मीका 2

1 हाय उन पर, जो बिछौनों पर पड़े हुए बुराइयों की कल्पना करते और दुष्ट कर्म की इच्छा करते हैं, और बलवन्त होने के कारण भोर को दिन निकलते ही वे उसको पूरा करते हैं।

2 वे खेतों का लालच कर के उन्हें छीन लेते हैं, और घरों का लालच कर के उन्हें भी ले लेते हैं; और उसके घराने समेत पुरूष पर, और उसके निज भाग समेत किसी पुरूष पर अन्धेर और अत्याचार कहते हैं।

3 इस कारण, यहोवा यों कहता है, मैं इस कुल पर ऐसी विपत्ति डालने पर हूं, जिस के नीचे से तुम अपनी गर्दन हटा न सकोगे; क्योंकि वह विपत्ति का समय होगा।

4 उस समय यह अत्यन्त शोक का गीत दृष्टान्त की रीति पर गाया जाएगा: हम तो सर्वनाश हो गए; वह मेरे लोगों के भाग को बिगाड़ता है; हाय, वह उसे मुझ से कितनी दूर कर देता है! वह हमारे खेत बलवा करने वाले को दे देता है।

5 इस कारण तेरा ऐसा कोई न हो, जो यहोवा की मण्डली में चिट्ठी डाल कर नापने की डोरी डाले॥

6 बकवासी कहा करते हैं, कि बकवास न करो। इन बातें के लिये न कहा करो; ऐसे लोगों में से अपमान न मिटेगा।

7 हे याकूब के घराने, क्या यह कहा जाए कि यहोवा का आत्मा अधीर हो गया है? क्या ये काम उसी के किए हुए हैं? क्या मेरे वचनों से उसका भला नहीं होता जो सीधाई से चलता है?

8 परन्तु कल की बात है कि मेरी प्रजा शत्रु बन कर मेरे विरुद्ध उठी है; तुम शान्त और भोले-भाले राहियों के तन पर से चादर छीन लेते हो जो लड़ाई का विचार न कर के निधड़क चले जाते हैं।

9 मेरी प्रजा की स्त्रियों को तुम उनके सुखधामों से निकाल देते हो; और उनके नन्हें बच्चोंसे तुम मेरी दी हुई उत्तम वस्तुएं सर्वदा के लिये छीन लेते हो।

10 उठो, चले जाओ! क्योंकि यह तुम्हारा विश्राम स्थान नहीं है; इसका कारण वह अशुद्धता है जो कठिन दु:ख के साथ तुम्हारा नाश करेगी।

11 यदि कोई झूठी आत्मा में चलता हुए झूठी और व्यर्थ बातें कहे और कहे कि मैं तुम्हें नित्य दाखमधु और मदिरा के लिये प्रचार सुनाता रहूंगा, तो वही इन लोगों का भविष्यद्वक्ता ठहरेगा॥

12 हे याकूब, मैं निश्चय तुम सभों को इकट्ठा करूंगा; मैं इस्राएल के बचे हुओं को निश्चय इकट्ठा करूंगा; और बोस्रा की भेड़-बकरियों की नाईं एक संग रखूंगा। उस झुण्ड की नाईं जो अच्छी चराई में हो, वे मनुष्यों की बहुतायत के मारे कोलाहल मचाएंगे।

13 उनके आगे आगे बाड़े का तोड़ने वाला गया है, इसलिये वे भी उसे तोड़ रहे हैं, और फाटक से हो कर निकल जा रहे हैं; उनका राजा उनके आगे आगे गया अर्थात यहोवा उनका सरदार और अगुवा है॥

मीका 3

1 और मैं ने कहा, हे याकूब के प्रधानों, हे इस्राएल के घराने के न्याइयों, सुनो! क्या न्याय का भेद जानना तुम्हारा काम नहीं?

2 तुम तो भलाई से बैर, और बुराई से प्रीति रखते हो, मानो, तुम, लोगों पर से उनकी खाल, और उनकी हड्डियों पर से उनका मांस उधेड़ लेते हो;

3 वरन तुम मेरे लोगों का मांस खा भी लेते, और उनकी खाल उधेड़ते हो; तुम उनकी हड्डियों को हांड़ी में पकाने के लिये टुकड़े टुकड़े करते हो।

4 वे उस समय यहोवा की दोहाई देंगे, परन्तु वह उनकी न सुनेगा, वरन उस समय वह उनके बुरे कामों के कारण उन से मुंह फेर लेगा॥

5 यहोवा का यह वचन है कि जो भविष्यद्वक्ता मेरी प्रजा को भटका देते हैं, और जब उन्हें खाने को मिलता है तब शान्ति, शान्ति, पुकारते हैं, और यदि कोई उनके मुंह में कुछ न दे, तो उसके विरुद्ध युद्ध करने को तैयार हो जाते हैं।

6 इस कारण तुम पर ऐसी रात आएगी, कि तुम को दर्शन न मिलेगा, और तुम ऐसे अन्धकार में पड़ोगे कि भावी न कह सकोगे। भविष्यद्वक्ताओं के लिये सूर्य अस्त होगा, और दिन रहते उन पर अन्धियारा छा जाएगा।

7 दर्शी लज्जित होंगे, और भावी कहने वालों के मुंह काले होंगे; और वे सब के सब अपने ओठों को इसलिये ढांपेंगे कि परमेश्वर की ओर से उत्तर नहीं मिलता।

8 परन्तु मैं तो यहोवा की आत्मा से शक्ति, न्याय और पराक्रम पाकर परिपूर्ण हूं कि मैं याकूब को उसका अपराध और इस्राएल को उसका पाप जता सकूं।

9 हे याकूब के घराने के प्रधानों, हे इस्राएल के घराने के न्यायियो, हे न्याय से घृणा करने वालो और सब सीधी बातों की टेढ़ी-मेढ़ी करने वालो, यह बात सुनो।

10 तुम सिय्योन को हत्या कर के और यरूशलेम को कुटिलता कर के दृढ़ करते हो।

11 उसके प्रधान घूस ले ले कर विचार करते, और याजक दाम ले ले कर व्यवस्था देते हैं, और भविष्यद्वक्ता रूपये के लिये भावी कहते हैं; तौभी वे यह कहकर यहोवा पर भरोसा रखते हैं, यहोवा हमारे बीच में है, इसलिये कोई विपत्ति हम पर न आएगी।

12 इसलिये तुम्हारे कारण सिय्योन जोत कर खेत बनाया जाएगा, और यरूशलेम डीह ही डीह हो जाएगा, और जिस पर्वत पर भवन बना है, वह वन के ऊंचे स्थान सा हो जाएगा॥ =”12″>इसलिथे तुम्हारे कारण सिय्योन जोतकर खेत बनाया जाएगा, और यरूशलेम डींह ही डींह हो जाएगा, और जिस पर्वत पर भवन बना है, वह वन के ऊंचे स्यान सा हो जाएगा।।

मीका 4

1 अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा, और सब पहाडिय़ों से अधिक ऊंचा किया जाएगा; और हर जाति के लोग धारा की नाईं उसकी ओर चलेंगे।

2 और बहुत जातियों के लोग जाएंगे, और आपस में कहेंगे, आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर, याकूब के परमेश्वर के भवन में जाएं; तब वह हम को अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे। क्योंकि यहोवा की व्यवस्था सिय्योन से, और उसका वचन यरूशलेम से निकलेगा।

3 वह बहुत देशों के लोगों का न्याय करेगा, और दूर दूर तक की सामर्थी जातियों के झगड़ों को मिटाएगा; सो वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल, और अपने भालोंसे हंसिया बनाएंगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध तलवार फिर न चलाएगी;

4 और लोग आगे को युद्ध विद्या न सीखेंगे। परन्तु वे अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले बैठा करेंगे, और कोई उन को न डराएगा; सेनाओं के यहोवा ने यही वचन दिया है॥

5 सब राज्यों के लोग तो अपने अपने देवता का नाम ले कर चलते हैं, परन्तु हम लोग अपने परमेश्वर यहोवा का नाम ले कर सदा सर्वदा चलते रहेंगे॥

6 यहोवा की यह वाणी है, उस समय मैं प्रजा के लंगड़ों को, और बरबस निकाले हुओं को, और जिन को मैं ने दु:ख दिया है उन सब को इकट्ठे करूंगा।

7 और लंगड़ों को मैं बचा रखूंगा, और दूर किए हुओं को एक सामर्थी जाति कर दूंगा; और यहोवा उन पर सिय्योन पर्वत के ऊपर से सदा राज्य करता रहेगा॥

8 और हे एदेर के गुम्मट, हे सिय्योन की पहाड़ी, पहिली प्रभुता अर्थात यरूशलेम का राज्य तुझे मिलेगा॥

9 अब तू क्यों चिल्लाती है? क्या तुझ में कोई राजा नहीं रहा? क्या तेरा युक्ति करने वाला नाश हो गया, जिस से जच्चा स्त्री की नाईं तुझे पीड़ा उठती है?

10 हे सिय्योन की बेटी, जच्चा स्त्री की नाईं पीड़ा उठा कर उत्पन्न कर; क्योंकि अब तू गढ़ी में से निकल कर मैदान में बसेगी, वरन बाबुल तक जाएगी; वहीं तू छुड़ाई जाएगी, अर्थात वहीं यहोवा तुझे तेरे शत्रुओं के वश में से छुड़ा लेगा॥

11 और अब बहुत सी जातियां तेरे विरुद्ध इकट्ठी हो कर तेरे विषय में कहेंगी सिय्योन अपवित्र की जाए, और हम अपनी आंखों से उसको निहारें।

12 परन्तु वे यहोवा की कल्पनाएं नहीं जानते, न उसकी युक्ति समझते हैं, कि वह उन्हें ऐसा बटोर लेगा जैसे खलिहान में पूले बटोरे जाते हैं।

13 हे सिय्योन, उठ और दांव कर, मैं तेरे सींगों को लोहे के, और तेरे खुरों को पीतल के बना दूंगा; ओर तू बहुत सी जातियों को चूरचूर करेगी, ओर उनकी कमाई यहोवा को और उनकी धन-सम्पत्ति पृथ्वी के प्रभु के लिये अर्पण करेगी॥

मीका 5

1 अब हे बहुत दलों की स्वामिनी, दल बान्ध-बान्धकर इकट्ठी हो, क्योंकि उसने हम लोगों को घेर लिया है; वे इस्राएल के न्यायी के गाल पर सोंटा मारेंगे।

2 हे बेतलेहेम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हजारों में गिना नहीं जाता, तौभी तुझ में से मेरे लिये एक पुरूष निकलेगा, जो इस्राएलियों में प्रभुता करने वाला होगा; और उसका निकलना प्राचीन काल से, वरन अनादि काल से होता आया है।

3 इस कारण वह उन को उस समय तक त्यागे रहेगा, जब तक जच्चा उत्पन्न न करे; तब इस्राएलियों के पास उसके बचे हुए भाई लौट कर उन से मिल जाएंगे।

4 और वह खड़ा हो कर यहोवा की दी हुई शक्ति से, और अपने परमेश्वर यहोवा के नाम के प्रताप से, उनकी चरवाही करेगा। और वे सुरक्षित रहेंगे, क्योंकि अब वह पृथ्वी की छोर तक महान् ठहरेगा॥

5 और वह शान्ति का मूल होगा, जब अश्शूरी हमारे देश पर चढ़ाई करें, और हमारे राजभवनों में पांव धरें, तब हम उनके विरुद्ध सात चरवाहे वरन आठ प्रधान मनुष्य खड़ें करेंगे।

6 और वे अश्शूर के देश को वरन पैठाव के स्थानों तक निम्रोद के देश को तलवार चला कर मार लेंगे; और जब अश्शूरी लोग हमारे देश में आएं, और उसके सिवाने के भीतर पांव धरें, तब वही पुरूष हम को उन से बचाएगा।

7 और याकूब के बचे हुए लोग बहुत राज्यों के बीच ऐसा काम देंगे, जैसा यहोवा की ओर से पड़ने वाली ओस, और घास पर की वर्षा, जो किसी के लिये नहीं ठहरती और मनुष्यों की बाट नहीं जोहती।

8 और याकूब के बचे हुए लोग जातियों में और देश देश के लोगों के बीच ऐसे होंगे जैसे वन पशुओं में सिंह, वा भेड़-बकरियों के झुण्डों में जवान सिंह होता है, क्योंकि जब वह उनके बीच में से जाए, तो लताड़ता और फाड़ता जाएगा, और कोई बचा न सकेगा।

9 तेरा हाथ तेरे द्रोहियों पर पड़े, और तेरे सब शत्रु नाश हो जाएं॥

10 यहोवा की यही वाणी है, उस समय मैं तेरे घोड़ों को तेरे बीच में से नाश करूंगा; और तेरे रथों का विनाश करूंगा।

11 ओर मैं तेरे देश के नगरों को भी नाश करूंगा, और तेरे किलों को ढा दूंगा।

12 और मैं तेरे तन्त्र-मन्त्र नाश करूंगा, और तुझ में टोन्हे आगे को न रहेंगे।

13 ओर मैं तेरी खुदी हुई मूरतें, और तेरी लाठें, तेरे बीच में से नाश करूंगा; और तू आगे को अपने हाथ की बनाई हुई वस्तुओं को दण्डवत न करेगा।

14 और मैं तेरी अशेरा नाम मूरतों को तेरी भूमि में से उखाड़ डालूंगा, और तेरे नगरों का विनाश करूंगा।

15 और मैं अन्यजातियों से जो मेरा कहा नहीं मानतीं, क्रोध और जल जलाहट के साथ पलटा लूंगा॥

मीका 6

1 जो बात यहोवा कहता है, उसे सुनो : उठ कर, पहाड़ों के साम्हने वादविवाद कर, और टीले भी तेरी सुनने पाएं।

2 हे पहाड़ों, और हे पृथ्वी की अटल नेव, यहोवा का वादविवाद सुनो, क्योंकि यहोवा का अपनी प्रजा के साथ मुकद्दमा है, और वह इस्राएल से वादविवाद करता है॥

3 हे मेरी प्रजा, मैं ने तेरा क्या किया, और क्या कर के मैं ने तुझे उकता दिया है?

4 मेरे विरुद्ध साक्षी दे! मैं तो तुझे मिस्र देश से निकाल ले आया, और दासत्व के घर में से तुझे छुड़ा लाया; और तेरी अगुवाई करने को मूसा, हारून और मरियम को भेज दिया।

5 हे मेरी प्रजा, स्मरण कर, कि मोआब के राजा बालाक ने तेरे विरुद्ध कौन सी युक्ति की? और बोर के पुत्र बिलाम ने उसको क्या सम्मत्ति दी? और शित्तिम से गिल्गाल तक की बातों का स्मरण कर, जिस से तू यहोवा के धर्म के काम समझ सके॥

6 मैं क्या ले कर यहोवा के सम्मुख आऊं, और ऊपर रहने वाले परमेश्वर के साम्हने झुकूं? क्या मैं होमबलि के लिये एक एक वर्ष के बछड़े ले कर उसके सम्मुख आऊं?

7 क्या यहोवा हजारों मेढ़ों से, वा तेल की लाखों नदियों से प्रसन्न होगा? क्या मैं अपने अपराध के प्रायश्चित्त में अपने पहिलौठे को वा अपने पाप के बदले में अपने जन्माए हुए किसी को दूं?

8 हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले?

9 यहोवा इस नगर को पुकार रहा है, और सम्पूर्ण ज्ञान, तेरे नाम का भय मानना है: राजदण्ड की, और जो उसे देने वाला है उसकी बात सुनो!

10 क्या अब तक दुष्ट के घर में दुष्टता से पाया हुआ धन और छोटा एपा घृणित नहीं है?

11 क्या मैं कपट का तराजू और घटबढ़ के बटखरों की थैली ले कर पवित्र ठहर सकता हूं?

12 यहां के धनवान् लोग उपद्रव का काम देखा करते हैं; और यहां के सब रहने वाले झूठ बोलते हैं और उनके मुंह से छल की बातें निकलती हैं।

13 इस कारण मैं तुझे मारते मारते बहुत ही घायल करता हूं, और तेरे पापों के कारण तुझ को उजाड़ डालता हूं।

14 तू खाएगा, परन्तु तृप्त न होगा, तेरा पट जलता ही रहेगा; और तू अपनी सम्पत्ति ले कर चलेगा, परन्तु न बचा सकेगा, और जो कुछ तू बचा भी ले, उसको मैं तलवार चला कर लुटवा दूंगा।

15 तू बोएगा, परन्तु लवेगा नहीं; तू जलपाई का तेल निकालेगा, परन्तु लगाने न पाएगा; और दाख रौंदेगा, परन्तु दाखमधु पीने न पाएगा।

16 क्योंकि वे ओम्री की विधियों पर, और अहाब के घराने के सब कामों पर चलते हैं; और तुम उनकी युक्तियों के अनुसार चलते हो; इसलिये मैं तुझे उजाड़ दूंगा, और इस नगर के रहने वालों पर ताली बजवाऊंगा, और तुम मेरी प्रजा की नामधराई सहोगे॥

मीका 7

1 हाय मुझ पर! क्योंकि मैं उस जन के समान हो गया हूं जो धूपकाल के फल तोड़ने पर, वा रही हुई दाख बीनने के समय के अन्त में आ जाए, मुझे तो पक्की अंजीरों की लालसा थी, परन्तु खाने के लिये कोई गुच्छा नहीं रहा।

2 भक्त लोग पृथ्वी पर से नाश हो गए हैं, और मनुष्यों में एक भी सीधा नहीं जन नहीं रहा; वे सब के सब हत्या के लिये घात लगाते, और जाल लगा कर अपने अपने भाई का आहेर करते हैं।

3 वे अपने दोनों हाथों से मन लगा कर बुराई करते हैं; हाकिम घूस मांगता, और न्यायी घूस लेने को तैयार रहता है, और रईस अपने मन की दुष्टता वर्णन करता है; इसी प्रकार से वे सब मिल कर जालसाजी करते हैं।

4 उन में से जो सब से उत्तम है, जो सब से सीधा है, वह कांटे वाले बाड़े से भी बुरा है। तेरे पहरूओं का कहा हुआ दिन, अर्थात तेरे दण्ड का दिन आ गया है। अब वे शीघ्र चौंधिया जाएंगे।

5 मित्र पर विश्वास मत करो, परममित्र पर भी भरोसा मत रखो; वरन अपनी अर्द्धांगिन से भी संभल कर बोलना।

6 क्योंकि पुत्र पिता का अपमान करता, और बेटी माता के, और पतोह सास के विरुद्ध उठती है; मनुष्य के शत्रु उसके घर ही के लोग होते हैं।

7 परन्तु मैं यहोवा की ओर ताकता रहूंगा, मैं अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर की बाट जोहता रहूंगा; मेरा परमेश्वर मेरी सुनेगा॥

8 हे मेरी बैरिन, मुझ पर आनन्द मत कर; क्योंकि ज्योंही मैं गिरूंगा त्योंही उठूंगा; और ज्योंही मैं अन्धकार में पडूंगा त्योंहि यहोवा मेरे लिये ज्योति का काम देगा।

9 मैं ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है, इस कारण मैं उस समय तक उसके क्रोध को सहता रहूंगा जब तक कि वह मेरा मुकद्दमा लड़ कर मेरा न्याय न चुकाएगा। उस समय वह मुझे उजियाले में निकाल ले आएगा, और मैं उसका धर्म देखूंगा।

10 तब मेरी बैरिन जो मुझ से यह कहती है कि तेरा परमेश्वर यहोवा कहां रहा, वह भी उसे देखेगी और लज्जा से मुंह ढांपेगी। मैं अपनी आंखों से उसे देखूंगा; तब वह सड़कों की कीच की नाईं लताड़ी जाएगी॥

11 तेरे बाड़ों के बान्धने के दिन उसकी सीमा बढ़ाई जाएगी।

12 उस दिन अश्शूर से, और मिस्र के नगरों से, और मिस्र और महानद के बीच के, और समुद्र-समुद्र और पहाड़-पहाड़ के बीच के देशों से लोग तेरे पास आंएगे।

13 तौभी यह देश अपने रहने वालों के कामों के कारण उजाड़ ही रहेगा॥

14 तू लाठी लिये हुए अपनी प्रजा की चरवाही कर, अर्थात अपने निज भाग की भेड़-बकरियों की, जो कर्म्मेल के वन में अलग बैठती है; वे पूर्वकाल की नाईं बाशान और गिलाद में चरा करें॥

15 जैसे कि मिस्र देश से तेरे निकल आने के दिनों में, वैसी ही अब मैं उसको अद्भुत काम दिखाऊंगा।

16 अन्यजातियां देखकर अपने सारे पराक्रम के विषय में लजाएंगी; वे अपने मुंह को हाथ से छिपाएंगी, और उनके कान बहिरे हो जाएंगे।

17 वे सर्प की नाईं मिट्टी चाटेंगी, और भूमि पर रेंगने वाले जन्तुओं की भांति अपने बिलों में से कांपती हुई निकलेंगी; हे हमारे परमेश्वर यहोवा के पास थरथराती हुई आएंगी, और वे तुझ से डरेंगी॥

18 तेरे समान ऐसा परमेश्वर कहां है जो अधर्म को क्षमा करे और अपने निज भाग के बचे हुओं के अपराध को ढांप दे? वह अपने क्रोध को सदा बनाए नहीं रहता, क्योंकि वह करूणा से प्रीति रखता है।

19 वह फिर हम पर दया करेगा, और हमारे अधर्म के कामों को लताड़ डालेगा। तू उनके सब पापों को गहिरे समुद्र में डाल देगा।

20 तू याकूब के विषय में वह सच्चई, और इब्राहीम के विषय में वह करूणा पूरी करेगा, जिस की शपथ तू प्राचीनकाल के दिनों से ले कर अब तक हमारे पितरों से खाता आया है॥

योना 1

1 यहोवा का यह वचन अमितै के पुत्र योना के पास पहुंचा,

2 उठ कर उस बड़े नगर नीनवे को जा, और उसके विरुद्ध प्रचार कर; क्योंकि उसकी बुराई मेरी दृष्टि में बढ़ गई है।

3 परन्तु योना यहोवा के सम्मुख से तर्शीश को भाग जाने के लिये उठा, और यापो नगर को जा कर तर्शीश जाने वाला एक जहाज पाया; और भाड़ा देकर उस पर चढ़ गया कि उनके साथ हो कर यहोवा के सम्मुख से तर्शीश को चला जाए॥

4 तब यहोवा ने समुद्र में एक प्रचण्ड आंधी चलाई, और समुद्र में बड़ी आंधी उठी, यहां तक कि जहाज टूटने पर था।

5 तब मल्लाह लोग डर कर अपने अपने देवता की दोहाई देने लगे; और जहाज में जो व्यापार की सामग्री थी उसे समुद्र में फेंकने लगे कि जहाज हल्का हो जाए। परन्तु योना जहाज के निचले भाग में उतरकर सो गया था, और गहरी नींद में पड़ा हुआ था।

6 तब मांझी उसके निकट आकर कहने लगा, तू भारी नींद में पड़ा हुआ क्या करता है? उठ, अपने देवता की दोहाई दे! सम्भव है कि परमेश्वर हमारी चिन्ता करे, और हमारा नाश न हो॥

7 तब उन्होंने आपस में कहा, आओ, हम चिट्ठी डाल कर जान लें कि यह विपत्ति हम पर किस के कारण पड़ी है। तब उन्होंने चिट्ठी डाली, और चिट्ठी योना के नाम पर निकली।

8 तब उन्होंने उस से कहा, हमें बता कि किस के कारण यह विपत्ति हम पर पड़ी है? तेरा उद्यम क्या है? और तू कहां से आया है? तू किस देश और किस जाति का है?

9 उसने उन से कहा, मैं इब्री हूं; और स्वर्ग का परमेश्वर यहोवा जिसने जल स्थल दोनों को बनाया है, उसी का भय मानता हूं।

10 तब वे निपट डर गए, और उस से कहने लगे, तू ने यह क्या किया है? वे जान गए थे कि वह यहोवा के सम्मुख से भाग आया है, क्योंकि उसने आप ही उन को बता दिया था॥

11 तब उन्होंने उस से पूछा, हम तेरे साथ क्या करें जिस से समुद्र शान्त हो जाए? उस समय समुद्र की लहरें बढ़ती ही जाती थीं।

12 उसने उन से कहा, मुझे उठा कर समुद्र में फेंक दो; तब समुद्र शान्त पड़ जाएगा; क्योंकि मैं जानता हूं, कि यह भारी आंधी तुम्हारे ऊपर मेरे ही कारण आई है।

13 तौभी वे बड़े यत्न से खेते रहे कि उसको किनारे पर लगाएं, परन्तु पहुंच न सके, क्योंकि समुद्र की लहरें उनके विरुद्ध बढ़ती ही जाती थीं।

14 तब उन्होंने यहोवा को पुकार कर कहा, हे यहोवा हम बिनती करते हैं, कि इस पुरूष के प्राण की सन्ती हमारा नाश न हो, और न हमें निर्दोष की हत्या का दोषी ठहरा; क्योंकि हे यहोवा, जो कुछ तेरी इच्छा थी वही तू ने किया है।

15 तब उन्होंने योना को उठा कर समुद्र में फेंक दिया; और समुद्र की भयानक लहरें थम गईं।

16 तब उन मनुष्यों ने यहोवा का बहुत ही भय माना, और उसको भेंट चढ़ाई और मन्नतें मानीं॥

17 यहोवा ने एक बड़ा सा मगरमच्छ ठहराया था कि योना को निगल ले; और योना उस मगरमच्छ के पेट में तीन दिन और तीन रात पड़ा रहा॥

योना 2

1 तब योना ने उसके पेट में से अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना कर के कहा,

2 मैं ने संकट में पड़े हुए यहोवा की दोहाई दी, और उसने मेरी सुन ली है; अधोलोक के उदर में से मैं चिल्ला उठा, और तू ने मेरी सुन ली।

3 तू ने मुझे गहिरे सागर में समुद्र की थाह तक डाल दिया; और मैं धाराओं के बीच में पड़ा था, तेरी भड़काई हुई सब तरंग और लहरें मेरे ऊपर से बह गईं।

4 तब मैं ने कहा, मैं तेरे साम्हने से निकाल दिया गया हूं; तौभी तेरे पवित्र मन्दिर की ओर फिर ताकूंगा।

5 मैं जल से यहां तक घिरा हुआ था कि मेरे प्राण निकले जाते थे; गहिरा सागर मेरे चारों ओर था, और मेरे सिर में सिवार लिपटा हुआ था।

6 मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुंच गया था; मैं सदा के लिये भूमि में बन्द हो गया था; तौभी हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने मेरे प्राणों को गड़हे में से उठाया है।

7 जब मैं मूर्छा खाने लगा, तब मैं ने यहोवा को स्मरण किया; और मेरी प्रार्थना तेरे पास वरन तेरे पवित्र मन्दिर में पहुंच गई।

8 जो लोग धोखे की व्यर्थ वस्तुओं पर मन लगाते हैं, वे अपने करूणानिधान को छोड़ देते हैं।

9 परन्तु मैं ऊंचे शब्द से धन्यवाद कर के तुझे बलिदान चढ़ाऊंगा; जो मन्नत मैं ने मानी, उसको पूरी करूंगा। उद्धार यहोवा ही से होता है।

10 और यहोवा ने मगरमच्छ को आज्ञा दी, और उसने योना को स्थल पर उगल दिया॥

योना 3

1 तब यहोवा का यह वचन दूसरी बार योना के पास पहुंचा,

2 उठ कर उस बड़े नगर नीनवे को जा, और जो बात मैं तुझ से कहूंगा, उसका उस में प्रचार कर।

3 तब योना यहोवा के वचन के अनुसार नीनवे को गया। नीनवे एक बहुत बड़ा नगर था, वह तीन दिन की यात्रा का था।

4 और योना ने नगर में प्रवेश कर के एक दिन की यात्रा पूरी की, और यह प्रचार करता गया, अब से चालीस दिन के बीतने पर नीनवे उलट दिया जाएगा।

5 तब नीनवे के मनुष्यों ने परमेश्वर के वचन की प्रतीति की; और उपवास का प्रचार किया गया और बड़े से ले कर छोटे तक सभों ने टाट ओढ़ा।

6 तब यह समाचार नीनवे के राजा के कान में पहुंचा; और उसने सिंहासन पर से उठ, अपना राजकीय ओढ़ना उतार कर टाट ओढ़ लिया, और राख पर बैठ गया।

7 और राजा ने प्रधानों से सम्मति ले कर नीनवे में इस आज्ञा का ढींढोरा पिटवाया, कि क्या मनुष्य, क्या गाय-बैल, क्या भेड़-बकरी, या और पशु, कोई कुछ भी न खाएं; वे ने खांए और न पानी पीवें।

8 और मनुष्य और पशु दोनों टाट ओढ़ें, और वे परमेश्वर की दोहाई चिल्ला-चिल्ला कर दें; और अपने कुमार्ग से फिरें; और उस उपद्रव से, जो वे करते हैं, पश्चाताप करें।

9 सम्भव है, परमेश्वर दया करे और अपनी इच्छा बदल दे, और उसका भड़का हुआ कोप शान्त हो जाए और हम नाश होने से बच जाएं॥

10 जब परमेश्वर ने उनके कामों को देखा, कि वे कुमार्ग से फिर रहे हैं, तब परमेश्वर ने अपनी इच्छा बदल दी, और उनकी जो हानि करने की ठानी थी, उसको न किया॥

योना 4

1 यह बात योना को बहुत ही बुरी लगी, और उसका क्रोध भड़का।

2 और उसने यहोवा से यह कह कर प्रार्थना की, हे यहोवा जब मैं अपने देश में था, तब क्या मैं यही बात न कहता था? इसी कारण मैं ने तेरी आज्ञा सुनते ही तर्शीश को भाग जाने के लिये फुर्ती की; क्योंकि मैं जानता था कि तू अनुग्रहकारी और दयालु परमेश्वर है, विलम्ब से कोप करने वाला करूणानिधान है, और दु:ख देने से प्रसन्न नहीं होता।

3 सो अब हे यहोवा, मेरा प्राण ले ले; क्योंकि मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही भला है।

4 यहोवा ने कहा, तेरा जो क्रोध भड़का है, क्या वह उचित है?

5 इस पर योना उस नगर से निकल कर, उसकी पूरब ओर बैठ गया; और वहां एक छप्पर बना कर उसकी छाया में बैठा हुआ यह देखने लगा कि नगर को क्या होगा?

6 तब यहोवा परमेश्वर ने एक रेंड़ का पेड़ लगा कर ऐसा बढ़ाया कि योना के सिर पर छाया हो, जिस से उसका दु:ख दूर हो। योना उस रेंड़ के पेड़ के कारण बहुत ही आनन्दित हुआ।

7 बिहान को जब पौ फटने लगी, तब परमेश्वर ने एक कीड़े को भेजा, जिसने रेंड़ का पेड़ ऐसा काटा कि वह सूख गया।

8 जब सूर्य उगा, तब परमेश्वर ने पुरवाई बहा कर लू चलाई, और घाम योना के सिर पर ऐसा लगा कि वह मूर्च्छा खाने लगा; और उसने यह कह कर मृत्यु मांगी, मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही अच्छा है।

9 परमेश्वर ने योना से कहा, तेरा क्रोध, जो रेंड़ के पेड़ के कारण भड़का है, क्या वह उचित है? उसने कहा, हां, मेरा जो क्रोध भड़का है वह अच्छा ही है, वरन क्रोध के मारे मरना भी अच्छा होता।

10 तब यहोवा ने कहा, जिस रेंड़ के पेड़ के लिये तू ने कुछ परिश्रम नहीं किया, न उसको बढ़ाया, जो एक ही रात में हुआ, और एक ही रात में नाश भी हुआ; उस पर तू ने तरस खाई है।

11 फिर यह बड़ा नगर नीनवे, जिस में एक लाख बीस हजार से अधिक मनुष्य हैं, जो अपने दाहिने बाएं हाथों का भेद नहीं पहिचानते, और बहुत घरेलू पशु भी उस में रहते हैं, तो क्या मैं उस पर तरस न खाऊं?