गिनती 25

1 इस्त्राएली शित्तीम में रहते थे, और लोग मोआबी लड़कियों के संग कुकर्म करने लगे।

2 और जब उन स्त्रीयों ने उन लोगों को अपने देवताओं के यज्ञोंमें नेवता दिया, तब वे लोग खाकर उनके देवताओं को दण्डवत करने लगे।

3 यों इस्त्राएली बालपोर देवता को पूजने लगे। तब यहोवा का कोप इस्त्राएल पर भड़क उठा;

4 और यहोवा ने मूसा से कहा, प्रजा के सब प्रधानों को पकड़कर यहोवा के लिये धूप में लटका दे, जिस से मेरा भड़का हुआ कोप इस्त्राएल के ऊपर से दूर हो जाए।

5 तब मूसा ने इस्त्राएली न्यायियों से कहा, तुम्हारे जो जो आदमी बालपोर के संग मिल गए हैं उन्हें घात करो॥

6 और जब इस्त्राएलियों की सारी मण्डली मिलापवाले तम्बू के द्वार पर रो रही थी, तो एक इस्त्राएली पुरूष मूसा और सब लोगों की आंखों के सामने एक मिद्यानी स्त्री को अपने साथ अपने भाइयों के पास ले आया।

7 इसे देखकर एलीआजर का पुत्र पीनहास, जो हारून याजक का पोता था, उसने मण्डली में से उठ कर हाथ में एक बरछी ली,

8 और उस इस्त्राएली पुरूष के डेरे में जाने के बाद वह भी भीतर गया, और उस पुरूष और उस स्त्री दोनों के पेट में बरछी बेध दी। इस पर इस्त्राएलियों में जो मरी फैल गई थी वह थम गई।

9 और मरी से चौबीस हजार मनुष्य मर गए॥

10 तब यहोवा ने मूसा से कहा,

11 हारून याजक का पोता एलीआजर का पुत्र पीनहास, जिसे इस्त्राएलियों के बीच मेरी सी जलन उठी, उसने मेरी जलजलाहट को उन पर से यहां तक दूर किया है, कि मैं ने जलकर उनका अन्त नहीं कर डाला।

12 इसलिये तू कह दे, कि मैं उससे शांति की वाचा बान्धता हूं;

13 और वह उसके लिये, और उसके बाद उसके वंश के लिये, सदा के याजकपद की वाचा होगी, क्योंकि उसे अपने परमेश्वर के लिये जलन उठी, और उसने इस्त्राएलियों के लिये प्रायश्चित्त किया।

14 जो इस्त्राएली पुरूष मिद्यानी स्त्री के संग मारा गया, उसका नाम जिम्री था, वह साल का पुत्र और शिमोनियों में से अपने पितरों के घराने का प्रधान था।

15 और जो मिद्यानी स्त्री मारी गई उसका नाम कोज़बी था, वह सूर की बेटी थी, जो मिद्यानी पितरों के एक घराने के लोगों का प्रधान था॥

16 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

17 मिद्यानियों को सता, और उन्हें मार;

18 क्योंकि पोर के विषय और कोज़बी के विषय वे तुम को छल करके सताते हैं। कोज़बी तो एक मिद्यानी प्रधान की बेटी और मिद्यानियों की जाति बहिन थी, और मरी के दिन में पोर के मामले में मारी गई॥

गिनती 26

1 फिर यहोवा ने मूसा और एलीआजर नाम हारून याजक के पुत्र से कहा,

2 इस्त्राएलियों की सारी मण्डली में जितने बीस वर्ष के, वा उससे अधिक अवस्था के होने से इस्त्राएलियों के बीच युद्ध करने के योग्य हैं, उनके पितरों के घरानों के अनुसार उन सभों की गिनती करो।

3 सो मूसा और एलीआजर याजक ने यरीहो के पास यरदन नदी के तीर पर मोआब के अराबा में उन से समझा के कहा,

4 बीस वर्ष के और उससे अधिक अवस्था के लोगों की गिनती लो, जैसे कि यहोवा ने मूसा और इस्त्राएलियों को मिस्र देश से निकले आने के समय आज्ञा दी थी॥

5 रूबेन जो इस्त्राएल का जेठा था; उसके ये पुत्र थे; अर्थात हनोक, जिस से हनोकियों का कुल चला; और पल्लू, जिस से पल्लूइयों का कुल चला;

6 हेस्रोन, जिस से हेस्रोनियों का कुल चला; और कर्मी, जिस से कमिर्यों का कुल चला।

7 रूबेन वाले कुल ये ही थे; और इन में से जो गिने गए वे तैंतालीस हजार सात सौ तीस पुरूष थे।

8 और पल्लू का पुत्र एलीआब था।

9 और पल्लू का पुत्र नमूएल, दातान, और अबीराम थे। थे वही दातान और अबीराम हैं जो सभासद थे; और जिस समय कोरह की मण्डली ने यहोवा से झगड़ा किया था, उस समय उस मण्डली में मिलकर वे भी मूसा और हारून से झगड़े थे;

10 और जब उन अढ़ाई सौ मनुष्यों के आग में भस्म हो जाने से वह मण्डली मिट गई, उसी समय पृथ्वी ने मुंह खोल कर कोरह समेत इन को भी निगल लिया; और वे एक दृष्टान्त ठहरे।

11 परन्तु कोरह के पुत्र तो नहीं मरे थे।

12 शिमोन के पुत्र जिन से उनके कुल निकले वे ये थे; अर्थात नमूएल, जिस से नमूएलियों का कुल चला; और यामीन, जिस से यामीनियों का कुल चला; और याकीन जिससे याकीनियों का कुल चला;

13 और जेरह, जिस से जेरहियों का कुल चला; और शाऊल, जिस से शाऊलियों का कुल चला।

14 शिमोन वाले कुल ये ही थे; इन में से बाईस हजार दो सौ पुरूष गिने गए॥

15 और गाद के पुत्र जिस से उनके कुल निकले वे ये थे; अर्थात सपोन, जिस से सपोनियों का कुल चला; और हाग्गी, जिस से हाग्गियों का कुल चला; और शूनी, जिस से शूनियों का कुल चला; और ओजनी, जिस से ओजनियों का कुल चला;

16 और एरी, जिस से एरियों का कुल चला; और अरोद, जिस से अरोदियों का कुल चला;

17 और अरेली, जिस से अरेलियों का कुल चला।

18 गाद के वंश के कुल ये ही थे; इन में से साढ़े चालीस हजार पुरूष गिने गए॥

19 और यहूदा के एर और ओनान नाम पुत्र तो हुए, परन्तु वे कनान देश में मर गए।

20 और यहूदा के जिन पुत्रों से उनके कुल निकले वे ये थे; अर्थात शेला, जिस से शेलियों का कुल चला; और पेरेस जिस से पेरेसियों का कुल चला; और जेरह, जिस से जेरहियों का कुल चला।

21 और पेरेस के पुत्र ये थे; अर्थात हेस्रोन, जिस से हेस्रोनियों का कुल चला; और हामूल, जिस से हामूलियों का कुल चला।

22 यहूदियों के कुल ये ही थे; इन में से साढ़े छिहत्तर हजार पुरूष गिने गए॥

23 और इस्साकार के पुत्र जिन से उनके कुल निकले वे ये थे; अर्थात तोला, जिस से तोलियों का कुल चला; और पुव्वा, जिस से पुव्वियों का कुल चला;

24 और याशूब, जिस से याशूबियों का कुल चला; और शिम्रोन, जिस से शिम्रोनियों का कुल चला।

25 इस्साकारियों के कुल ये ही थे; इन में से चौसठ हजार तीन सौ पुरूष गिने गए॥

26 और जबूलून के पुत्र जिन से उनके कुल निकले वे ये थे; अर्थात सेरेद जिस से सेरेदियों का कुल चला; और एलोन, जिस से एलोनियों का कुल चला; और यहलेल, जिस से यहलेलियों का कुल चला।

27 जबूलूनियोंके कुल ये ही थे; इन में से साढ़े साठ हजार पुरूष गिने गए॥

28 और यूसुफ के पुत्र जिस से उनके कुल निकले वे मनश्शे और एप्रैम थे।

29 मनश्शे के पुत्र ये थे; अर्थात माकीर, जिस से माकीरियों का कुल चला; और माकीर से गिलाद उत्पन्न हुआ; और गिलाद से गिलादियों का कुल चला।

30 गिलाद के तो पुत्र ये थे; अर्थात ईएजेर, जिस से ईएजेरियों का कुल चला;

31 और हेलेक, जिस से हेलेकियों का कुल चला और अस्त्रीएल, जिस से अस्त्रीएलियों का कुल चला; और शेकेम, जिस से शेकेमियों का कुल चला; और शमीदा, जिस से शमीदियों का कुल चला;

32 और हेपेर, जिस से हेपेरियों का कुल चला;

33 और हेपेर के पुत्र सलोफाद के बेटे नहीं, केवल बेटियां हुई; इन बेटियों के नाम महला, नोआ, होग्ला, मिल्का, और तिर्सा हैं।

34 मनश्शे वाले कुल ये ही थे; और इन में से जो गिने गए वे बावन हजार सात सौ पुरूष थे॥

35 और एप्रैम के पुत्र जिन से उनके कुल निकले वे ये थे; अर्थात शूतेलह, जिस से शूतेलहियों का कुल चला; और बेकेर, जिस से बेकेरियों का कुल चला; और तहन जिस से तहनियों का कुल चला।

36 और शूतेलह के यह पुत्र हुआ; अर्थात एरान, जिस से एरानियों का कुल चला।

37 एप्रैमियों के कुल ये ही थे; इन में से साढ़े बत्तीस हजार पुरूष गिने गए। अपने कुलों के अनुसार यूसुफ के वंश के लोग ये ही थे॥

38 और बिन्यामीन के पुत्र जिन से उनके कुल निकले वे ये थे; अर्थात बेला जिस से बेलियों का कुल चला; और अशबेल, जिस से अशबेलियों का कुल चला; और अहीराम, जिस से अहीरामियों का कुल चला;

39 और शपूपाम, जिस से शपूपामियों का कुल चला; और हूपाम, जिस से हूपामियों का कुल चला।

40 और बेला के पुत्र अर्द और नामान थे; और अर्द से तो अदिर्यों को कुल, और नामान से नामानियों का कुल चला।

41 अपने कुलों के अनुसार बिन्यामीनी ये ही थे; और इन में से जो गिने गए वे पैंतालीस हजार छ: सौ पुरूष थे॥

42 और दान का पुत्र जिस से उनका कुल निकला यह था; अर्थात शूहाम, जिस से शूहामियों का कुल चला। और दान का कुल यही था।

43 और शूहामियों में से जो गिने गए उनके कुल में चौसठ हजार चार सौ पुरूष थे॥

44 और आशेर के पुत्र जिस से उनके कुल निकले वे ये थे; अर्थात यिम्ना, जिस से यिम्नियों का कुल चला; यिश्री, जिस से यिश्रीयों का कुल चला; और बरीआ, जिस से बरीइयों का कुल चला।

45 फिर बरीआ के ये पुत्र हुए; अर्थात हेबेर, जिस से हेबेरियों का कुल चला; और मल्कीएल, जिस से मल्कीएलियों का कुल चला।

46 और आशेर की बेटी का नाम सेरह है।

47 आशेरियों के कुल ये ही थे; इन में से तिर्पन हजार चार सौ पुरूष गिने गए॥

48 और नप्ताली के पुत्र जिस से उनके कुल निकले वे थे थे; अर्थात यहसेल, जिस से यहसेलियों का कुल चला; और गूनी, जिस से गूनियों का कुल चला;

49 थेसेर, जिस से थेसेरियों का कुल चला; और शिल्लेम, जिस से शिल्लेमियों का कुल चला।

50 अपने कुलों के अनुसार नप्ताली के कुल ये ही थे; और इन में से जो गिने गए वे पैंतालीस हजार चार सौ पुरूष थे॥

51 सब इस्त्राएलियों में से जो गिने गए थे वे ये ही थे; अर्थात छ: लाख एक हजार सात सौ तीस पुरूष थे॥

52 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

53 इन को, इनकी गिनती के अनुसार, वह भूमि इनका भाग होने के लिये बांट दी जाए।

54 अर्थात जिस कुल से अधिक हों उन को अधिक भाग, और जिस में कम हों उन को कम भाग देना; प्रत्येक गोत्र को उसका भाग उसके गिने हुए लोगों के अनुसार दिया जाए।

55 तौभी देश चिट्ठी डालकर बांटा जाए; इस्त्राएलियों के पितरों के एक एक गोत्र का नाम, जैसे जैसे निकले वैसे वैसे वे अपना अपना भाग पाएं।

56 चाहे बहुतों का भाग हो चाहे थोड़ों का हो, जो जो भाग बांटे जाएं वह चिट्ठी डालकर बांटे जाए॥

57 फिर लेवियों में से जो अपने कुलों के अनुसार गिने गए वे ये हैं; अर्थात गेर्शोनियों से निकला हुआ गेर्शोनियों का कुल; कहात से निकला हुआ कहातियों का कुल; और मरारी से निकला हुआ मरारियों का कुल।

58 लेवियों के कुल ये हैं; अर्थात लिब्नियों का, हेब्रानियों का, महलियों का, मूशियों का, और कोरहियों का कुल। और कहात से अम्राम उत्पन्न हुआ।

59 और अम्राम की पत्नी का नाम योकेबेद है, वह लेवी के वंश की थी जो लेवी के वंश में मिस्र देश में उत्पन्न हुई थी; और वह अम्राम से हारून और मूसा और उनकी बहिन मरियम को भी जनी।

60 और हारून से नादाब, अबीहू, एलीआजर, और ईतामार उत्पन्न हुए।

61 नादाब और अबीहू तो उस समय मर गए थे, जब वे यहोवा के साम्हने ऊपरी आग ले गए थे।

62 सब लेवियों में से जो गिने गए, अर्थात जितने पुरूष एक महीने के वा उससे अधिक अवस्था के थे, वे तेईस हजार थे; वे इस्त्राएलियों के बीच इसलिये नहीं गिने गए, क्योंकि उन को देश का कोई भाग नहीं दिया गया था॥

63 मूसा और एलीआजर याजक जिन्होंने मोआब के अराबा में यरीहो के पास की यरदन नदी के तट पर इस्त्राएलियों को गिन लिया, उनके गिने हुए लोग इतने ही थे।

64 परन्तु जिन इस्त्राएलियों को मूसा और हारून याजक ने सीनै के जंगल में गिना था, उन में से एक पुरूष इस समय के गिने हुओं में न था।

65 क्योंकि यहोवा ने उनके विषय कहा था, कि वे निश्चय जंगल में मर जाएंगे, इसलिये यपुन्ने के पुत्र कालेब और नून के पुत्र यहोशू को छोड़, उन में से एक भी पुरूष नहीं बचा॥

गिनती 27

1 तब यूसुफ के पुत्र मनश्शे के वंश के कुलों में से सलोफाद, जो हेपेर का पुत्र, और गिलाद का पोता, और मनश्शे के पुत्र माकीर का पर पोता था, उसकी बेटियां जिनके नाम महला, नोवा, होग्ला, मिलका, और तिर्सा हैं वे पास आईं।

2 और वे मूसा और एलीआजर याजक और प्रधानों और सारी मण्डली के साम्हने मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खड़ी हो कर कहने लगीं,

3 हमारा पिता जंगल में मर गया; परन्तु वह उस मण्डली में का न था जो कोरह की मण्डली के संग हो कर यहोवा के विरुद्ध इकट्ठी हुई थी, वह अपने ही पाप के कारण मरा; और उसके कोई पुत्र न था।

4 तो हमारे पिता का नाम उसके कुल में से पुत्र न होने के कारण क्यों मिट जाए? हमारे चाचाओं के बीच हमें भी कुछ भूमि निज भाग करके दे।

5 उनकी यह बिनती मूसा ने यहोवा को सुनाईं।

6 यहोवा ने मूसा से कहा,

7 सलोफाद की बेटियां ठीक कहती हैं; इसलिये तू उनके चाचाओं के बीच उन को भी अवश्य ही कुछ भूमि निज भाग करके दे, अर्थात उनके पिता का भाग उनके हाथ सौंप दे।

8 और इस्त्राएलियों से यह कह, कि यदि कोई मनुष्य निपुत्र मर जाए, तो उसका भाग उसकी बेटी के हाथ सौंपना।

9 और यदि उसके कोई बेटी भी न हो, तो उसका भाग उसके भाइयों को देना।

10 और यदि उसके भाई भी न हों, तो उसका भाग चाचाओं को देना।

11 और यदि उसके चाचा भी न हों, तो उसके कुल में से उसका जो कुटुम्बी सब से समीप हो उसको उसका भाग देना, कि वह उसका अधिकारी हो। इस्त्राएलियों के लिये यह न्याय की विधि ठहरेगी, जैसे कि यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी॥

12 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, इस अबारीम नाम पर्वत के ऊपर चढ़ के उस देश को देख ले जिसे मैं ने इस्त्राएलियों को दिया है।

13 और जब तू उसको देख लेगा, तब अपने भाई हारून की नाईं तू भी अपने लोगों में जा मिलेगा,

14 क्योंकि सीन नाम जंगल में तुम दोनों ने मण्डली के झगड़ने के समय मेरी आज्ञा को तोड़कर मुझ से बलवा किया, और मुझे सोते के पास उनकी दृष्टि में पवित्र नहीं ठहराया। ( यह मरीबा नाम सोता है जो सीन नाम जंगल के कादेश में है )

15 मूसा ने यहोवा से कहा,

16 यहोवा, जो सारे प्राणियों की आत्माओं का परमेश्वर है, वह इस मण्डली के लोगों के ऊपर किसी पुरूष को नियुक्त कर दे,

17 जो उसके साम्हने आया जाया करे, और उनका निकालने और पैठानेवाला हो; जिस से यहोवा की मण्डली बिना चरवाहे की भेड़ बकरियों के समान न रहे।

18 यहोवा ने मूसा से कहा, तू नून के पुत्र यहोशू को ले कर उस पर हाथ रख; वह तो ऐसा पुरूष है जिस में मेरा आत्मा बसा है;

19 और उसको एलीआजर याजक के और सारी मण्डली के साम्हने खड़ा करके उनके साम्हने उसे आज्ञा दे।

20 और अपनी महिमा में से कुछ उसे दे, जिस से इस्त्राएलियों की सारी मण्डली उसकी माना करे।

21 और वह एलीआजर याजक के साम्हने खड़ा हुआ करे, और एलीआजर उसके लिये यहोवा से ऊरीम की आज्ञा पूछा करे; और वह इस्त्राएलियों की सारी मण्डली समेत उसके कहने से जाया करे, और उसी के कहने से लौट भी आया करे।

22 यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार मूसा ने यहोशू को ले कर, एलीआजर याजक और सारी मण्डली के साम्हने खड़ा करके,

23 उस पर हाथ रखे, और उसको आज्ञा दी जैसे कि यहोवा ने मूसा के द्वारा कहा था॥

गिनती 28

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

2 इस्त्राएलियों को यह आज्ञा सुना कि मेरा चढ़ावा, अर्थात मुझे सुखदायक सुगन्ध देने वाला मेरा हव्यरूपी भोजन, तुम लोग मेरे लिये उनके नियत समयों पर चढ़ाने के लिये स्मरण रखना।

3 और तू उन से कह, कि जो जो तुम्हें यहोवा के लिये चढ़ाना होगा वे ये हैं; अर्थात नित्य होमबलि के लिये एक एक वर्ष के दो निर्दोष भेड़ी के बच्चे प्रतिदिन चढ़ाया करे।

4 एक बच्चे को भोर को और दूसरे को गोधूलि के समय चढ़ाना;

5 और भेड़ के बच्चे के पीछे एक चौथाई हीन कूटके निकाले हुए तेल से सने हुए एपा के दसवें अंश मैदे का अन्नबलि चढ़ाना।

6 यह नित्य होमबलि है, जो सीनै पर्वत पर यहोवा का सुखदायक सुगन्धवाला हव्य होने के लिये ठहराया गया।

7 और उसका अर्घ प्रति एक भेड़ के बच्चे के संग एक चौथाई हीन हो; मदिरा का यह अर्घ यहोवा के लिये पवित्रस्थान में देना।

8 और दूसरे बच्चे को गोधूलि के समय चढ़ाना; अन्नबलि और अर्घ समेत भोर के होमबलि की नाईं उसे यहोवा को सुखदायक सुगन्ध देने वाला हव्य करके चढ़ाना॥

9 फिर विश्रामदिन को दो निर्दोष भेड़ के एक साल के नर बच्चे, और अन्नबलि के लिये तेल से सना हुआ एपा का दो दसवां अंश मैदा अर्घ समेत चढ़ाना।

10 नित्य होमबलि और उसके अर्घ के अलावा प्रत्येक विश्रामदिन का यही होमबलि ठहरा है॥

11 फिर अपने महीनों के आरम्भ में प्रतिमास यहोवा के लिये होमबलि चढ़ाना; अर्थात दो बछड़े, एक मेढ़ा, और एक एक वर्ष के निर्दोष भेड़ के सात बच्चे;

12 और बछड़े पीछे तेल से सना हुआ एपा का तीन दसवां अंश मैदा, और उस एक मेढ़े के साथ तेल से सना हुआ एपा का दो दसवां अंश मैदा;

13 और प्रत्येक भेड़ के बच्चे के पीछे तेल से सना हुआ एपा का दसवां अंश मैदा, उन सभों को अन्नबलि करके चढ़ाना; वह सुखदायक सुगन्ध देने के लिये होमबलि और यहोवा के लिये हव्य ठहरेगा।

14 और उनके साथ ये अर्घ हों; अर्थात बछड़े पीछे आध हीन, मेढ़े के साथ तिहाई हीन, और भेड़ के बच्चे पीछे चौथाई हीन दाखमधु दिया जाए; वर्ष के सब महीनों में से प्रति एक महीने का यही होमबलि ठहरे।

15 और एक बकरा पापबलि करके यहोवा के लिये चढ़ाया जाए; यह नित्य होमबलि और उसके अर्घ के अलावा चढ़ाया जाए॥

16 फिर पहिले महीने के चौदहवें दिन को यहोवा का फसह हुआ करे।

17 और उसी महीने के पन्द्रहवें दिन को पर्ब्ब लगा करे; सात दिन तक अखमीरी रोटी खाई जाए।

18 पहिले दिन पवित्र सभा हो; और उस दिन परिश्रम का कोई काम न किया जाए;

19 उस में तुम यहोवा के लिये हव्य, अर्थात होमबलि चढ़ाना; सो दो बछड़े, एक मेढ़ा, और एक एक वर्ष के सात भेड़ के बच्चे हों; ये सब निर्दोष हों;

20 और उनका अन्नबलि तेल से सने हुए मैदे का हो; बछड़े पीछे एपा का तीन दसवां अंश और मेढ़े के सात एपा का दो दसवां अंश मैदा हो।

21 और सातों भेड़ के बच्चोंमें से प्रति एक बच्चे पीछे एपा का दसवां अंश चढ़ाना।

22 और एक बकरा भी पापबलि करके चढ़ाना, जिस से तुम्हारे लिये प्रायश्चित्त हो।

23 भोर का होमबलि जो नित्य होमबलि ठहरा है, उसके अलावा इन को चढ़ाना।

24 इस रीति से तुम उन सातों दिनों में भी हव्य का भोजन चढ़ाना, जो यहोवा को सुखदायक सुगन्ध देने के लिये हो; यह नित्य होमबलि और उसके अर्घ के अलावा चढ़ाया जाए।

25 और सातवें दिन भी तुम्हारी पवित्र सभा हो; और उस दिन परिश्रम का कोई काम न करना॥

26 फिर पहिली उपज के दिन में, जब तुम अपने अठवारे नाम पर्ब्ब में यहोवा के लिये नया अन्नबलि चढ़ाओगे, तब भी तुम्हारी पवित्र सभा हो; और परिश्रम का कोई काम न करना।

27 और एक होमबलि चढ़ाना, जिस से यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्ध हो; अर्थात दो बछड़े, एक मेढ़ा, और एक एक वर्ष के सात भेड़ के बच्चे;

28 और उनका अन्नबलि तेल से सने हुए मैदे का हो; अर्थात बछड़े पीछे एपा का तीन दसवां अंश, और मेढ़े के संग एपा का दो दसवां अंश,

29 और सातों भेड़ के बच्चों में से एक एक बच्चे के पीछे एपा का दसवां अंश मैदा चढ़ाना।

30 और एक बकरा भी चढ़ाना, जिस से तुम्हारे लिये प्रायश्चित्त हो।

31 ये सब निर्दोष हों; और नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा इस को भी चढ़ाना॥

गिनती 29

1 फिर सातवें महीने के पहिले दिन को तुम्हारी पवित्र सभा हो; उस में परिश्रम का कोई काम न करना। वह तुम्हारे लिये जयजयकार का नरसिंगा फूंकने का दिन ठहरा है;

2 तुम होमबलि चढ़ाना, जिस से यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्ध हो; अर्थात बछड़ा, एक मेढ़ा, और एक एक वर्ष के सात निर्दोष भेड़ के बच्चे;

3 और उनका अन्नबलि तेल से सने हुए मैदे का हो; अर्थात बछड़े के साथ एपा का दो दसवां अंश,

4 और सातों भेड़ के बच्चों में से एक एक बच्चे पीछे एपा का दसवां अंश मैदा चढ़ाना।

5 और एक बकरा भी पापबलि करके चढ़ाना, जिस से तुम्हारे लिये प्रायश्चित्त हो।

6 इन सभों से अधिक नए चांद का होमबलि और उसका अन्नबलि, और नित्य होमबलि और उसका अन्नबलि, और उन सभों के अर्घ भी उनके नियम के अनुसार सुखदायक सुगन्ध देने के लिये यहोवा के हव्य करके चढ़ाना॥

7 फिर उसी सातवें महीने के दसवें दिन को तुम्हारी पवित्र सभा हो; तुम अपने अपने प्राण को दु:ख देना, और किसी प्रकार का कामकाज न करना;

8 और यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्ध देने को होमबलि; अर्थात एक बछड़ा, एक मेढ़ा, और एक एक वर्ष के सात भेड़ के बच्चे चढ़ाना; फिर ये सब निर्दोष हों;

9 और उनका अन्नबलि तेल से सने हुए मैदे का हो; अर्थात बछड़े के साथ एपा का तीन दसवां अंश, और मेढ़े के साथ एपा का दो दसवां अंश,

10 और सातों भेड़ के बच्चों में से एक एक बच्चे के पीछे एपा का दसवां अंश मैदा चढ़ाना।

11 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये सब प्रायश्चित्त के पापबलि और नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि के, और उन सभों के अर्धो के अलावा चढ़ाया जाए॥

12 फिर सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन को तुम्हारी पवित्र सभा हो; और उस में परिश्रम का कोई काम न करना, और सात दिन तक यहोवा के लिये पर्ब्ब मानना;

13 तुम होमबलि यहोवा को सुखदायक सुगन्ध देने के लिये हव्य करके चढ़ाना; अर्थात तेरह बछड़े, और दो मेढ़े, और एक एक वर्ष के चौदह भेड़ के बच्चे; ये सब निर्दोष हों;

14 और उनका अन्नबलि तेल से सने हुए मैदे का हो; अर्थात तेरहों बछड़ों में से एक एक बछड़े के पीछे एपा का तीन दसवां अंश, और दोनों मेढ़ों में से एक एक मेढ़े के पीछे एपा का दो दसवां अंश,

15 और चौदहों भेड़ के बच्चों में से एक एक बच्चे के पीछे एपा का दसवां अंश मैदा चढ़ाना।

16 और पापबलि के लिये एक बकरा चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएं॥

17 फिर दूसरे दिन बारह बछड़े, और दो मेढ़े, और एक एक वर्ष के चौदह निर्दोष भेड़ के बच्चे चढ़ाना;

18 और बछड़ों, और मेढ़ों, और भेड़ के बच्चों के साथ उनके अन्नबलि और अर्घ, उनकी गिनती के अनुसार, और नियम के अनुसार चढ़ाना॥

19 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएं॥

20 फिर तीसरे दिन ग्यारह बछड़े, और दो मेढ़े, और एक एक वर्ष के चौदह निर्दोष भेड़ के बच्चे चढ़ाना;

21 और बछड़ों, और मेढ़ों, और भेड़ के बच्चों के साथ उनके अन्नबलि और अर्घ, उनकी गिनती के अनुसार, और नियम के अनुसार चढ़ाना।

22 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएं॥

23 और फिर चौथे दिन दस बछड़े, और दो मेढ़े, और एक एक वर्ष के चौदह निर्दोष भेड़ के बच्चे चढ़ाना;

24 बछड़ों, और मेढ़ों, और भेड़ के बच्चों के साथ उनके अन्नबलि और अर्घ, उनकी गिनती के अनुसार, और नियम के अनुसार चढ़ाना।

25 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएं॥

26 फिर पांचवें दिन नौ बछड़े, दो मेढ़े, और एक एक वर्ष के चौदह निर्दोष भेड़ के बच्चे चढ़ाना;

27 और बछड़ों, मेढ़ों, और भेड़ के बच्चों के साथ उनके अन्नबलि और अर्घ, उनकी गिनती के अनुसार, और नियम के अनुसार चढ़ाना।

28 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएं॥

29 फिर छठवें दिन आठ बछड़े, और दो मेढ़े, और एक एक वर्ष के चौदह निर्दोष भेड़ के बच्चे चढ़ाना;

30 और बछड़ों, और मेढ़ों, और भेड़ के बच्चों के साथ उनके अन्नबलि और अर्घ, उनकी गिनती के अनुसार चढ़ाना।

31 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएं॥

32 फिर सातवें दिन सात बछड़े, और दो मेढ़े, और एक एक वर्ष के चौदह निर्दोष भेड़ के बच्चे चढ़ाना।

33 और बछड़ों और मेढ़ों, और भेड़ के बच्चों के साथ उनके अन्नबलि और अर्घ, उनकी गिनती के अनुसार चढ़ाना।

34 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएं॥

35 फिर आठवें दिन तुम्हारी एक महासभा हो; उस में परिश्रम का कोई काम न करना,

36 और उस में होमबलि यहोवा को सुखदायक सुगन्ध देने के लिये हव्य करके चढ़ाना; वह एक बछड़े, और एक मेढ़े, और एक एक वर्ष के सात निर्दोंष भेड़ के बच्चों का हो;

37 बछड़े, और मेढ़े, और भेड़ के बच्चों के साथ उनके अन्नबलि और अर्घ, उनकी गिनती के अनुसार, और नियम के अनुसार चढ़ाना।

38 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएं॥

39 अपनी मन्नतों और स्वेच्छाबलियों के अलावा, अपने अपने नियत समयों में, ये ही होमबलि, अन्नबलि, अर्घ, और मेलबलि, यहोवा के लिये चढ़ाना।

40 यह सारी आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी जो उसने इस्त्राएलियों को सुनाईं॥

गिनती 30

1 फिर मूसा ने इस्त्राएली गोत्रों के मुख्य मुख्य पुरूषों से कहा, यहोवा ने यह आज्ञा दी है,

2 कि जब कोई पुरूष यहोवा की मन्नत माने, वा अपने आप को वाचा से बान्धने के लिये शपथ खाए, तो वह अपना वचन न टाले; जो कुछ उसके मुंह से निकला हो उसके अनुसार वह करे।

3 और जब कोई स्त्री अपनी कुंवारी अवस्था में, अपने पिता के घर से रहते हुए, यहोवा की मन्नत माने, वा अपने को वाचा से बान्धे,

4 तो यदि उसका पिता उसकी मन्नत वा उसका वह वचन सुनकर, जिस से उसने अपने आप को बान्धा हो, उससे कुछ न कहे; तब तो उसकी सब मन्नतें स्थिर बनी रहें, और कोई बन्धन क्यों न हो, जिस से उसने अपने आप को बान्धा हो, वह भी स्थिर रहे।

5 परन्तु यदि उसका पिता उसकी सुनकर उसी दिन उसको बरजे, तो उसकी मन्नतें वा और प्रकार के बन्धन, जिन से उसने अपने आप को बान्धा हो, उन में से एक भी स्थिर न रहे, और यहोवा यह जान कर, कि उस स्त्री के पिता ने उसे मना कर दिया है, उसका यह पाप क्षमा करेगा।

6 फिर यदि वह पति के आधीन हो और मन्नत माने, वा बिना सोच विचार किए ऐसा कुछ कहे जिस से वह बन्धन में पड़े,

7 और यदि उसका पति सुनकर उस दिन उससे कुछ न कहे; तब तो उसकी मन्नतें स्थिर रहें, और जिन बन्धनों से उसने अपने आप को बान्धा हो वह भी स्थिर रहें।

8 परन्तु यदि उसका पति सुनकर उसी दिन उसे मना कर दे, तो जो मन्नत उसने मानी है, और जो बात बिना सोच विचार किए कहने से उसने अपने आप को वाचा से बान्धा हो, वह टूट जाएगी; और यहोवा उस स्त्री का पाप क्षमा करेगा।

9 फिर विधवा वा त्यागी हुई स्त्री की मन्नत, वा किसी प्रकार की वाचा का बन्धन क्यों न हो, जिस से उसने अपने आप को बान्धा हो, तो वह स्थिर ही रहे।

10 फिर यदि कोई स्त्री अपने पति के घर में रहते मन्नत माने, वा शपथ खाकर अपने आप को बान्धे,

11 और उसका पति सुनकर कुछ न कहे, और न उसे मना करे; तब तो उसकी सब मन्नतें स्थिर बनी रहें, और हर एक बन्धन क्यों न हो, जिस से उसने अपने आप को बान्धा हो, वह स्थिर रहे।

12 परन्तु यदि उसका पति उसकी मन्नत आदि सुनकर उसी दिन पूरी रीति से तोड़ दे, तो उसकी मन्नतें आदि, जो कुछ उसके मुंह से अपने बन्धन के विषय निकला हो, उस में से एक बात भी स्थिर न रहे; उसके पति ने सब तोड़ दिया है; इसलिये यहोवा उस स्त्री का वह पाप क्षमा करेगा।

13 कोई भी मन्नत वा शपथ क्यों न हो, जिस से उस स्त्री ने अपने जीव को दु:ख देने की वाचा बान्धी हो, उसको उसका पति चाहे तो दृढ़ करे, और चाहे तो तोड़े;

14 अर्थात यदि उसका पति दिन प्रति दिन उससे कुछ भी न कहे, तो वह उसको सब मन्नतें आदि बन्धनों को जिस से वह बन्धी हो दृढ़ कर देता है; उसने उन को दृढ़ किया है, क्योंकि सुनने के दिन उसने कुछ नहीं कहा।

15 और यदि वह उन्हें सुनकर पीछे तोड़ दे, तो अपनी स्त्री के अधर्म का भार वही उठाएगा।

16 पति पत्नी के बीच, और पिता और उसके घर मे रहती हुई कुंवारी बेटी के बीच, जिन विधियों की आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी वे ये ही हैं॥

गिनती 31

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

2 मिद्यानियों से इस्त्राएलियों का पलटा ले; बाद को तू अपने लोगों में जा मिलेगा।

3 तब मूसा ने लोगों से कहा, अपने में से पुरूषों को युद्ध के लिये हथियार बन्धाओ, कि वे मिद्यानियों पर चढ़ के उन से यहोवा का पलटा ले।

4 इस्त्राएल के सब गोत्रों में से प्रत्येक गोत्र के एक एक हजार पुरूषों को युद्ध करने के लिये भेजो।

5 तब इस्त्राएल के सब गोत्रों में से प्रत्येक गोत्र के एक एक हजार पुरूष चुने गए, अर्थात युद्ध के लिये हथियार-बन्द बारह हजार पुरूष।

6 प्रत्येक गोत्र में से उन हजार हजार पुरूषों को, और एलीआजर याजक के पुत्र पीनहास को, मूसा ने युद्ध करने के लिये भेजा, और उसके हाथ में पवित्रस्थान के पात्र और वे तुरहियां थीं जो सांस बान्ध बान्ध कर फूंकी जाती थीं।

7 और जो आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी, उसके अनुसार उन्होंने मिद्यानियों से युद्ध करके सब पुरूषों को घात किया।

8 और दूसरे जूझे हुओं को छोड़ उन्होंने एवी, रेकेम, सूर, हूर, और रेबा नाम मिद्यान के पांचों राजाओं को घात किया; और बोर के पुत्र बिलाम को भी उन्होंने तलवार से घात किया।

9 और इस्त्राएलियों ने मिद्यानी स्त्रियों को बाल-बच्चों समेत बन्धुआई में कर लिया; और उनके गाय-बैल, भेड़-बकरी, और उनकी सारी सम्पत्ति को लूट लिया।

10 और उनके निवास के सब नगरों, और सब छावनियों को फूंक दिया;

11 तब वे, क्या मनुष्य क्या पशु, सब बन्धुओं और सारी लूट-पाट को ले कर

12 यरीहो के पास की यरदन नदी के तीर पर, मोआब के अराबा में, छावनी के निकट, मूसा और एलीआजर याजक और इस्त्राएलियों की मण्डली के पास आए॥

13 तब मूसा और एलीआजर याजक और मण्डली के सब प्रधान छावनी के बाहर उनका स्वागत करने को निकले।

14 और मूसा सहस्त्रपति-शतपति आदि, सेनापतियों से, जो युद्ध करके लौटे आते थे क्रोधित हो कर कहने लगा,

15 क्या तुम ने सब स्त्रियों को जीवित छोड़ दिया?

16 देखे, बिलाम की सम्मति से, पोर के विषय में इस्त्राएलियों से यहोवा का विश्वासघात इन्हीं ने कराया, और यहोवा की मण्डली में मरी फैली।

17 सो अब बाल-बच्चों में से हर एक लड़के को, और जितनी स्त्रियों ने पुरूष का मुंह देखा हो उन सभों को घात करो।

18 परन्तु जितनी लड़कियों ने पुरूष का मुंह न देखा हो उन सभों को तुम अपने लिये जीवित रखो।

19 और तुम लोग सात दिन तक छावनी के बाहर रहो, और तुम में से जितनों ने किसी प्राणी को घात किया, और जितनों ने किसी मरे हुए को छूआ हो, वे सब अपने अपने बन्धुओं समेत तीसरे और सातवें दिनों में अपने अपने को पाप छुड़ाकर पावन करें।

20 और सब वस्त्रों, और चमड़े की बनी हुई सब वस्तुओं, और बकरी के बालों की और लकड़ी की बनी हुई सब वस्तुओं को पावन कर लो।

21 तब एलीआजर याजक ने सेना के उन पुरूषों से जो युद्ध करने गए थे कहा, व्यवस्था की जिस विधि की आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी है वह यह है,

22 कि सोना, चांदी, पीतल, लोहा, रांगा, और सीसा,

23 जो कुछ आग में ठहर सके उसको आग में डालो, तब वह शुद्ध ठहरेगा; तौभी वह अशुद्धता छुड़ाने वाले जल के द्वारा पावन किया जाए; परन्तु जो कुछ आग में न ठहर सके उसे जल में डुबाओ।

24 और सातवें दिन अपने वस्त्रों को धोना, तब तुम शुद्ध ठहरोगे; और तब छावनी में आना॥

25 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

26 एलीआजर याजक और मण्डली के पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरूषों को साथ ले कर तू लूट के मनुष्यों और पशुओं की गिनती कर;

27 तब उन को आधा आधा करके एक भाग उन सिपाहियों को जो युद्ध करने को गए थे, और दूसरा भाग मण्डली को दे।

28 फिर जो सिपाही युद्ध करने को गए थे, उनके आधे में से यहोवा के लिये, क्या मनुष्य, क्या गाय-बैल, क्या गदहे, क्या भेड़-बकरियां

29 पांच सौ के पीछे एक को मानकर ले ले; और यहोवा की भेंट करके एलीआजर याजक को दे दे।

30 फिर इस्त्राएलियों के आधे में से, क्या मनुष्य, क्या गाय-बैल, क्या गदहे, क्या भेड़-बकरियां, क्या किसी प्रकार का पशु हो, पचास के पीछे एक ले कर यहोवा के निवास की रखवाली करने वाले लेवियों को दे।

31 यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार जो उसने मूसा को दी मूसा और एलीआजर याजक ने किया।

32 और जो वस्तुएं सेना के पुरूषों ने अपने अपने लिये लूट ली थीं उन से अधिक की लूट यह थी; अर्थात छ: लाख पचहत्तर हजार भेड़-बकरियां,

33 बहत्तर हजार गाय बैल,

34 इकसठ हजार गदहे,

35 और मनुष्यों में से जिन स्त्रियों ने पुरूष का मुंह नहीं देखा था वह सब बत्तीस हजार थीं।

36 और इसका आधा, अर्थात उनका भाग जो युद्ध करने को गए थे, उस में भेड़बकरियां तीन लाख साढ़े सैंतीस हजार,

37 जिस में से पौने सात सौ भेड़-बकरियां यहोवा का कर ठहरीं।

38 और गाय-बैल छत्तीस हजार, जिन में से बहत्तर यहोवा का कर ठहरे।

39 और गदहे साढ़े तीस हजार, जिन में से इकसठ यहोवा का कर ठहरे।

40 और मनुष्य सोलह हजार जिन में से बत्तीस प्राणी यहोवा का कर ठहरे।

41 इस कर को जो यहोवा की भेंट थी मूसा ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार एलीआजर याजक को दिया।

42 और इस्त्राएलियों की मण्डली का आधा

43 तीन लाख साढ़े सैंतिस हजार भेड़-बकरियां

44 छत्तीस हजार गाय-बैल,

45 साढ़े तीस हजार गदहे,

46 और सोलह हजार मनुष्य हुए।

47 इस आधे में से, जिसे मूसा ने युद्ध करने वाले पुरूषों के पास से अलग किया था, यहोवा की आज्ञा के अनुसार मूसा ने, क्या मनुष्य क्या पशु, पचास पीछे एक ले कर यहोवा के निवास की रखवाली करने वाले लेवियों को दिया।

48 तब सहस्त्रपति-शतपति आदि, जो सरदार सेना के हजारों के ऊपर नियुक्त थे, वे मूसा के पास आकर कहने लगे,

49 जो सिपाही हमारे आधीन थे उनकी तेरे दासों ने गिनती ली, और उन में से एक भी नहीं घटा।

50 इसलिये पायजेब, कड़े, मुंदरियां, बालियां, बाजूबन्द, सोने के जो गहने, जिसने पाया है, उन को हम यहोवा के साम्हने अपने प्राणों के निमित्त प्रायश्चित्त करने को यहोवा की भेंट करके ले आए हैं।

51 तब मूसा और एलीआजर याजक ने उन से वे सब सोने के नक्काशीदार गहने ले लिए।

52 और सहस्त्रपतियों और शतपतियों ने जो भेंट का सोना यहोवा की भेंट करके दिया वह सब का सब सोलह हजार साढ़े सात सौ शेकेल का था।

53 ( योद्धाओं ने तो अपने अपने लिये लूट ले ली थी। )

54 यह सोना मूसा और एलीआजर याजक ने सहस्त्रपतियों और शतपतियों से ले कर मिलापवाले तम्बू में पहुंचा दिया, कि इस्त्राएलियों के लिये यहोवा के साम्हने स्म्रण दिलानेवाली वस्तु ठहरे॥

गिनती 32

1 रूबेनियों और गादियों के पास बहुत जानवर थे। जब उन्होंने याजेर और गिलाद देशों को देखकर विचार किया, कि वह ढ़ोरों के योग्य देश है,

2 तब मूसा और एलीआजर याजक और मण्डली के प्रधानोंके पास जा कर कहने लगे,

3 अतारोत, दीबोन, याजेर, निम्रा, हेशबोन, एलाले, सबाम, नबो, और बोन नगरों का देश

4 जिस पर यहोवा ने इस्त्राएल की मण्डली को विजय दिलवाई है, वह ढोरों के योग्य है; और तेरे दासों के पास ढोर हैं।

5 फिर उन्होंने कहा, यदि तेरा अनुग्रह तेरे दासों पर हो, तो यह देश तेरे दासों को मिले कि उनकी निज भूमि हो; हमें यरदन पार न ले चल।

6 मूसा ने गादियों और रूबेनियों से कहा, जब तुम्हारे भाई युद्ध करने को जाएंगे तब क्या तुम यहां बैठे रहोगे?

7 और इस्त्राएलियों से भी उस पार के देश जाने के विषय जो यहोवा ने उन्हें दिया है तुम क्यों अस्वीकार करवाते हो?

8 जब मैं ने तुम्हारे बापदादों को कादेशबर्ने से कनान देश देखने के लिये भेजा, तब उन्होंने भी ऐसा ही किया था।

9 अर्थात जब उन्होंने एशकोल नाम नाले तक पहुंचकर देश को देखा, तब इस्त्राएलियों से उस देश के विषय जो यहोवा ने उन्हें दिया था अस्वीकार करा दिया।

10 इसलिये उस समय यहोवा ने कोप करके यह शपथ खाई कि,

11 नि:सन्देह जो मनुष्य मिस्र से निकल आए हैं उन में से, जितने बीस वर्ष के वा उससे अधिक अवस्था के हैं, वे उस देश को देखने न पाएंगे, जिसके देने की शपथ मैं ने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब से खाई है, क्योंकि वे मेरे पीछे पूरी रीति से नहीं हो लिये;

12 परन्तु यपुन्ने कनजी का पुत्र कालेब, और नून का पुत्र यहोशू, ये दोनों जो मेरे पीछे पूरी रीति से हो लिये हैं ये तो उसे देखने पाएंगे।

13 सो यहोवा का कोप इस्त्राएलियों पर भड़का, और जब तक उस पीढ़ी के सब लोगों का अन्त न हुआ, जिन्होंने यहोवा के प्रति बुरा किया था, तब तक अर्थात चालीस वर्ष तक वह जंगल में मारे मारे फिराता रहा।

14 और सुनो, तुम लोग उन पापियों के बच्चे हो कर इसी लिये अपने बाप-दादों के स्थान पर प्रकट हुए हो, कि इस्त्राएल के विरुद्ध यहोवा से भड़के हुए कोप को और भड़काओ!

15 यदि तुम उसके पीछे चलने से फिर जाओ, तो वह फिर हम सभों को जंगल में छोड़ देगा; इस प्रकार तुम इन सारे लोगों का नाश कराओगे।

16 तब उन्होंने मूसा के और निकट आकर कहा, हम अपने ढ़ोरों के लिये यहीं भेड़शाले बनाएंगे, और अपने बाल-बच्चों के लिये यहीं नगर बसाएंगे,

17 परन्तु आप इस्त्राएलियों के आगे आगे हथियार बन्द तब तक चलेंगे, जब तक उन को उनके स्थान में न पहुंचा दे; परन्तु हमारे बाल-बच्चे इस देश के निवासियों के डर से गढ़ वाले नगरों में रहेंगे।

18 परन्तु जब तक इस्त्राएली अपने अपने भाग के अधिकारी न हों तब तक हम अपने घरों को न लौटेंगे।

19 हम उनके साथ यरदन पार वा कहीं आगे अपना भाग न लेंगे, क्योंकि हमारा भाग यरदन के इसी पार पूरब की ओर मिला है।

20 तब मूसा ने उन से कहा, यदि तुम ऐसा करो, अर्थात यदि तुम यहोवा के आगे आगे युद्ध करने को हथियार बान्धो।

21 और हर एक हथियार-बन्द यरदन के पार तब तक चले, जब तक यहोवा अपने आगे से अपने शत्रुओं को न निकाले

22 और देश यहोवा के वश में न आए; तो उसके पीछे तुम यहां लौटोगे, और यहोवा के और इस्त्राएल के विषय निर्दोष ठहरोगे; और यह देश यहोवा के प्रति तुम्हारी निज भूमि ठहरेगा।

23 और यदि तुम ऐसा न करो, तो यहोवा के विरुद्ध पापी ठहरोगे; और जान रखो कि तुम को तुम्हारा पाप लगेगा।

24 तुम अपने बाल-बच्चों के लिये नगर बसाओ, और अपनी भेड़-बकरियों के लिये भेड़शाले बनाओ; और जो तुम्हारे मुंह से निकला है वही करो।

25 तब गादियों और रूबेनियों ने मूसा से कहा, अपने प्रभु की आज्ञा के अनुसार तेरे दास करेंगे।

26 हमारे बाल-बच्चे, स्त्रियां, भेड़-बकरी आदि, सब पशु तो यहीं गिलाद के नगरों में रहेंगे;

27 परन्तु अपने प्रभु के कहे के अनुसार तेरे दास सब के सब युद्ध के लिये हथियार-बन्द यहोवा के आगे आगे लड़ने को पार जाएंगे।

28 तब मूसा ने उनके विषय में एलीआजर याजक, और नून के पुत्र यहोशू, और इस्त्राएलियों के गोत्रों के पितरों के घरानों के मुख्य मुख्य पुरूषों को यह आज्ञा दी,

29 कि यदि सब गादी और रूबेनी पुरूष युद्ध के लिये हथियार-बन्द तुम्हारे संग यरदन पार जाएं, और देश तुम्हारे वश में आ जाए, तो गिलाद देश उनकी निज भूमि होने को उन्हें देना।

30 परन्तु यदि वे तुम्हारे संग हथियार-बन्द पार न जाएं, तो उनकी निज भूमि तुम्हारे बीच कनान देश में ठहरे।

31 तब गादी और रूबेनी बोल उठे, यहोवा ने जैसा तेरे दासों से कहलाया है वैसा ही हम करेंगे।

32 हम हथियार-बन्द यहोवा के आगे आगे उस पार कनान देश में जाएंगे, परन्तु हमारी निज भूमि यरदन के इसी पार रहे॥

33 तब मूसा ने गादियों और रूबेनियों को, और यूसुफ के पुत्र मनश्शे के आधे गोत्रियों को एमोरियों के राजा सीहोन और बाशान के राजा ओग, दोनों के राज्यों का देश, नगरों, और उनके आसपास की भूमि समेत दे दिया।

34 तब गादियों ने दीबोन, अतारोत, अरोएर,

35 अत्रौत, शोपान, याजेर, योगबहा,

36 बेतनिम्रा, और बेयारान नाम नगरों को दृढ़ किया, और उन में भेड़-बकरियों के लिये भेड़शाले बनाए।

37 और रूबेनियों ने हेशबोन, एलाले, और किर्यातैम को,

38 फिर नबो और बालमोन के नाम बदलकर उन को, और सिबमा को दृढ़ किया; और उन्होंने अपने दृढ़ किए हुए नगरों के और और नाम रखे।

39 और मनश्शे के पुत्र माकीर के वंश वालों ने गिलाद देश में जा कर उसे ले लिया, और जो एमोरी उस में रहते थे उन को निकाल दिया।

40 तब मूसा ने मनश्शे के पुत्र माकीर के वंश को गिलाद दे दिया, और वे उस में रहने लगे।

41 और मनश्शेई याईर ने जा कर गिलाद की कितनी बस्तियां ले लीं, और उनके नाम हव्वोत्याईर रखे।

42 और नोबह ने जा कर गांवों समेत कनात को ले लिया, और उसका नाम अपने नाम पर नोबह रखा॥

गिनती 33

1 जब से इस्त्राएली मूसा और हारून की अगुवाई से दल बान्धकर मिस्र देश से निकले, तब से उनके ये पड़ाव हुए।

2 मूसा ने यहोवा से आज्ञा पाकर उनके कूच उनके पड़ावों के अनुसार लिख दिए; और वे ये हैं।

3 पहिले महीने के पन्द्रहवें दिन को उन्होंने रामसेस से कूच किया; फसह के दूसरे दिन इस्त्राएली सब मिस्रियों के देखते बेखटके निकल गए,

4 जब कि मिस्री अपने सब पहिलौठों को मिट्टी दे रहे थे जिन्हें यहोवा ने मारा था; और उसने उनके देवताओं को भी दण्ड दिया था।

5 इस्त्राएलियों ने रामसेस से कूच करे सुक्कोत में डेरे डाले।

6 और सुक्कोत से कूच करके एताम में, जो जंगल के छोर पर हैं, डेरे डाले।

7 और एताम से कूच करके वे पीहहीरोत को मुड़ गए, जो बालसपोन के साम्हने है; और मिगदोल के साम्हने डेरे खड़े किए।

8 तब वे पीहहीरोत के साम्हने से कूच कर समुद्र के बीच हो कर जंगल में गए, और एताम नाम जंगल में तीन दिन का मार्ग चलकर मारा में डेरे डाले।

9 फिर मारा से कूच करके वे एलीम को गए, और एलीम में जल के बारह सोते और सत्तर खजूर के वृक्ष मिले, और उन्होंने वहां डेरे खड़े किए।

10 तब उन्होंने एलीम से कूच करे लाल समुद्र के तीर पर डेरे खड़े किए।

11 और लाल समुद्र से कूच करके सीन नाम जंगल में डेरे खड़े किए।

12 फिर सीन नाम जंगल से कूच करके उन्होंने दोपका में डेरा किया।

13 और दोपका से कूच करके आलूश में डेरा किया।

14 और आलूश से कूच करके रपीदीम में डेरा किया, और वहां उन लोगों को पीने का पानी न मिला।

15 फिर उन्होंने रपीदीम से कूच करके सीनै के जंगल में डेरे डाले।

16 और सीनै के जंगल से कूच करके किब्रोथत्तावा में डेरा किया।

17 और किब्रोथत्तावा से कूच करे हसेरोत में डेरे डाले।

18 और हसेरोत से कूच करके रित्मा में डेरे डाले।

19 फिर उन्होंने रित्मा से कूच करके रिम्मोनपेरेस में डेरे खड़े किए।

20 और रिम्मोनपेरेस से कूच करके लिब्ना में डेरे खड़े किए।

21 और लिब्ना से कूच करके रिस्सा में डेरे खड़े किए।

22 और रिस्सा से कूच करके कहेलाता में डेरा किया।

23 और कहेलाता से कूच करके शेपेर पर्वत के पास डेरा किया।

24 फिर उन्होंने शेपेर पर्वत से कूच करके हरादा में डेरा किया।

25 और हरादा से कूच करके मखेलोत में डेरा किया।

26 और मखेलोत से कूच करके तहत में डेरे खड़े किए।

27 और तहत से कूच करके तेरह में डेरे डाले।

28 और तेरह से कूच करके मित्का में डेरे डाले।

29 फिर मित्का से कूच करके उन्होंने हशमोना में डेरे डाले।

30 और हशमोना से कूच करके मोसेरोत मे डेरे खड़े किए।

31 और मोसेरोत से कूच करके याकानियों के बीच डेरा किया।

32 और याकानियों के बीच से कूच करके होर्हग्गिदगाद में डेरा किया।

33 और होर्हग्गिदगाद से कूच करके योतबाता में डेरा किया।

34 और योतबाता से कूच करके अब्रोना में डेरे खड़े किए।

35 और अब्रोना से कूच करके एस्योनगेबेर में डेरे खड़े किए।

36 और एस्योनगेबेर के कूच करके उन्होंने सीन नाम जंगल के कादेश में डेरा किया।

37 फिर कादेश से कूच करके होर पर्वत के पास, जो एदोम देश के सिवाने पर है, डेरे डाले।

38 वहां इस्त्राएलियों के मिस्र देश से निकलने के चालीसवें वर्ष के पांचवें महीने के पहिले दिन को हारून याजक यहोवा की आज्ञा पाकर होर पर्वत पर चढ़ा, और वहां मर गया।

39 और जब हारून होर पर्वत पर मर गया तब वह एक सौ तेईस वर्ष का था।

40 और अरात का कनानी राजा, जो कनान देश के दक्खिन भाग में रहता था, उसने इस्त्राएलियों के आने का समाचार पाया।

41 तब इस्त्राएलियों ने होर पर्वत से कूच करके सलमोना में डेरे डाले।

42 और सलमोना से कूच करके पूनोन में डेरे डाले।

43 और पूनोन से कूच करके ओबोस में डेरे डाले।

44 और ओबोस से कूच करके अबारीम नाम डीहों में जो मोआब के सिवाने पर हैं, डेरे डाले।

45 तब उन डीहों से कूच करके उन्होंने दीबोनगाद में डेरा किया।

46 और दीबोनगाद से कूच करके अल्मोनदिबलातैम से कूच करके उन्होंने अबारीम नाम पहाड़ों में नबो के साम्हने डेरा किया।

47 और अल्मोनदिबलातैम से कूच करके उन्होंने अबारीम नाम पहाड़ों में नबो के साम्हने डेरा किया।

48 फिर अबारीम पहाड़ों से कूच करके मोआब के अराबा में, यरीहो के पास यरदन नदी के तट पर डेरा किया।

49 और वे मोआब के अराबा में वेत्यशीमोत से ले कर आबेलशित्तीम तक यरदन के तीर तीर डेरे डाले॥

50 फिर मोआब के अराबा में, यरीहो के पास की यरदन नदी के तट पर, यहोवा ने मूसा से कहा,

51 इस्त्राएलियों को समझाकर कह, जब तुम यरदन पार हो कर कनान देश में पहुंचो

52 तब उस देश के निवासियों उनके देश से निकाल देना; और उनके सब नक्काशे पत्थरों को और ढली हुई मूतिर्यों को नाश करना, और उनके सब पूजा के ऊंचे स्थानों को ढा देना।

53 और उस देश को अपने अधिकार में ले कर उस में निवास करना, क्योंकि मैं ने वह देश तुम्हीं को दिया है कि तुम उसके अधिकारी हो।

54 और तुम उस देश को चिट्ठी डालकर अपने कुलों के अनुसार बांट लेना; अर्थात जो कुल अधिक वाले हैं उन्हें अधिक, और जो थोड़े वाले हैं उन को थोड़ा भाग देना; जिस कुल की चिट्ठी जिस स्थान के लिये निकले वही उसका भाग ठहरे; अपने पितरों के गोत्रों के अनुसार अपना अपना भाग लेना।

55 परन्तु यदि तुम उस देश के निवासियों अपने आगे से न निकालोगे, तो उन में से जिन को तुम उस में रहने दोगे वे मानो तुम्हारी आंखों में कांटे और तुम्हारे पांजरों में कीलें ठहरेंगे, और वे उस देश में जहां तुम बसोगे तुम्हें संकट में डालेंगे।

56 और उन से जैसा बर्ताव करने की मनसा मैं ने की है वैसा ही तुम से करूंगा।

गिनती 34

1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

2 इस्त्राएलियों को यह आज्ञा दे, कि जो देश तुम्हारा भाग होगा वह तो चारों ओर से सिवाने तक का कनान देश है, इसलिये जब तुम कनान देश मे पहुंचों,

3 तब तुम्हारा दक्खिनी प्रान्त सीन नाम जंगल से ले एदोम देश के किनारे किनारे होता हुआ चला जाए, और तुम्हारा दक्खिनी सिवाना खारे ताल के सिरे पर आरम्भ हो कर पश्चिम की ओर चले;

4 वहां से तुम्हारा सिवाना अक्रब्बीम नाम चढ़ाई की दक्खिन की ओर पहुंचकर मुड़े, और सीन तक आए, और कादेशबर्ने की दक्खिन की ओर निकले, और हसरद्दार तक बढ़के अस्मोन तक पहुंचे;

5 फिर वह सिवाना अस्मोन से घूमकर मिस्र के नाले तक पहुंचे, और उसका अन्त समुद्र का तट ठहरे।

6 फिर पच्छिमी सिवाना महासमुद्र हो; तुम्हारा पच्छिमी सिवाना यही ठहरे।

7 और तुम्हारा उत्तरीय सिवाना यह हो, अर्थात तुम महासमुद्र से ले होर पर्वत तक सिवाना बन्धाना;

8 और होर पर्वत से हामात की घाटी तक सिवाना बान्धना, और वह सदाद पर निकले;

9 फिर वह सिवाना जिप्रोन तक पहुंचे, और हसरेनान पर निकले; तुम्हारा उत्तरीय सिवाना यही ठहरे।

10 फिर अपना पूरबी सिवाना हसरेनान से शपाम तक बान्धना;

11 और वह सिवाना शपाम से रिबला तक, जो ऐन की पूर्व की ओर है, नीचे को उतरते उतरते किन्नेरेत नाम ताल के पूर्व से लग जाए;

12 और वह सिवाना यरदन तक उतर के खारे ताल के तट पर निकले। तुम्हारे देश के चारों सिवाने ये ही ठहरें।

13 तब मूसा ने इस्त्राएलियों से फिर कहा, जिस देश के तुम चिट्ठी डालकर अधिकारी होगे, और यहोवा ने उसे साढ़े नौ गोत्र के लोगों को देने की आज्ञा दी है, वह यही है;

14 परन्तु रूबेनियों और गादियों के गोत्र तो अपने अपने पितरों के कुलों के अनुसार अपना अपना भाग पा चुके हैं, और मनश्शे के आधे गोत्र के लोग भी अपना भाग पा चुके हैं;

15 अर्थात उन अढ़ाई गोत्रों के लोग यरीहो के पास की यरदन के पार पूर्व दिशा में, जहां सूर्योदय होता है, अपना अपना भाग पा चुके हैं॥

16 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,

17 कि जो पुरूष तुम लोगों के लिये उस देश को बांटेंगे उनके नाम ये हैं; अर्थात एलीआजर याजक और नून का पुत्र यहोशू।

18 और देश को बांटने के लिये एक एक गोत्र का एक एक प्रधान ठहराना।

19 और इन पुरूषों के नाम ये हैं; अर्थात यहूदागोत्री यपुन्ने का पुत्र कालेब,

20 शिमोनगोत्री अम्मीहूद का पुत्र शमुएल,

21 बिन्यामीनगोत्री किसलोन का पुत्र एलीदाद,

22 दानियों के गोत्र का प्रधान योग्ली का पुत्र बुक्की,

23 यूसुफियों में से मनश्शेइयों के गोत्र का प्रधान एपोद का पुत्र हन्नीएल,

24 और एप्रैमियों के गोत्र का प्रधान शिम्तान का पुत्र कमूएल,

25 जबूलूनियों के गोत्र का प्रधान पर्नाक का पुत्र एलीसापान,

26 इस्साकारियों के गोत्र का प्रधान अज्जान का पुत्र पलतीएल,

27 आशेरियों के गोत्र का प्रधान शलोमी का पुत्र अहीहूद,

28 और नप्तालियों के गोत्र का प्रधान अम्मीहूद का पुत्र पदहेल।

29 जिन पुरूषों को यहोवा ने कनान देश को इस्त्राएलियों के लिये बांटने की आज्ञा दी वे ये ही हैं॥