1 परन्तु अब जिनकी अवस्था मुझ से कम है, वे मेरी हंसी करते हैं, वे जिनके पिताओं को मैं अपनी भेड़ बकरियों के कुत्तों के काम के योग्य भी न जानता था। 2 उनके भुजबल से मुझे क्या लाभ हो सकता था? उनका पौरुष तो जाता रहा। 3 वे दरिद्रता और काल के मारे दुबले […]
Monthly Archives: October 2017
अय्यूब 31
1 मैं ने अपनी आंखों के विषय वाचा बान्धी है, फिर मैं किसी कुंवारी पर क्योंकर आंखें लगाऊं? 2 क्योंकि ईश्वर स्वर्ग से कौन सा अंश और सर्वशक्तिमान ऊपर से कौन सी सम्पत्ति बांटता है? 3 क्या वह कुटिल मनुष्यों के लिये विपत्ति और अनर्थ काम करने वालों के लिये सत्यानाश का कारण नहीं है? […]
अय्यूब 32
1 तब उन तीनों पुरुषों ने यह देख कर कि अय्यूब अपनी दृष्टि में निर्दोष है उसको उत्तर देना छोड़ दिया। 2 और बूजी बारकेल का पुत्र एलीहू जो राम के कुल का था, उसका क्रोध भड़क उठा। अय्यूब पर उसका क्रोध इसलिये भड़क उठा, कि उसने परमेश्वर को नहीं, अपने ही को निर्दोष ठहराया। […]
अय्यूब 33
1 तौभी हे अय्यूब! मेरी बातें सुन ले, और मेरे सब वचनों पर कान लगा। 2 मैं ने तो अपना मुंह खोला है, और मेरी जीभ मुंह में चुलबुला रही है। 3 मेरी बातें मेरे मन की सिधाई प्रगट करेंगी; जो ज्ञान मैं रखता हूं उसे खराई के साथ कहूंगा। 4 मुझे ईश्वर की आत्मा […]
अय्यूब 34
1 फिर एलीहू यों कहता गया; 2 हे बुद्धिमानो! मेरी बातें सुनो, और हे ज्ञानियो! मेरी बातों पर कान लगाओ; 3 क्योंकि जैसे जीभ से चखा जाता है, वैसे ही वचन कान से परखे जाते हैं। 4 जो कुछ ठीक है, हम अपने लिये चुन लें; जो भला है, हम आपस में समझ बूझ लें। […]
अय्यूब 35
1 फिर एलीहू इस प्रकार और भी कहता गया, 2 कि क्या तू इसे अपना हक़ समझता है? क्या तू दावा करता है कि तेरा धर्म ईश्वर के धर्म से अधिक है? 3 जो तू कहता है कि मुझे इस से क्या लाभ? और मुझे पापी होने में और न होने में कौन सा अधिक […]
अय्यूब 36
1 फिर एलीहू ने यह भी कहा, 2 कुछ ठहरा रह, और मैं तुझ को समझाऊंगा, क्योंकि ईश्वर के पक्ष में मुझे कुछ और भी कहना है। 3 मैं अपने ज्ञान की बात दूर से ले आऊंगा, और अपने सिरजनहार को धमीं ठहराऊंगा। 4 निश्चय मेरी बातें झूठी न होंगी, वह जो तेरे संग है […]
अय्यूब 37
1 फिर इस बात पर भी मेरा हृदय कांपता है, और अपने स्थान से उछल पड़ता है। 2 उसके बोलने का शब्द तो सुनो, और उस शब्द को जो उसके मुंह से निकलता है सुनो। 3 वह उसको सारे आकाश के तले, और अपनी बिजली को पृथ्वी की छोर तक भेजता है। 4 उसके पीछे […]
अय्यूब 38
1 तब यहोवा ने अय्यूब को आँधी में से यूं उत्तर दिया, 2 यह कौन है जो अज्ञानता की बातें कहकर युक्ति को बिगाड़ना चाहता है? 3 पुरुष की नाईं अपनी कमर बान्ध ले, क्योंकि मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे उत्तर दे। 4 जब मैं ने पृथ्वी की नेव डाली, तब […]
अय्यूब 39
1 क्या तू जानता है कि पहाड़ पर की जंगली बकरियां कब बच्चे देती हैं? वा जब हरिणियां बियाती हैं, तब क्या तू देखता रहता है? 2 क्या तू उनके महीने गिन सकता है, क्या तू उनके बियाने का समय जानता है? 3 जब वे बैठ कर अपने बच्चों को जनतीं, वे अपनी पीड़ों से […]