों को नाश करूं,

14 तब चाहे उस में नूह, दानिय्येल और अय्यूब ये तीनों पुरुष हों, तौभी वे अपने धर्म के द्वारा केवल अपने ही प्राणों को बचा सकेंगे; प्रभु यहोवा की यही वाणी हे।

15 यदि मैं किसी देश में दुष्ट जन्तु भेजूं जो उसको निर्जन कर के उजाड़ कर डालें, और जन्तुओं के कारण कोई उस में हो कर न जाएं,

16 तो चाहे उसे में वे तीन पुरुष हों, तौभी प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, न वे पुत्रों को ओर न पुत्रियों को बचा सकेंगे; वे ही अकेले बचेंगे; परन्तु देश उजाड़ हो जाएगा।

17 और यदि मैं उस देश पर तलवार खींचकर कहूं, हे तलवार उस देश में चल; और इस रीति मैं उस में से मनुष्य और पशु नाश करूं,

18 तब चाहे उस में वे तीन पुरुष भी हों, तौभी प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, न तो वे पुत्रों को और न पुत्रियों को बचा सकेंगे, वे ही अकेले बचेंगे।

19 यदि मैं उस देश में मरी फैलाऊं और उस पर अपनी जलजलाहट भड़का कर उसका लोहू ऐसा बहाऊं कि वहां के मनुष्य और पशु दोनों नाश हों,

20 तो चाहे नूह, दानिय्येल और अय्यूब भी उस में हों, तौभी, प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, वे न पुत्रों को और न पुत्रियों को बचा सकेंगे, अपने धर्म के द्वारा वे केवल अपने ही प्राणों को बचा सकेंगे।

21 क्योंकि प्रभु यहोवा यों कहता है, मैं यरूशलेम पर अपने चारों दण्ड पहुंचाऊंगा, अर्थात तलवार, अकाल, दुष्ट जन्तु और मरी, जिन से मनुष्य और पशु सब उस में से नाश हों।

22 तौभी उस में थोड़े से पुत्र-पुत्रियां बचेंगी जो वहां से निकाल कर तुम्हारे पास पहुंचाई जाएंगी, और तुम उनके चालचलन और कामों को देख कर उस विपत्ति के विषय में जो मैं यरूशलेम पर डालूंगा, वरन जितनी विपत्ति मैं उस पर डालूंगा, उस सब के विषय में शान्ति पाओगे।

23 जब तुम उनका चालचलन और काम देखो, तब वे तुम्हारी शान्ति के कारण होंगे; और तुम जान लोगे कि मैं ने यरूशलेम में जो कुछ किया, वह बिना कारण नहीं किया, प्रभु यहोवा की यही वाणी हैं

यहेजकेल 15

1 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

2 हे मनुष्य के सन्तान, सब वृक्षों में अंगूर की लता की क्या श्रेष्टता है? अंगूर की शाखा जो जंगल के पेड़ों के बीच उत्पन्न होती है, उस में क्या गुण है?

3 क्या कोई वस्तु बनाने के लिये उस में से लकड़ी ली जाती, वा कोई बर्तन टांगने के लिये उस में से खूंटी बन सकती है?

4 वह तो ईन्धन बना कर आग में झोंकी जाती है; उसके दोनों सिरे आग से जल जाते, और उसके बीच का भाग भस्म हो जाता है, क्या वह किसी भी काम की है?

5 देख, जब वह बनी थी, तब भी वह किसी काम की न थी, फिर जब वह आग का ईन्धन हो कर भस्म हो गई है, तब किस काम की हो सकती है?

6 सो प्रभु यहोवा यों कहता है, जैसे जंगल के पेड़ों में से मैं अंगूर की लता को आग का ईन्धन कर देता हूँ, वैसे ही मैं यरूशलेम के निवासियों को नाश कर दूंगा।

7 मैं उन से विरुद्ध हूंगा, और वे एक आग में से निकल कर फिर दूसरी आग का ईन्धन हो जाएंगे; और जब मैं उन से विमुख हूंगा, तब तुम लोग जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।

8 और मैं उनका देश उजाड़ दूंगा, क्योंकि उन्होंने मुझ से विश्वासघात किया है, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

यहेजकेल 16

1 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

2 हे मनुष्य के सन्तान, यरूशलेम को उसके सब घृणित काम जता दे।

3 और उस से कह, हे यरूशलेम, प्रभु यहोवा तुझ से यों कहता है, तेरा जन्म और तेरी उत्पत्ति कनानियों के देश से हुई; तेरा पिता तो एमोरी और तेरी माता हित्तिन थी।

4 और तेरा जन्म ऐसे हुआ कि जिस दिन तू जन्मी, उस दिन न तेरा नाल काटा गया, न तू शुद्ध होने के लिये धोई गई, न तेरे कुछ लोन मला गया और न तू कुछ कपड़ों में लपेटी गई।

5 किसी की दयादृष्टि तुझ पर नहीं हुई कि इन कामों में से तेरे लिये एक भी काम किया जाता; वरन अपने जन्म के दिन तू घृणित होने के कारण खुले मैदान में फेंक दी गई थी।

6 और जब मैं तेरे पास से हो कर निकला, और तुझे लोहू में लोटते हुए देखा, तब मैं ने तुझ से कहा, हे लोहू में लोटती हुई जीवित रह; हां, तुझ ही से मैं ने कहा, हे लोहू मे लोटती हुई, जीवित रह।

7 फिर मैं ने तुझे खेत के बिरुले की नाईं बढाया, और तू बढ़ते बढ़ते बड़ी हो गई और अति सुन्दर हो गई; तेरी छातियां सुडौल हुई, और तेरे बाल बढे; तौभी तू नंगी थी।

8 मैं ने फिर तेरे पास से हो कर जाते हुए तुझे देखा, और अब तू पूरी स्त्री हो गई थी; सो मैं ने तुझे अपना वस्त्र ओढ़ाकर तेरा तन ढांप दिया; और सौगन्ध खाकर तुझ से वाचा बान्धी और तू मेरी हो गई, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

9 तब मैं ने तुझे जल से नहला कर तुझ पर से लोहू धो दिया, और तेरी देह पर तेल मला।

10 फिर मैं ने तुझे बूटेदार वस्त्र और सूइसों के चमड़े की जूतियां पहिनाईं; और तेरी कमर में सूक्ष्म सन बान्धा, और तुझे रेशमी कपड़ा ओढ़ाया।

11 तब मैं ने तेरा श्रृंगार किया, और तेरे हाथों में चूडिय़ां और गले में तोड़ा पहिनाया।

12 फिर मैं ने तेरी नाक में नत्थ और तेरे कानों में बालियां पहिनाईं, और तेरे सिर पर शोभायमान मुकुट धरा।

13 तेरे आभूषण सोने चान्दी के और तेरे वस्त्र सूक्ष्म सन, रेशम और बूटेदार कपड़े के बने; फिर तेरा भोजन मैदा, मधु और तेल हुआ; और तू अत्यन्त सुन्दर, वरन रानी होने के योग्य हो गई।

14 और तेरी सुन्दरता की कीर्ति अन्यजातियों में फैल गई, क्योंकि उस प्रताप के कारण, जो मैं ने अपनी ओर से तुझे दिया था, तू अत्यन्त सुन्दर थी, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

15 परन्तु तू अपनी सुन्दरता पर भरोसा कर के अपनी नामवरी के कारण व्यभिचार करने लगी, और सब यात्रियों के संग बहुत कुकर्म किया, और जो कोई तुझे चाहता था तू उसी से मिलती थी।

16 तू ने अपने वस्त्र ले कर रंग बिरंग के ऊंचे स्थान बना लिए, और उन पर व्यभिचार किया, ऐसे कुकर्म किए जो न कभी हुए और न होंगे।

17 और तू ने अपने सुशोभित गहने ले कर जो मेरे दिए हुए सोने-चान्दी के थे, उन से पुरुषों की मूरतें बना ली, और उन से भी व्यभिचार करने लगी;

18 और अपने बूटेदार वस्त्र ले कर उन को पहिनाए, और मेरा तेल और मेरा धूप उनके साम्हने चढ़ाया।

19 और जो भोजन मैं ने तुझे दिया था, अर्थात जो मैदा, तेल और मधु मैं तुझे खिलाता था, वह सब तू ने उनके साम्हने सुखदायक सुगन्ध कर के रखा; प्रभु यहोवा की यही वाणी है कि यों ही हुआ।

20 फिर तू ने अपने पुत्र-पुत्रियां ले कर जिन्हें तू ने मेरे लिये जन्म दिया, उन मूरतों को नैवेद्य कर के चढ़ाई। क्या तेरा व्यभिचार ऐसी छोटी बात थी;

21 कि तू ने मेरे लड़के-बाले उन मूरतों के आगे आग में चढ़ा कर घात किए हैं?

22 और तू ने अपने सब घृणित कामों में और व्यभिचार करते हुए, अपने बचपन के दिनों की कभी सुधि न ली, जब कि तू नंगी अपने लोहू में लोटती थी।

23 और तेरी उस सारी बुराई के पीछे क्या हुआ?

24 प्रभु यहोवा की यह वाणी है, हाय, तुझ पर हाय! कि तू ने एक गुम्मट बनवा लिया, और हर एक चौक में एक ऊंचा स्थान बनवा लिया;

25 और एक एक सड़क के सिरे पर भी तू ने अपना ऊंचा स्थान बनवा कर अपनी सुन्दरता घृणित करा दी, और हर एक यात्री को कुकर्म के लिये बुला कर महाव्यभिचारिणी हो गई।

26 तू ने अपने पड़ोसी मिस्री लोगों से भी, जो मोटे-ताज़े हैं, व्यभिचार किया और मुझे क्रोध दिलाने के लिये अपना व्यभिचार चढ़ाती गई।

27 इस कारण मैं ने अपना हाथ तेरे विरुद्ध बढ़ा कर, तेरा प्रति दिन का खाना घटा दिया, और तेरी बैरिन पलिश्ती स्त्रियां जो तेरे महापाप की चाल से लजाती है, उनकी इच्छा पर मैं ने तुझे छोड़ दिया है।

28 फिर भी तेरी तृष्णा न बुझी, इसलिये तू ने अश्शूरी लोगों से भी व्यभिचार किया; और उन से व्यभिचार करने पर भी तेरी तृष्णा न बुझी।

29 फिर तू लेन देन के देश में व्यभिचार करते करते कसदियोंके देश तक पहुंची, और वहां भी तेरी तृष्णा न बुझी।

30 प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि तेरा हृदय कैसा चंचल है कि तू ये सब काम करती है, जो निर्लज्ज वेश्या ही के काम हैं?

31 तू ने हर एक सड़क के सिरे पर जो अपना गुम्मट, और हर चौक में अपना ऊंचा स्थान बनवाया है, क्या इसी में तू वेश्या के समान नहीं ठहरी? क्योंकि तू ऐसी कमाई पर हंसती है।

32 तू व्यभिचारिणी पत्नी है। तू पराये पुरुषों को अपने पति की सन्ती ग्रहण करती है।

33 सब वेश्याओं को तो रुपया मिलता है, परन्तु तू ने अपने सब मित्रों को स्वयं रुपए देकर, और उन को लालच दिखा कर बुलाया है कि वे चारों ओर से आकर तुझ से व्यभिचार करें।

34 इस प्रकार तेरा व्यभिचार और व्यभिचारियों से उलटा है। तेरे पीछे कोई व्यभिचारी नहीं चलता, और तू किसी से दाम लेती नहीं, वरन तू ही देती है; इसी कारण तू उलटी ठहरी।

35 इस कारण, हे वेश्या, यहोवा का वचन सुन,

36 प्रभु यहोवा यों कहता है, कि तू ने जो व्यभिचार में अति निर्लज्ज हो कर, अपनी देह अपने मित्रों को दिखाई, और अपनी मूरतों से घृणित काम किए, और अपने लड़के-बालों का लोहू बहा कर उन्हें बलि चढ़ाया है,

37 इस कारण देख, मैं तेरे सब मित्रों को जो तेरे प्रेमी हैं और जितनों से तू ने प्रीति लगाई, और जितनों से तू ने बैर रखा, उन सभों को चारों ओर से तेरे विरुद्ध इकट्ठा कर के उन को तेरी देह नंगी कर के दिखाऊंगा, और वे तेरा तन देखेंगे।

38 तब मैं तुझ को ऐसा दण्ड दूंगा, जैसा व्यभिचारिणियों और लोहू बहाने वाली स्त्रियों को दिया जाता है; और क्रोध और जलन के साथ तेरा लोहू बहाऊंगा।

39 इस रीति मैं तुझे उनके वश में कर दूंगा, और वे तेरे गुम्मटों को ढा देंगे, और तेरे ऊंचे स्थानों को तोड़ देंगे; वे तेरे वस्त्र बरबस उतारेंगे, और तेरे सुन्दर गहने छीन लेंगे, और तुझे नंगा कर के छोड़ देंगे।

40 तब तेरे विरुद्ध एक सभा इकट्ठी कर के वे तुझ को पत्थरवाह करेंगे, और अपनी कटारों से वारपार छेदेंगे।

41 तब वे आग लगा कर तेरे घरों को जला देंगे, और तूझे बहुत सी स्त्रियों के देखते दण्ड देंगे; और मैं तेरा व्यभिचार बन्द करूंगा, और तू फिर छिनाले के लिये दाम न देगी।

42 और जब मैं तुझ पर पूरी जलजलाहट प्रगट कर चुकूंगा, तब तुझ पर और न जलूंगा वरन शान्त हो जाऊंगा: और फिर न रिसियाऊंगा।

43 तू ने जो अपने बचपन के दिन स्मरण नहीं रखे, वरन इन सब बातों के द्वारा मुझे चिढाया; इस कारण मैं तेरा चालचलन तेरे सिर पर डालूंगा और तू अपने सब पिछले घृणित कामों से और अधिक महापाप न करेगी, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

44 देख, सब कहावत कहने वाले तेरे विषय यह कहावत कहेंगे, कि जैसी मां वैसी पुत्री।

45 तेरी मां जो अपने पति और लड़के-बालों से घृणा करती थी, तू भी ठीक उसकी पुत्री ठहरी; और तेरी बहिनें जो अपने अपने पति और लड़के-बालों से घृणा करती थीं, तू भी ठीक उनकी बहिन निकली। तेरी माता हित्तिन और पिता एमोरी था।

46 तेरी बड़ी बहिन शोमरोन है, जो अपनी पुत्रियों समेत तेरी बाईं ओर रहती है, और तेरी छोटी बहिन, जो तेरी दाहिनी ओर रहती है वह पुत्रियों समेत सदोम है।

47 तू उनकी सी चाल नहीं चली, और न उनके से घृणित कामों ही से सन्तुष्ट हुई; यह तो बहुत छोटी बात ठहरती, परन्तु तेरा सारा चालचलन उन से भी अधिक बिगड़ गया।

48 प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, तेरी बहिन सदोम ने अपनी पुत्रियों समेत तेरे और तेरी पुत्रियों के समान काम नहीं किए।

49 देख, तेरी बहिन सदोम का अधर्म यह था, कि वह अपनी पुत्रियों सहित घमण्ड करती, पेट भर भरके खाती, और सुख चैन से रहती थी: और दीन दरिद्र को न संभालती थी।

50 सो वह गर्व कर के मेरे साम्हने घृणित काम करने लगी, और यह देख कर मैं ने उन्हें दूर कर दिया।

51 फिर शोमरोन ने तेरे पापों के आधे भी पाप नहीं किए: तू ने तो उस से बढ़ कर घृणित काम किए ओर अपने घोर घृणित कामों के द्वारा अपनी बहिनों को जीत लिया।

52 सो तू ने जो अपनी बहिनों का न्याय किया, इस कारण लज्जित हो, क्योंकि तू ने उन से बढ़ कर घृणित पाप किए हैं; इस कारण वे तुझ से कम दोषी ठहरी हैं। सो तू इस बात से लज्जा कर और लजाती रह, क्योंकि तू ने अपनी बहिनों को कम दोषी ठहराया है।

53 जब मैं उन को अर्थात पुत्रियों सहित सदोम और शोमरोन को बंधुआई से फेर लाऊंगा, तब उनके बीच ही तेरे बंधुओं को भी फेर लाऊंगा,

54 जिस से तू लजाती रहे, और अपने सब कामों को देख कर लजाए, क्योंकि तू उनकी शान्ति ही का कारण हुई है।

55 और तेरी बहिनें सदोम और शोमरोन अपनी अपनी पुत्रियों समेत अपनी पहिली दशा को फिर पहुंचेंगी, और तू भी अपनी पुत्रियों सहित अपनी पहिली दशा को फिर पहंचेगी।

56 जब तक तेरी बुराई प्रगट न हुई थी, अर्थात जिस समय तक तू आस पास के लोगों समेत अरामी और पलिश्ती स्त्रियों की जो अब चारों ओर से तुझे तुच्छ जानती हैं, नामधराई करती थी,

57 उन अपने घमण्ड के दिनों में तो तू अपनी बहिन सदोम का नाम भी न लेती थी।

58 परन्तु अब तुझ को अपने महापाप और घृणित कामों का भार आप ही उठाना पड़ा है, यहोवा की यही वाणी है।

59 प्रभु यहोवा यह कहता है, मैं तेरे साथ ऐसा ही बर्ताव करूंगा, जैसा तू ने किया है, क्योंकि तू ने तो वाचा तोड़ कर शपथ तुच्छ जानी है,

60 तौभी मैं तेरे बचपन के दिनों की अपनी वाचा स्मरण करूंगा, और तेरे साथ सदा की वाचा बान्धूंगा।

61 और जब तू अपनी बहिनों को अर्थात अपनी बड़ी और छोटी बहिनों को ग्रहण करे, तब तू अपना चालचलन स्मरण कर के लज्जित होगी; और मैं उन्हें तेरी पुत्रियां ठहरा दूंगा; परन्तु यह तेरी वाचा के अनुसार न करूंगा।

62 मैं तेरे साथ अपनी वाचा स्थिर करूंगा, और तब तू जान लेगी कि मैं यहोवा हूँ,

63 जिस से तू स्मरण कर के लज्जित हो, और लज्जा के मारे फिर कभी मुंह न खोले। यह उस समय होगा, जब मैं तेरे सब कामों को ढांपूंगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

यहेजकेल 17

1 यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

2 हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल के घराने से यह पहेली और दृष्टान्त कह; प्रभू यहोवा यों कहता है,

3 एक लम्बे पंख वाले, परों से भरे और रंग बिरंगे बड़े उकाब पड़ी ने लबानोन जा कर एक देवदार की फुनगी नोच ली।

4 तब उसने उस फुनगी की सब से ऊपर की पतली टहनी को तोड़ लिया, और उसे लेन देन करने वालों के देश में ले जा कर व्योपारियों के एक नगर में लगाया।

5 तब उसने देश का कुछ बीज ले कर एक उपजाऊ खेत में बोया, और उसे बहुत जल भरे स्थान में मजनू की नाईं लगाया।

6 और वह उगकर छोटी फैलने वाली अंगूर की लता हो गई जिसकी डालियां उसकी ओर झुकीं, और उसकी सोर उसके नीचे फैलीं; इस प्रकार से वह अंगूर की लता हो कर कनखा फोड़ने और पत्तों से भरने लगी।

7 फिर और एक लम्बे पंख वाला और परों से भरा हुआ बड़ा उकाब पक्षी था; और वह अंगूर की लता उस स्थान से जहां वह लगाई गई थी, उस दूसरे उकाब की ओर अपनी सोर फैलाने और अपनी डालियां झुकाने लगी कि वह उसे खींचा करे।

8 परन्तु वह तो इसलिये अच्छी भूमि में बहुत जल के पास लगाई गई थी, कि कनखएं फोड़े, और फले, और उत्तम अंगूर की लता बने।

9 सो तू यह कह, कि प्रभु यहोवा यों पूछता है, क्या वह फूले फलेगी? क्या वह उसको जड़ से न उखाड़ेगा, और उसके फलों को न झाड़ डालेगा कि वह अपनी सब हरी नई पत्तियों समेत सूख जाए? इसे जड़ से उखाड़ने के लिये अधिक बल और बहुत से मनुष्यों की आवश्यकता न होगी।

10 चाहे, वह लगी भी रहे, तौभी क्या वह फूले फलेगी? जब पुरवाई उसे लगे, तब क्या वह बिलकुल सूख न जाएगी? वह तो जहां उगी है उसी क्यारी में सूख जाएगी।

11 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, उस बलवा करने वाले घराने से कह,

12 क्या तुम इन बातों का अर्थ नहीं समझते? फिर उन से कह, बाबुल के राजा ने यरूशलेम को जा कर उसके राजा और और प्रधानों को ले कर अपने यहां बाबुल में पहुंचाया।

13 तब राजवंश में से एक पुरुष को ले कर उस से वाचा बान्धी, और उसको वश में रहने की शपथ खिलाई, और देश के सामथीं पुरुषों को ले गया

14 कि वह राज्य निर्बल रहे और सिर न उठा सके, वरन वाचा पालने से स्थिर रहे।

15 तौभी इस ने घोड़े और बड़ी सेना मांगने को अपने दूत मिस्र में भेज कर उस से बलवा किया। क्या वह फूले फलेगा? क्या ऐसे कामों का करने वाला बचेगा? क्या वह अपनी वाचा तोड़ने पर भी बच जाएगा?

16 प्रभु यहोवा यों कहता है, मेरे जीवन की सौगन्ध, जिस राजा की खिलाई हुई शपथ उसने तुच्छ जानी, और जिसकी वाचा उसने तोड़ी, उसके यहां जिसने उसे राजा बनाया था, अर्थात बाबुल में ही वह उसके पास ही मर जाएगा।

17 और जब वे बहुत से प्राणियों को नाश करने के लिये दमदमा बान्धे, और गढ़ बनाएं, तब फिरौन अपनी बड़ी सेना और बहुतों की मण्डली रहते भी युद्ध में उसकी सहायता न करेगा।

18 क्योंकि उस ने शपथ को तुच्छ जाना, और वाचा को तोड़ा; देखो, उसने वचन देने पर भी ऐसे ऐसे काम किए हैं, सो वह बचने न पाएगा।

19 प्रभु यहोवा यों कहता है कि मेरे जीवन की सौगन्ध, उसने मेरी शपथ तुच्छ जानी, और मेरी वाचा तोड़ी है; यह पाप मैं उसी के सिर पर डालूंगा।

20 और मैं अपना जाल उस पर फैलाऊंगा और वह मेरे फन्दे में फंसेगा; और मैं उसको बाबुल में पहुंचा कर उस विश्वासघात का मुक़द्दमा उस से लड़ूंगा, जो उसने मुझ से किया है।

21 और उसके सब दलों में से जितने भागें वे सब तलवार से मारे जाएंगे, और जो रह जाएं सो चारों दिशाओं में तितर-बितर हो जाएंगे। तब तुम लोग जान लोगे कि मुझ यहोवा ही ने ऐसा कहा है।

22 फिर प्रभु यहोवा यों कहता है, मैं भी देवदार की ऊंची फुनगी में से कुछ ले कर लगाऊंगा, और उसकी सब से ऊपर वाली कनखाओं में से एक कोमल कनखा तोड़ कर एक अति ऊंचे पर्वत पर लगाऊंगा।

23 अर्थात इस्राएल के ऊंचे पर्वत पर लगाऊंगा; सो वह डालियां फोड़कर बलवन्त और उत्तम देवदार बन जाएगा, और उसके नीचे अर्थात उसकी डालियों की छाया में भांति भांति के सब पक्षी बसेरा करेंगे।

24 तब मैदान के सब वृक्ष जान लेंगे कि मुझ यहोवा ही ने ऊंचे वृक्ष को नीचा और नीचे वृक्ष को ऊंचा किया, हरे वृक्ष को सुखा दिया, और सूखे वृक्ष को फुलाया फलाया है। मुझ यहोवा ही ने यह कहा और वैसा ही कर भी दिया है।

यहेजकेल 18

1 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

2 तुम लोग जो इस्राएल के देश के विषय में यह कहावत कहते हो, कि जंगली अंगूर तो पुरखा लोग खाते, परन्तु दांत खट्टे होते हैं लड़के-बालों के। इसका क्या अर्थ है?

3 प्रभु यहोवा यों कहता है कि मेरे जीवन की शपथ, तुम को इस्राएल में फिर यह कहावत कहने का अवसर न मिलेगा।

4 देखो, सभों के प्राण तो मेरे हैं; जैसा पिता का प्राण, वैसा ही पुत्र का भी प्राण है; दोनों मेरे ही हैं। इसलिये जो प्राणी पाप करे वही मर जाएगा।

5 जो कोई धमीं हो, और न्याय और धर्म के काम करे,

6 और न तो पहाड़ों पर भोजन किया हो, न इस्राएल के घराने की मूरतों की ओर आंखें उठाई हों; न पराई स्त्री को बिगाड़ा हो, और न ऋतुमती के पास गया हो,

7 और न किसी पर अन्धेर किया हो वरन ऋणी को उसकी बन्धक फेर दी हो, न किसी को लूटा हो, वरन भूखे को अपनी रोटी दी हो और नंगे को कपड़ा ओढ़ाया हो,

8 न ब्याज पर रुपया दिया हो, न रुपए की बढ़ती ली हो, और अपना हाथ कुटिल काम से रोका हो, मनुष्य के बीच सच्चाई से न्याय किया हो,

9 और मेरी विधियों पर चलता और मेरे नियमों को मानता हुआ सच्चाई से काम किया हो, ऐसा मनुष्य धमीं है, वह निश्चय जीवित रहेगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

10 परन्तु यदि उसका पुत्र डाकू, हत्यारा, वा ऊपर कहे हुए पापों में से किसी का करने वाला हो,

11 और ऊपर कहे हुए उचित कामों का करने वाला न हो, और पहाड़ों पर भोजन किया हो, पराई स्त्री को बिगाड़ा हो,

12 दीन दरिद्र पर अन्धेर किया हो, औरों को लूटा हो, बन्धक न फेर दी हो, मूरतों की ओर आंख उठाई हो, घृणित काम किया हो,

13 ब्याज पर रुपया दिया हो, और बढ़ती ली हो, तो क्या वह जीवित रहेगा? वह जीवित न रहेगा; इसलिये कि उसने ये सब घिनौने काम किए हैं वह निश्चय मरेगा और उसका खून उसी के सिर पड़ेगा।

14 फिर यदि ऐसे मनुष्य के पुत्र हों और वह अपने पिता के ये सब पाप देखकर भय के मारे उनके समान न करता हो।

15 अर्थात न तो पहाड़ों पर भोजन किया हो, न इस्राएल के घराने की मूरतों की ओर आंख उठाई हो, न पराई स्त्री को बिगाड़ा हो,

16 न किसी पर अन्धेर किया हो, न कुछ बन्धक लिया हो, न किसी को लूटा हो, वरन अपनी रोटी भूखे को दी हो, नंगे को कपड़ा ओढ़ाया हो,

17 दीन जन की हानि करने से हाथ रोका हो, ब्याज और बढ़ती न ली हो, मेरे नियमों को माना हो, और मेरी विधियों पर चला हो, तो वह अपने पिता के अधर्म के कारण न मरेगा, वरन जीवित ही रहेगा।

18 उसका पिता, जिसने अन्धेर किया और लूटा, और अपने भाइयों के बीच अनुचित काम किया है, वही अपने अधर्म के कारण मर जाएगा।

19 तौभी तुम लोग कहते हो, क्यों? क्या पुत्र पिता के अधर्म का भार नहीं उठाता? जब पुत्र ने न्याय और धर्म के काम किए हों, और मेरी सब विधियों का पालन कर उन पर चला हो, तो वह जीवित ही रहेगा।

20 जो प्राणी पाप करे वही मरेगा, न तो पुत्र पिता के अधर्म का भार उठाएगा और न पिता पुत्र का; धमीं को अपने ही धर्म का फल, और दुष्ट को अपनी ही दुष्टता का फल मिलेगा।

21 परन्तु यदि दुष्ट जन अपने सब पापों से फिर कर, मेरी सब विधियों का पालन करे और न्याय और धर्म के काम करे, तो वह न मरेगा; वरन जीवित ही रहेगा।

22 उसने जितने अपराध किए हों, उन में से किसी का स्मरण उसके विरुद्ध न किया जाएगा; जो धर्म का काम उसने किया हो, उसके कारण वह जीवित रहेगा।

23 प्रभु यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न होता हूँ? क्या मैं इस से प्रसन्न नहीं होता कि वह अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे?

24 परन्तु जब धमीं अपने धर्म से फिरकर टेढ़े काम, वरन दुष्ट के सब घृणित कामों के अनुसार करने लगे, तो क्या वह जीवित रहेगा? जितने धर्म के काम उसने किए हों, उन में से किसी का स्मरण न किया जाएगा। जो विश्वासघात और पाप उसने किया हो, उसके कारण वह मर जाएगा।

25 तौभी तुम लोग कहते हो, कि प्रभु की गति एकसी नहीं। हे इस्राएल के घराने, देख, क्या मेरी गति एकसी नहीं? क्या तुम्हारी ही गति अनुचित नहीं है?

26 जब धमीं अपने धर्म से फिर कर, टेढ़े काम करने लगे, तो वह उनके कारण मरेगा, अर्थात वह अपने टेढ़े काम ही के कारण मर जाएगा।

27 फिर जब दुष्ट अपने दुष्ट कामों से फिर कर, न्याय और धर्म के काम करने लगे, तो वह अपना प्राण बचाएगा।

28 वह जो सोच विचार कर अपने सब अपराधों से फिरा, इस कारण न मरेगा, जीवित ही रहेगा।

29 तौभी इस्राएल का घराना कहता है कि प्रभु की गति एकसी नहीं। हे इस्राएल के घराने, क्या मेरी गति एकसी नहीं? क्या तुम्हारी ही गति अनुचित नहीं?

30 प्रभु यहोवा की यह वाणी है, हे इस्राएल के घराने, मैं तुम में से हर एक मनुष्य का न्याय उसकी चालचलन के अनुसार ही करूंगा। पश्चात्ताप करो और अपने सब अपराधों को छोड़ो, तभी तुम्हारा अधर्म तुम्हारे ठोकर खाने का कारण न होगा।

31 अपने सब अपराधों को जो तुम ने किए हैं, दूर करो; अपना मन और अपनी आत्मा बदल डालो! हे इस्राएल के घराने, तुम क्यों मरो?

32 क्योंकि, प्रभु यहोवा की यह वाणी है, जो मरे, उसके मरने से मैं प्रसन्न नहीं होता, इसलिये पश्चात्ताप करो, तभी तुम जीवित रहोगे।

यहेजकेल 19

1 और इस्राएल के प्रधानों के विषय तू यह विलापगीत सुना,

2 तेरी माता एक कैसी सिंहनी थी! वह सिंहों के बीच बैठा करती और अपने बच्चों को जवान सिंहों के बीच पालती पोसती थी।

3 अपने बच्चों में से उसने एक को पाला और वह जवान सिंह हो गया, और अहेर पकड़ना सीख गया; उसने मनुष्यों को भी फाड़ खाया।

4 और जाति जाति के लोगों ने उसकी चर्चा सुनी, और उसे अपने खोदे हुए गड़हे में फंसाया; और उसके नकेल डाल कर उसे मिस्र देश में ले गए।

5 जब उसकी मां ने देखा कि वह धीरज धरे रही तौभी उसकी आशा टूट गई, तब अपने एक और बच्चे को ले कर उसे जवान सिंह कर दिया।

6 तब वह जवान सिंह हो कर सिंहों के बीच चलने फिरने लगा, और वह भी अहेर पकड़ना सीख गया; और मनुष्यों को भी फाड़ खाया।

7 और उसने उनके भवनों को बिगाड़ा, और उनके नगरों को उजाड़ा वरन उसके गरजने के डर के मारे देश और जो कुछ उस में था सब उजड़ गया।

8 तब चारों ओर के जाति जाति के लोग अपने अपने प्रान्त से उसके विरुद्ध निकल आए, और उसके लिये जाल लगाया; और वह उनके खोदे हुए गड़हे में फंस गया।

9 तब वे उसके नकेल डाल कर और कठघरे में बन्द कर के बाबुल के राजा के पास ले गए, और गढ़ में बन्द किया, कि उसका बोल इस्राएल के पहाड़ी देश में फिर सुनाई न दे।

10 तेरी माता जिस से तू अत्पन्न हुआ, वह तीर पर लगी हुई दाखलता के समान थी, और गहिरे जल के कारण फलों और शाखाओं से भरी हुई थी।

11 और प्रभुता करने वालों के राजदणडों के लिये उस में मोटी मोटी टहनियां थीं; और उसकी ऊंचाई इतनी इुई कि वह बादलों के बीच तक पहुंची; और अपनी बहुत सी डालियों समेत बहुत ही लम्बी दिखाई पड़ी।

12 तौभी वह जलजलाहट के साथ उखाड़ कर भूमि पर गिराई गई, और उसके फल पुरवाई हवा के लगने से सूख गए; और उसकी मोटी टहनियां टूट कर सूख गईं; और वे आग से भस्म हो गई।

13 अब वह जंगल में, वरन निर्जल देश में लगाई गई है।

14 और उसकी शाखाओं की टहनियों में से आग निकली, जिस से उसके फल भस्म हो गए, और प्रभुता करने के योग्य राजदण्ड के लिये उस में अब कोई मोटी टहनी न रही। यही विलापगीत है, और यह विलापगीत बना रहेगा।

यहेजकेल 20

1 सातवें वर्ष के पांचवें महीने के दसवें दिन को इस्राएल के कितने पुरनिये यहोवा से प्रश्न करने को आए, और मेरे साम्हने बैठ गए।

2 तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

3 हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएली पुरनियों से यह कह, प्रभु यहोवा यों कहता है, क्या तुम मुझ से प्रश्न करने को आए हो? प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि मेरे जीवन की सौगन्ध, तुम मुझ से प्रश्न करने न पाओगे।

4 हे मनुष्य के सन्तान, क्या तू उनका न्याय न करेगा? क्या तू उनका न्याय न करेगा? उनके पुरखाओं के घिनौने काम उन्हें जता दे,

5 और उन से कह, प्रभु यहोवा यों कहता है, जिस दिन मैं ने इस्राएल को चुन लिया, और याकूब के घराने के वंश से शपथ खाई, और मिस्र देश में अपने को उन पर प्रगट किया, और उन से शपथ खाकर कहा, मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ,

6 उसी दिन मैं ने उन से यह भी शपथ खाई, कि मैं तुम को मिस्र देश से निकाल कर एक देश में पहुंचाऊंगा, जिसे मैं ने तुम्हारे लिये चुन लिया है; वह सब देशों का शिरोमणि है, और उस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं।

7 फिर मैं ने उन से कहा, जिन घिनौनी वस्तुओं पर तुम में से हर एक की आंखें लगी हैं, उन्हें फेंक दो; और मिस्र की मूरतों से अपने को अशुद्ध न करो; मैं ही तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।

8 परन्तु वे मुझ से बिगड़ गए और मेरी सुननी न चाही; जिन घिनौनी वस्तुओं पर उनकी आंखें लगी थीं, उनकी किसी ने फेंका नहीं, और न मिस्र की मूरतों को छोड़ा। तब मैं ने कहा, मैं यहीं, मिस्र देश के बीच मुम पर अपनी जलजलाहट भड़काऊंगा। और पूरा कोप दिखाऊंगा।

9 तौभी मैं ने अपने नाम के निमित्त ऐसा किया कि जिनके बीच वे थे, और जिनके देखते हुए मैं ने उन को मिस्र देश से निकलने के लिये अपने को उन पर प्रगट किया था उन जातियों के साम्हने वे अपवित्र न ठहरे।

10 मैं उन को मिस्र देश से निकाल कर जंगल में ले आया।

11 वहां उन को मैं ने अपनी विधियां बताईं और अपने नियम भी बताए कि जो मनुष्य उन को माने, वह उनके कारण जीवित रहेगा।

12 फिर मैं ने उनके लिये अपने विश्रामदिन ठहराए जो मेरे और उनके बीच चिन्ह ठहरें; कि वे जानें कि मैं यहोवा उनका पवित्र करने वाला हूँ।

13 तौभी इस्राएल के घराने ने जंगल में मुझ से बलवा किया; वे मेरी विधियों पर न चले, और मेरे नियमों को तुच्छ जाना, जिन्हें यदि मनुष्य माने तो वह उनके कारण जीवित रहेगा; और उन्होंने मेरे विश्रामदिनों को अति अपवित्र किया। तब मैं ने कहा, मैं जंगल में इन पर अपनी जलजलाहट भड़का कर इनका अन्त कर डालूंगा।

14 परन्तु मैं ने अपने नाम के निमित्त ऐसा किया कि वे उन जातियों के साम्हने, जिनके देखते मैं उन को निकाल लाया था, अपवित्र न ठहरे।

15 फिर मैं ने जंगल में उन से शपथ खाई कि जो देश मैं ने उन को दे दिया, और जो सब देशों का शिरोमणि है, जिस में दूध और मधु की धराएं बहती हैं, उस में उन्हें न पहुंचाऊंगा,

16 क्योंकि उन्होंने मेरे नियम तुच्छ जाने और मेरी विधियों पर न चले, और मेरे विश्रामदिन अपवित्र किए थे; इसलिये कि उनका मन उनकी मूरतों की ओर लगा रहा।

17 तौभी मैं ने उन पर कृपा की दृष्टि की, और उन्हें नाश न किया, और न जंगल में पूरी रीति से उनका अन्त कर डाला।

18 फिर मैं ने जंगल में उनकी सन्तान से कहा, अपने पुरखाओं की विधियों पर न चलो, न उनकी रीतियों को मानो और न उनकी मूरतें पूजकर अपने को अशुद्ध करो।

19 मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ, मेरी विधियों पर चलो, ओर मेरे नियमों के मानने में चौकसी करो,

20 और मेरे विश्रामदिनों को पवित्र मानो कि वे मेरे और तुम्हारे बीच चिन्ह ठहरें, और जिस से तुम जानो कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।

21 परन्तु उनकी सन्तान ने भी मुझ से बलवा किया; वे मेरी विधियों पर न चले, न मेरे नियमों के मानने में चौकसी की; जिन्हें यदि मनुष्य माने तो वह उनके कारण जीवित रहेगा; मेरे विश्रामदिनों को उन्होंने अपवित्र किया। तब मैं ने कहा, मैं जंगल में उन पर अपनी जलजलाहट भड़का कर अपना कोप दिखलाऊंगा।

22 तौभी मैं ने हाथ खींच लिया, और अपने नाम के निमित्त ऐसा किया, कि उन जातियों के साम्हने जिनके देखते हुए मैं उन्हें निकाल लाया था, वे अपवित्र न ठहरे।

23 फिर मैं ने जंगल में उन से शपथ खाई, कि मैं तुम्हें जाति जाति में तितर-बितर करूंगा, और देश देश में छितरा दूंगा,

24 क्योंकि उन्होंने मेरे नियम न माने, मेरी विधियों को तुच्छ जाना, मेरे विश्रामदिनों को अपवित्र किया, और अपने पुरखाओं की मूरतों की ओर उनकी आंखें लगी रहीं।

25 फिर मैं ने उनके लिये ऐसी ऐसी विधियां ठहराई जो अच्छी न थी और ऐसी ऐसी रीतियां जिनके कारण वे जीवित न रह सकें;

26 अर्थात वे अपने सब पहिलौठों को आग में होम करने लगे; इस रीति मैं ने उन्हें उन्हीं की भेंटों के द्वारा अशुद्ध किया जिस से उन्हें निर्वश कर डालूं; और तब वे जान लें कि मैं यहोवा हूँ।

27 हे मनुष्य के सन्तान, तू इस्राएल के घराने से कह, प्रभु यहोवा यों कहता है, तुम्हारे पुरखाओं ने इस में भी मेरी निन्दा की कि उन्होंने मेरा विश्वासघात किया।

28 क्योंकि जब मैं ने उन को उस देश में पहुंचाया, जिसके उन्हें देने की शपथ मैं ने उन से खाई थी, तब वे हर एक ऊंचे टीले और हर एक घने वृक्ष पर दृष्टि कर के वहीं अपने मेलबलि करने लगे; और वहीं रिस दिलाने वाली अपनी भेंटें चढ़ाने लगे और वहीं अपना सुखदायक सुगन्धद्रव्य जलाने लगे, और वहीं अपने तपावन देने लगे।

29 तब मैं ने उन से पूछा, जिस ऊंचे स्थान को तुम लोग जाते हो, उस से क्या प्रयोजन है? इसी से उसका नाम आज तक बामा कहलाता है।

30 इसलिये इस्राएल के घराने से कह, प्रभु यहोवा तुम से यह पूछता है, क्या तुम भी अपने पुरखाओं की रीति पर चल कर अशुद्ध हो कर, और उनके घिनौने कामों के अनुसार व्यभिचारिणी की नाईं काम करते हो?

31 आज तक जब जब तुम अपनी भेंटें चढ़ाते और अपने लड़के-बालों को होम कर के आग में चढ़ाते हो, तब तब तुम अपनी मूरतों के निमित्त अशुद्ध ठहरते हो। हे इस्राएल के घराने, क्या तुम मुझ से पूछने पाओगे? प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की शपथ तुम मुझ से पूछने न पाओगे।

32 जो बात तुम्हारे मन में आती है कि हम काठ और पत्थर के उपासक हो कर अन्यजातियों और देश देश के कुलों के समान हो जाएंगे, वह किसी भांति पूरी नहीं होने की।

33 प्रभु यहोवा यों कहता है, मेरे जीवन की शपथ मैं निश्चय बली हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से, और भड़काई इुई जलजलाहट के साथ तुम्हारे ऊपर राज्य करूंगा।

34 मैं बली हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से, और भड़काई हुई जलजलाहट के साथ तुम्हें देश देश के लोगों में से अलग करूंगा, और उन देशें से जिन में तुम तितर-बितर हो गए थे, इकट्ठा करूंगा;

35 और मैं तुम्हें देश देश के लोगों के जंगल में ले जा कर, वहां आम्हने-साम्हने तुम से मुक़द्दमा लड़ूंगा।

36 जिस प्रकार मैं तुम्हारे पूर्वजों से मिस्र देशरूपी जंगल में मुक़द्दमा लड़ता था, उसी प्रकार तुम से मुक़द्दमा लड़ूंगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

37 मैं तुम्हें लाठी के तले चलाऊंगा। और तुम्हें वाचा के बन्धन में डालूंगा।

38 मैं तुम में से सब बलवाइयों को निकाल कर जो मेरा अपराध करते है; तुम्हें शुद्ध करूंगा; और जिस देश में वे टिकते हैं उस में से मैं उन्हें निकाल दूंगा; परन्तु इस्राएल के देश में घुसने न दूंगा। तब तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।

39 और हे इस्राएल के घराने तुम से तो प्रभु यहोवा यों कहता है कि जा कर अपनी अपनी मूरतों की उपासना करो; और यदि तुम मेरी न सुनोगे, तो आगे को भी यही किया करो; परन्तु मेरे पवित्र नाम को अपनी भेंटों और मूरतों के द्वारा फिर अपवित्र न करना।

40 क्योंकि प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि इस्राएल का सारा घराना अपने देश में मेरे पवित्र पर्वत पर, इस्राएल के ऊंचे पर्वत पर, सब का सब मेरी उपासना करेगा; वही मैं उन से प्रसन्न हूंगा, और वहीं मैं तुम्हारी उठाई हुई भेंटें और चढ़ाई हुई उत्तम उत्तम वस्तुएं, और तुमहारी सब पवित्र की हुई वस्तुएं तुम से लिया करूंगा।

41 जब मैं तुम्हें देश देश के लोगों में से अलग करूं और उन देशों से जिन में तुम तितर-बितर हुए हो, इकट्ठा करूं, तब तुम को सुखदायक सुगन्ध जान कर ग्रहण करूंगा, और अन्य जातियों के साम्हने तुम्हारे द्वारा पवित्र ठहराया जाऊंगा।

42 और जब मैं तुम्हें इस्राएल के देश में पहुंचाऊं, जिसके देने की शपथ मैं ने तुम्हारे पूर्वजों से खाई थी, तब तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।

43 और वहां तुम अपनी चाल चलन और अपने सब कामों को जिनके करने से तुम अशुद्ध हुए हो स्मरण करोगे, और अपने सब बुरे कामों के कारण अपनी दृष्टि में घिनौने ठहरोगे।

44 और हे इस्राएल के घराने, जब मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे बुरे चालचलन और बिगड़े हुए कामों के अनुसार नहीं, परन्तु अपने ही नाम के निमित्त बर्ताव करूं, तब तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।

45 और यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

46 हे मनुष्य के सन्तान, अपना मुख दक्खिन की ओर कर, दक्खिन की ओर वचन सुना, और दक्खिन देश के वन के विषय में भविष्यद्वाणी कर;

47 और दक्खिन देश के वन से कह, यहोवा का यह वचन सुन, प्रभु यहोवा यों कहता है, मैं तुझ में आग लगाऊंगा, और तुझ में क्या हरे, क्या सूखे, जितने पेड़ हैं, सब को वह भस्म करेगी; उसकी धधकती ज्वाला न बुझेगी, और उसके कारण दक्खिन से उत्तर तक सब के मुख झुलस जाएंगे।

48 तब सब प्राणियों को सूझ पड़ेगा कि वह आग यहोवा की लगाई हुई है; और वह कभी न बुझेगी।

49 तब मैं ने कहा, हाय परमेश्वर यहोवा! लोग तो मेरे विषय में कहा करते हैं कि क्या वह दृष्टान्त ही का कहने वाला नहीं है?

यहेजकेल 21

1 यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

2 हे मनुष्य के सन्तान, अपना मुख यरूशलेम की ओर कर और पवित्र स्थानों की ओर वचन सुना; इस्राएल देश के विषय में भविष्यद्वाणी कर और उस से कह,

3 प्रभु यहोवा यों कहता है, देख, मैं तेरे विरुद्ध हूँ, ओर अपनी तलवार मियान में से खींच कर तुझ में से धमीं और अधर्मी दोनों को नाश करूंगा।

4 इसलिये कि मैं तुझ में से धमीं और अधमीं सब को नाश करने वाला हूँ, इस कारण, मेरी तलवार मियान से निकल कर दक्खिन से उत्तर तक सब प्राणियों के विरुद्ध चलेगी;

5 तब सब प्राणी जान लेंगे कि यहोवा ने मियान में से अपनी तलवार खींची है; ओर वह उस में फिर रखी न जाएगी।

6 सो हे मनुष्य के सन्तान, तू आह मार, भारी खेद कर, और टूटी कमर ले कर लोगों के साम्हने आह मार।

7 और जब वे तुझ से पूछें कि तू क्यों आह मारता है, तब कहना, समाचार के कारण। क्योंकि ऐसी बात आने वाली है कि सब के मन टूट जाएंगे और सब के हाथ ढीले पड़ेंगे, सब की आत्मा बेबस और सब के घुटने निर्बल हो जाएंगे। देखो, ऐसी ही बात आने वाली है, और वह अवश्य पूरी होगी, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।

8 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, हे मनुष्य के सन्तान, भविष्यद्वाणी कर के कह,

9 परमेश्वर यहोवा यों कहता है, देख, सान चढ़ाई हुई तलवार, और झलकाई हुई तलवार!

10 वह इसलिये सान चढ़ाई गई कि उस से घात किया जाए, और इसलिये झलकाई गई कि बिजली की नाईं चमके! तो क्या हम हर्षित हों? वह तो यहोवा के पुत्र का राजदण्ड है और सब पेड़ों को तुच्छ जानने वाला है।

11 और वह झलकाने को इसलिये दी गई कि हाथ में ली जाए; वह इसलिये सान चढ़ाई और झलकाई गई कि घात करने वालों के हाथ में दी जाए।

12 हे मनुष्य के सन्तान चिल्ला, और हाय, हाय, कर! क्योंकि वह मेरी प्रजा पर चला चाहती है, वह इस्राएल के सारे प्रधानों पर चला चाहती है; मेरी प्रजा के संग वे भी तलवार के वश में आ गए। इस कारण तू अपनी छाती पीट।

13 क्योंकि सचमुच उसकी जांच हुई है, और यदि उसे तुच्छ जानने वाला राजदण्ड भी न रहे, तो क्या? परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।

14 सो हे मनुष्य के सन्तान, भविष्यद्वाणी कर, और हाथ पर हाथ दे मार, और तीन बार तलवार का बल दुगुना किया जाए; वह तो घात करने की तलवार वरन बड़े से बड़े के घात करने की तलवार है, जिस से कोठरियों में भी कोई नहीं बच सकता।

15 मैं ने घात करने वाली तलवार को उनके सब फाटकों के विरुद्ध इसलिये चलाया है कि लोगों के मन टूट जाएं, और वे बहुत ठोकर खाएं। हाय, हाय! वह तो बिजली के समान बनाई गई, और घात करने को सान चढ़ाई गई है।

16 सिकुड़कर दाहिनी ओर जा, फिर तैयार हो कर बाईं ओर मुड़, जिधर भी तेरा मुख हो।

17 मैं भी ताली बजाऊंगा और अपनी जलजलाहट को ठंडा करूंगा, मुझ यहोवा ने ऐसा कहा है।

18 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

19 हे मनुष्य के सन्तान, दो मार्ग ठहरा ले कि बाबुल के राजा की तलवार आए; दोनों मार्ग एक ही देश से निकलें! फिर एक चिन्ह कर, अर्थात नगर के मार्ग के सिर पर एक चिन्ह कर;

20 एक मार्ग ठहरा कि तलवार अम्मोनियों के रब्बा नगर पर, और यहूदा देश के गढ़ वाले नगर यरूशलेम पर भी चले।

21 क्योंकि बाबुल का राजा तिर्मुहाने अर्थात दोनों मार्गों के निकलने के स्थान पर भावी बूझने को खड़ा हुआ है, उसने तीरों को हिला दिया, और गृहदेवताओं से प्रश्न किया, और कलेजे को भी देखा।

22 उसके दाहिने हाथ में यरूशलेम का नाम है कि वह उसकी ओर युद्ध के यन्त्र लगाए, और गला फाड़कर घात करने की आज्ञा दे और ऊंचे शब्द से ललकारे, फाटकों की ओर युद्ध के यन्त्र लगाए और दमदमा बान्धे और कोट बनाए।

23 परन्तु लोग तो उस भावी कहने को मिथ्या समझेंगे; उन्होंने जो उनकी शपथ खाई है; इस कारण वह उनके अधर्म का स्मरण करा कर उन्हें पकड़ लेगा।

24 इस कारण प्रभु यहोवा यों कहता है, इसलिये कि तुम्हारा अधर्म जो स्मरण किया गया है, और तुम्हारे अपराध जो खुल गए हैं, क्योंकि तुम्हारे सब कामों में पाप ही पाप दिखाई पड़ा है, और तुम स्मरण में आए हो, इसलिये तुम उन्हीं से पकड़े जाओगे।

25 और हे इस्राएल दुष्ट प्रधान, तेरा दिन आ गया है; अधर्म के अन्त का समय पहुंच गया है।

26 तेरे विषय में परमेश्वर यहोवा यों कहता है, पगड़ी उतार, और मुकुट भी उतार दे; वह ज्यों का त्यों नहीं रहने का; जो नीचा है उसे ऊंचा कर और जो ऊंचा है उसे नीचा कर।

27 मैं इस को उलट दूंगा और उलट पुलट कर दूंगा; हां उलट दूंगा और जब तक उसका अधिकारी न आए तब तक वह उलटा हुआ रहेगा; तब मैं उसे दे दूंगा।

28 फिर हे मनुष्य के सन्तान, भविष्यद्वाणी कर के कह कि प्रभु यहोवा अम्मोनियों और उनकी की हुई नामधराई के विषय में यों कहता है; तू यों कह, खींची हुई तलवार है, वह तलवार घात के लिये झलकाई हुई है कि नाश करे और बिजली के समान हो—

29 जब तक कि वे तेरे विषय में झूठे दर्शन पाते, और झूठे भावी तुझ को बताते हैं—कि तू उन दुष्ट असाध्य घायलों की गर्दनों पर पड़े जिनका दिन आ गया, और जिनके अधर्म के अन्त का समय आ पहुंचा है।

30 उसको मियान में फिर रख। जिस स्थान में तू सिरजी गई और जिस देश में तेरी उत्पत्ति हुई, उसी में मैं तेरा न्याय करूंगा।

31 और मैं तुझ पर अपना क्रोध भड़काऊंगा और तुझ पर अपनी जलजलाहट की आग फूंक दूंगा; ओर तुझे पशु सरीखे मनुष्य के हाथ कर दूंगा जो नाश करने में निपुण हैं।

32 तू आग का कौर होगी; तेरा खून देश में बना रहेगा; तू स्मरण में न रहेगी क्योंकि मुझ यहोवा ही ने ऐसा कहा है।