योएल 1

1 यहोवा का वचन जो पतूएल के पुत्र योएल के पास पहुंचा, वह यह है:

2 हे पुरनियो, सुनो, हे देश के सब रहने वालो, कान लगा कर सुनो! क्या ऐसी बात तुम्हारे दिनों में, वा तुम्हारे पुरखाओं के दिनों में कभी हुई है?

3 अपने लड़के-बालों से इसका वर्णन करो, और वे अपने लड़के-बालों से, और फिर उनके लड़के-बाले आने वाली पीढ़ी के लोगों से॥

4 जो कुछ गाजाम नाम टिड्डी से बचा; उसे अर्बे नाम टिड्डी ने खा लिया। और जो कुछ अर्बे नाम टिड्डी से बचा, उसे येलेक नाम टिड्डी ने खा लिया, और जो कुछ येलेक नाम टिड्डी से बचा, उसे हासील नाम टिड्डी ने खा लिया है।

5 हे मतवालो, जाग उठो, और रोओ; और हे सब दाखमधु पीने वालो, नये दाखमधु के कारण हाय, हाय, करो; क्योंकि वह तुम को अब न मिलेगा॥

6 देखो, मेरे देश पर एक जाति ने चढ़ाई की है, वह सामर्थी है, और उसके लोग अनगिनित हैं; उसके दांत सिंह के से, और डाढ़ें सिहनी की सी हैं।

7 उसने मेरी दाखलता को उजाड़ दिया, और मेरे अंजीर के वृक्ष को तोड़ डाला है; उसने उसकी सब छाल छील कर उसे गिरा दिया है, और उसकी डालियां छिलने से सफेद हो गई हैं॥

8 जैसे युवती अपने पति के लिये कटि में टाट बान्धे हुए विलाप करती है, वैसे ही तुम भी विलाप करो।

9 यहोवा के भवन में न तो अन्नबलि और न अर्घ आता है। उसके टहलुए जो याजक हैं, वे विलाप कर रहे हैं।

10 खेती मारी गई, भूमि विलाप करती है; क्योंकि अन्न नाश हो गया, नया दाखमधु सूख गया, तेल भी सूख गया है॥

11 हे किसानो, लज्जित हो, हे दाख की बारी के मालियों, गेहूं और जव के लिये हाय, हाय करो; क्योंकि खेती मारी गई है।

12 दाखलता सूख गई, और अंजीर का वृक्ष कुम्हला गया है। अनार, ताड़, सेव, वरन मैदान के सब वृक्ष सूख गए हैं; और मनुष्यों का हर्ष जाता रहा है॥

13 हे याजको, कटि में टाट बान्ध कर छाती पीट-पीट के रोओ! हे वेदी के टहलुओ, हाय, हाय, करो। हे मेरे परमेश्वर के टहलुओ, आओ, टाट ओढ़े हुए रात बिताओ! क्योंकि तुम्हारे परमेश्वर के भवन में अन्नबलि और अर्घ अब नहीं आते॥

14 उपवास का दिन ठहराओ, महासभा का प्रचार करो। पुरनियों को, वरन देश के सब रहने वालों को भी अपने परमेश्वर यहोवा के भवन में इकट्ठे कर के उसकी दोहाई दो॥

15 उस दिन के कारण हाय! क्योंकि यहोवा का दिन निकट है। वह सर्वशक्तिमान की ओर से सत्यानाश का दिन हो कर आएगा।

16 क्या भोजन वस्तुएं हमारे देखते नाश नहीं हुईं? क्या हमारे परमेश्वर के भवन का आनन्द और मगन जाता नहीं रहा?

17 बीज ढेलों के नीचे झुलस गए, भण्डार सूने पड़े हैं; खत्ते गिर पड़े हैं, क्योंकि खेती मारी गई।

18 पशु कैसे कराहते हैं? झुण्ड के झुण्ड गाय-बैल विकल हैं, क्योंकि उनके लिये चराई नहीं रही; और झुण्ड के झुण्ड भेड़-बकरियां पाप का फल भोग रही हैं॥

19 हे यहोवा, मैं तेरी दोहाई देता हूं, क्योंकि जंगल की चराइयां आग का कौर हो गईं, और मैदान के सब वृक्ष ज्वाला से जल गए।

20 वन-पशु भी तेरे लिये हांफते हैं, क्योंकि जल के सोते सूख गए, और जंगल की चराइयां आग का कौर हो गईं॥

योएल 2

1 सिय्योन में नरसिंगा फूंको ; मेरे पवित्र पर्वत पर सांस बान्ध कर फूंको! देश के सब रहने वाले कांप उठें, क्योंकि यहोवा का दिन आता है, वरन वह निकट ही है।

2 वह अन्धकार और तिमिर का दिन है, वह बदली का दिन है और अन्धियारे का सा फैलता है। जैसे भोर का प्रकाश पहाड़ों पर फैलता है, वैसे ही एक बड़ी और सामर्थी जाति आएगी; प्राचीनकाल में वैसी कभी न हुई, और न उसके बाद भी फिर किसी पीढ़ी में होगी॥

3 उसके आगे आगे तो आग भस्म करती जाएगी, और उसके पीछे पीछे लौ जलती जाएगी। उसके आगे की भूमि तो एदेन की बारी के समान होगी, परन्तु उसके पीछे की भूमि उजाड़ मरूस्थल बन जाएगी, और उस से कुछ न बचेगा॥

4 उनका रूप घोड़ों का सा है, और वे सवारी के घोड़ों की नाईं दौड़ते हैं।

5 उनके कूदने का शब्द ऐसा होता है जैसा पहाड़ों की चोटियों पर रथों के चलने का, वा खूंटी भस्म करती हुई लौ का, था जैसे पांति बान्धे हुए बली योद्धाओं का शब्द होता है॥

6 उनके सामने जाति जाति के लोग पीड़ित होते हैं, सब के मुख मलीन होते हैं।

7 वे शूरवीरों की नाईं दौड़ते, और योद्धाओं की भांति शहरपनाह पर चढ़ते हैं वे अपने अपने मार्ग पर चलते हैं, और कोई अपनी पांति से अलग न चलेगा।

8 वे एक दूसरे को धक्का नहीं लगाते, वे अपनी अपनी राह पर चलते हैं; शस्त्रों का साम्हना करने से भी उनकी पांति नहीं टूटती।

9 वे नगर में इधर-उधर दौड़ते, और शहरपनाह पर चढ़ते हैं; वे घरों में ऐसे घुसते हैं जैसे चोर खिड़कियों से घुसते हैं॥

10 उनके आगे पृथ्वी कांप उठती है, और आकाश थरथराता है। सूर्य और चन्द्रमा काले हो जाते हैं, और तारे नहीं झलकते।

11 यहोवा अपने उस दल के आगे अपना शब्द सुनाता है, क्योंकि उसकी सेना बहुत ही बड़ी है; जो अपना वचन पूरा करने वाला है, वह सामर्थी है। क्योंकि यहोवा का दिन बड़ा और अति भयानक है; उसको कौन सह सकेगा?

12 तौभी यहोवा की यह वाणी है, अभी भी सुनो, उपवास के साथ रोते-पीटते अपने पूरे मन से फिरकर मेरे पास आओ।

13 अपने वस्त्र नहीं, अपने मन ही को फाड़ कर अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो; क्योंकि वह अनुग्रहकारी, दयालु, विलम्ब से क्रोध करने वाला, करूणानिधान और दु:ख देकर पछतानेहारा है।

14 क्या जाने वह फिरकर पछताए और ऐसी आशीष दे जिस से तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का अन्नबलि और अर्घ दिया जाए॥

15 सिय्योन में नरसिंगा फूको, उपवास का दिन ठहराओ, महासभा का प्रचार करो;

16 लोगों को इकट्ठा करो। सभा को पवित्र करो; पुरनियों को बुला लो; बच्चों और दूधपीउवों को भी इकट्ठा करो। दुल्हा अपनी कोठरी से, और दुल्हिन भी अपने कमरे से निकल आएं॥

17 याजक जो यहोवा के टहलुए हैं, वे आंगन और वेदी के बीच में रो रोकर कहें, हे यहोवा अपनी प्रजा पर तरस खा; और अपने निज भाग की नामधराई न होने दे; न अन्यजातियां उसकी उपमा देने पाएं। जाति जाति के लोग आपस में क्यां कहने पाएं, कि उनका परमेश्वर कहां रहा?

18 तब यहोवा को अपने देश के विषय में जलन हुई, और उसने अपनी प्रजा पर तरस खाया।

19 यहोवा ने अपनी प्रजा के लोगों को उत्तर दिया, सुनो, मैं अन्न और नया दाखमधु और ताजा तेल तुम्हें देने पर हूं, और तुम उन्हें पाकर तृप्त होगे; और मैं भविष्य में अन्यजातियों से तुम्हारी नामधराई न होने दूंगा॥

20 मैं उत्तर की ओर से आई हुई सेना को तुम्हारे पास से दूर करूंगा, और उसे एक निर्जल और उजाड़ देश में निकाल दूंगा; उसका आगा तो पूरब के ताल की ओर और उसका पीछा पश्चिम के समुद्र की ओर होगा; उस से दुर्गन्ध उठेगी, और उसकी सड़ी गन्ध फैलेगी, क्योंकि उसने बहुत बुरे काम किए हैं॥

21 हे देश, तू मत डर; तू मगन हो और आनन्द कर, क्योंकि यहोवा ने बड़े बड़े काम किए हैं!

22 हे मैदान के पशुओं, मत डरो, क्योंकि जंगल में चराई उगेगी, और वृक्ष फलने लगेंगे; अंजीर का वृक्ष और दाखलता अपना अपना बल दिखाने लगेंगी।

23 हे सिय्योनियों, तुम अपने परमेश्वर यहोवा के कारण मगन हो, और आनन्द करो; क्योंकि तुम्हारे लिये वह वर्षा, अर्थात बरसात की पहिली वर्षा बहुतायत से देगा; और पहिले के समान अगली और पिछली वर्षा को भी बरसाएगा॥

24 तब खलिहान अन्न से भर जाएंगे, और रासकुण्ड नये दाखमधु और ताजे तेल से उमड़ेंगे।

25 और जिन वर्षों की उपज अर्बे नाम टिड्डियों, और येलेक, और हासील ने, और गाजाम नाम टिड्डियों ने, अर्थात मेरे बड़े दल ने जिस को मैं ने तुम्हारे बीच भेजा, खा ली थी, मैं उसकी हानि तुम को भर दूंगा॥

26 तुम पेट भरकर खाओगे, और तृप्त होगे, और अपने परमेश्वर यहोवा के नाम की स्तुति करोगे, जिसने तुम्हारे लिये आश्चर्य के काम किए हैं। और मेरी प्रजा की आशा फिर कभी न टूटेगी।

27 तब तुम जानोगे कि मैं इस्राएल के बीच में हूं, और मैं, यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर हूं और कोई दूसरा नहीं है। और मेरी प्रजा की आशा फिर कभी न टूटेगी॥

28 उन बातों के बाद मैं सब प्राणियों पर अपना आत्मा उण्डेलूंगा; तुम्हारे बेटे-बेटियां भविष्यद्वाणी करेंगी, और तुम्हारे पुरनिये स्वप्न देखेंगे, और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे।

29 तुम्हारे दास और दासियों पर भी मैं उन दिनों में अपना आत्मा उण्डेलूंगा॥

30 और मैं आकाश में और पृथ्वी पर चमत्कार, अर्थात लोहू और आग और धूएं के खम्भे दिखाऊंगा।

31 यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहिले सूर्य अन्धियारा होगा और चन्द्रमा रक्त सा हो जाएगा।

32 उस समय जो कोई यहोवा से प्रार्थना करेगा, वह छुटकारा पाएगा; और यहोवा के वचन के अनुसार सिय्योन पर्वत पर, और यरूशलेम में जिन बचे हुओं को यहोवा बुलाएगा, वे उद्धार पाएंगे॥

योएल 3

1 क्योंकि सुनो, जिन दिनों में और जिस समय मैं यहूदा और यरूशलेम वासियों को बंधुआई से लौटा ले आऊंगा,

2 उस समय मैं सब जातियों को इकट्ठी कर के यहोशपात की तराई में ले जाऊंगा, और वहां उनके साथ अपनी प्रजा अर्थात अपने निज भाग इस्राएल के विषय में जिसे उन्होंने अन्यजातियों में तितर-बितर कर के मेरे देश को बांट लिया है, उन से मुकद्दमा लडूंगा।

3 उन्होंने तो मेरी प्रजा पर चिट्ठी डाली, और एक लड़का वेश्या के बदले में दे दिया, और एक लड़की बेच कर दाखमधु पीया है॥

4 हे सोर, और सीदोन और पलिश्तीन के सब प्रदेशो, तुम को मुझ से क्या काम? क्या तुम मुझ को बदला दोगे? यदि तुम मुझे बदला भी दो, तो मैं शीघ्र ही तुम्हारा दिया हुआ बदला, तुम्हारे ही सिर पर डाल दूंगा।

5 क्योंकि तुम ने मेरी चान्दी-सोना ले लिया, और मेरी अच्छी और मनभावनी वस्तुएं अपने मन्दिरों में ले जा कर रखी हैं;

6 और यहूदियों और यरूशलेमियों को यूनानियों के हाथ इसलिये बेच डाला है कि वे अपने देश से दूर किए जाएं।

7 इसलिये सुनो, मैं उन को उस स्थान से, जहां के जाने वालों के हाथ तुम ने उन को बेच दिया, बुलाने पर हूं, और तुम्हारा दिया हुआ बदला, तुम्हारे ही सिर पर डाल दूंगा।

8 मैं तुम्हारे बेटे-बेटियों को यहूदियों के हाथ बिकवा दूंगा, और वे उसको शबाइयों के हाथ बेच देंगे जो दूर देश के रहने वाले हैं; क्योंकि यहोवा ने यह कहा है॥

9 जाति जाति में यह प्रचार करो, युद्ध की तैयारी करो, अपने शूरवीरों को उभारो। सब योद्धा निकट आकर लड़ने को चढ़ें।

10 अपने अपने हल की फाल को पीटकर तलवार, और अपनी अपनी हंसिया को पीटकर बर्छी बनाओ; जो बलहीन हो वह भी कहे, मैं वीर हूं॥

11 हे चारों ओर के जाति जाति के लोगो, फुर्ती कर के आओ और इकट्ठे हो जाओ। हे यहोवा, तू भी अपने शूरवीरों को वहां ले जा।

12 जाति जाति के लोग उभर कर चढ़ जाएं और यहोशापात की तराई में जाएं, क्योंकि वहां मैं चारों ओर की सारी जातियों का न्याय करने को बैठूंगा॥

13 हंसुआ लगाओ, क्योंकि खेत पक गया है। आओ, दाख रौंदो, क्योंकि हौज़ भर गया है। रसकुण्ड उमण्डने लगे, क्योंकि उनकी बुराई बहुत बड़ी है॥

14 निबटारे की तराई में भीड़ की भीड़ है! क्योंकि निबटारे की तराई में यहोवा का दिन निकट है।

15 सूर्य और चन्द्रमा अपना अपना प्रकाश न देंगे, और न तारे चमकेंगे॥

16 और यहोवा सिय्योन से गरजेगा, और यरूशलेम से बड़ा शब्द सुनाएगा; और आकाश और पृथ्वी थरथराएंगे। परन्तु यहोवा अपनी प्रजा के लिये शरणस्थान और इस्राएलियों के लिये गढ़ ठहरेगा॥

17 इस प्रकार तुम जानोगे कि यहोवा जो अपने पवित्र पर्वत सिय्योन पर वास किए रहता है, वही हमारा परमेश्वर है। और यरूशलेम पवित्र ठहरेगा, और परदेशी उस में हो कर फिर न जाने पाएंगे॥

18 और उस समय पहाड़ों से नया दाखमधु टपकने लगेगा, और टीलों से दूध बहने लगेगा, और यहूदा देश के सब नाले जल से भर जाएंगे; और यहोवा के भवन में से एक सोता फूट निकलेगा, जिस से शित्तीम का नाम नाला सींचा जाएगा॥

19 यहूदियों पर उपद्रव करने के कारण, मिस्र उजाड़ और एदोम उजड़ा हुआ मरूस्थल हो जाएगा, क्योंकि उन्होंने उनके देश में निर्दोष की हत्या की थी।

20 परन्तु यहूदा सर्वदा और यरूशलेम पीढ़ी पीढ़ी तब बना रहेगा।

21 क्योंकि उनका खून, जो अब तक मैं ने पवित्र नहीं ठहराया था, उसे अब पवित्र ठहराऊंगा, क्योंकि यहोवा सिय्योन में वास किए रहता है॥

होशे 1

1 यहूदा के राजा उज्जियाह, योताम, आहाज, और हिजकिय्याह के दिनों में और इस्राएल के राजा योआश के पुत्र यारोबाम के दिनों में, यहोवा का वचन बेरी के पुत्र होशे के पास पहुंचा॥

2 जब यहोवा ने होशे के द्वारा पहिले पहिल बातें कीं, तब उसने होशे से यह कहा, जा कर एक वेश्या को अपनी पत्नी बना ले, और उसके कुकर्म के लड़के-बालों को अपने लड़के-बाले कर ले, क्योंकि यह देश यहोवा के पीछे चलना छोड़ कर वेश्या का सा बहुत काम करता है।

3 सो उसने जा कर दिबलैम की बेटी गोमेर को अपनी पत्नी कर लिया, और वह उस से गर्भवती हुई और उसके पुत्र उत्पन्न हुआ।

4 तब यहोवा ने उस से कहा, उसका नाम यिज्रैल रख; क्योंकि थोड़े ही काल में मैं येहू के घराने को यिज्रैल की हत्या का दण्ड दूंगा, और मैं इस्राएल के घराने के राज्य का अन्त कर दूंगा।

5 और उस समय मैं यिज्रैल की तराई में इस्राएल के धनुष को तोड़ डालूंगा॥

6 और वह स्त्री फिर गर्भवती हुई और उसके एक बेटी उत्पन्न हुई। तब यहोवा ने होशे से कहा, उसका नाम लोरूहामा रख; क्योंकि मैं इस्राएल के घराने में फिर कभी दया कर के उनका अपराध किसी प्रकार से क्षमा न करूंगा।

7 परन्तु यहूदा के घराने पर मैं दया करूंगा, और उनका उद्धार करूंगा; उनका उद्धार मैं धनुष वा तलवार वा युद्ध वा घोड़ों वा सवारों के द्वारा नहीं, परन्तु उनके परमेश्वर यहोवा के द्वारा करूंगा॥

8 जब उस स्त्री ने लोरूहामा का दुध छुड़ाया, तब वह गर्भवती हुई और उस से एक पुत्र उत्पन्न हुआ।

9 तब यहोवा ने कहा, इसका नाम लोअम्मी रख; क्योंकि तुम लोग मेरी प्रजा नहीं हो, और न मैं तुम्हारा परमेश्वर रहूंगा॥

10 तौभी इस्राएलियों की गिनती समुद्र की बालू की सी हो जाएगी, जिनका मापना-गिनना अनहोना है; और जिस स्थान में उन से यह कहा जाता था कि तुम मेरी प्रजा नहीं हो, उसी स्थान में वे जीवित परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।

11 तब यहूदी और इस्राएली दोनों इकट्ठे हो अपना एक प्रधान ठहरा कर देश से चले आएंगे; क्योंकि यिज्रेल का दिन प्रसिद्ध होगा।

होशे 2

1 इसलिये तुम लोग अपने भाइयों से अम्मी और अपनी बहिनों से रूहामा कहो॥

2 अपनी माता से विवाद करो, विवाद क्योंकि वह मेरी स्त्री नहीं और न मैं उसका पति हूं। वह अपने मुंह पर से अपने छिनालपन को और छातियों के बीच से व्यभिचारों को अलग करे;

3 नहीं तो मैं उसके वस्त्र उतार कर उसको जन्म के दिन के समान नंगी कर दूंगा, और उसको मरूस्थल के समान और मरूभूमि सरीखी बनाऊंगा, और उसे प्यास से मार डालूंगा।

4 उसके लड़के-बालों पर भी मैं कुछ दया न करूंगा, क्योंकि वे कुकर्म के लड़के हैं।

5 उनकी माता ने छिनाला किया है; जिसके गर्भ में वे पड़े, उसने लज्जा के योग्य काम किया है। उसने कहा, मेरे यार जो मुझे रोटी-पानी, ऊन, सन, तेल और मद्य देते हैं, मैं उन्हीं के पीछे चलूंगी।

6 इसलिये देखो, मैं उसके मार्ग को कांटों से घेरूंगा, और ऐसा बाड़ा खड़ा करूंगा कि वह राह न पा सकेगी।

7 वह अपने यारों के पीछे चलने से भी न पाएगी; और उन्हें ढूंढ़ने से भी न पाएगी। तब वह कहेगी, मैं अपने पहिले पति के पास फिर जाऊंगी, क्योंकि मेरी पहिली दशा इस समय की दशा से अच्छी थी।

8 वह यह नहीं जानती थी, कि अन्न, नया दाखमधु और तेल मैं ही उसे देता था, और उसके लिये वह चान्दी सोना जिस को वे बाल देवता के काम में ले आते हैं, मैं ही बढ़ाता था।

9 इस कारण मैं अन्न की ऋतु में अपने अन्न को, और नये दाखमधु के होने के समय में अपने नये दाखमधु को हर लूंगा; और अपना ऊन और सन भी जिन से वह अपना तन ढांपती है, मैं छीन लूंगा।

10 अब मैं उसके यारों के साम्हने उसके तन को उघाडूंगा, और मेरे हाथ से कोई उसे छुड़ा न सकेगा।

11 और मैं उसके पर्व, नये चांद और विश्रामदिन आदि सब नियत समयों के उत्सवों का अन्त कर दूंगा।

12 और मैं उसकी दाखलताओं और अंजीर के वृक्षों को, जिनके विषय वह कहती है कि यह मेरे छिनाले की प्राप्ति है जिसे मेरे यारों ने मुझे दी है, उन्हें ऐसा उजाडूंगा कि वे जंगल से हो जाएंगे, और वन-पशु उन्हें चर डालेंगे।

13 और वे दिन जिन में वह बाल देवताओं के लिये धूप जलाती, और नत्थ और हार पहिने अपने यारों के पीछे जाती और मुझ को भूले रहती थी, उन दिनों का दण्ड मैं उसे दूंगा, यहोवा की यही वाणी है॥

14 इसलिये देखो, मैं उसे मोहित कर के जंगल में ले जाऊंगा, और वहां उस से शान्ति की बातें कहूंगा।

15 और वहीं मैं उसको दाख की बारियां दूंगा, और आकोर की तराई को आशा का द्वार कर दूंगा और वहां वह मुझ से ऐसी बातें कहेगी जैसी अपनी जवानी के दिनों में अर्थात मिस्र देश से चले आने के समय कहती थी।

16 और यहोवा की यह वाणी है कि उस समय तू मुझे ईशी कहेगी और फिर बाली न कहेगी।

17 क्योंकि भविष्य में मैं उसे बाल देवताओं के नाम न लेने दूंग; और न उनके नाम फिर स्मरण में रहेंगे।

18 और उस समय मैं उनके लिये वन-पशुओं और आकाश के पक्षियों और भूमि पर के रेंगने वाले जन्तुओं के साथ वाचा बान्धूंगा, और धनुष और तलवार तोड़ कर युद्ध को उनके देश से दूर कर दूंगा; और ऐसा करूंगा कि वे लोग निडर सोया करेंगे।

19 और मैं सदा के लिये तुझे अपनी स्त्री करने की प्रतिज्ञा करूंगा, और यह प्रतिज्ञा धर्म, और न्याय, और करूंणा, और दया के साथ करूंगा।

20 और यह सच्चाई के साथ की जाएगी, और तू यहोवा को जान लेगी॥

21 और यहोवा की यह वाणी है कि उस समय मैं आकाश की सुन कर उसको उत्तर दूंगा, और वह पृथ्वी की सुन कर उसे उत्तर देगा;

22 और पृथ्वी अन्न, नये दाखमधु, और ताजे तेल की सुन कर उन को उत्तर देगी, और वे यिज्रेल को उत्तर देंगे।

23 और मैं अपने लिये उसे देश में बोऊंगा, और लोरूहामा पर दया करूंगा, और लोअम्मी से कहूंगा, तू मेरी प्रजा है, और वह कहेगा, “हे मेरे परमेश्वर”॥

होशे 3

1 फिर यहोवा ने मुझ से कहा, अब जा कर एक ऐसी स्त्री से प्रीति कर, जो व्यभिचारिणी होने पर भी अपने प्रिय की प्यारी हो; क्योंकि उसी भांति यद्यपि इस्राएली पराए देवताओं की ओर फिरे, और दाख की टिकियों से प्रीति रखते हैं, तौभी यहोवा उन से प्रीति रखता है।

2 तब मैं ने एक स्त्री को चान्दी के पन्द्रह टुकड़े और डेढ़ होमेर जव दे कर मोल लिया।

3 और मैं ने उस से कहा, तू बहुत दिन तक मेरे लिये बैठी रहना; और न तो छिनाला करना, और न किसी पुरूष की स्त्री हो जाना; और मैं भी तेरे लिये ऐसा ही रहूंगा।

4 क्योंकि इस्राएली बहुत दिन तक बिना राजा, बिना हाकिम, बिना यज्ञ, बिना लाठ, और बिना एपोद वा गृहदेवताओं के बैठे रहेंगे।

5 उसके बाद वे अपने परमेश्वर यहोवा और अपने राजा दाऊद को फिर ढूंढ़ने लगेंगे, और अन्त के दिनों में यहोवा के पास, और उसी उत्तम वस्तुओं के लिये थरथराते हुए आएंगे॥

होशे 4

1 हे इस्राएलियों, यहोवा का वचन सुनो; इस देश के निवासियों के साथ यहोवा का मुकद्दमा है। इस देश में न तो कुछ सच्चाई है, न कुछ करूणा और न कुछ परमेश्वर का ज्ञान ही है।

2 यहां शाप देने, झूठ बोलने, वध करने, चुराने, और व्यभिचार करने को छोड़ कुछ नहीं होता; वे व्यवस्था की सीमा को लांघ कर कुकर्म करते हैं और खून ही खून होता रहता है।

3 इस कारण यह देश विलाप करेगा, और मैदान के जीव-जन्तुओं, और आकाश के पक्षियों समेत उसके सब निवासी कुम्हला जाएंगे; और समुद्र की मछलियां भी नाश हो जाएंगी॥

4 देखो, कोई वाद-विवाद न करे, न कोई उलहना दे, क्योंकि तेरे लोग तो याजकों से वाद-विवाद करने वालों के समान हैं।

5 तू दिनदुपहरी ठोकर खाएगा, और रात को भविष्यद्वक्ता भी तेरे साथ ठोकर खाएगा; और मैं तेरी माता को नाश करूंगा।

6 मेरे ज्ञान के न होने से मेरी प्रजा नाश हो गई; तू ने मेरे ज्ञान को तुच्छ जाना है, इसलिये मैं तुझे अपना याजक रहने के अयोग्य ठहराऊंगा। और इसलिये कि तू ने अपने परमेश्वर की व्यवस्था को तज दिया है, मैं भी तेरे लड़के-बालों को छोड़ दूंगा।

7 जैसे वे बढ़ते गए, वैसे ही वे मेरे विरुद्ध पाप करते गए; मैं उनके वैभव के बदले उनका अनादर करूंगा।

8 वे मेरी प्रजा के पापबलियों को खाते हैं, और प्रजा के पापी होने की लालसा करते हैं।

9 इसलिये जो प्रजा की दशा होगी, वही याजक की भी होगी; मैं उनके चालचलन का दण्ड दूंगा, और उनके कामों के अनुकूल उन्हें बदला दूंगा।

10 वे खाएंगे तो सही, परन्तु तृप्त न होंगे, और वेश्यागमन तो करेंगे, परन्तु न बढ़ेंगे; क्योंकि उन्होंने यहोवा की ओर मन लगाना छोड़ दिया है॥

11 वेश्यागमन और दाखमधु और ताजा दाखमधु, ये तीनों बुद्धि को भ्रष्ट करते हैं।

12 मेरी प्रजा के लोग काठ के पुतले से प्रश्न करते हैं, और उनकी छड़ी उन को भविष्य बताती है। क्योंकि छिनाला कराने वाली आत्मा ने उन्हें बहकाया है, और वे अपने परमेश्वर की आधीनता छोड़ कर छिनाला करते हैं।

13 बांज, चिनार और छोटे बांज वृक्षों की छाया अच्छी होती है, इसलिये वे उनके नीचे और पहाड़ों की चोटियों पर यज्ञ करते, और टीलों पर धूप जलाते हैं॥ इस कारण तुम्हारी बेटियां छिनाल और तुम्हारी बहुएं व्यभिचारिणी हो गई हैं।

14 जब तुम्हारी बेटियां छिनाला और तुम्हारी बहुएं व्यभिचार करें, तब मैं उन को दण्ड न दूंगा; क्योंकि मनुष्य आप ही वेश्याओं के साथ एकान्त में जाते, और देवदासियों के साथी हो कर यज्ञ करते हैं; और जो लोग समझ नहीं रखते, वे नाश हो जाएंगे॥

15 हे इस्राएल, यद्यपि तू छिनाला करता है, तौभी यहूदा दोषी न बने। गिलगाल को न आओ; और न बेतावेन को चढ़ जाओ; और यहोवा के जीवन की सौगन्ध कह कर शपथ न खाओ।

16 क्योंकि इस्राएल ने हठीली कलोर की नाईं हठ किया है, क्या अब यहोवा उन्हें भेड़ के बच्चे की नाईं लम्बे चौड़े मैदान में चराएगा?

17 एप्रैम मूरतों का संगी हो गया है; इसलिये उसको रहने दे।

18 वे जब दाखमधु पी चुकते हैं तब वेश्यागमन करने में लग जाते हैं; उनके प्रधान लोग निरादर होने से अधिक प्रीति रखते हैं।

19 आंधी उन को अपने पंखों में बान्ध कर उड़ा ले जाएगी, और उनके बलिदानों के कारण उनकी आशा टूट जाएगी॥

होशे 5

1 हे याजकों, यह बात सुनो! हे इस्त्राएल के सारे घराने, ध्यान देकर सुनो! हे राजा के घराने, तुम भी कान लगाओ! क्योंकि तुम पर न्याय किया जाएगा; क्योंकि तुम मिसपा में फन्दा और ताबोर पर लगाया हुआ जाल बन गए हो।

2 उन बिगड़े हुओं ने घोर हत्या की है, इसलिए मैं उन सभों को ताड़ना दूंगा ॥

3 मैं एप्रैम का भेद जानता हूँ और इस्त्राएल की दशा मुझ से छिपी नहीं है; हे एप्रैम, तू ने छिनाला किया, और इस्त्राएल अशुद्ध हुआ है।

4 उनके काम उन्हें अपने परमेश्वर की ओर फिरने नहीं देते, क्योंकि छिनाला करने वाली आत्मा उनमें रहती है; और वे यहोवा को नहीं जानते हैं ॥

5 इस्त्राएल का गर्व उसी के विरुद्ध साक्षी देता है, और इस्त्राएल और एप्रैम अपने अधर्म के कारण ठोकर खाएंगे, और यहूदा भी उनके संग ठोकर खाएगा।

6 वे अपनी भेड़-बकरियां और गाय-बैल लेकर यहोवा को ढूंढने चलेंगे, परन्तु वह उनको ना मिलेगा; क्योंकि वह उनसे दूर हो गया है।

7 वे व्यभिचार के लड़के जने हैं; इस से उन्होंने यहोवा का विशवासघात किया है। इस कारण अब चांद उनका और उनके भागों के नाश का कारण होगा॥

8 गिबा में नरसिंगा, और रामा में तुरही फूंको। बेतावन में ललकार कर कहो; हे बिन्यामीन अपने पीछे देख!

9 न्याय के दिन में एप्रैम उजाड़ हो जाएगा; जिस बात का होना निश्चय है, मैं ने उसी का सन्देश इस्त्राएल के सब गोत्रों को दिया है।

10 यहूदा के हाकिम उनके समान हुए हैं जो सिवाना बढ़ा लेते हैं; मैं उनपर अपनी जलजलाहट जल की नाईं उण्डेलूंगा।

11 एप्रैम पर अन्धेर किया गया है, वह मुकद्दमा हार गया है; क्योंकि वह जी लगाकर उस आज्ञा पर चला।

12 इसलिए मैं एप्रैम के लिए कीड़े के समान और यहूदा के घराने के लिए सड़ाहट के समान हूंगा॥

13 जब एप्रैम ने अपना रोग और यहूदा ने अपना घाव देखा, तब एप्रैम अश्शूर के पास गया, और यारेब के राजा को कहला भेजा। परन्तु ना वह तुम्हें चंगा कर सकता और ना तुम्हारा घाव अच्छा कर सकता है।

14 क्योंकि मैं एप्रैम के लिए सिंह, और यहूदा के घराने के लिए जवान सिंह बनूंगा। मैं आप ही उन्हें फाड़ कर ले जाऊंगा; जब मैं उठा ले जाऊंगा, तब मेरे पंजे से कोई छुड़ा ना सकेगा॥

15 जब तक वे अपने को अपराधी मान कर मेरे दर्शन के खोजी ना होंगे तब तक मैं अपने स्थान को लौटूंगा, और जब वे संकट में पड़ेंगे, तब जी लगा कर मुझे ढूंढने लगेंगे॥

होशे 6

1 चलो, हम यहोवा की ओर फिरें; क्योंकि उसी ने फाड़ा, और वही चंगा भी करेगा; उसी ने मारा, और वही हमारे घावों पर पट्टी बान्धेगा।

2 दो दिन के बाद वह हम को जिलाएगा; और तीसरे दिन वह हम को उठा कर खड़ा करेगा; तब हम उसके सम्मुख जीवित रहेंगे।

3 आओ, हम ज्ञान ढूंढ़े, वरन यहोवा का ज्ञान प्राप्त करने के लिये यत्न भी करें; क्योंकि यहोवा का प्रगट होना भोर का सा निश्चित है; वह वर्षा की नाईं हमारे ऊपर आएगा, वरन बरसात के अन्त की वर्षा के समान जिस से भूमि सिंचती है॥

4 हे एप्रैम, मैं तुझ से क्या करूं? हे यहूदा, मैं तुझ से क्या करूं? तुम्हारा स्नेह तो भोर के मेघ के समान, और सवेरे उड़ जाने वाली ओस के समान है।

5 इस कारण मैं ने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा मानो उन पर कुल्हाड़ी चला कर उन्हें काट डाला, और अपने वचनों से उन को घात किया, और मेरा न्याय प्रकाशा के समान चमकता है।

6 क्योंकि मैं बलिदान से नहीं, स्थिर प्रेम ही से प्रसन्न होता हूं, और होमबलियों से अधिक यह चाहता हूं कि लोग परमेश्वर का ज्ञान रखें॥

7 परन्तु उन लोगों ने आदम की नाईं वाचा को तोड़ दिया; उन्होंने वहां मुझ से विश्वासघात किया है।

8 गिलाद नाम गढ़ी तो अनर्थकारियों से भरी है, वह खून से भरी हुई है।

9 जैसे डाकुओं के दल किसी की घात में बैठते हैं, वैसे ही याजकों का दल शकेम के मार्ग में वध करता है, वरन उन्होंने महापाप भी किया है।

10 इस्राएल के घराने में मैं ने रोएं खड़े होने का कारण देखा है; उस में एप्रैम का छिनाला और इस्राएल की अशुद्धता पाई जाती है॥

11 और हे यहूदा, जब मैं अपनी प्रजा को बंधुआई से लौटा ले आऊंगा, उस समय के लिये तेरे निमित्त भी बदला ठहराया हुआ है॥

होशे 7

1 जब मैं इस्राएल को चंगा करता हूं तब एप्रैम का अधर्म और शोमरोन की बुराइयां प्रगट हो जाती हैं; वे छल से काम करते हैं, चोर भीतर घुसता, और डाकुओं का दल बाहर छीन लेता है।

2 तौभी वे नहीं सोचते कि यहोवा हमारी सारी बुराई को स्मरण रखता है। इसलिये अब वे अपने कामों के जाल में फसेंगे, क्योंकि उनके कार्य मेरी दृष्टि में बने हैं।

3 वे राजा को बुराई करने से, और हाकिमों को झूठ बोलने से आनन्दित करते हैं।

4 वे सब के सब व्यभिचारी हैं; वे उस तन्दूर के समान हैं जिस को पकाने वाला गर्म करता है, पर जब तक आटा गूंधा नहीं जाता और खमीर से फूल नहीं चुकता, तब तक वह आग को नहीं उकसाता।

5 हमारे राजा के जन्म दिन में हाकिम दाखमधु पीकर चूर हुए; उसने ठट्ठा करने वालों से अपना हाथ मिलाया।

6 जब तक वे घात लगाए रहते हैं, तब तक वे अपना मन तन्दूर की नाईं तैयार किए रहते हैं; उन का पकाने वाला रात भर सोता रहता है; वह भोर को तन्दूर की धधकती लौ के समान लाल हो जाता है।

7 वे सब के सब तन्दूर की नाईं धधकते, और अपने न्यायियों को भस्म करते हैं। उनके सब राजा मारे गए हैं; और उन में से कोई मेरी दोहाई नहीं देता है॥

8 एप्रैम देश देश के लोगों से मिलाजुला रहता है; एप्रैम ऐसी चपाती ठहरा है जो उलटी न गई हो।

9 परदेशियों ने उसका बल तोड़ डाला, परन्तु वह इसे नहीं जानता; उसके सिर में कहीं कहीं पके बाल हैं, परन्तु वह इसे भी नहीं जानता।

10 इस्राएल का गर्व उसी के विरुद्ध साक्षी देता है; इन सब बातों के रहते हुए भी वे अपने परमेश्वर यहोवा की ओर नहीं फिरे, और न उसको ढूंढ़ा है॥

11 एप्रैम एक भोली पण्डुकी के समान हो गया है जिस के कुछ बुद्धि नहीं; वे मिस्रियों की दोहाई देते, और अश्शूर को चले जाते हैं।

12 जब वे जाएं, तब उनके ऊपर मैं अपना जाल फैलाऊंगा; मैं उन्हें ऐसा खींच लूंगा जैसे आकाश के पक्षी खींचे जाते हैं; मैं उन को ऐसी ताड़ना दूंगा, जैसी उनकी मण्डली सुन चुकी है।

13 उन पर हाय, क्योंकि वे मेरे पास से भटक गए! उनका सत्यानाश होए, क्योंकि उन्होंने मुझ से बलवा किया है! मैं तो उन्हें छुड़ाता रहा, परन्तु वे मुझ से झूठ बोलते आए हैं॥

14 वे मन से मेरी दोहाई नहीं देते, परन्तु अपने बिछौने पर पड़े हुए हाय, हाय, करते हैं; वे अन्न और नये दाखमधु पाने के लिये भीड़ लगाते, और मुझ से बलवा करते हैं।

15 मैं उन को शिक्षा देता रहा और उनकी भुजाओं को बलवन्त करता आया हूं, तौभी वे मेरे विरुद्ध बुरी कल्पना करते हैं।

16 वे फिरते तो हैं, परन्तु परमप्रधान की ओर नहीं; वे धोखा देने वाले धनुष के समान हैं; इसलिये उनके हाकिम अपनी क्रोधभरी बातों के कारण तलवार से मारे जाएंगे। मिस्र देश में उनके ठट्ठों में उड़ाए जाने का यही कारण होगा॥