लैव्यवस्था 19

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

2 इस्त्राएलियों की सारी मण्डली से कह, कि तुम पवित्र बने रहो; क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा पवित्र हूं।

3 तुम अपनी अपनी माता और अपने अपने पिता का भय मानना, और मेरे विश्राम दिनों को मानना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

4 तुम मूरतों की ओर न फिरना, और देवताओं की प्रतिमाएं ढालकर न बना लेना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

5 जब तुम यहोवा के लिये मेलबलि करो, तब ऐसा बलिदान करना जिससे मैं तुम से प्रसन्न हो जाऊं।

6 उसका मांस बलिदान के दिन और दूसरे दिन खाया जाए, परन्तु तीसरे दिन तक जो रह जाए वह आग में जला दिया जाए।

7 और यदि उस में से कुछ भी तीसरे दिन खाया जाए, तो यह घृणित ठहरेगा, और ग्रहण न किया जाएगा।

8 और उसका खानेवाला यहोवा के पवित्र पदार्थ को अपवित्र ठहराता है, इसलिये उसको अपने अधर्म का भार स्वयं उठाना पड़ेगा; और वह प्राणी अपने लोगों में से नाश किया जाएगा॥

9 फिर जब तुम अपने देश के खेत काटो तब अपने खेत के कोने कोने तक पूरा न काटना, और काटे हुए खेत की गिरी पड़ी बालों को न चुनना।

10 और अपनी दाख की बारी का दाना दाना न तोड़ लेना, और अपनी दाख की बारी के झड़े हुए अंगूरों को न बटोरना; उन्हें दीन और परदेशी लोगों के लिये छोड़ देना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

11 तुम चोरी न करना, और एक दूसरे से न तो कपट करना, और न झूठ बोलना।

12 तुम मेरे नाम की झूठी शपथ खाके अपने परमेश्वर का नाम अपवित्र न ठहराना; मैं यहोवा हूं।

13 एक दूसरे पर अन्धेर न करना, और न एक दूसरे को लूट लेना। और मजदूर की मजदूरी तेरे पास सारी रात बिहान तक न रहने पाए।

14 बहिरे को शाप न देना, और न अन्धे के आगे ठोकर रखना; और अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं यहोवा हूं।

15 न्याय में कुटिलता न करना; और न तो कंगाल का पक्ष करना और न बड़े मनुष्यों का मुंह देखा विचार करना; उस दूसरे का न्याय धर्म से करना।

16 लूतरा बनके अपने लोगों में न फिरा करना, और एक दूसरे के लोहू बहाने की युक्तियां न बान्धना; मैं यहोवा हूं।

17 अपने मन में एक दूसरे के प्रति बैर न रखना; अपने पड़ोसी को अवश्य डांटना नहीं, तो उसके पाप का भार तुझ को उठाना पड़ेगा।

18 पलटा न लेना, और न अपने जाति भाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूं।

19 तुम मेरी विधियों को निरन्तर मानना। अपने पशुओं को भिन्न जाति के पशुओं से मेल न खाने देना; अपने खेत में दो प्रकार के बीज इकट्ठे न बोना; और सनी और ऊन की मिलावट से बना हुआ वस्त्र न पहिनना।

20 फिर कोई स्त्री दासी हो, और उसकी मंगनी किसी पुरूष से हुई हो, परन्तु वह न तो दाम से और न सेंतमेंत स्वाधीन की गई हो; उससे यदि कोई कुकर्म करे, तो उन दोनों को दण्ड तो मिले, पर उस स्त्री के स्वाधीन न होने के कारण वे दोनों मार न डाले जाएं।

21 पर वह पुरूष मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के पास एक मेढ़ा दोषबलि के लिये ले आए।

22 और याजक उसके किये हुए पाप के कारण दोषबलि के मेढ़े के द्वारा उसके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे; तब उसका किया हुआ पाप क्षमा किया जाएगा।

23 फिर जब तुम कनान देश में पंहुचकर किसी प्रकार के फल के वृक्ष लगाओ, तो उनके फल तीन वर्ष तक तुम्हारे लिये मानों खतनारहित ठहरें रहें; इसलिये उन में से कुछ न खाया जाए।

24 और चौथे वर्ष में उनके सब फल यहोवा की स्तुति करने के लिये पवित्र ठहरें।

25 तब पांचवें वर्ष में तुम उनके फल खाना, इसलिये कि उन से तुम को बहुत फल मिलें; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

26 तुम लोहू लगा हुआ कुछ मांस न खाना। और न टोना करना, और न शुभ वा अशुभ मुहूर्तों को मानना।

27 अपने सिर में घेरा रखकर न मुंड़ाना, और न अपने गाल के बालों को मुंड़ाना।

28 मुर्दों के कारण अपने शरीर को बिलकुल न चीरना, और न उस में छाप लगाना; मैं यहोवा हूं।

29 अपनी बेटियों को वेश्या बनाकर अपवित्र न करना, ऐसा न हो कि देश वेश्यागमन के कारण महापाप से भर जाए।

30 मेरे विश्रामदिन को माना करना, और मेरे पवित्रस्थान का भय निरन्तर मानना; मैं यहोवा हूं।

31 ओझाओं और भूत साधने वालों की ओर न फिरना, और ऐसों को खोज करके उनके कारण अशुद्ध न हो जाना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

32 पक्के बाल वाले के साम्हने उठ खड़े होना, और बूढ़े का आदरमान करना, और अपने परमेश्वर का भय निरन्तर मानना; मैं यहोवा हूं।

33 और यदि कोई परदेशी तुम्हारे देश में तुम्हारे संग रहे, तो उसको दु:ख न देना।

34 जो परदेशी तुम्हारे संग रहे वह तुम्हारे लिये देशी के समान हो, और उससे अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

35 तुम न्याय में, और परिमाण में, और तौल में, और नाप में कुटिलता न करना।

36 सच्चा तराजू, धर्म के बटखरे, सच्चा एपा, और धर्म का हीन तुम्हारे पास रहें; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं जो तुम को मिस्र देश से निकाल ले आया।

37 इसलिये तुम मेरी सब विधियों और सब नियमों को मानते हुए निरन्तर पालन करो; मैं यहोवा हूं॥

लैव्यवस्था 20

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

2 इस्त्राएलियों से कह, कि इस्त्राएलियों में से, वा इस्त्राएलियों के बीच रहने वाले परदेशियों में से, कोई क्यों न हो जो अपनी कोई सन्तान मोलेक को बलिदान करे वह निश्चय मार डाला जाए; और जनता उसको पत्थरवाह करे।

3 और मैं भी उस मनुष्य के विरुद्ध हो कर उसको उसके लोगों में से इस कारण नाश करूंगा, कि उसने अपनी सन्तान मोलेक को देकर मेरे पवित्रस्थान को अशुद्ध किया, और मेरे पवित्र नाम को अपवित्र ठहराया।

4 और यदि कोई अपनी सन्तान मोलेक को बलिदान करे, और जनता उसके विषय में आनाकानी करे, और उसको मार न डाले,

5 तब तो मैं स्वयं उस मनुष्य और उसके घराने के विरुद्ध हो कर उसको और जितने उसके पीछे हो कर मोलेक के साथ व्यभिचार करें उन सभों को भी उनके लोगों के बीच में से नाश करूंगा।

6 फिर जो प्राणी ओझाओं वा भूतसाधने वालों की ओर फिरके, और उनके पीछे हो कर व्यभिचारी बने, तब मैं उस प्राणी के विरुद्ध हो कर उसको उसके लोगों के बीच में से नाश कर दूंगा।

7 इसलिये तुम अपने आप को पवित्र करो; और पवित्र बने रहो; क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

8 और तुम मेरी विधियों को मानना, और उनका पालन भी करना; क्योंकि मैं तुम्हारा पवित्र करने वाला यहोवा हूं।

9 कोई क्यों न हो जो अपने पिता वा माता को शाप दे वह निश्चय मार डाला जाए; उसने अपने पिता वा माता को शाप दिया है, इस कारण उसका खून उसी के सिर पर पड़ेगा।

10 फिर यदि कोई पराई स्त्री के साथ व्यभिचार करे, तो जिसने किसी दूसरे की स्त्री के साथ व्यभिचार किया हो तो वह व्यभिचारी और वह व्यभिचारिणी दोनों निश्चय मार डाले जाएं।

11 और यदि कोई अपनी सौतेली माता के साथ सोए, वह जो अपने पिता ही का तन उघाड़ने वाला ठहरेगा; सो इसलिये वे दोनों निश्चय मार डाले जाएं, उनका खून उन्हीं के सिर पर पड़ेगा।

12 और यदि कोई अपनी पतोहू के साथ सोए, तो वे दोनों निश्चय मार डाले जाएं; क्योंकि वे उलटा काम करने वाले ठहरेंगे, और उनका खून उन्हीं के सिर पर पड़ेगा।

13 और यदि कोई जिस रीति स्त्री से उसी रीति पुरूष से प्रसंग करे, तो वे दोनों घिनौना काम करने वाले ठहरेंगे; इस कारण वे निश्चय मार डाले जाएं, उनका खून उन्हीं के सिर पर पड़ेगा।

14 और यदि कोई अपनी पत्नी और अपनी सास दोनों को रखे, तो यह महापाप है; इसलिये वह पुरूष और वे स्त्रियां तीनों के तीनों आग में जलाए जाएं, जिस से तुम्हारे बीच महापाप न हो।

15 फिर यदि कोई पुरूष पशुगामी हो, तो पुरूष और पशु दोनों निश्चय मार डाले जाएं।

16 और यदि कोई स्त्री पशु के पास जा कर उसके संग कुकर्म करे, तो तू उस स्त्री और पशु दोनों को घात करना; वे निश्चय मार डाले जाएं, उनका खून उन्हीं के सिर पर पड़ेगा।

17 और यदि कोई अपनी बहिन का, चाहे उसकी संगी बहिन हो चाहे सौतेली, उसका नग्न तन देखे, तो वह निन्दित बात है, वे दोनों अपने जाति भाइयों की आंखों के साम्हने नाश किए जाएं; क्योंकि जो अपनी बहिन का तन उघाड़ने वाला ठहरेगा उसे अपने अधर्म का भार स्वयं उठाना पड़ेगा।

18 फिर यदि कोई पुरूष किसी ऋतुमती स्त्री के संग सोकर उसका तन उघाड़े, तो वह पुरूष उसके रूधिर के सोते का उघाड़ने वाला ठहरेगा, और वह स्त्री अपने रूधिर के सोते की उघाड़ने वाली ठहरेगी; इस कारण दोनों अपने लोगों के बीच से नाश किए जाएं।

19 और अपनी मौसी वा फूफी का तन न उघाड़ना, क्योंकि जो उसे उघाड़े वह अपनी निकट कुटुम्बिन को नंगा करता है; इसलिये इन दोनों को अपने अधर्म का भार उठाना पड़ेगा।

20 और यदि कोई अपनी चाची के संग सोए, तो वह अपने चाचा का तन उघाड़ने वाला ठहरेगा; इसलिये वे दोनों अपने पाप का भार को उठाए हुए निर्वंश मर जाएंगे।

21 और यदि कोई भौजी वा भयाहू को अपनी पत्नी बनाए, तो इसे घिनौना काम जानना; और वह अपने भाई का तन उघाड़ने वाला ठहरेगा, इस कारण वे दोनों निर्वंश रहेंगे।

22 तुम मेरी सब विधियों और मेरे सब नियमों को समझ के साथ मानना; जिससे यह न हो कि जिस देश में मैं तुम्हें लिये जा रहा हूं वह तुम को उगल देवे।

23 और जिस जाति के लोगों को मैं तुम्हारे आगे से निकालता हूं उनकी रीति रस्म पर न चलना; क्योंकि उन लोगों ने जो ये सब कुकर्म किए हैं, इसी कारण मुझे उन से घृणा हो गई है।

24 और मैं तुम लोगों से कहता हूं, कि तुम तो उनकी भूमि के अधिकारी होगे, और मैं इस देश को जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं तुम्हारे अधिकार में कर दूंगा; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं जिसने तुम को देशों के लोगों से अलग किया है।

25 इस कारण तुम शुद्ध और अशुद्ध पशुओं में, और शुद्ध और अशुद्ध पक्षियों में भेद करना; और कोई पशु वा पक्षी वा किसी प्रकार का भूमि पर रेंगने वाला जीवजन्तु क्यों न हो, जिस को मैं ने तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहराकर वजिर्त किया है, उससे अपने आप को अशुद्ध न करना।

26 और तुम मेरे लिये पवित्र बने रहना; क्योंकि मैं यहोवा स्वयं पवित्र हूं, और मैं ने तुम को और देशों के लोगों से इसलिये अलग किया है कि तुम निरन्तर मेरे ही बने रहो॥

27 यदि कोई पुरूष वा स्त्री ओझाई वा भूत की साधना करे, तो वह निश्चय मार डाला जाए; ऐसों का पत्थरवाह किया जाए, उनका खून उन्हीं के सिर पर पड़ेगा॥

लैव्यवस्था 21

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, हारून के पुत्र जो याजक है उन से कह, कि तुम्हारे लोगों में से कोई भी मरे, तो उसके कारण तुम में से कोई अपने को अशुद्ध न करे;

2 अपने निकट कुटुम्बियों, अर्थात अपनी माता, वा पिता, वा बेटे, वा बेटी, वा भाई के लिये,

3 वा अपनी कुंवारी बहिन जिसका विवाह न हुआ हो जिनका समीपी सम्बन्ध है; उनके लिये वह अपने को अशुद्ध कर सकता है।

4 पर याजक होने के नाते से वह अपने लोगों में प्रधान है, इसलिये वह अपने को ऐसा अशुद्ध न करे कि अपवित्र हो जाए।

5 वे न तो अपने सिर मुंड़ाएं, और न अपने गाल के बालों को मुंड़ाएं, और न अपने शरीर चीरें।

6 वे अपने परमेश्वर के लिये पवित्र बने रहें, और अपने परमेश्वर का नाम अपवित्र न करें; क्योंकि वे यहोवा के हव्य को जो उनके परमेश्वर का भोजन है चढ़ाया करते हैं; इस कारण वे पवित्र बने रहें।

7 वे वेश्या वा भ्रष्टा को ब्याह न लें; और न त्यागी हुई को ब्याह लें; क्योंकि याजक अपने परमेश्वर के लिये पवित्र होता है।

8 इसलिये तू याजक को पवित्र जानना, क्योंकि वह तुम्हारे परमेश्वर का भोजन चढ़ाया करता है; इसलिये वह तेरी दृष्टि में पवित्र ठहरे; क्योंकि मैं यहोवा, जो तुम को पवित्र करता हूं, पवित्र हूं।

9 और यदि याजक की बेटी वेश्या बनकर अपने आप को अपवित्र करे, तो वह अपने पिता को अपवित्र ठहराती है; वह आग में जलाई जाए॥

10 और जो अपने भाइयों में महायाजक हो, जिसके सिर पर अभिषेक का तेल डाला गया हो, और जिसका पवित्र वस्त्रों को पहिनने के लिये संस्कार हुआ हो, वह अपने सिर के बाल बिखरने न दे, और अपने वस्त्र फाड़े;

11 और न वह किसी लोथ के पास जाए, और न अपने पिता वा माता के कारण अपने को अशुद्ध करे;

12 और वह पवित्रस्थान से बाहर भी न निकले, और न अपने परमेश्वर के पवित्रस्थान को अपवित्र ठहराए; क्योंकि वह अपने परमेश्वर के अभिषेक का तेलरूपी मुकुट धारण किए हुए है; मैं यहोवा हूं।

13 और वह कुंवारी ही स्त्री को ब्याहे।

14 जो विधवा, वा त्यागी हुई, वा भ्रष्ट, वा वेश्या हो, ऐसी किसी को वह न ब्याहे, वह अपने ही लोगों के बीच में की किसी कुंवारी कन्या को ब्याहे;

15 और वह अपने वीर्य्य को अपने लोगों में अपवित्र न करे; क्योंकि मैं उसका पवित्र करने वाला यहोवा हूं।

16 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

17 हारून से कह, कि तेरे वंश की पीढ़ी पीढ़ी में जिस किसी के कोई भी दोष हों वह अपने परमेश्वर का भोजन चढ़ाने के लिये समीप न आए।

18 कोई क्यों न हो जिस में दोष हो वह समीप न आए, चाहे वह अन्धा हो, चाहे लंगड़ा, चाहे नकचपटा हो, चाहे उसके कुछ अधिक अंग हो,

19 वा उसका पांव, वा हाथ टूटा हो,

20 वा वह कुबड़ा, वा बौना हो, वा उसकी आंख में दोष हो, वा उस मनुष्य के चाईं वा खजुली हो, वा उसके अंड पिचके हों;

21 हारून याजक के वंश में से जिस किसी में कोई भी दोष हो वह यहोवा के हव्य चढ़ाने के लिये समीप न आए; वह जो दोषयुक्त है कभी भी अपने परमेश्वर का भोजन चढ़ाने के लिये समीप न आए।

22 वह अपने परमेश्वर के पवित्र और परमपवित्र दोनों प्रकार के भोजन को खाए,

23 परन्तु उसके दोष के कारण वह न तो बीच वाले पर्दे के भीतर आए और न वेदी के समीप, जिस से ऐसा न हो कि वह मेरे पवित्रस्थानों को अपवित्र करे; क्योंकि मैं उनका पवित्र करने वाला यहोवा हूं।

24 इसलिये मूसा ने हारून और उसके पुत्रों को तथा कुल इस्त्राएलियों को यह बातें कह सुनाईं॥

लैव्यवस्था 22

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

2 हारून और उसके पुत्रों से कह, कि इस्त्राएलियों की पवित्र की हुई वस्तुओं से जिन को वे मेरे लिये पवित्र करते हैं न्यारे रहें, और मेरे पवित्र नाम को अपवित्र न करें, मैं यहोवा हूं।

3 और उन से कह, कि तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में तुम्हारे सारे वंश में से जो कोई अपनी अशुद्धता की दशा में उन पवित्र की हुई वस्तुओं के पास जाए, जिन्हें इस्त्राएली यहोवा के लिये पवित्र करते हैं, वह प्राणी मेरे साम्हने से नाश किया जाएगा; मैं यहोवा हूं।

4 हारून के वंश में से कोई क्यों न हो जो कोढ़ी हो, वा उसके प्रमेह हो, वह मनुष्य जब तक शुद्ध न हो जाए तब तक पवित्र की हुई वस्तुओं में से कुछ न खाए। और जो लोथ के कारण अशुद्ध हुआ हो, वा वीर्य्य स्खलित हुआ हो, ऐसे मनुष्य को जो कोई छूए,

5 और जो कोई किसी ऐसे रेंगनेहारे जन्तु को छूए जिस से लोग अशुद्ध हो सकते हैं, वा किसी ऐसे मनुष्य को छूए जिस में किसी प्रकार की अशुद्धता हो जो उसको भी लग सकती है।

6 तो वह प्राणी जो इन में से किसी को छूए सांझ तक अशुद्ध ठहरा रहे, और जब तक जल से स्नान न कर ले तब तक पवित्र वस्तुओं में से कुछ न खाए।

7 तब सूर्य अस्त होने पर वह शुद्ध ठहरेगा; और तब वह पवित्र वस्तुओं में से खा सकेगा, क्योंकि उसका भोजन वही है।

8 जो जानवर आप से मरा हो वा पशु से फाड़ा गया हो उसे खाकर वह अपने आप को अशुद्ध न करे; मैं यहोवा हूं।

9 इसलिये याजक लोग मेरी सौंपी हुई वस्तुओं की रक्षा करें, ऐसा न हो कि वे उन को अपवित्र करके पाप का भार उठाएं, और इसके कारण मर भी जाएं; मैं उनका पवित्र करने वाला यहोवा हूं।

10 पराए कुल का जन किसी पवित्र वस्तु को न खाने पाए, चाहे वह याजक का पाहुन हो वा मजदूर हो, तौभी वह कोई पवित्र वस्तु न खाए।

11 यदि याजक किसी प्राणी को रूपया देकर मोल ले, तो वह प्राणी उस में से खा सकता है; और जो याजक के घर में उत्पन्न हुए हों वे भी उसके भोजन में से खाएं।

12 और यदि याजक की बेटी पराए कुल के किसी पुरूष से ब्याही गई हो, तो वह भेंट की हुई पवित्र वस्तुओं में से न खाए।

13 यदि याजक की बेटी विधवा वा त्यागी हुई हो, और उसकी सन्तान न हो, और वह अपनी बाल्यावस्था की रीति के अनुसार अपने पिता के घर में रहती हो, तो वह अपने पिता के भोजन में से खाए; पर पराए कुल का कोई उस में से न खाने पाए।

14 और यदि कोई मनुष्य किसी पवित्र वस्तु में से कुछ भूल से खा जाए, तो वह उसका पांचवां भाग बढ़ाकर उसे याजक को भर दे।

15 और वे इस्त्राएलियों की पवित्र की हुई वस्तुओं को, जिन्हें वे यहोवा के लिये चढ़ाएं, अपवित्र न करें।

16 वे उन को अपनी पवित्र वस्तुओं में से खिलाकर उन से अपराध का दोष न उठवाएं; मैं उनका पवित्र करने वाला यहोवा हूं॥

17 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

18 हारून और उसके पुत्रों से और इस्त्राएल के घराने वा इस्त्राएलियों में रहने वाले परदेशियों में से कोई क्यों न हो जो मन्नत वा स्वेच्छाबलि करने के लिये यहोवा को कोई होमबलि चढ़ाए,

19 तो अपने निमित्त ग्रहणयोग्य ठहरने के लिये बैलों वा भेड़ों वा बकरियों में से निर्दोष नर चढ़ाया जाए।

20 जिस में कोई भी दोष हो उसे न चढ़ाना; क्योंकि वह तुम्हारे निमित्त ग्रहणयोग्य न ठहरेगा।

21 और जो कोई बैलों वा भेड़-बकरियों में से विशेष वस्तु संकल्प करने के लिये वा स्वेच्छाबलि के लिये यहोवा को मेलबलि चढ़ाए, तो ग्रहण होने के लिये अवश्य है कि वह निर्दोष हो, उस में कोई भी दोष न हो।

22 जो अन्धा वा अंग का टूटा वा लूला हो, वा उस में रसौली वा खौरा वा खुजली हो, ऐसों को यहोवा के लिये न चढ़ाना, उन को वेदी पर यहोवा के लिये हव्य न चढ़ाना।

23 जिस किसी बैल वा भेड़ वा बकरे का कोई अंग अधिक वा कम हो उसको स्वेच्छाबलि के लिये चढ़ा सकते हो, परन्तु मन्नत पूरी करने के लिये वह ग्रहण न होगा।

24 जिसके अंड दबे वा कुचले वा टूटे वा कट गए हों उसको यहोवा के लिये न चढ़ाना, और अपने देश में भी ऐसा काम न करना।

25 फिर इन में से किसी को तुम अपने परमेश्वर का भोजन जानकर किसी परदेशी से ले कर न चढ़ाओ; क्योंकि उन में उनका बिगाड़ वर्तमान है, उन में दोष है, इसलिये वे तुम्हारे निमित्त ग्रहण न होंगे॥

26 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

27 जब बछड़ा वा भेड़ वा बकरी का बच्चा उत्पन्न हो, तो वह सात दिन तक अपनी मां के साथ रहे; फिर आठवें दिन से आगे को वह यहोवा के हव्यवाह चढ़ावे के लिये ग्रहणयोग्य ठहरेगा।

28 चाहे गाय, चाहे भेड़ी वा बकरी हो, उसको और उसके बच्चे को एक ही दिन में बलि न करना।

29 और जब तुम यहोवा के लिये धन्यवाद का मेलबलि चढ़ाओ, तो उसे इसी प्रकार से करना जिस से वह ग्रहणयोग्य ठहरे॥

30 वह उसी दिन खाया जाए, उस में से कुछ भी बिहान तक रहने न पाए; मैं यहोवा हूं।

31 और तुम मेरी आज्ञाओं को मानना और उनका पालन करना; मैं यहोवा हूं।

32 और मेरे पवित्र नाम को अपवित्र न ठहराना, क्योंकि मैं इस्त्राएलियों के बीच अवश्य ही पवित्र माना जाऊंगा; मैं तुम्हारा पवित्र करने वाला यहोवा हूं।

33 जो तुम को मिस्र देश से निकाल लाया हूं जिस से तुम्हारा परमेश्वर बना रहूं; मैं यहोवा हूं॥

लैव्यवस्था 23

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

2 इस्त्राएलियों से कह, कि यहोवा के पर्ब्ब जिनका तुम को पवित्र सभा एकत्रित करने के लिये नियत समय पर प्रचार करना होगा, मेरे वे पर्ब्ब ये हैं।

3 छ: दिन कामकाज किया जाए, पर सातवां दिन परमविश्राम का और पवित्र सभा का दिन है; उस में किसी प्रकार का कामकाज न किया जाए; वह तुम्हारे सब घरों में यहोवा का विश्राम दिन ठहरे॥

4 फिर यहोवा के पर्ब्ब जिन में से एक एक के ठहराये हुए समय में तुम्हें पवित्र सभा करने के लिये प्रचार करना होगा वे ये हैं।

5 पहिले महीने के चौदहवें दिन को गोधूलि के समय यहोवा का फसह हुआ करे।

6 और उसी महीने के पंद्रहवें दिन को यहोवा के लिये अखमीरी रोटी का पर्ब्ब हुआ करे; उस में तुम सात दिन तक अखमीरी रोटी खाया करना।

7 उन में से पहिले दिन तुम्हारी पवित्र सभा हो; और उस दिन परिश्रम का कोई काम न करना।

8 और सातों दिन तुम यहोवा को हव्य चढ़ाया करना; और सातवें दिन पवित्र सभा हो; उस दिन परिश्रम का कोई काम न करना॥

9 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

10 इस्त्राएलियों से कह, कि जब तुम उस देश में प्रवेश करो जिसे यहोवा तुम्हें देता है और उस में के खेत काटो, तब अपने अपने पक्के खेत की पहिली उपज का पूला याजक के पास ले आया करना;

11 और वह उस पूले को यहोवा के साम्हने हिलाए, कि वह तुम्हारे निमित्त ग्रहण किया जाए; वह उसे विश्रामदिन के दूसरे दिन हिलाए।

12 और जिस दिन तुम पूले को हिलवाओ उसी दिन एक वर्ष का निर्दोष भेड़ का बच्चा यहोवा के लिये होमबलि चढ़ाना।

13 और उसके साथ का अन्नबलि एपा के दो दसवें अंश तेल से सने हुए मैदे का हो वह सुखदायक सुगन्ध के लिये यहोवा का हव्य हो; और उसके साथ का अर्घ हीन भर की चौथाई दाखमधु हो।

14 और जब तक तुम इस चढ़ावे को अपने परमेश्वर के पास न ले जाओ, उस दिन तक नये खेत में से न तो रोटी खाना और न भुना हुआ अन्न और न हरी बालें; यह तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में तुम्हारे सारे घरानों में सदा की विधि ठहरे॥

15 फिर उस विश्रामदिन के दूसरे दिन से, अर्थात जिस दिन तुम हिलाई जाने वाली भेंट के पूले को लाओगे, उस दिन से पूरे सात विश्रामदिन गिन लेना;

16 सातवें विश्रामदिन के दूसरे दिन तक पचास दिन गिनना, और पचासवें दिन यहोवा के लिये नया अन्नबलि चढ़ाना।

17 तुम अपने घरों में से एपा के दो दसवें अंश मैदे की दो रोटियां हिलाने की भेंट के लिये ले आना; वे खमीर के साथ पकाई जाएं, और यहोवा के लिये पहिली उपज ठहरें।

18 और उस रोटी के संग एक एक वर्ष के सात निर्दोष भेड़ के बच्चे, और एक बछड़ा, और दो मेढ़े चढ़ाना; वे अपने अपने साथ के अन्नबलि और अर्घ समेत यहोवा के लिये होमबलि के समान चढ़ाए जाएं, अर्थात वे यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्ध देने वाला हव्य ठहरें।

19 फिर पापबलि के लिये एक बकरा, और मेलबलि के लिये एक एक वर्ष के दो भेड़ के बच्चे चढ़ाना।

20 तब याजक उन को पहिली उपज की रोटी समेत यहोवा के साम्हने हिलाने की भेंट के लिये हिलाए, और इन रोटियों के संग वे दो भेड़ के बच्चे भी हिलाए जाएं; वे यहोवा के लिये पवित्र, और याजक का भाग ठहरें।

21 और तुम उस दिन यह प्रचार करना, कि आज हमारी एक पवित्र सभा होगी; और परिश्रम का कोई काम न करना; यह तुम्हारे सारे घरानों में तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में सदा की विधि ठहरे॥

22 जब तुम अपने देश में के खेत काटो, तब अपने खेत के कोनों को पूरी रीति से न काटना, और खेत में गिरी हुई बालों को न इकट्ठा करना; उसे दीनहीन और परदेशी के लिये छोड़ देना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं॥

23 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

24 इस्त्राएलियों से कह, कि सातवें महीने के पहिले दिन को तुम्हारे लिये परमविश्राम हो; उस में स्मरण दिलाने के लिये नरसिंगे फूंके जाएं, और एक पवित्र सभा इकट्ठी हो।

25 उस दिन तुम परिश्रम का कोई काम न करना, और यहोवा के लिये एक हव्य चढ़ाना॥

26 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

27 उसी सातवें महीने का दसवां दिन प्रायश्चित्त का दिन माना जाए; वह तुम्हारी पवित्र सभा का दिन होगा, और उस में तुम अपने अपने जीव को दु:ख देना और यहोवा का हव्य चढ़ाना।

28 उस दिन तुम किसी प्रकार का कामकाज न करना; क्योंकि वह प्रायश्चित्त का दिन नियुक्त किया गया है जिस में तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के साम्हने तुम्हारे लिये प्रायश्चित्त किया जाएगा।

29 इसलिये जो प्राणी उस दिन दु:ख न सहे वह अपने लोगों में से नाश किया जाएगा।

30 और जो प्राणी उस दिन किसी प्रकार का कामकाज करे उस प्राणी को मैं उसके लोगों के बीच में से नाश कर डालूंगा।

31 तुम किसी प्रकार का कामकाज न करना; यह तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में तुम्हारे घराने में सदा की विधी ठहरे।

32 वह दिन तुम्हारे लिये परमविश्राम का हो, उस में तुम अपने अपने जीव को दु:ख देना; और उस महीने के नवें दिन की सांझ से ले कर दूसरी सांझ तक अपना विश्रामदिन माना करना॥

33 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

34 इस्त्राएलियों से कह, कि उसी सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन से सात दिन तक यहोवा के लिये झोंपडिय़ों का पर्ब्ब रहा करे।

35 पहिले दिन पवित्र सभा हो; उस में परिश्रम का कोई काम न करना।

36 सातोंदिन यहोवा के लिये हव्य चढ़ाया करना, फिर आठवें दिन तुम्हारी पवित्र सभा हो, और यहोवा के लिये हव्य चढ़ाना; वह महासभा का दिन है, और उस में परिश्रम का कोई काम न करना॥

37 यहोवा के नियत पर्ब्ब ये ही हैं, इन में तुम यहोवा को हव्य चढ़ाना, अर्थात होमबलि, अन्नबलि, मेलबलि, और अर्घ, प्रत्येक अपने अपने नियत समय पर चढ़ाया जाए और पवित्र सभा का प्रचार करना।

38 इन सभों से अधिक यहोवा के विश्रामदिनों को मानना, और अपनी भेंटों, और सब मन्नतों, और स्वेच्छाबलियों को जो यहोवा को अर्पण करोगे चढ़ाया करना॥

39 फिर सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन को, जब तुम देश की उपज को इकट्ठा कर चुको, तब सात दिन तक यहोवा का पर्ब्ब मानना; पहिले दिन परमविश्राम हो, और आठवें दिन परमविश्राम हो।

40 और पहिले दिन तुम अच्छे अच्छे वृक्षों की उपज, और खजूर के पत्ते, और घने वृक्षों की डालियां, और नालों में के मजनू को ले कर अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने सात दिन तक आनन्द करना।

41 और प्रतिवर्ष सात दिन तक यहोवा के लिये पर्ब्ब माना करना; यह तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में सदा की विधि ठहरे, कि सातवें महीने में यह पर्ब्ब माना जाए।

42 सात दिन तक तुम झोंपडिय़ों में रहा करना, अर्थात जितने जन्म के इस्त्राएली हैं वे सब के सब झोंपडिय़ों में रहें,

43 इसलिये कि तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी के लोग जान रखें, कि जब यहोवा हम इस्त्राएलियों को मिस्र देश से निकाल कर ला रहा था तब उसने उन को झोंपडिय़ों में टिकाया था; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

44 और मूसा ने इस्त्राएलियों को यहोवा के पर्ब्ब के नियत समय कह सुनाए॥

लैव्यवस्था 24

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

2 इस्त्राएलियों को यह आज्ञा दे, कि मेरे पास उजियाला देने के लिये कूट के निकाला हुआ जलपाई का निर्मल तेल ले आना, कि दीपक नित्य जलता रहे।

3 हारून उसको, बीच वाले तम्बू में, साक्षीपत्र के बीच वाले पर्दे से बाहर, यहोवा के साम्हने नित्य सांझ से भोर तक सजाकर रखे; यह तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी के लिये सदा की विधि ठहरे।

4 वह दीपकों के स्वच्छ दीवट पर यहोवा के साम्हने नित्य सजाया करे॥

5 और तू मैदा ले कर बारह रोटियां पकवाना, प्रत्येक रोटी में एपा का दो दसवां अंश मैदा हो।

6 तब उनकी दो पांति करके, एक एक पांति में छ: छ: रोटियां, स्वच्छ मेज पर यहोवा के साम्हने धरना।

7 और एक एक पांति पर चोखा लोबान रखना, कि वह रोटी पर स्मरण दिलाने वाला वस्तु और यहोवा के लिये हव्य हो।

8 प्रति विश्रामदिन को वह उसे नित्य यहोवा के सम्मुख क्रम से रखा करे, यह सदा की वाचा की रीति इस्त्राएलियों की ओर से हुआ करे।

9 और वह हारून और उसके पुत्रों की होंगी, और वे उसको किसी पवित्र स्थान में खाएं, क्योंकि वह यहोवा के हव्यों में से सदा की विधि के अनुसार हारून के लिये परमपवित्र वस्तु ठहरी है॥

10 उन दिनों में किसी इस्त्राएली स्त्री का बेटा, जिसका पिता मिस्री पुरूष था, इस्त्राएलियों के बीच चला गया; और वह इस्त्राएली स्त्री का बेटा और एक इस्त्राएली पुरूष छावनी के बीच आपस में मारपीट करने लगे,

11 और वह इस्त्राएली स्त्री का बेटा यहोवा के नाम की निन्दा करके शाप देने लगा। यह सुनकर लोग उसको मूसा के पास ले गए। उसकी माता का नाम शलोमीत था, जो दान के गोत्र के दिब्री की बेटी थी।

12 उन्होंने उसको हवालात में बन्द किया, जिस से यहोवा की आज्ञा से इस बात पर विचार किया जाए॥

13 तब यहोवा ने मूसा से कहा,

14 तुम लोग उस शाप देने वाले को छावनी से बाहर लिवा ले जाओ; और जितनों ने वह निन्दा सुनी हो वे सब अपने अपने हाथ उसके सिर पर टेकें, तब सारी मण्डली के लोग उसको पत्थरवाह करें।

15 और तू इस्त्राएलियों से कह, कि कोई क्यों न हो जो अपने परमेश्वर को शाप दे उसे अपने पाप का भार उठाना पड़ेगा।

16 यहोवा के नाम की निन्दा करने वाला निश्चय मार डाला जाए; सारी मण्डली के लोग निश्चय उसको पत्थरवाह करें; चाहे देशी हो चाहे परदेशी, यदि कोई उस नाम की निन्दा करे तो वह मार डाला जाए।

17 फिर जो कोई किसी मनुष्य को प्राण से मारे वह निश्चय मार डाला जाए।

18 और जो कोई किसी घरेलू पशु को प्राण से मारे वह उसे भर दे, अर्थात प्राणी की सन्ती प्राणी दे।

19 फिर यदि कोई किसी दूसरे को चोट पहुंचाए, तो जैसा उसने किया हो वैसा ही उसके साथ भी किया जाए,

20 अर्थात अंग भंग करने की सन्ती अंग भंग किया जाए, आंख की सन्ती आंख, दांत की सन्ती दांत, जैसी चोट जिसने किसी को पहुंचाई हो वैसी ही उसको भी पहुंचाई जाए।

21 और पशु का मार डालनेवाला उसको भर दे, परन्तु मनुष्य का मार डालने वाला मार डाला जाए।

22 तुम्हारा नियम एक ही हो, जैसा देशी के लिये वैसा ही परदेशी के लिये भी हो; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

23 और मूसा ने इस्त्राएलियों को यही समझाया; तब उन्होंने उस शाप देने वाले को छावनी से बाहर ले जा कर उसको पत्थरवाह किया। और इस्त्राएलियों ने वैसा ही किया जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी॥

लैव्यवस्था 25

1 फिर यहोवा ने सीनै पर्वत के पास मूसा से कहा,

2 इस्त्राएलियों से कह, कि जब तुम उस देश में प्रवेश करो जो मैं तुम्हें देता हूं, तब भूमि को यहोवा के लिये विश्राम मिला करे।

3 छ: वर्ष तो अपना अपना खेत बोया करना, और छहों वर्ष अपनी अपनी दाख की बारी छांट छांटकर देश की उपज इकट्ठी किया करना;

4 परन्तु सातवें वर्ष भूमि को यहोवा के लिये परमविश्रामकाल मिला करे; उस में न तो अपना खेत बोना और न अपनी दाख की बारी छांटना।

5 जो कुछ काटे हुए खेत में अपने आप से उगे उसे न काटना, और अपनी बिन छांटी हुई दाखलता की दाखों को न तोड़ना; क्योंकि वह भूमि के लिये परमविश्राम का वर्ष होगा।

6 और भूमि के विश्रामकाल ही की उपज से तुम को, और तुम्हारे दास-दासी को, और तुम्हारे साथ रहने वाले मजदूरों और परदेशियों को भी भोजन मिलेगा;

7 और तुम्हारे पशुओं का और देश में जितने जीवजन्तु हों उनका भी भोजन भूमि की सब उपज से होगा॥

8 और सात विश्रामवर्ष, अर्थात सातगुना सात वर्ष गिन लेना, सातों विश्रामवर्षों का यह समय उनचास वर्ष होगा।

9 तब सातवें महीने के दसवें दिन को, अर्थात प्रायश्चित्त के दिन, जयजयकार के महाशब्द का नरसिंगा अपने सारे देश में सब कहीं फुंकवाना।

10 और उस पचासवें वर्ष को पवित्र करके मानना, और देश के सारे निवासियों के लिये छुटकारे का प्रचार करना; वह वर्ष तुम्हारे यहां जुबली कहलाए; उस में तुम अपनी अपनी निज भूमि और अपने अपने घराने में लौटने पाओगे।

11 तुम्हारे यहां वह पचासवां वर्ष जुबली का वर्ष कहलाए; उस में तुम न बोना, और जो अपने आप ऊगे उसे भी न काटना, और न बिन छांटी हुई दाखलता की दाखों को तोड़ना।

12 क्योंकि वह जो जुबली का वर्ष होगा; वह तुम्हारे लिये पवित्र होगा; तुम उसकी उपज खेत ही में से ले लेके खाना।

13 इस जुबली के वर्ष में तुम अपनी अपनी निज भूमि को लौटने पाओगे।

14 और यदि तुम अपने भाईबन्धु के हाथ कुछ बेचो वा अपने भाईबन्धु से कुछ मोल लो, तो तुम एक दूसरे पर अन्धेर न करना।

15 जुबली के पीछे जितने वर्ष बीते हों उनकी गिनती के अनुसार दाम ठहराके एक दूसरे से मोल लेना, और शेष वर्षों की उपज के अनुसार वह तेरे हाथ बेचे।

16 जितने वर्ष और रहें उतना ही दाम बढ़ाना, और जितने वर्ष कम रहें उतना ही दाम घटाना, क्योंकि वर्ष की उपज जितनी हों उतनी ही वह तेरे हाथ बेचेगा।

17 और तुम अपने अपने भाईबन्धु पर अन्धेर न करना; अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

18 इसलिये तुम मेरी विधियों को मानना, और मेरे नियमों पर समझ बूझकर चलना; क्योंकि ऐसा करने से तुम उस देश में निडर बसे रहोगे।

19 और भूमि अपनी उपज उपजाया करेगी, और तुम पेट भर खाया करोगे, और उस देश में निडर बसे रहोगे।

20 और यदि तुम कहो, कि सातवें वर्ष में हम क्या खाएंगे, न तो हम बोएंगे न अपने खेत की उपज इकट्ठी करेंगे?

21 तो जानो कि मैं तुम को छठवें वर्ष में ऐसी आशीष दूंगा, कि भूमि की उपज तीन वर्ष तक काम आएगी।

22 तुम आठवें वर्ष में बोओगे, और पुरानी उपज में से खाते रहोगे, और नवें वर्ष की उपज में से खाते रहोगे।

23 भूमि सदा के लिये तो बेची न जाए, क्योंकि भूमि मेरी है; और उस में तुम परदेशी और बाहरी होगे।

24 लेकिन तुम अपने भाग के सारे देश में भूमि को छुड़ा लेने देना॥

25 यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल हो कर अपनी निज भूमि में से कुछ बेच डाले, तो उसके कुटुम्बियों में से जो सब से निकट हो वह आकर अपने भाईबन्धु के बेचे हुए भाग को छुड़ा ले।

26 और यदि किसी मनुष्य के लिये कोई छुड़ाने वाला न हो, और उसके पास इतना धन हो कि आप ही अपने भाग को छुड़ा ले सके,

27 तो वह उसके बिकने के समय से वर्षों की गिनती करके शेष वर्षों की उपज का दाम उसको जिसने उसे मोल लिया हो फेर दे; तब वह अपनी निज भूमि का अधिकारी हो जाए।

28 परन्तु यदि उसके इतनी पूंजी न हो कि उसे फिर अपनी कर सके, तो उसकी बेची हुई भूमि जुबली के वर्ष तक मोल लेने वालों के हाथ में रहे; और जुबली के वर्ष में छूट जाए तब वह मनुष्य अपनी निज भूमि का फिर अधिकारी हो जाए॥

29 फिर यदि कोई मनुष्य शहरपनाह वाले नगर में बसने का घर बेचे, तो वह बेचने के बाद वर्ष भर के अन्दर उसे छुड़ा सकेगा, अर्थात पूरे वर्ष भर उस मनुष्य को छुड़ाने का अधिकार रहेगा।

30 परन्तु यदि वह वर्ष भर में न छुड़ाए, तो वह घर जो शहरपनाह वाले नगर में हो मोल लेने वाले का बना रहे, और पीढ़ी-पीढ़ी में उसी मे वंश का बना रहे; और जुबली के वर्ष में भी न छूटे।

31 परन्तु बिना शहरपनाह के गांवों के घर तो देश के खेतों के समान गिने जाएं; उनका छुड़ाना भी हो सकेगा, और वे जुबली के वर्ष में छूट जाएं।

32 और लेवियों के निज भाग के नगरों के जो घर हों उन को लेवीय जब चाहें तब छुड़ाएं।

33 और यदि कोई लेवीय अपना भाग न छुड़ाए, तो वह बेचा हुआ घर जो उसके भाग के नगर में हो जुबली के वर्ष में छूट जाए; क्योंकि इस्त्राएलियों के बीच लेवियों का भाग उनके नगरों में वे घर ही हैं।

34 और उनके नगरों की चारों ओर की चराई की भूमि बेची न जाए; क्योंकि वह उनका सदा का भाग होगा॥

35 फिर यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल हो जाए, और उसकी दशा तेरे साम्हने तरस योग्य हो जाए, तो तू उसको संभालना; वह परदेशी वा यात्री की नाईं तेरे संग रहे।

36 उससे ब्याज वा बढ़ती न लेना; अपने परमेश्वर का भय मानना; जिस से तेरा भाईबन्धु तेरे संग जीवन निर्वाह कर सके।

37 उसको ब्याज पर रूपया न देना, और न उसको भोजनवस्तु लाभ के लालच से देना।

38 मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं; मैं तुम्हें कनान देश देने के लिये और तुम्हारा परमेश्वर ठहरने की मनसा से तुम को मिस्र देश से निकाल लाया हूं॥

39 फिर यदि तेरा कोई भाईबन्धु तेरे साम्हने कंगाल हो कर अपने आप को तेरे हाथ बेच डाले, तो उससे दास के समान सेवा न करवाना।

40 वह तेरे संग मजदूर वा यात्री की नाईं रहे, और जुबली के वर्ष तक तेरे संग रहकर सेवा करता रहे;

41 तब वह बाल-बच्चों समेत तेरे पास से निकल जाए, और अपने कुटुम्ब में और अपने पितरों की निज भूमि में लौट जाए।

42 क्योंकि वे मेरे ही दास हैं, जिन को मैं मिस्र देश से निकाल लाया हूं; इसलिये वे दास की रीति से न बेचे जाएं।

43 उस पर कठोरता से अधिकार न करना; अपने परमेश्वर का भय मानते रहना।

44 तेरे जो दास-दासियां होंवे तुम्हारी चारों ओर की जातियों में से हों, और दास और दासियां उन्हीं में से मोल लेना।

45 और जो यात्री लोग तुम्हारे बीच में परदेशी हो कर रहेंगे, उन में से और उनके घरानों में से भी जो तुमहारे आस पास हों, और जो तुम्हारे देश में उत्पन्न हुए हों, उन में से तुम दास और दासी मोल लो; और वे तुम्हारा भाग ठहरें।

46 और तुम अपने पुत्रों को भी जो तुम्हारे बाद होंगे उनके अधिकारी कर सकोगे, और वे उनका भाग ठहरें; उन में से तुम सदा अपने लिये दास लिया करना, परन्तु तुम्हारे भाईबन्धु जो इस्त्राएली हों उन पर अपना अधिकार कठोरता से न जताना॥

47 फिर यदि तेरे साम्हने कोई परदेशी वा यात्री धनी हो जाए, और उसके साम्हने तेरा भाई कंगाल हो कर अपने आप को तेरे साम्हने उस परदेशी वा यात्री वा उसके वंश के हाथ बेच डाले,

48 तो उसके बिक जाने के बाद वह फिर छुड़ाया जा सकता है; उसके भाइयों में से कोई उसको छुड़ा सकता है,

49 वा उसका चाचा, वा चचेरा भाई, तथा उसके कुल का कोई भी निकट कुटुम्बी उसको छुड़ा सकता है; वा यदि वह धनी हो जाए, तो वह आप ही अपने को छुड़ा सकता है।

50 वह अपने मोल लेने वाले के साथ अपने बिकने के वर्ष से जुबली के वर्ष तक हिसाब करे, और उसके बिकने का दाम वर्षों की गिनती के अनुसार हो, अर्थात वह दाम मजदूर के दिवसों के समान उसके साथ होगा।

51 यदि जुबली के बहुत वर्ष रह जाएं, तो जितने रूपयों से वह मोल लिया गया हो उन में से वह अपने छुड़ाने का दाम उतने वर्षों के अनुसार फेर दे।

52 और यदि जुबली के वर्ष के थोड़े वर्ष रह गए हों, तौभी वह अपने स्वामी के साथ हिसाब करके अपने छुड़ाने का दाम उतने ही वर्षों के अनुसार फेर दे।

53 वह अपने स्वामी के संग उस मजदूर के सामान रहे जिसकी वाषिर्क मजदूरी ठहराई जाती हो; और उसका स्वामी उस पर तेरे साम्हने कठोरता से अधिकार न जताने पाए।

54 और यदि वह इन रीतियों से छुड़ाया न जाए, तो वह जुबली के वर्ष में अपने बाल-बच्चों समेत छूट जाए।

55 क्योंकि इस्त्राएली मेरे ही दास हैं; वे मिस्र देश से मेरे ही निकाले हुए दास हैं; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं॥

लैव्यवस्था 26

1 तुम अपने लिये मूरतें न बनाना, और न कोई खुदी हुई मूर्ति वा लाट अपने लिये खड़ी करना, और न अपने देश में दण्डवत करने के लिये नक्काशीदार पत्थर स्थापन करना; क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

2 तुम मेरे विश्राम दिनों का पालन करना और मेरे पवित्रस्थान का भय मानना; मैं यहोवा हूं॥

3 यदि तुम मेरी विधियों पर चलो और मेरी आज्ञाओं को मानकर उनका पालन करो,

4 तो मैं तुम्हारे लिये समय समय पर मेंह बरसाऊंगा, तथा भूमि अपनी उपज उपजाएगी, और मैदान के वृक्ष अपने अपने फल दिया करेंगे;

5 यहां तक कि तुम दाख तोड़ने के समय भी दावनी करते रहोगे, और बोने के समय भी भर पेट दाख तोड़ते रहोगे, और तुम मनमानी रोटी खाया करोगे, और अपने देश में निश्चिन्त बसे रहोगे।

6 और मैं तुम्हारे देश में सुख चैन दूंगा, और तुम सोओगे और तुम्हारा कोई डराने वाला न हो; और मैं उस देश में दुष्ट जन्तुओं को न रहने दूंगा, और तलवार तुम्हारे देश में न चलेगी।

7 और तुम अपने शत्रुओं को मार भगा दोगे, और वे तुम्हारी तलवार से मारे जाएंगे।

8 और तुम में से पांच मनुष्य सौ को और सौ मनुष्य दस हजार को खदेड़ेंगे; और तुम्हारे शत्रु तलवार से तुम्हारे आगे आगे मारे जाएंगे;

9 और मैं तुम्हारी ओर कृपा दृष्टि रखूंगा और तुम को फलवन्त करूंगा और बढ़ाऊंगा, और तुम्हारे संग अपनी वाचा को पूर्ण करूंगा।

10 और तुम रखे हुए पुराने अनाज को खाओगे, और नये के रहते भी पुराने को निकालोगे।

11 और मैं तुम्हारे बीच अपना निवासस्थान बनाए रखूंगा, और मेरा जी तुम से घृणा नहीं करेगा।

12 और मैं तुम्हारे मध्य चला फिरा करूंगा, और तुम्हारा परमेश्वर बना रहूंगा, और तुम मेरी प्रजा बने रहोगे।

13 मैं तो तुम्हारा वह परमेश्वर यहोवा हूं, जो तुम को मिस्र देश से इसलिये निकाल ले आया कि तुम मिस्रियों के दास न बने रहो; और मैं ने तुम्हारे जूए को तोड़ डाला है, और तुम को सीधा खड़ा करके चलाया है॥

14 यदि तुम मेरी न सुनोगे, और इन सब आज्ञाओं को न मानोगे,

15 और मेरी विधियों को निकम्मा जानोगे, और तुम्हारी आत्मा मेरे निर्णयों से घृणा करे, और तुम मेरी सब आज्ञाओं का पालन न करोगे, वरन मेरी वाचा को तोड़ोगे,

16 तो मैं तुम से यह करूंगा; अर्थात मैं तुम को बेचैन करूंगा, और क्षयरोग और ज्वर से पीड़ित करूंगा, और इनके कारण तुम्हारी आंखे धुंधली हो जाएंगी, और तुम्हारा मन अति उदास होगा। और तुम्हारा बीच बोना व्यर्थ होगा, क्योंकि तुम्हारे शत्रु उसकी उपज खा लेंगे;

17 और मैं भी तुम्हारे विरुद्ध हो जाऊंगा, और तुम अपने शत्रुओं से हार जाओगे; और तुम्हारे बैरी तुम्हारे ऊपर अधिकार करेंगे, और जब कोई तुम को खदेड़ता भी न होगा तब भी तुम भागोगे।

18 और यदि तुम इन बातों के उपरान्त भी मेरी न सुनो, तो मैं तुम्हारे पापों के कारण तुम्हें सातगुणी ताड़ना और दूंगा,

19 और मैं तुम्हारे बल का घमण्ड तोड़ डालूंगा, और तुम्हारे लिये आकाश को मानो लोहे का और भूमि को मानो पीतल की बना दूंगा;

20 और तुम्हारा बल अकारथ गंवाया जाएगा, क्योंकि तुम्हारी भूमि अपनी उपज न उपजाएगी, और मैदान के वृक्ष अपने फल न देंगे।

21 और यदि तुम मेरे विरुद्ध चलते ही रहो, और मेरा कहना न मानों, तो मैं तुम्हारे पापों के अनुसार तुम्हारे ऊपर और सातगुणा संकट डालूंगा।

22 और मैं तुम्हारे बीच बन पशु भेजूंगा, जो तुम को निर्वंश करेंगे, और तुम्हारे घरेलू पशुओं को नाश कर डालेंगे, और तुम्हारी गिनती घटाएंगे, जिस से तुम्हारी सड़कें सूनी पड़ जाएंगी।

23 फिर यदि तुम इन बातों पर भी मेरी ताड़ना से न सुधरो, और मेरे विरुद्ध चलते ही रहो,

24 तो मैं भी तुम्हारे विरुद्ध चलूंगा, और तुम्हारे पापों के कारण मैं आप ही तुम को सातगुणा मारूंगा।

25 तो मैं तुम पर एक ऐसी तलवार चलवाऊंगा, जो वाचा तोड़ने का पूरा पूरा पलटा लेगी; और जब तुम अपने नगरों में जा जा कर इकट्ठे होगे तब मैं तुम्हारे बीच मरी फैलाऊंगा, और तुम अपने शत्रुओं के वश में सौंप दिए जाओगे।

26 और जब मैं तुम्हारे लिये अन्न के आधार को दूर कर डालूंगा, तब दस स्त्रियां तुम्हारी रोटी एक ही तंदूर में पकाकर तौल तौलकर बांट देंगी; और तुम खाकर भी तृप्त न होगे॥

27 फिर यदि तुम इसके उपरान्त भी मेरी न सुनोगे, और मेरे विरुद्ध चलते ही रहोगे,

28 तो मैं अपने न्याय में तुम्हारे विरुद्ध चलूंगा, और तुम्हारे पापों के कारण तुम को सातगुणी ताड़ना और भी दूंगा।

29 और तुम को अपने बेटों और बेटियों का मांस खाना पड़ेगा।

30 और मैं तुम्हारे पूजा के ऊंचे स्थानों को ढा दूंगा, और तुम्हारे सूर्य की प्रतिमाएं तोड़ डालूंगा, और तुम्हारी लोथों को तुम्हारी तोड़ी हुई मूरतों पर फूंक दूंगा; और मेरी आत्मा को तुम से घृणा हो जाएगी।

31 और मैं तुम्हारे नगरों को उजाड़ दूंगा, और तुम्हारे पवित्र स्थानों को उजाड़ दूंगा, और तुम्हारा सुखदायक सुगन्ध ग्रहण न करूंगा।

32 और मैं तुम्हारे देश को सूना कर दूंगा, और तुम्हारे शत्रु जो उस में रहते हैं वे इन बातों के कारण चकित होंगे।

33 और मैं तुम को जाति जाति के बीच तित्तर-बित्तर करूंगा, और तुम्हारे पीछे पीछे तलवार खीचें रहूंगा; और तुम्हारा देश सूना हो जाएगा, और तुम्हारे नगर उजाड़ हो जाएंगे।

34 तब जितने दिन वह देश सूना पड़ा रहेगा और तुम अपने शत्रुओं के देश में रहोगे उतने दिन वह अपने विश्रामकालों को मानता रहेगा।

35 और जितने दिन वह सूना पड़ा रहेगा उतने दिन उसको विश्राम रहेगा, अर्थात जो विश्राम उसको तुम्हारे वहां बसे रहने के समय तुम्हारे विश्रामकालों में न मिला होगा वह उसको तब मिलेगा।

36 और तुम में से जो बच रहेंगे और अपने शत्रुओं के देश में होंगे उनके हृदय में मैं कायरता उपजाऊंगा; और वे पत्ते के खड़कने से भी भाग जाएंगे, और वे ऐसे भागेंगे जैसे कोई तलवार से भागे, और किसी के बिना पीछा किए भी वे गिर गिर पड़ेंगे।

37 और जब कोई पीछा करने वाला न हो तब भी मानों तलवार के भय से वे एक दूसरे से ठोकर खाकर गिरते जाएंगे, और तुम को अपने शत्रुओं के साम्हने ठहरने की कुछ शक्ति न होगी।

38 तब तुम जाति जाति के बीच पहुंचकर नाश हो जाओगे, और तुम्हारे शत्रुओं की भूमि तुम को खा जाएगी।

39 और तुम में से जो बचे रहेंगे वे अपने शत्रुओं के देशों में अपने अधर्म के कारण गल जाएंगे; और अपने पुरखाओं के अधर्म के कामों के कारण भी वे उन्हीं की नाईं गल जाएंगे।

40 तब वे अपने और अपने पितरों के अधर्म को मान लेंगे, अर्थात उस विश्वासघात को जो वे मेरा करेंगे, और यह भी मान लेंगे, कि हम यहोवा के विरुद्ध चले थे,

41 इसी कारण वह हमारे विरुद्ध हो कर हमें शत्रुओं के देश में ले आया है। यदि उस समय उनका खतनारहित हृदय दब जाएगा और वे उस समय अपने अधर्म के दण्ड को अंगीकार करेगें;

42 तब जो वाचा मैं ने याकूब के संग बान्धी थी उसको मैं स्मरण करूंगा, और जो वाचा मैं ने इसहाक से और जो वाचा मैं ने इब्राहीम से बान्धी थी उन को भी स्मरण करूंगा, और इस देश को भी मैं स्मरण करूंगा।

43 और वह देश उन से रहित हो कर सूना पड़ा रहेगा, और उनके बिना सूना रहकर भी अपने विश्रामकालों को मानता रहेगा; और वे लोग अपने अधर्म के दण्ड को अंगीकार करेगें, इसी कारण से कि उन्होंने मेरी आज्ञाओं का उलंघन किया था, और उनकी आत्माओं को मेरी विधियों से घृणा थी।

44 इतने पर भी जब वे अपने शत्रुओं के देश में होंगे, तब मैं उन को इस प्रकार नहीं छोडूंगा, और न उन से ऐसी घृणा करूंगा कि उनका सर्वनाश कर डालूं और अपनी उस वाचा को तोड़ दूं जो मैं ने उन से बान्धी है; क्योंकि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूं;

45 परन्तु मैं उनके भलाई के लिये उनके पितरों से बान्धी हुई वाचा को स्मरण करूंगा, जिन्हें मैं अन्यजातियों की आंखों के साम्हने मिस्र देश से निकाल कर लाया कि मैं उनका परमेश्वर ठहरूं; मैं यहोवा हूं॥

46 जो जो विधियां और नियम और व्यवस्था यहोवा ने अपनी ओर से इस्त्राएलियों के लिये सीनै पर्वत पर मूसा के द्वारा ठहराई थीं वे ये ही हैं॥

लैव्यवस्था 27

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

2 इस्त्राएलियों से यह कह, कि जब कोई विशेष संकल्प माने, तो संकल्प किए हुए प्राणी तेरे ठहराने के अनुसार यहोवा के होंगे;

3 इसलिये यदि वह बीस वर्ष वा उससे अधिक और साठ वर्ष से कम अवस्था का पुरूष हो, तो उसके लिये पवित्रस्थान के शेकेल के अनुसार पचास शेकेल का रूपया ठहरे।

4 और यदि वह स्त्री हो, तो तीस शेकेल ठहरे।

5 फिर यदि उसकी अवस्था पांच वर्ष वा उससे अधिक और बीस वर्ष से कम की हो, तो लड़के के लिये तो बीस शेकेल, और लड़की के लिये दस शेकेल ठहरे।

6 और यदि उसकी अवस्था एक महीने वा उससे अधिक और पांच वर्ष से कम की हो, तो लड़के के लिये तो पांच, और लड़की के लिये तीन शेकेल ठहरें।

7 फिर यदि उसकी अवस्था साठ वर्ष की वा उससे अधिक हो, और वह पुरूष हो तो उसके लिये पंद्रह शेकेल, और स्त्री हो तो दस शेकेल ठहरे।

8 परन्तु यदि कोई इतना कंगाल हो कि याजक का ठहराया हुआ दाम न दे सके, तो वह याजक के साम्हने खड़ा किया जाए, और याजक उसकी पूंजी ठहराए, अर्थात जितना संकल्प करने वाले से हो सके, याजक उसी के अनुसार ठहराए॥

9 फिर जिन पशुओं में से लोग यहोवा को चढ़ावा चढ़ाते है, यदि ऐसों में से कोई संकल्प किया जाए, तो जो पशु कोई यहोवा को दे वह पवित्र ठहरेगा।

10 वह उसे किसी प्रकार से न बदले, न तो वह बुरे की सन्ती अच्छा, और न अच्छे की सन्ती बुरा दे; और यदि वह उस पशु की सन्ती दूसरा पशु दे, तो वह और उसका बदला दोनों पवित्र ठहरेंगे।

11 और जिन पशुओं में से लोग यहोवा के लिये चढ़ावा नहीं चढ़ाते ऐसों में से यदि वह हो, तो वह उसको याजक के साम्हने खड़ा कर दे,

12 तब याजक पशु के गुण अवगुण दोनों विचार कर उसका मोल ठहराए; और जितना याजक ठहराए उसका मोल उतना ही ठहरे।

13 और यदि संकल्प करने वाला उसे किसी प्रकार से छुड़ाना चाहे, तो जो मोल याजक ने ठहराया हो उस में उसका पांचवां भाग और बढ़ाकर दे॥

14 फिर यदि कोई अपना घर यहोवा के लिये पवित्र ठहराकर संकल्प करे, तो याजक उसके गुण-अवगुण दोनों विचार कर उसका मोल ठहराए; और जितना याजक ठहराए उसका मोल उतना ही ठहरे।

15 और यदि घर का पवित्र करनेवाला उसे छुड़ाना चाहे, तो जितना रूपया याजक ने उसका मोल ठहराया हो उस में वह पांचवां भाग और बढ़ाकर दे, तब वह घर उसी का रहेगा॥

16 फिर यदि कोई अपनी निज भूमि का कोई भाग यहोवा के लिये पवित्र ठहराना चाहे, तो उसका मोल इसके अनुसार ठहरे, कि उस में कितना बीज पड़ेगा; जितना भूमि में होमेर भर जौ पड़े उतनी का मोल पचास शेकेल ठहरे।

17 यदि वह अपना खेत जुबली के वर्ष ही में पवित्र ठहराए, तो उसका दाम तेरे ठहराने के अनुसार ठहरे;

18 और यदि वह अपना खेत जुबली के वर्ष के बाद पवित्र ठहराए, तो जितने वर्ष दूसरे जुबली के वर्ष के बाकी रहें उन्हीं के अनुसार याजक उसके लिये रूपये का हिसाब करे, तब जितना हिसाब में आए उतना याजक के ठहराने से कम हो।

19 और यदि खेत को पवित्र ठहराने वाला उसे छुड़ाना चाहे, तो जो दाम याजक ने ठहराया हो उस में वह पांचवां भाग और बढ़ाकर दे, तब खेत उसी का रहेगा।

20 और यदि वह खेत को छुड़ाना न चाहे, वा उसने उसको दूसरे के हाथ बेचा हो, तो खेत आगे को कभी न छुड़ाया जाए;

21 परन्तु जब वह खेत जुबली के वर्ष में छूटे, तब पूरी रीति से अर्पण किए हुए खेत की नाईं यहोवा के लिये पवित्र ठहरे, अर्थात वह याजक ही की निज भूमि हो जाए।

22 फिर यदि कोई अपना मोल लिया हुआ खेत, जो उसकी निज भूमि के खेतों में का न हो, यहोवा के लिये पवित्र ठहराए,

23 तो याजक जुबली के वर्ष तक का हिसाब करके उस मनुष्य के लिये जितना ठहराए उतना ही वह यहोवा के लिये पवित्र जान कर उसी दिन दे दे।

24 और जुबली के वर्ष में वह खेत उसी के अधिकार में जिस से वह मोल लिया गया हो फिर आ जाए, अर्थात जिसकी वह निज भूमि हो उसी की फिर हो जाए।

25 और जिस जिस वस्तु का मोल याजक ठहराए उसका मोल पवित्रस्थान ही के शेकेल के हिसाब से ठहरे: शेकेल बीस गेरा का ठहरे॥

26 पर घरेलू पशुओं का पहिलौठा, जो यहोवा का पहिलौठा ठहरा है, उसको तो कोई पवित्र न ठहराए; चाहे वह बछड़ा हो, चाहे भेड़ वा बकरी का बच्चा, वह यहोवा ही का है।

27 परन्तु यदि वह अशुद्ध पशु का हो, तो उसका पवित्र ठहराने वाला उसको याजक के ठहराए हुए मोल के अनुसार उसका पांचवां भाग और बढ़ाकर छुड़ा सकता है; और यदि वह न छुड़ाया जाए, तो याजक के ठहराए हुए मोल पर बेच दिया जाए॥

28 परन्तु अपनी सारी वस्तुओं में से जो कुछ कोई यहोवा के लिये अर्पण करे, चाहे मनुष्य हो चाहे पशु, चाहे उसकी निज भूमि का खेत हो, ऐसी कोई अर्पण की हुई वस्तु न तो बेची जाए और न छुड़ाई जाए; जो कुछ अर्पण किया जाए वह यहोवा के लिये परमपवित्र ठहरे।

29 मनुष्यों में से जो कोई अर्पण किया जाए, वह छुड़ाया न जाए; निश्चय वह मार डाला जाए॥

30 फिर भूमि की उपज का सारा दशमांश, चाहे वह भूमि का बीज हो चाहे वृक्ष का फल, वह यहोवा ही का है; वह यहोवा के लिये पवित्र ठहरे।

31 यदि कोई अपने दशमांश में से कुछ छुड़ाना चाहे, तो पांचवां भाग बढ़ाकर उसको छुड़ाए।

32 और गाय-बैल और भेड़-बकरियां, निदान जो जो पशु गिनने के लिये लाठी के तले निकल जाने वाले हैं उनका दशमांश, अर्थात दस दस पीछे एक एक पशु यहोवा के लिये पवित्र ठहरे।

33 कोई उसके गुण अवगुण न विचारे, और न उसको बदले; और यदि कोई उसको बदल भी ले, तो वह और उसका बदला दोनों पवित्र ठहरें; और वह कभी छुड़ाया न जाए॥

34 जो आज्ञाएं यहोवा ने इस्त्राएलियों के लिये सीनै पर्वत पर मूसा को दी थीं वे ये ही हैं॥

निर्गमन 1

1 इस्राएल के पुत्रों के नाम, जो अपने अपने घराने को ले कर याकूब के साथ मिस्र देश में आए, ये हैं:

2 अर्थात रूबेन, शिमोन, लेवी, यहूदा,

3 इस्साकार, जबूलून, बिन्यामीन,

4 दान, नप्ताली, गाद और आशेर।

5 और यूसुफ तो मिस्र में पहिले ही आ चुका था। याकूब के निज वंश में जो उत्पन्न हुए वे सब सत्तर प्राणी थे।

6 और यूसुफ, और उसके सब भाई, और उस पीढ़ी के सब लोग मर मिटे।

7 और इस्राएल की सन्तान फूलने फलने लगी; और वे अत्यन्त सामर्थी बनते चले गए; और इतना बढ़ गए कि कुल देश उन से भर गया॥

8 मिस्र में एक नया राजा गद्दी पर बैठा जो यूसुफ को नहीं जानता था।

9 और उसने अपनी प्रजा से कहा, देखो, इस्राएली हम से गिनती और सामर्थ्य में अधिक बढ़ गए हैं।

10 इसलिये आओ, हम उनके साथ बुद्धिमानी से बर्ताव करें, कहीं ऐसा न हो कि जब वे बहुत बढ़ जाएं, और यदि संग्राम का समय आ पड़े, तो हमारे बैरियों से मिलकर हम से लड़ें और इस देश से निकल जाएं।

11 इसलिये उन्होंने उन पर बेगारी कराने वालों को नियुक्त किया कि वे उन पर भार डाल डालकर उन को दु:ख दिया करें; तब उन्होंने फिरौन के लिये पितोम और रामसेस नाम भण्डार वाले नगरों को बनाया।

12 पर ज्यों ज्यों वे उन को दु:ख देते गए त्यों त्यों वे बढ़ते और फैलते चले गए; इसलिये वे इस्राएलियों से अत्यन्त डर गए।

13 तौभी मिस्रियों ने इस्राएलियों से कठोरता के साथ सेवकाई करवाई।

14 और उनके जीवन को गारे, ईंट और खेती के भांति भांति के काम की कठिन सेवा से दु:खी कर डाला; जिस किसी काम में वे उन से सेवा करवाते थे उस में वे कठोरता का व्यवहार करते थे।

15 शिप्रा और पूआ नाम दो इब्री धाइयों को मिस्र के राजा ने आज्ञा दी,

16 कि जब तुम इब्री स्त्रियों को बच्चा उत्पन्न होने के समय जन्मने के पत्थरों पर बैठी देखो, तब यदि बेटा हो, तो उसे मार डालना; और बेटी हो, तो जीवित रहने देना।

17 परन्तु वे धाइयां परमेश्वर का भय मानती थीं, इसलिये मिस्र के राजा की आज्ञा न मानकर लड़कों को भी जीवित छोड़ देती थीं।

18 तब मिस्र के राजा ने उन को बुलवाकर पूछा, तुम जो लड़कों को जीवित छोड़ देती हो, तो ऐसा क्यों करती हो?

19 धाइयों ने फिरौन को उतर दिया, कि इब्री स्त्रियां मिस्री स्त्रियों के समान नहीं हैं; वे ऐसी फुर्तीली हैं कि धाइयों के पहुंचने से पहिले ही उन को बच्चा उत्पन्न हो जाता है।

20 इसलिये परमेश्वर ने धाइयों के साथ भलाई की; और वे लोग बढ़कर बहुत सामर्थी हो गए।

21 और धाइयां इसलिये कि वे परमेश्वर का भय मानती थीं उसने उनके घर बसाए।

22 तब फिरौन ने अपनी सारी प्रजा के लोगों को आज्ञा दी, कि इब्रियों के जितने बेटे उत्पन्न हों उन सभों को तुम नील नदी में डाल देना, और सब बेटियों को जीवित रख छोड़ना॥