1 हे यहोवा, मैं ने गहिरे स्थानों में से तुझ को पुकारा है! 2 हे प्रभु, मेरी सुन! तेरे कान मेरे गिड़गिड़ाने की ओर ध्यान से लगे रहें! 3 हे याह, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खड़ा रह सकेगा? 4 परन्तु तू क्षमा करने वाला है? जिस से […]
Monthly Archives: October 2017
भजन संहिता 131
1 हे यहोवा, न तो मेरा मन गर्व से और न मेरी दृष्टि घमण्ड से भरी है; और जो बातें बड़ी और मेरे लिये अधिक कठिन हैं, उन से मैं काम नहीं रखता। 2 निश्चय मैं ने अपने मन को शान्त और चुप कर दिया है, जैसे दूध छुड़ाया हुआ लड़का अपनी मां की गोद […]
भजन संहिता 132
1 हे यहोवा, दाऊद के लिये उसकी सारी दुर्दशा को स्मरण कर; 2 उसने यहोवा से शपथ खाई, और याकूब के सर्वशक्तिमान की मन्नत मानी है, 3 कि निश्चय मैं उस समय तक अपने घर में प्रवेश न करूंगा, और ने अपने पलंग पर चढूंगा; 4 न अपनी आंखों में नींद, और न अपनी पलकों […]
भजन संहिता 133
1 देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें! 2 यह तो उस उत्तम तेल के समान है, जो हारून के सिर पर डाला गया था, और उसकी दाढ़ी पर बह कर, उसके वस्त्र की छोर तक पहुंच गया। 3 वह हेर्मोन की उस ओस के समान […]
भजन संहिता 134
1 हे यहोवा के सब सेवकों, सुनो, तुम जो रात रात को यहोवा के भवन में खड़े रहते हो, यहोवा को धन्य कहो। 2 अपने हाथ पवित्र स्थान में उठा कर, यहोवा को धन्य कहो। 3 यहोवा जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है, वह सिय्योन में से तुझे आशीष देवे॥
भजन संहिता 135
1 याह की स्तुति करो, यहोवा के नाम की स्तुति करो, हे यहोवा के सेवकों तुम स्तुति करो, 2 तुम जो यहोवा के भवन में, अर्थात हमारे परमेश्वर के भवन के आंगनों में खड़े रहते हो! 3 याह की स्तुति करो, क्योंकि यहोवा भला है; उसके नाम का भजन गाओ, क्योंकि यह मन भाऊ है! […]
भजन संहिता 136
1 यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है, और उसकी करूणा सदा की है। 2 जो ईश्वरों का परमेश्वर है, उसका धन्यवाद करो, उसकी करूणा सदा की है। 3 जो प्रभुओं का प्रभु है, उसका धन्यवाद करो, उसकी करूणा सदा की है॥ 4 उसको छोड़कर कोई बड़े बड़े अशचर्यकर्म नहीं करता, उसकी करूणा सदा […]
भजन संहिता 137
1 बाबुल की नहरों के किनारे हम लोग बैठ गए, और सिय्योन को स्मरण करके रो पड़े! 2 उसके बीच के मजनू वर्क्षों पर हम ने अपनी वीणाओं को टांग दिया; 3 क्योंकि जो हम को बन्धुए करके ले गए थे, उन्होंने वहां हम से गीत गवाना चाहा, और हमारे रूलाने वालों ने हम से […]
भजन संहिता 138
1 मैं पूरे मन से तेरा धन्यवाद करूँगा; देवताओं के सामने भी मैं तेरा भजन गाऊँगा। 2 मैं तेरे पवित्र मन्दिर की ओर दण्डवत करूँगा, और तेरी करुणा और सच्चाई के कारण तेरे नाम का धन्यवाद करूँगा, क्योंकि तू ने अपने वचन को अपने बड़े नाम से अधिक महत्त्व दिया है। 3 जिस दिन मैंने […]
भजन संहिता 139
1 हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है॥ 2 तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है। 3 मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है। 4 हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी […]