1 समुद्र के पास के जंगल के विषय भारी वचन। जैसे दक्खिनी प्रचण्ड बवण्डर चला आता है, वह जंगल से अर्थात डरावने देश से निकट आ रहा है। 2 कष्ट की बातों का मुझे दर्शन दिखाया गया है; विश्वासघाती विश्वासघात करता है, और नाशक नाश करता है। हे एलाम, चढ़ाई कर, हे मादै, घेर ले; […]
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यशायाह 22
1 दर्शन की तराई के विषय में भारी वचन। तुम्हें क्या हुआ कि तुम सब के सब छतों पर चढ़ गए हो, 2 हे कोलाहल और ऊधम से भरी प्रसन्न नगरी? तुझ में जो मारे गए हैं वे न तो तलवार से और न लड़ाई में मारे गए हैं। 3 तेरे सब न्यायी एक संग […]
यशायाह 23
1 सोर के विषय भारी वचन। हे तर्शीश के जहाजों हाय, हाय, करो; क्योंकि वह उजड़ गया; वहां न तो कोई घर और न कोई शरण का स्थान है! यह बात उन को कित्तियों के देश में से प्रगट की गई है। 2 हे समुद्र के तीर के रहने वालों, जिन को समुद्र के पार […]
यशायाह 24
1 सुनो, यहोवा पृथ्वी को निर्जन और सुनसान करने पर है, वह उसको उलटकर उसके रहने वालों को तितर बितर करेग। 2 और जैसी यजमान की वैसी याजक की; जैसी दास की वैसी स्वामी की; जैसी दासी की वैसी स्वामिनी की; जैसी लेने वाले की वैसी बेचने वाले की; जैसी उधार देने वाले की वैसी […]
यशायाह 25
1 हे यहोवा, तू मेरा परमेश्वर है; मैं तुझे सराहूंगा, मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूंगा; क्योंकि तू ने आश्चर्यकर्म किए हैं, तू ने प्राचीनकाल से पूरी सच्चाई के साथ युक्तियां की हैं। 2 तू ने नगर को डीह, और उस गढ़ वाले नगर को खण्डहर कर डाला है; तू ने परदेशियों की राजपुरी को […]
यशायाह 26
1 उस समय यहूदा देश में यह गीत गाया जाएगा, हमारा एक दृढ़ नगर है; उद्धार का काम देने के लिये वह उसकी शहरपनाह और गढ़ को नियुक्त करता है। 2 फाटकों को खोलो कि सच्चाई का पालन करने वाली एक धर्मी जाति प्रवेश करे। 3 जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए हैं, उसकी […]
यशायाह 27
1 उस समय यहोवा अपनी कड़ी, बड़ी, और पोड़ तलवार से लिव्यातान नाम वेग और टेढ़े चलने वाले सर्प को दण्ड देगा, और जो अजगर समुद्र में रहता है उसको भी घात करेगा॥ 2 उस समय एक सुन्दर दाख की बारी होगी, तुम उसका यश गाना! 3 मैं यहोवा उसकी रक्षा करता हूं; मैं झण […]
यशायाह 28
1 घमण्ड के मुकुट पर हाय! जो एप्रैम के मतवालों का है, और उनकी भड़कीली सुन्दरता पर जो मुर्झानेवाला फूल है, जो अति उपजाऊ तराई के सिरे पर दाखमधु से मतवालों की है। 2 देखो, प्रभु के पास एक बलवन्त और सामर्थी है जो ओले की वर्षा वा उजाड़ने वाली आंधी या बाढ़ की प्रचण्ड […]
यशायाह 29
1 हाय, अरीएल, अरीएल, हाय उस नगर पर जिस में दाऊद छावनी किए हुए रहा! वर्ष पर वर्ष जाड़ते जाओ, उत्सव के पर्व अपने अपने समय पर मनाते जाओ। 2 तौभी मैं तो अरीएल को सकेती में डालूंगा, वहां रोना पीटना रहेगा, और वह मेरी दृष्टि में सचमुच अरीएल सा ठहरेगा। 3 और मैं चारों […]
यशायाह 30
1 यहोवा की यह वाणी है, हाय उन बलवा करने वाले लड़कों पर जो युक्ति तो करते परन्तु मेरी ओर से नहीं; वाचा तो बान्धते परन्तु मेरे आत्मा के सिखाये नहीं; और इस प्रकार पाप पर पाप बढ़ाते हैं। 2 वे मुझ से बिन पूछे मिस्र को जाते हैं कि फिरौन की रक्षा में रहे […]