लैव्यवस्था 9

1 आठवें दिन मूसा ने हारून और उसके पुत्रों को और इस्त्राएली पुरनियों को बुलवाकर हारून से कहा,

2 पापबलि के लिये एक निर्दोष बछड़ा, और होमबलि के लिये एक निर्दोष मेढ़ा ले कर यहोवा के साम्हने भेंट चढ़ा।

3 और इस्त्राएलियों से यह कह, कि तुम पापबलि के लिये एक बकरा, और होमबलि के लिये एक बछड़ा और एक भेड़ को बच्चा लो, जो एक वर्ष के होंऔर निर्दोष हों,

4 और मेलबलि के लिये यहोवा के सम्मुख चढ़ाने के लिये एक बैल और एक मेढ़ा, और तेल से सने हुए मैदे का एक अन्नबलि भी ले लो; क्योंकि आज यहोवा तुम को दर्शन देगा।

5 और जिस जिस वस्तु की आज्ञा मूसा ने दी उन सब को वे मिलापवाले तम्बू के आगे ले आए; और सारी मण्डली समीप जा कर यहोवा के साम्हने खड़ी हुई।

6 तब मूसा ने कहा, यह वह काम है जिसके करने के लिये यहोवा ने आज्ञा दी है कि तुम उसे करो; और यहोवा की महिमा का तेज तुम को दिखाई पड़ेगा।

7 और मूसा ने हारून से कहा, यहोवा की आज्ञा के अनुसार वेदी के समीप जा कर अपने पापबलि और होमबलि को चढ़ाकर अपने और सब जनता के लिये प्रायश्चित्त कर; और जनता के चढ़ावे को भी चढ़ाकर उनके लिए प्रायश्चित कर।

8 इसलिये हारून ने वेदी के समीप जा कर अपने पापबलि के बछड़े को बलिदान किया।

9 और हारून के पुत्र लोहू को उसके पास ले गए, तब उसने अपनी उंगली को लोहू में डुबाकर वेदी के सींगों पर लोहू को लगाया, और शेष लोहू को वेदी के पाए पर उंडेल दिया;

10 और पापबलि में की चरबी और गुर्दों और कलेजे पर की झिल्ली को उसने वेदी पर जलाया, जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।

11 और मांस और खाल को उसने छावनी से बाहर आग में जलाया।

12 तब होमबलिपशु को बलिदान किया; और हारून के पुत्रों ने लोहू को उसके हाथ में दिया, और उसने उसको वेदी पर चारों ओर छिड़क दिया।

13 तब उन्होंने होमबलिपशु का टुकड़ा टुकड़ा करके सिर सहित उसके हाथ में दे दिया और उसने उन को वेदी पर जला दिया।

14 और उसने अंतडिय़ों और पांवों को धोकर वेदी पर होमबलि के ऊपर जलाया।

15 और उसने लोगों के चढ़ावे को आगे ले कर और उस पापबलि के बकरे को जो उनके लिये था ले कर उसका बलिदान किया, और पहिले के समान उसे भी पापबलि करके चढ़ाया।

16 और उसने होमबलि को भी समीप ले जा कर विधि के अनुसार चढ़ाया।

17 और अन्नबलि को भी समीप ले जा कर उस में से मुट्ठी भर वेदी पर जलाया, यह भोर के होमबलि के अलावा चढ़ाया गया।

18 और बैल और मेढ़ा, अर्थात जो मेलबलिपशु जनता के लिये थे वे भी बलि किये गए; और हारून के पुत्रों ने लोहू को उसके हाथ में दिया, और उसने उसको वेदी पर चारों ओर छिड़क दिया;

19 और उन्होंने बैल की चरबी को, और मेढ़े में से मोटी पूंछ को, और जिस चरबी से अतडिय़ां ढपी रहती हैं उसको, ओर गुर्दों सहित कलेजे पर की झिल्ली को भी उसके हाथ में दिया;

20 और उन्होंने चरबी को छातियों पर रखा; और उसने वह चरबी वेदी पर जलाई,

21 परन्तु छातियों और दाहिनी जांघ को हारून ने मूसा की आज्ञा के अनुसार हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के साम्हने हिलाया।

22 तब हारून ने लोगों की ओर हाथ बढ़ाकर उन्हें आशीर्वाद दिया; और पापबलि, होमबलि, और मेलबलियों को चढ़ाकर वह नीचे उतर आया।

23 तब मूसा और हारून मिलापवाले तम्बू में गए, और निकलकर लोगों को आशीर्वाद दिया; तब यहोवा का तेज सारी जनता को दिखाई दिया।

24 और यहोवा के साम्हने से आग निकलकर चरबी सहित होमबलि को वेदी पर भस्म कर दिया; इसे देखकर जनता ने जयजयकार का नारा मारा, और अपने अपने मुंह के बल गिरकर दण्डवत किया॥

लैव्यवस्था 10

1 तब नादाब और अबीहू नामक हारून के दो पुत्रों ने अपना अपना धूपदान लिया, और उन में आग भरी, और उस में धूप डालकर उस ऊपरी आग की जिसकी आज्ञा यहोवा ने नहीं दी थी यहोवा के सम्मुख आरती दी।

2 तब यहोवा के सम्मुख से आग निकलकर उन दोनों को भस्म कर दिया, और वे यहोवा के साम्हने मर गए।

3 तब मूसा ने हारून से कहा, यह वही बात है जिसे यहोवा ने कहा था, कि जो मेरे समीप आए अवश्य है कि वह मुझे पवित्र जाने, और सारी जनता के साम्हने मेरी महिमा करे। और हारून चुप रहा।

4 तब मूसा ने मीशाएल और एलसाफान को जो हारून के चाचा उज्जीएल के पुत्र थे बुलाकर कहा, निकट आओ, और अपने भतीजों को पवित्रस्थान के आगे से उठा कर छावनी के बाहर ले जाओ।

5 मूसा की इस आज्ञा के अनुसार वे निकट जा कर उन को अंगरखों सहित उठा कर छावनी के बाहर ले गए।

6 तब मूसा ने हारून से और उसके पुत्र एलीआजर और ईतामार से कहा, तुम लोग अपने सिरों के बाल मत बिखराओ, और न अपने वस्त्रों को फाड़ो, ऐसा न हो कि तुम भी मर जाओ, और सारी मण्डली पर उसका क्रोध भड़क उठे; परन्तु वह इस्त्राएल के कुल घराने के लोग जो तुम्हारे भाईबन्धु हैं यहोवा की लगाई हुई आग पर विलाप करें।

7 और तुम लोग मिलापवाले तम्बू के द्वार के बाहर न जाना, ऐसा न हो कि तुम मर जाओ; क्योंकि यहोवा के अभिषेक का तेल तुम पर लगा हुआ है। मूसा के इस वचन के अनुसार उन्होंने किया॥

8 फिर यहोवा ने हारून से कहा,

9 कि जब जब तू वा तेरे पुत्र मिलापवाले तम्बू में आएं तब तब तुम में से कोई न तो दाखमधु पिए हो न और किसी प्रकार का मद्य, कहीं ऐसा न हो कि तुम मर जाओ; तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में यह विधि प्रचलित रहे,

10 जिस से तुम पवित्र और अपवित्र में, और शुद्ध और अशुद्ध में अन्तर कर सको ;

11 और इस्त्राएलियों को उन सब विधियों को सिखा सको जिसे यहोवा ने मूसा के द्वारा उन को सुनवा दी हैं॥

12 फिर मूसा ने हारून से और उसके बचे हुए दोनों पुत्र ईतामार और एलीआजर से भी कहा, यहोवा के हव्य में से जो अन्नबलि बचा है उसे ले कर वेदी के पास बिना खमीर खाओ, क्योंकि वह परमपवित्र है;

13 और तुम उसे किसी पवित्रस्थान में खाओ, वह तो यहोवा के हव्य में से तेरा और तेरे पुत्रों का हक है; क्योंकि मैं ने ऐसी ही आज्ञा पाई है।

14 और हिलाई हुई भेंट की छाती और उठाई हुई भेंट की जांघ को तुम लोग, अर्थात तू और बेटे-बेटियां सब किसी शुद्ध स्थान में खाओ; क्योंकि वे इस्त्राएलियों के मेलबलियों में से तुझे और तेरे लड़केबालों की हक ठहरा दी गई हैं।

15 चरबी के हव्यों समेत जो उठाई हुई जांघ और हिलाई हुई छाती यहोवा के साम्हने हिलाने के लिये आया करेंगी, ये भाग यहोवा की आज्ञा के अनुसार सर्वदा की विधी की व्यवस्था से तेरे और तेरे लड़केबालों के लिये हैं॥

16 फिर मूसा ने पापबलि के बकरे की जो ढूंढ़-ढांढ़ की, तो क्या पाया, कि वह जलाया गया है, सो एलीआज़र और ईतामार जो हारून के पुत्र बचे थे उन से वह क्रोध में आकर कहने लगा,

17 कि पापबलि जो परमपवित्र है और जिसे यहोवा ने तुम्हे इसलिये दिया है कि तुम मण्डली के अधर्म का भार अपने पर उठा कर उनके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करो, तुम ने उसका मांस पवित्रस्थान में क्यों नहीं खाया?

18 देखो, उसका लोहू पवित्रस्थान के भीतर तो लाया ही नहीं गया, नि:सन्देह उचित था कि तुम मेरी आज्ञा के अनुसार उसके मांस को पवित्रस्थान में खाते।

19 इसका उत्तर हारून ने मूसा को इस प्रकार दिया, कि देख, आज ही उन्होंने अपने पापबलि और होमबलि को यहोवा के साम्हने चढ़ाया; फिर मुझ पर ऐसी विपत्तियां आ पड़ी हैं! इसलिये यदि मैं आज पापबलि का मांस खाता तो क्या यह बात यहोवा के सम्मुख भली होती?

20 जब मूसा ने यह सुना तब उसे संतोष हुआ॥

लैव्यवस्था 11

1 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,

2 इस्त्राएलियों से कहो, कि जितने पशु पृथ्वी पर हैं उन सभों में से तुम इन जीवधारियों का मांस खा सकते हो।

3 पशुओं में से जितने चिरे वा फटे खुर के होते हैं और पागुर करते हैं उन्हें खा सकते हो।

4 परन्तु पागुर करने वाले वा फटे खुर वालों में से इन पशुओं को न खाना, अर्थात ऊंट, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिये वह तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहरा है।

5 और शापान, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।

6 और खरहा, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिये वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।

7 और सूअर, जो चिरे अर्थात फटे खुर का होता तो है परन्तु पागुर नहीं करता, इसलिये वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है।

8 इनके मांस में से कुछ न खाना, और इनकी लोथ को छूना भी नहीं; ये तो तुम्हारे लिये अशुद्ध है॥

9 फिर जितने जलजन्तु हैं उन में से तुम इन्हें खा सकते हों, अर्थात समुद्र वा नदियों के जलजन्तुओं में से जितनों के पंख और चोंयेटे होते हैं उन्हें खा सकते हो।

10 और जलचरी प्राणियों में से जितने जीवधारी बिना पंख और चोंयेटे के समुद्र वा नदियों में रहते हैं वे सब तुम्हारे लिये घृणित हैं।

11 वे तुम्हारे लिये घृणित ठहरें; तुम उनके मांस में से कुछ न खाना, और उनकी लोथों को अशुद्ध जानना।

12 जल में जिस किसी जन्तु के पंख और चोंयेटे नहीं होते वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है॥

13 फिर पक्षियों में से इन को अशुद्ध जानना, ये अशुद्ध होने के कारण खाए न जाएं, अर्थात उकाब, हड़फोड़, कुरर,

14 शाही, और भांति भांति की चील,

15 और भांति भांति के सब काग,

16 शुतुर्मुर्ग, तखमास, जलकुक्कुट, और भांति भांति के बाज,

17 हवासिल, हाड़गील, उल्लू,

18 राजहँस, धनेश, गिद्ध,

19 लगलग, भांति भांति के बगुले, टिटीहरी और चमगीदड़॥

20 जितने पंख वाले चार पांवों के बल चरते हैं वे सब तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं।

21 पर रेंगने वाले और पंख वाले जो चार पांवों के बल चलते हैं, जिनके भूमि पर कूदने फांदने को टांगे होती हैं उन को तो खा सकते हो।

22 वे ये हैं, अर्थात भांति भांति की टिड्डी, भांति भांति के फनगे, भांति भांति के हर्गोल, और भांति भांति के हागाब।

23 परन्तु और सब रेंगने वाले पंख वाले जो चार पांव वाले होते हैं वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं॥

24 और इनके कारण तुम अशुद्ध ठहरोगे; जिस किसी से इनकी लोथ छू जाए वह सांझ तक अशुद्ध ठहरे।

25 और जो कोई इनकी लोथ में का कुछ भी उठाए वह अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे।

26 फिर जितने पशु चिरे खुर के होते है। परन्तु न तो बिलकुल फटे खुर और न पागुर करने वाले हैं वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई उन्हें छूए वह अशुद्ध ठहरेगा।

27 और चार पांव के बल चलने वालों में से जितने पंजों के बल चलते हैं वे सब तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई उनकी लोथ छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहे।

28 और जो कोई उनकी लोथ उठाए वह अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे; क्योंकि वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं॥

29 और जो पृथ्वी पर रेंगते हैं उन में से ये रेंगने वाले तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं, अर्थात नेवला, चूहा, और भांति भांति के गोह,

30 और छिपकली, मगर, टिकटिक, सांडा, और गिरगिटान।

31 सब रेंगने वालों में से ये ही तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं; जो कोई इनकी लोथ छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहे।

32 और इन में से किसी की लोथ जिस किसी वस्तु पर पड़ जाए वह भी अशुद्ध ठहरे, चाहे वह काठ का कोई पात्र हो, चाहे वस्त्र, चाहे खाल, चाहे बोरा, चाहे किसी काम का कैसा ही पात्रादि क्यों न हो; वह जल में डाला जाए, और सांझ तक अशुद्ध रहे, तब शुद्ध समझा जाए।

33 और यदि मिट्टी का कोई पात्र हो जिस में इन जन्तुओं में से कोई पड़े, तो उस पात्र में जो कुछ हो वह अशुद्ध ठहरे, और पात्र को तुम तोड़ डालना।

34 उस में जो खाने के योग्य भोजन हो, जिस में पानी का छुआव हों वह सब अशुद्ध ठहरे; फिर यदि ऐसे पात्र में पीने के लिये कुछ हो तो वह भी अशुद्ध ठहरे।

35 और यदि इनकी लोथ में का कुछ तंदूर वा चूल्हे पर पड़े तो वह भी अशुद्ध ठहरे, और तोड़ डाला जाए; क्योंकि वह अशुद्ध हो जाएगा, वह तुम्हारे लिये भी अशुद्ध ठहरे।

36 परन्तु सोता वा तालाब जिस में जल इकट्ठा हो वह तो शुद्ध ही रहे; परन्तु जो कोई इनकी लोथ को छूए वह अशुद्ध ठहरे।

37 और यदि इनकी लोथ में का कुछ किसी प्रकार के बीज पर जो बोने के लिये हो पड़े, तो वह बीज शुद्ध रहे;

38 पर यदि बीज पर जल डाला गया हो और पीछे लोथ में का कुछ उस पर पड़ जाए, तो वह तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहरे॥

39 फिर जिन पशुओं के खाने की आज्ञा तुम को दी गई है यदि उन में से कोई पशु मरे, तो जो कोई उसकी लोथ छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहे।

40 और उसकी लोथ में से जो कोई कुछ खाए वह अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे; और जो कोई उसकी लोथ उठाए वह भी अपने वस्त्र धोए और सांझ तक अशुद्ध रहे।

41 और सब प्रकार के पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु घिनौने हैं; वे खाए न जाएं।

42 पृथ्वी पर सब रेंगने वालों में से जितने पेट वा चार पांवों के बल चलते हैं, वा अधिक पांव वाले होते हैं, उन्हें तुम न खाना; क्योंकि वे घिनौने हैं।

43 तुम किसी प्रकार के रेंगने वाले जन्तु के द्वारा अपने आप को घिनौना न करना; और न उनके द्वारा अपने को अशुद्ध करके अपवित्र ठहराना।

44 क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं; इस प्रकार के रेंगने वाले जन्तु के द्वारा जो पृथ्वी पर चलता है अपने आप को अशुद्ध न करना।

45 क्योंकि मैं वह यहोवा हूं जो तुम्हें मिस्र देश से इसलिये निकाल ले आया हूं कि तुम्हारा परमेश्वर ठहरूं; इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं॥

46 पशुओं, पक्षियों, और सब जलचरी प्राणियों, और पृथ्वी पर सब रेंगने वाले प्राणियों के विषय में यही व्यवस्था है,

47 कि शुद्ध अशुद्ध और भक्षय और अभक्षय जीवधारियों में भेद किया जाए॥

लैव्यवस्था 12

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

2 इस्त्राएलियों से कह, कि जो स्त्री गभिर्णी हो और उसके लड़का हो, तो वह सात दिन तक अशुद्ध रहेगी; जिस प्रकार वह ऋतुमती हो कर अशुद्ध रहा करती।

3 और आठवें दिन लड़के का खतना किया जाए।

4 फिर वह स्त्री अपने शुद्ध करने वाले रूधिर में तेंतीस दिन रहे; और जब तक उसके शुद्ध हो जाने के दिन पूरे न हों तब तक वह न तो किसी पवित्र वस्तु को छुए, और न पवित्रस्थान में प्रवेश करे।

5 और यदि उसके लड़की पैदा हो, तो उसको ऋतुमती की सी अशुद्धता चौदह दिन की लगे; और फिर छियासठ दिन तक अपने शुद्ध करने वाले रूधिर में रहे।

6 और जब उसके शुद्ध हो जाने के दिन पूरे हों, तब चाहे उसके बेटा हुआ हो चाहे बेटी, वह होमबलि के लिये एक वर्ष का भेड़ी का बच्चा, और पापबलि के लिये कबूतरी का एक बच्चा वा पंडुकी मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक के पास लाए।

7 तब याजक उसको यहोवा के साम्हने भेंट चढ़ाके उसके लिये प्रायश्चित्त करे; और वह अपने रूधिर के बहने की अशुद्धता से छूटकर शुद्ध ठहरेगी। जिस स्त्री के लड़का वा लड़की उत्पन्न हो उसके लिये यही व्यवस्था है।

8 और यदि उसके पास भेड़ वा बकरी देने की पूंजी न हो, तो दो पंडुकी वा कबूतरी के दो बच्चे, एक तो होमबलि और दूसरा पापबलि के लिये दे; और याजक उसके लिये प्रायश्चित्त करे, तब वह शुद्ध ठहरेगी॥

लैव्यवस्था 13

1 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,

2 जब किसी मनुष्य के शरीर के चर्म में सूजन वा पपड़ी वा फूल हो, और इस से उसके चर्म में कोढ़ की व्याधि सा कुछ देख पड़े, तो उसे हारून याजक के पास था उसके पुत्र जो याजक हैं उन में से किसी के पास ले जाएं।

3 जब याजक उसके चर्म की व्याधि को देखे, और यदि उस व्याधि के स्थान के रोएं उजले हो गए हों और व्याधि चर्म से गहरी देख पड़े, तो वह जान ले कि कोढ़ की व्याधि है; और याजक उस मनुष्य को देखकर उसको अशुद्ध ठहराए।

4 और यदि वह फूल उसके चर्म में उजला तो हो, परन्तु चर्म से गहरा न देख पड़े, और न वहां के रोएं उजले हो गए हों, तो याजक उन को सात दिन तक बन्दकर रखे;

5 और सातवें दिन याजक उसको देखे, और यदि वह व्याधि जैसी की तैसी बनी रहे और उसके चर्म में न फैली हो, तो याजक उसको और भी सात दिन तक बन्दकर रखे;

6 और सातवें दिन याजक उसको फिर देखे, और यदि देख पड़े कि व्याधि की चमक कम है और व्याधि चर्म पर फैली न हो, तो याजक उसको शुद्ध ठहराए; क्योंकि उसके तो चर्म में पपड़ी है; और वह अपने वस्त्र धोकर शुद्ध हो जाए।

7 और यदि याजक की उस जांच के पश्चात जिस में वह शुद्ध ठहराया गया था, वह पपड़ी उसके चर्म पर बहुत फैल जाए, तो वह फिर याजक को दिखाया जाए;

8 और यदि याजक को देख पड़े कि पपड़ी चर्म में फैल गई है, तो वह उसको अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ ही है॥

9 यदि कोढ़ की सी व्याधि किसी मनुष्य के हो, तो वह याजक के पास पहुंचाया जाए;

10 और याजक उसको देखे, और यदि वह सूजन उसके चर्म में उजली हो, और उसके कारण रोएं भी उजले हो गए हों, और उस सूजन में बिना चर्म का मांस हो,

11 तो याजक जाने कि उसके चर्म में पुराना कोढ़ है, इसलिये वह उसको अशुद्ध ठहराए; और बन्द न रखे, क्योंकि वह तो अशुद्ध है।

12 और यदि कोढ़ किसी के चर्म में फूटकर यहां तक फैल जाए, कि जहां कहीं याजक देखें व्याधित के सिर से पैर के तलवे तक कोढ़ ने सारे चर्म को छा लिया हो,

13 जो याजक ध्यान से देखे, और यदि कोढ़ ने उसके सारे शरीर को छा लिया हो, तो वह उस व्याधित को शुद्ध ठहराए; और उसका शरीर जो बिलकुल उजला हो गया है वह शुद्ध ही ठहरे।

14 पर जब उस में चर्महीन मांस देख पड़े, तब तो वह अशुद्ध ठहरे।

15 और याजक चर्महीन मांस को देखकर उसको अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वैसा चर्महीन मांस अशुद्ध ही होता है; वह कोढ़ है।

16 पर यदि वह चर्महीन मांस फिर उजला हो जाए, तो वह मनुष्य याजक के पास जाए,

17 और याजक उसको देखे, और यदि वह व्याधि फिर से उजली हो गई हो, तो याजक व्याधित को शुद्ध जाने; वह शुद्ध है॥

18 फिर यदि किसी के चर्म में फोड़ा हो कर चंगा हो गया हो,

19 और फोड़े के स्थान में उजली सी सूजन वा लाली लिये हुए उजला फूल हो, तो वह याजक को दिखाया जाए।

20 और याजक उस सूजन को देखे, और यदि वह चर्म से गहिरा देख पड़े, और उसके रोएं भी उजले हो गए हों, तो याजक यह जानकर उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ की व्याधि है जो फोड़े में से फूटकर निकली है।

21 और यदि याजक देखे कि उस में उजले रोएं नहीं हैं, और वह चर्म से गहिरी नहीं, और उसकी चमक कम हुई है, तो याजक उस मनुष्य को सात दिन तक बन्द कर रखे।

22 और यदि वह व्याधि उस समय तक चर्म में सचमुच फैल जाए, तो याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ की व्याधि है।

23 परन्तु यदि वह फूल न फैले और अपने स्थान ही पर बना रहे, तो वह फोड़े को दाग है; याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए॥

24 फिर यदि किसी के चर्म में जलने का घाव हो, और उस जलने के घाव में चर्महीन फूल लाली लिये हुए उजला वा उजला ही हो जाए,

25 तो याजक उसको देखे, और यदि उस फूल में के रोएं उजले हो गए हों और वह चर्म से गहिरा देख पड़े, तो वह कोढ़ है; जो उस जलने के दाग में से फूट निकला है; याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि उस में कोढ़ की व्याधि है।

26 और यदि याजक देखे, कि फूल में उजले रोएं नहीं और न वह चर्म से कुछ गहिरा है, और उसकी चमक कम हुई है, तो वह उसको सात दिन तक बन्द कर रखे,

27 और सातवें दिन याजक उसको देखे, और यदि वह चर्म में फैल गई हो, तो वह उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि उसको कोढ़ की व्याधि है।

28 परन्तु यदि वह फूल चर्म में नहीं फैला और अपने स्थान ही पर जहां का तहां ही बना हो, और उसकी चमक कम हुई हो, तो वह जल जाने के कारण सूजा हुआ है, याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए; क्योंकि वह दाग जल जाने के कारण से है॥

29 फिर यदि किसी पुरूष वा स्त्री के सिर पर, वा पुरूष की डाढ़ी में व्याधि हो,

30 तो याजक व्याधि को देखे, और यदि वह चर्म से गहिरी देख पड़े, और उस में भूरे भूरे पतले बाल हों, तो याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; वह व्याधि सेंहुआं, अर्थात सिर वा डाढ़ी का कोढ़ है।

31 और यदि याजक सेंहुएं की व्याधि को देखे, कि वह चर्म से गहिरी नहीं है और उस में काले काले बाल नहीं हैं, तो वह सेंहुएं के व्याधित को सात दिन तक बन्द कर रखे,

32 और सातवें दिन याजक व्याधि को देखे, तब यदि वह सेंहुआं फैला न हो, और उस में भूरे भूरे बाल न हों, और सेंहुआं चर्म से गहिरा न देख पड़े,

33 तो यह मनुष्य मूंड़ा जाए, परन्तु जहां सेंहुआं हो वहां न मूंड़ा जाए; और याजक उस सेंहुएं वाले को और भी सात दिन तक बन्द करे;

34 और सातवें दिन याजक सेहुएं को देखे, और यदि वह सेंहुआं चर्म में फैला न हो और चर्म से गहिरा न देख पड़े, तो याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए; और वह अपने वस्त्र धो के शुद्ध ठहरे।

35 और यदि उसके शुद्ध ठहरने के पश्चात सेंहुआं चर्म में कुछ भी फैले,

36 तो याजक उसको देखे, और यदि वह चर्म में फैला हो, तो याजक यह भूरे बाल न ढूंढ़े, क्योंकि मनुष्य अशुद्ध है।

37 परन्तु यदि उसकी दृष्टि में वह सेंहुआं जैसे का तैसा बना हो, और उस में काले काले बाल जमे हों, तो वह जाने की सेंहुआं चंगा हो गया है, और वह मनुष्य शुद्ध है; याजक उसको शुद्ध ही ठहराए॥

38 फिर यदि किसी पुरूष वा स्त्री के चर्म में उजले फूल हों,

39 तो याजक देखे, और यदि उसके चर्म में वे फूल कम उजले हों, तो वह जाने कि उसको चर्म में निकली हुई चाईं ही है; वह मनुष्य शुद्ध ठहरे॥

40 फिर जिसके सिर के बाल झड़ गए हों, तो जानना कि वह चन्दुला तो है परन्तु शुद्ध है।

41 और जिसके सिर के आगे के बाल झड़ गए हों, तो वह माथे का चन्दुला तो है परन्तु शुद्ध है।

42 परन्तु यदि चन्दुले सिर पर वा चन्दुले माथे पर लाली लिये हुए उजली व्याधि हो, तो जानना कि वह उसके चन्दुले सिर पर वा चन्दुले माथे पर निकला हुआ कोढ़ है।

43 इसलिये याजक उसको देखे, और यदि व्याधि की सूजन उसके चन्दुले सिर वा चन्दुले माथे पर ऐसी लाली लिये हुए उजली हो जैसा चर्म के कोढ़ में होता है,

44 तो वह मनुष्य कोढ़ी है और अशुद्ध है; और याजक उसको अवश्य अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह व्याधि उसके सिर पर है॥

45 और जिस में वह व्याधि हो उस कोढ़ी के वस्त्र फटे और सिर के बाल बिखरे रहें, और वह अपने ऊपर वाले होंठ को ढांपे हुए अशुद्ध, अशुद्ध पुकारा करे।

46 जितने दिन तक वह व्याधि उस में रहे उतने दिन तक वह तो अशुद्ध रहेगा; और वह अशुद्ध ठहरा रहे; इसलिये वह अकेला रहा करे, उसका निवास स्थान छावनी के बाहर हो॥

47 फिर जिस वस्त्र में कोढ़ की व्याधि हो, चाहे वह वस्त्र ऊन का हो चाहे सनी का,

48 वह व्याधि चाहे उस सनी वा ऊन के वस्त्र के ताने में हो चाहे बाने में, वा वह व्याधि चमड़े में वा चमड़े की किसी वस्तु में हो,

49 यदि वह व्याधि किसी वस्त्र के चाहे ताने में चाहे बाने में, वा चमड़े में वा चमड़े की किसी वस्तु में हरी हो वा लाल सी हो, तो जानना कि वह कोढ़ की व्याधि है और वह याजक को दिखाई जाए।

50 और याजक व्याधि को देखे, और व्याधिवाली वस्तु को सात दिन के लिये बन्द करे;

51 और सातवें दिन वह उस व्याधि को देखे, और यदि वह वस्त्र के चाहे ताने में चाहे बाने में, वा चमड़े में वा चमड़े की बनी हुई किसी वस्तु में फैल गई हो, तो जानना कि व्याधि गलित कोढ़ है, इसलिये वह वस्तु, चाहे कैसे ही काम में क्यों न आती हो, तौभी अशुद्ध ठहरेगी।

52 वह उस वस्त्र को जिसके ताने वा बाने में वह व्याधि हो, चाहे वह ऊन का हो चाहे सनी का, वा चमड़े की वस्तु हो, उसको जला दे, वह व्याधि गलित कोढ़ की है; वह वस्तु आग में जलाई जाए।

53 और यदि याजक देखे कि वह व्याधि उस वस्त्र के ताने वा बाने में, वा चमड़े की उस वस्तु में नहीं फैली,

54 तो जिस वस्तु में व्याधि हो उसके धोने की आज्ञा दे, तक उसे और भी सात दिन तक बन्द कर रखे;

55 और उसके धोने के बाद याजक उसको देखे, और यदि व्याधि का न तो रंग बदला हो, और न व्याधि फैली हो, तो जानना कि वह अशुद्ध है; उसे आग में जलाना, क्योंकि चाहे वह व्याधि भीतर चाहे ऊपरी हो तौभी वह खा जाने वाली व्याधि है।

56 और यदि याजक देखे, कि उसके धोने के पश्चात व्याधि की चमक कम हो गई, तो वह उसको वस्त्र के चाहे ताने चाहे बाने में से, वा चमड़े में से फाड़के निकाले;

57 और यदि वह व्याधि तब भी उस वस्त्र के ताने वा बाने में, वा चमड़े की उस वस्तु में देख पड़े, तो जानना कि वह फूट के निकली हुई व्याधि है; और जिस में वह व्याधि हो उसे आग में जलाना।

58 और यदि उस वस्त्र से जिसके ताने वा बाने में व्याधि हो, वा चमड़े की जो वस्तु हो उससे जब धोई जाए और व्याधि जाती रही, तो वह दूसरी बार धुल कर शुद्ध ठहरे।

59 ऊन वा सनी के वस्त्र में के ताने वा बाने में, वा चमड़े की किसी वस्तु में जो कोढ़ की व्याधि हो उसके शुद्ध और अशुद्ध ठहराने की यही व्यवस्था है॥

लैव्यवस्था 14

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

2 कोढ़ी के शुद्ध ठहराने की व्यवस्था यह है, कि वह याजक के पास पहुंचाया जाए।

3 और याजक छावनी के बाहर जाए, और याजक उस कोढ़ी को देखे, और यदि उसके कोढ़ की व्याधि चंगी हुई हो,

4 तो याजक आज्ञा दे कि शुद्ध ठहराने वाले के लिये दो शुद्ध और जीवित पक्षी, देवदारू की लकड़ी, और लाल रंग का कपड़ा और जूफा ये सब लिये जाएं;

5 और याजक आज्ञा दे कि एक पक्षी बहते हुए जल के ऊपर मिट्टी के पात्र में बलि किया जाए।

6 तब वह जीवित पक्षी को देवदारू की लकड़ी और लाल रंग के कपड़े और जूफा इन सभों को ले कर एक संग उस पक्षी के लोहू में जो बहते हुए जल के ऊपर बलि किया गया है डुबा दे;

7 और कोढ़ से शुद्ध ठहरने वाले पर सात बार छिड़ककर उसको शुद्ध ठहराए, तब उस जीवित पक्षी को मैदान में छोड़ दे।

8 और शुद्ध ठहरनेवाला अपने वस्त्रों को धोए, और सब बाल मुंड़वाकर जल से स्नान करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा; और उसके बाद वह छावनी में आने पाए, परन्तु सात दिन तक अपने डेरे से बाहर ही रहे।

9 और सातवें दिन वह सिर, डाढ़ी और भौहों के सब बाल मुंड़ाए, और सब अंग मुण्डन कराए, और अपने वस्त्रों को धोए, और जल से स्नान करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा।

10 और आठवें दिन वह दो निर्दोष भेड़ के बच्चे, और अन्नबलि के लिये तेल से सना हुआ एपा का तीन दहाई अंश मैदा, और लोज भर तेल लाए।

11 और शुद्ध ठहरानेवाला याजक इन वस्तुओं समेत उस शुद्ध होने वाले मनुष्य को यहोवा के सम्मुख मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खड़ा करे।

12 तब याजक एक भेड़ का बच्चा ले कर दोषबलि के लिये उसे और उस लोज भर तेल को समीप लाए, और इन दोनो को हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के साम्हने हिलाए;

13 तब याजक एक भेड़ के बच्चे को उसी स्थान में जहां वह पापबलि और होमबलि पशुओं का बलिदान किया करेगा, अर्थात पवित्रस्थान में बलिदान करे; क्योंकि जैसा पापबलि याजक का निज भाग होगा वैसा ही दोषबलि भी उसी का निज भाग ठहरेगा; वह परमपवित्र है।

14 तब याजक दोषबलि के लोहू में से कुछ ले कर शुद्ध ठहरने वाले के दाहिने कान के सिरे पर, और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पांव के अंगूठों पर लगाए।

15 और याजक उस लोज भर तेल में से कुछ ले कर अपने बाएं हाथ की हथेली पर डाले,

16 और याजक अपने दाहिने हाथ की उंगली को अपने बाईं हथेली पर के तेल में डुबाकर उस तेल में से कुछ अपनी उंगली से यहोवा के सम्मुख सात बार छिड़के।

17 और जो तेल उसकी हथेली पर रह जाएगा याजक उस में से कुछ शुद्ध होने वाले के दाहिने कान के सिरे पर, और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पांव के अंगूठों पर दोषबलि के लोहू के ऊपर लगाएं;

18 और जो तेल याजक की हथेली पर रह जाए उसको वह शुद्ध होने वाले के सिर पर डाल दे। और याजक उसके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे।

19 और याजक पापबलि को भी चढ़ाकर उसके लिये जो अपनी अशुद्धता से शुद्ध होनेवाला हो प्रायश्चित्त करे; और उसके बाद होमबलि पशु का बलिदान करके:

20 अन्नबलि समेत वेदी पर चढ़ाए: और याजक उसके लिये प्रायश्चित्त करे, और वह शुद्ध ठहरेगा॥

21 परन्तु यदि वह दरिद्र हो और इतना लाने के लिये उसके पास पूंजी न हो, तो वह अपना प्रायश्चित्त करवाने के निमित्त, हिलाने के लिये भेड़ का बच्चा दोषबलि के लिये, और तेल से सना हुआ एपा का दसवां अंश मैदा अन्नबलि करके, और लोज भर तेल लाए;

22 और दो पंडुक, वा कबूतरी के दो बच्चे लाए, जो वह ला सके; और इन में से एक तो पापबलि के लिये और दूसरा होमबलि के लिये हो।

23 और आठवें दिन वह इन सभों को अपने शुद्ध ठहरने के लिये मिलापवाले तम्बू के द्वार पर, यहोवा के सम्मुख, याजक के पास ले आए;

24 तब याजक उस लोज भर तेल और दोष बलि वाले भेड़ के बच्चे को ले कर हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के साम्हने हिलाए।

25 फिर दोषबलि के भेड़ के बच्चे का बलिदान किया जाए; और याजक उसके लोहू में से कुछ ले कर शुद्ध ठहरने वाले के दाहिने कान के सिरे पर, और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पांव के अंगूठों पर लगाए।

26 फिर याजक उस तेल में से कुछ अपने बाएं हाथ की हथेली पर डालकर,

27 अपने दाहिने हाथ की उंगली से अपनी बाईं हथेली पर के तेल में से कुछ यहोवा के सम्मुख सात बार छिड़के;

28 फिर याजक अपनी हथेली पर के तेल में से कुछ शुद्ध ठहरने वाले के दाहिने कान के सिरे पर, और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पांव के अंगूठों पर दोषबलि के लोहू के स्थान पर, लगाए।

29 और जो तेल याजक की हथेली पर रह जाए उसे वह शुद्ध ठहरने वाले के लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करने को उसके सिर पर डाल दे।

30 तब वह पंडुकों वा कबूतरी के बच्चों में से जो वह ला सका हो एक को चढ़ाए,

31 अर्थात जो पक्षी वह ला सका हो, उन में से वह एक को पापबलि के लिये और अन्नबलि समेत दूसरे को होमबलि के लिये चढ़ाए; इस रीति से याजक शुद्ध ठहरने वाले के लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे।

32 जिसे कोढ़ की व्याधि हुई हो, और उसके इतनी पूंजी न हो कि वह शुद्ध ठहरने की सामग्री को ला सके, तो उसके लिये यही व्यवस्था है॥

33 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,

34 जब तुम लोग कनान देश में पहुंचो, जिसे मैं तुम्हारी निज भूमि होने के लिये तुम्हें देता हूं, उस समय यदि मैं कोढ़ की व्याधि तुम्हारे अधिकार के किसी घर में दिखाऊं,

35 तो जिसका वह घर हो वह आकर याजक को बता दे, कि मुझे ऐसा देख पड़ता है कि घर में मानों कोई व्याधि है।

36 तब याजक आज्ञा दे, कि उस घर में व्याधि देखने के लिये मेरे जाने से पहिले उसे खाली करो, कहीं ऐसा न हो कि जो कुछ घर में हो वह सब अशुद्ध ठहरे; और पीछे याजक घर देखने को भीतर जाए।

37 तब वह उस व्याधि को देखे; और यदि वह व्याधि घर की दीवारों पर हरी हरी वा लाल लाल मानों खुदी हुई लकीरों के रूप में हो, और ये लकीरें दीवार में गहिरी देख पड़ती हों,

38 तो याजक घर से बाहर द्वार पर जा कर घर को सात दिन तक बन्द कर रखे।

39 और सातवें दिन याजक आकर देखे; और यदि वह व्याधि घर की दीवारों पर फैल गई हो,

40 तो याजक आज्ञा दे, कि जिन पत्थरों को व्याधि है उन्हें निकाल कर नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान में फेंक दें;

41 और वह घर के भीतर ही भीतर चारों ओर खुरचवाए, और वह खुरचन की मिट्टी नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान में डाली जाए;

42 और उन पत्थरों के स्थान में और दूसरे पत्थर ले कर लगाएं और याजक ताजा गारा ले कर घर की जुड़ाई करे।

43 और यदि पत्थरों के निकाले जाने और घर के खुरचे और लेसे जाने के बाद वह व्याधि फिर घर में फूट निकले,

44 तो याजक आकर देखे; और यदि वह व्याधि घर में फैल गई हो, तो वह जान ले कि घर में गलित कोढ़ है; वह अशुद्ध है।

45 और वह सब गारे समेत पत्थर, लकड़ी और घर को खुदवाकर गिरा दे; और उन सब वस्तुओं को उठवाकर नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान पर फिंकवा दे।

46 और जब तक वह घर बन्द रहे तब तक यदि कोई उस में जाए तो वह सांझ तक अशुद्ध रहे;

47 और जो कोई उस घर में सोए वह अपने वस्त्रों को धोए; और जो कोई उस घर में खाना खाए वह भी अपने वस्त्रों को धोए।

48 और यदि याजक आकर देखे कि जब से घर लेसा गया है तब से उस में व्याधि नहीं फैली है, तो यह जानकर कि वह व्याधि दूर हो गई है, घर को शुद्ध ठहराए।

49 और उस घर को पवित्र करने के लिये दो पक्षी, देवदारू की लकड़ी, लाल रंग का कपड़ा और जूफा लिवा लाए,

50 और एक पक्षी बहते हुए जल के ऊपर मिट्टी के पात्र में बलिदान करे,

51 तब वह देवदारू की लकड़ी लाल रंग के कपड़े और जूफा और जीवित पक्षी इन सभों को ले कर बलिदान किए हुए पक्षी के लोहू में और बहते हुए जल में डूबा दे, और उस घर पर सात बार छिड़के।

52 और वह पक्षी के लोहू, और बहते हुए जल, और जूफा और लाल रंग के कपड़े के द्वारा घर को पवित्र करे;

53 तब वह जीवित पक्षी को नगर से बाहर मैदान में छोड़ दे; इसी रीति से वह घर के लिये प्रायश्चित्त करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा।

54 सब भांति के कोढ़ की व्याधि, और सेहुएं,

55 और वस्त्र, और घर के कोढ़,

56 और सूजन, और पपड़ी, और फूल के विषय में,

57 शुद्ध और अशुद्ध ठहराने की शिक्षा की व्यवस्था यही है। सब प्रकार के कोढ़ की व्यवस्था यही है॥

लैव्यवस्था 15

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

2 कि इस्त्राएलियों से कहो, कि जिस जिस पुरूष के प्रमेह हो, तो वह प्रमेह के कारण से अशुद्ध ठहरे।

3 और चाहे बहता रहे, चाहे बहना बन्द भी हो, तौभी उसकी अशुद्धता बनी रहेगी।

4 जिसके प्रमेह हो वह जिस जिस बिछौने पर लेटे वह अशुद्ध ठहरे, और जिस जिस वस्तु पर वह बैठे वह भी अशुद्ध ठहरे।

5 और जो कोई उसके बिछौने को छूए वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे, और सांझ तक अशुद्ध ठहरा रहे।

6 और जिसके प्रमेह हो और वह जिस वस्तु पर बैठा हो, उस पर जो कोई बैठे वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे, और सांझ तक अशुद्ध ठहरा रहे।

7 और जिसके प्रमेह हो उससे जो कोई छू जाए वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे और सांझ तक अशुद्ध रहे।

8 और जिसके प्रमेह हो यदि वह किसी शुद्ध मनुष्य पर थूके, तो वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे, और सांझ तक अशुद्ध रहे।

9 और जिसके प्रमेह हो वह सवारी की जिस वस्तु पर बैठे वह अशुद्ध ठहरे।

10 और जो कोई किसी वस्तु को जो उसके नीचे रही हो छूए वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे, और सांझ तक अशुद्ध रहे।

11 और जिसके प्रमेह हो वह जिस किसी को बिना हाथ धोए छूए वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे, और सांझ तक अशुद्ध रहे।

12 और जिसके प्रमेह हो वह मिट्टी के जिस किसी पात्र को छूए वह तोड़ डाला जाए, और काठ के सब प्रकार के पात्र जल से धोए जाएं।

13 फिर जिसके प्रमेह हो वह जब अपने रोग से चंगा हो जाए, तब से शुद्ध ठहरने के सात दिन गिन ले, और उनके बीतने पर अपने वस्त्रों को धोकर बहते हुए जल से स्नान करे; तब वह शुद्ध ठहरेगा।

14 और आठवें दिन वह दो पंडुक वा कबूतरी के दो बच्चे ले कर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के सम्मुख जा कर उन्हें याजक को दे।

15 तब याजक उन में से एक को पापबलि; और दूसरे को होमबलि के लिये भेंट चढ़ाए; और याजक उसके लिये उसके प्रमेह के कारण यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे॥

16 फिर यदि किसी पुरूष का वीर्य्य स्खलित हो जाए, तो वह अपने सारे शरीर को जल से धोए, और सांझ तक अशुद्ध रहे।

17 और जिस किसी वस्त्र वा चमड़े पर वह वीर्य्य पड़े वह जल से धोया जाए, और सांझ तक अशुद्ध रहे।

18 और जब कोई पुरूष स्त्री से प्रसंग करे, तो वे दोनो जल से स्नान करें, और सांझ तक अशुद्ध रहें॥

19 फिर जब कोई स्त्री ऋतुमती रहे, तो वह सात दिन तक अशुद्ध ठहरी रहे, और जो कोई उसको छूए वह सांझ तक अशुद्ध रहे।

20 और जब तक वह अशुद्ध रहे तब तक जिस जिस वस्तु पर वह लेटे, और जिस जिस वस्तु पर वह बैठे वे सब अशुद्ध ठहरें।

21 और जो कोई उसके बिछौने को छूए वह अपने वस्त्र धोकर जल से स्नान करे, और सांझ तक अशुद्ध रहे।

22 और जो कोई किसी वस्तु को छूए जिस पर वह बैठी हो वह अपने वस्त्र धोकर जल से स्नान करे, और सांझ तक अशुद्ध रहे।

23 और यदि बिछौने वा और किसी वस्तु पर जिस पर वह बैठी हो छूने के समय उसका रूधिर लगा हो, तो छूनेहारा सांझ तक अशुद्ध रहे।

24 और यदि कोई पुरूष उससे प्रसंग करे, और उसका रूधिर उसके लग जाए, तो वह पुरूष सात दिन तक अशुद्ध रहे, और जिस जिस बिछौने पर वह लेटे वे सब अशुद्ध ठहरें॥

25 फिर यदि किसी स्त्री के अपने मासिक धर्म के नियुक्त समय से अधिक दिन तक रूधिर बहता रहे, वा उस नियुक्त समय से अधिक समय तक ऋतुमती रहे, तो जब तक वह ऐसी दशा में रहे तब तक वह अशुद्ध ठहरी रहे।

26 उसके ऋतुमती रहने के सब दिनों में जिस जिस बिछौने पर वह लेटे वे सब उसके मासिक धर्म के बिछौने के समान ठहरें; और जिस जिस वस्तु पर वह बैठे वे भी उसके ऋतुमती रहे के दिनों की नाईं अशुद्ध ठहरें।

27 और जो कोई उन वस्तुओं को छुए वह अशुद्ध ठहरे, इसलिये वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे, और सांझ तक अशुद्ध रहे।

28 और जब वह स्त्री अपने ऋतुमती से शुद्ध हो जाए, तब से वह सात दिन गिन ले, और उन दिनों के बीतने पर वह शुद्ध ठहरे।

29 फिर आठवें दिन वह दो पंडुक था कबूतरी के दो बच्चे ले कर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक के पास जाए।

30 तब याजक एक को पापबलि और दूसरे को होमबलि के लिये चढ़ाए; और याजक उसके लिये उसके मासिक धर्म की अशुद्धता के कारण यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे॥

31 इस प्रकार से तुम इस्त्राएलियों को उनकी अशुद्धता से न्यारे रखा करो, कहीं ऐसा न हो कि वे यहोवा के निवास को जो उनके बीच में है अशुद्ध करके अपनी अशुद्धता में फंसे हुए मर जाएं॥

32 जिसके प्रमेह हो और जो पुरूष वीर्य्य स्खलित होने से अशुद्ध हो;

33 और जो स्त्री ऋतुमती हो; और क्या पुरूष क्या स्त्री, जिस किसी के धातुरोग हो, और जो पुरूष अशुद्ध स्त्री के प्रसंग करे, इन सभों के लिये यही व्यवस्था है॥

लैव्यवस्था 16

1 जब हारून के दो पुत्र यहोवा के साम्हने समीप जा कर मर गए, उसके बाद यहोवा ने मूसा से बातें की;

2 और यहोवा ने मूसा से कहा, अपने भाई हारून से कह, कि सन्दूक के ऊपर के प्रायश्चित्त वाले ढ़कने के आगे, बीच वाले पर्दे के अन्दर, पवित्रस्थान में हर समय न प्रवेश करे, नहीं तो मर जाएगा; क्योंकि मैं प्रायश्चित्त वाले ढ़कने के ऊपर बादल में दिखाई दूंगा।

3 और जब हारून पवित्रस्थान में प्रवेश करे तब इस रीति से प्रवेश करे, अर्थात पापबलि के लिये एक बछड़े को और होमबलि के लिये एक मेढ़े को ले कर आए।

4 वह सनी के कपड़े का पवित्र अंगरखा, और अपने तन पर सनी के कपड़े की जांघिया पहिने हुए, और सनी के कपड़े का कटिबन्द, और सनी के कपड़े की पगड़ी बांधे हुए प्रवेश करे; ये पवित्र स्थान हैं, और वह जल से स्नान करके इन्हें पहिने।

5 फिर वह इस्त्राएलियों की मण्डली के पास से पापबलि के लिये दो बकरे और होमबलि के लिये एक मेढ़ा ले।

6 और हारून उस पापबलि के बछड़े को जो उसी के लिये होगा चढ़ाकर अपने और अपने घराने के लिये प्रायश्चित्त करे।

7 और उन दोनों बकरों को ले कर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के साम्हने खड़ा करे;

8 और हारून दोनों बकरों पर चिट्ठियां डाले, एक चिट्ठी यहोवा के लिये और दूसरी अजाजेल के लिये हो।

9 और जिस बकरे पर यहोवा के नाम की चिट्ठी निकले उसको हारून पापबलि के लिये चढ़ाए;

10 परन्तु जिस बकरे पर अजाजेल के लिये चिट्ठी निकले वह यहोवा के साम्हने जीवता खड़ा किया जाए कि उससे प्रायश्चित्त किया जाए, और वह अजाजेल के लिये जंगल में छोड़ा जाए।

11 और हारून उस पापबलि के बछड़े को जो उसी के लिये होगा समीप ले आए, और उसको बलिदान करके अपने और अपने घराने के लिये प्रायश्चित्त करे।

12 और जो वेदी यहोवा के सम्मुख है उस पर के जलते हुए कोयलों से भरे हुए धूपदान को ले कर, और अपनी दोनों मुट्ठियों को फूटे हुए सुगन्धित धूप से भरकर, बीच वाले पर्दे के भीतर ले आकर

13 उस धूप को यहोवा के सम्मुख आग में डाले, जिस से धूप का धुआं साक्षीपत्र के ऊपर के प्रायश्चित्त के ढकने के ऊपर छा जाए, नहीं तो वह मर जाएगा;

14 तब वह बछड़े के लोहू में से कुछ ले कर पूरब की ओर प्रायश्चित्त के ढकने के ऊपर अपनी उंगली से छिड़के, और फिर उस लोहू में से कुछ उंगली के द्वारा उस ढकने के साम्हने भी सात बार छिड़क दे।

15 फिर वह उस पापबलि के बकरे को जो साधारण जनता के लिये होगा बलिदान करके उसके लोहू को बीच वाले पर्दे के भीतर ले आए, और जिस प्रकार बछड़े के लोहू से उसने किया था ठीक वैसा ही वह बकरे के लोहू से भी करे, अर्थात उसको प्रायश्चित्त के ढकने के ऊपर और उसके साम्हने छिड़के।

16 और वह इस्त्राएलियों की भांति भांति की अशुद्धता, और अपराधों, और उनके सब पापों के कारण पवित्रस्थान के लिये प्रायश्चित्त करे; और मिलापवाला तम्बू जो उनके संग उनकी भांति भांति की अशुद्धता के बीच रहता है उसके लिये भी वह वैसा ही करे।

17 और जब हारून प्रायश्चित्त करने के लिये पवित्रस्थान में प्रवेश करे, तब से जब तक वह अपने और अपने घराने और इस्त्राएल की सारी मण्डली के लिये प्रायश्चित्त करके बाहर न निकले तब तक कोई मनुष्य मिलापवाले तम्बू में न रहे।

18 फिर वह निकलकर उस वेदी के पास जो यहोवा के साम्हने है जाए और उसके लिये प्रायश्चित्त करे, अर्थात बछड़े के लोहू और बकरे के लोहू दोनों में से कुछ ले कर उस वेदी के चारों कोनों के सींगो पर लगाए।

19 और उस लोहू में से कुछ अपनी उंगली के द्वारा सात बार उस पर छिड़ककर उसे इस्त्राएलियों की भांति भांति की अशुद्धता छुड़ाकर शुद्ध और पवित्र करे।

20 और जब वह पवित्रस्थान और मिलापवाले तम्बू और वेदी के लिये प्रायश्चित्त कर चुके, तब जीवित बकरे को आगे ले आए;

21 और हारून अपने दोनों हाथों को जीवित बकरे पर रखकर इस्त्राएलियों के सब अधर्म के कामों, और उनके सब अपराधों, निदान उनके सारे पापों को अंगीकार करे, और उन को बकरे के सिर पर धरकर उसको किसी मनुष्य के हाथ जो इस काम के लिये तैयार हो जंगल में भेज के छुड़वा दे।

22 और वह बकरा उनके सब अधर्म के कामों को अपने ऊपर लादे हुए किसी निराले देश में उठा ले जाएगा; इसलिये वह मनुष्य उस बकरे को जंगल में छोड़े दे।

23 तब हारून मिलापवाले तम्बू में आए, और जिस सनी के वस्त्रों को पहिने हुए उसने पवित्रस्थान में प्रवेश किया था उन्हें उतारकर वहीं पर रख दे।

24 फिर वह किसी पवित्र स्थान में जल से स्नान कर अपने निज वस्त्र पहिन ले, और बाहर जा कर अपने होमबलि और साधारण जनता के होमबलि को चढ़ाकर अपने और जनता के लिये प्रायश्चित्त करे।

25 और पापबलि की चरबी को वह वेदी पर जलाए।

26 और जो मनुष्य बकरे को अजाजेल के लिये छोड़कर आए वह भी अपने वस्त्रों को धोए, और जल से स्नान करे, और तब वह छावनी में प्रवेश करे।

27 और पापबलि का बछड़ा और पापबलि का बकरा भी जिनका लोहू पवित्रस्थान में प्रायश्चित्त करने के लिये पहुंचाया जाए वे दोनों छावनी से बाहर पहुंचाए जाएं; और उनका चमड़ा, मांस, और गोबर आग में जला दिया जाए।

28 और जो उन को जलाए वह अपने वस्त्रों को धोए, और जल से स्नान करे, और इसके बाद वह छावनी में प्रवेश करने पाए॥

29 और तुम लोगों के लिये यह सदा की विधि होगी कि सातवें महीने के दसवें दिन को तुम अपने अपने जीव को दु:ख देना, और उस दिन कोई, चाहे वह तुम्हारे निज देश को हो चाहे तुम्हारे बीच रहने वाला कोई पर देशी हो, कोई भी किसी प्रकार का काम काज न करे;

30 क्योंकि उस दिन तुम्हें शुद्ध करने के लिये तुम्हारे निमित्त प्रायश्चित्त किया जाएगा; और तुम अपने सब पापों से यहोवा के सम्मुख पवित्र ठहरोगे।

31 यह तुम्हारे लिये परमविश्राम का दिन ठहरे, और तुम उस दिन अपने अपने जीव को दु:ख देना; यह सदा की विधि है।

32 और जिसका अपने पिता के स्थान पर याजक पद के लिये अभिषेक और संस्कार किया जाए वह याजक प्रायश्चित्त किया करे, अर्थात वह सनी के पवित्र वस्त्रों को पहिनकर,

33 पवित्रस्थान, और मिलापवाले तम्बू, और वेदी के लिये प्रायश्चित्त करे; और याजकों के और मण्डली के सब लोगों के लिये भी प्रायश्चित्त करे।

34 और यह तुम्हारे लिये सदा की विधि होगी, कि इस्त्राएलियों के लिये प्रतिवर्ष एक बार तुम्हारे सारे पापों के लिये प्रायश्चित्त किया जाए। यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार जो उसने मूसा को दी थी हारून ने किया॥

लैव्यवस्था 17

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

2 हारून और उसके पुत्रों से और कुल इस्त्राएलियों से कह, कि यहोवा ने यह आज्ञा दी है,

3 कि इस्त्राएल के घराने में से कोई मनुष्य हो जो बैल वा भेड़ के बच्चे, वा बकरी को, चाहे छावनी में चाहे छावनी से बाहर घात करके

4 मिलापवाले तम्बू के द्वार पर, यहोवा के निवास के साम्हने यहोवा को चढ़ाने के निमित्त न ले जाए, तो उस मनुष्य को लोहू बहाने का दोष लगेगा; और वह मनुष्य जो लोहू बहाने वाला ठहरेगा, वह अपने लोगों के बीच से नाश किया जाए।

5 इस विधि का यह कारण है कि इस्त्राएली अपने बलिदान जिन को वह खुले मैदान में वध करते हैं, वे उन्हें मिलापवाले तम्बू के द्वार पर याजक के पास, यहोवा के लिये ले जा कर उसी के लिये मेलबलि करके बलिदान किया करें;

6 और याजक लोहू को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा की वेदी के ऊपर छिड़के, और चरबी को उसके सुखदायक सुगन्ध के लिये जलाए।

7 और वे जो बकरों के पूजक हो कर व्यभिचार करते हैं, वे फिर अपने बलिपशुओं को उनके लिये बलिदान न करें। तुम्हारी पीढिय़ों के लिये यह सदा की विधि होगी॥

8 और तू उन से कह, कि इस्त्राएल के घराने के लोगों में से वा उनके बीच रहनेहारे परदेशियों में से कोई मनुष्य क्यों न हो जो होमबलि वा मेलबलि चढ़ाए,

9 और उसको मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के लिये चढ़ाने को न ले आए; वह मनुष्य अपने लोगों में से नाश किया जाए॥

10 फिर इस्त्राएल के घराने के लोगों में से वा उनके बीच रहने वाले परदेशियों में से कोई मनुष्य क्यों न हो जो किसी प्रकार का लोहू खाए, मैं उस लोहू खाने वाले के विमुख हो कर उसको उसके लोगों के बीच में से नाश कर डालूंगा।

11 क्योंकि शरीर का प्राण लोहू में रहता है; और उसको मैं ने तुम लोगों को वेदी पर चढ़ाने के लिये दिया है, कि तुम्हारे प्राणों के लिये प्रायश्चित्त किया जाए; क्योंकि प्राण के कारण लोहू ही से प्रायश्चित्त होता है।

12 इस कारण मैं इस्त्राएलियों से कहता हूं, कि तुम में से कोई प्राणी लोहू न खाए, और जो पर देशी तुम्हारे बीच रहता हो वह भी लोहू कभी न खाए॥

13 और इस्त्राएलियों में से वा उनके बीच रहने वाले परदेशियों में से कोई मनुष्य क्यों न हो जो अहेर करके खाने के योग्य पशु वा पक्षी को पकड़े, वह उसके लोहू को उंडेलकर धूलि से ढांप दे।

14 क्योंकि शरीर का प्राण जो है वह उसका लोहू ही है जो उसके प्राण के साथ एक है; इसी लिये मैं इस्त्राएलियों से कहता हूं, कि किसी प्रकार के प्राणी के लोहू को तुम न खाना, क्योंकि सब प्राणियों का प्राण उनका लोहू ही है; जो कोई उसको खाए वह नाश किया जाएगा।

15 और चाहे वह देशी हो वा परदेशी हो, जो कोई किसी लोथ वा फाड़े हुए पशु का मांस खाए वह अपने वस्त्रों को धोकर जल से स्नान करे, और सांझ तक अशुद्ध रहे; तब वह शुद्ध होगा।

16 और यदि वह उन को न धोए और न स्नान करे, तो उसको अपने अधर्म का भार स्वयं उठाना पड़ेगा॥

लैव्यवस्था 18

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

2 इस्त्राएलियों से कह, कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

3 तुम मिस्र देश के कामों के अनुसार जिस में तुम रहते थे न करना; और कनान देश के कामों के अनुसार भी जहां मैं तुम्हें ले चलता हूं न करना; और न उन देशों की विधियों पर चलना।

4 मेरे ही नियमों को मानना, और मेरी ही विधियों को मानते हुए उन पर चलना। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।

5 इसलिये तुम मेरे नियमों और मेरी विधियों को निरन्तर मानना; जो मनुष्य उन को माने वह उनके कारण जीवित रहेगा। मैं यहोवा हूं।

6 तुम में से कोई अपनी किसी निकट कुटुम्बिन का तन उघाड़ने को उसके पास न जाए। मैं यहोवा हूं।

7 अपनी माता का तन जो तुम्हारे पिता का तन है न उघाड़ना; वह तो तुम्हारी माता है, इसलिये तुम उसका तन न उघाड़ना।

8 अपनी सौतेली माता का भी तन न उघाड़ना; वह तो तुम्हारे पिता ही का तन है।

9 अपनी बहिन चाहे सगी हो चाहे सौतेली हो, चाहे वह घर में उत्पन्न हुई हो चाहे बाहर, उसका तन न उघाड़ना।

10 अपनी पोती वा अपनी नतिनी का तन न उघाड़ना, उनकी देह तो मानो तुम्हारी ही है।

11 तुम्हारी सोतेली बहिन जो तुम्हारे पिता से उत्पन्न हुई, वह तुम्हारी बहिन है, इस कारण उसका तन न उघाड़ना।

12 अपनी फूफी का तन न उघाड़ना; वह तो तुम्हारे पिता की निकट कुटुम्बिन है।

13 अपनी मौसी का तन न उघाड़ना; क्योंकि वह तुम्हारी माता की निकट कुटुम्बिन है।

14 अपने चाचा का तन न उघाड़ना, अर्थात उसकी स्त्री के पास न जाना; वह तो तुम्हारी चाची है।

15 अपनी बहू का तन न उघाड़ना वह तो तुम्हारे बेटे की स्त्री है, इस कारण तुम उसका तन न उघाड़ना।

16 अपनी भौजी का तन न उघाड़ना; वह तो तुम्हारे भाई ही का तन है।

17 किसी स्त्री और उसकी बेटी दोनों का तन न उघाड़ना, और उसकी पोती को वा उसकी नतिनी को अपनी स्त्री करके उसका तन न उघाड़ना; वे तो निकट कुटुम्बिन है; ऐसा करना महापाप है।

18 और अपनी स्त्री की बहिन को भी अपनी स्त्री करके उसकी सौत न करना, कि पहली के जीवित रहते हुए उसका तन भी उघाड़े।

19 फिर जब तक कोई स्त्री अपने ऋतु के कारण अशुद्ध रहे तब तक उसके पास उसका तन उघाड़ने को न जाना।

20 फिर अपने भाई बन्धु की स्त्री से कुकर्म करके अशुद्ध न हो जाना।

21 और अपने सन्तान में से किसी को मोलेक के लिये होम करके न चढ़ाना, और न अपने परमेश्वर के नाम को अपवित्र ठहराना; मैं यहोवा हूं।

22 स्त्रीगमन की रीति पुरूषगमन न करना; वह तो घिनौना काम है।

23 किसी जाति के पशु के साथ पशुगमन करके अशुद्ध न हो जाना, और न कोई स्त्री पशु के साम्हने इसलिये खड़ी हो कि उसके संग कुकर्म करे; यह तो उल्टी बात है॥

24 ऐसा ऐसा कोई भी काम करके अशुद्ध न हो जाना, क्योंकि जिन जातियों को मैं तुम्हारे आगे से निकालने पर हूं वे ऐसे ऐसे काम करके अशुद्ध हो गई है;

25 और उनका देश भी अशुद्ध हो गया है, इस कारण मैं उस पर उसके अधर्म का दण्ड देता हूं, और वह देश अपने निवासियों उगल देता है।

26 इस कारण तुम लोग मेरी विधियों और नियमों को निरन्तर मानना, और चाहे देशी चाहे तुम्हारे बीच रहनेवाला परदेशी हो तुम में से कोई भी ऐसा घिनौना काम न करे;

27 क्योंकि ऐसे सब घिनौने कामों को उस देश के मनुष्य तो तुम से पहिले उस में रहते थे वे करते आए हैं, इसी से वह देश अशुद्ध हो गया है।

28 अब ऐसा न हो कि जिस रीति से जो जाति तुम से पहिले उस देश में रहती थी उसको उसने उगल दिया, उसी रीति जब तुम उसको अशुद्ध करो, तो वह तुम को भी उगल दे।

29 जितने ऐसा कोई घिनौना काम करें वे सब प्राणी अपने लोगों में से नाश किए जाएं।

30 यह आज्ञा जो मैं ने तुम्हारे मानने को दी है उसे तुम मानना, और जो घिनौनी रीतियां तुम से पहिले प्रचलित हैं उन में से किसी पर न चलना, और न उनके कारण अशुद्ध हो जाना। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं॥