1 मलाकी के द्वारा इस्राएल के विषय में कहा हुआ यहोवा का भारी वचन॥ 2 यहोवा यह कहता है, मैं ने तुम से प्रेम किया है, परन्तु तुम पूछते हो, तू ने किस बात में हम से प्रेम किया है? यहोवा की यह वाणी है, क्या ऐसाव याकूब का भाई न था? 3 तौभी मैं […]
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मलाकी 2
1 और अब हे याजको, यह आज्ञा तुम्हारे लिये है। 2 यदि तुम इसे न सुनो, और मन लगा कर मेरे नाम का आदर न करो, तो सेनाओं का यहोवा यों कहता है कि मैं तुम को शाप दूंगा, और जो वस्तुएं मेरी आशीष से तुम्हें मिलीं हैं, उन पर मेरा शाप पड़ेगा, वरन तुम […]
मलाकी 3
1 देखो, मैं अपने दूत को भेजता हूं, और वह मार्ग को मेरे आगे सुधारेगा, और प्रभु, जिसे तुम ढूंढ़ते हो, वह अचानक अपने मन्दिर में आ जाएगा; हां वाचा का वह दूत, जिसे तुम चाहते हो, सुनो, वह आता है, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। 2 परन्तु उसके आने के दिन की […]
मलाकी 4
1 क्योंकि देखो, वह धधकते भट्ठे का सा दिन आता है, जब सब अभिमानी और सब दुराचारी लोग अनाज की खूंटी बन जाएंगे; और उस आने वाले दिन में वे ऐसे भस्म हो जाएंगे कि उनका पता तक न रहेगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। 2 परन्तु तुम्हारे लिये जो मेरे नाम का […]
जकर्याह 1
1 दारा के राज्य के दूसरे वर्ष के आठवें महीने में जकर्याह भविष्यद्वक्ता के पास जो बेरेक्याह का पुत्र और इद्दो का पोता था, यहोवा का यह वचन पहुंचा: 2 यहोवा तुम लोगों के पुरखाओं से बहुत ही क्रोधित हुआ था। 3 इसलिये तू इन लोगों से कह, सेनाओं का यहोवा यों कहता है: तुम […]
जकर्याह 2
1 फिर मैं ने आंखें उठाईं तो क्या देखा, कि हाथ में नापने की डोरी लिए हुए एक पुरूष है। 2 तब मैं ने उस से पूछा, तू कहां जाता है? उसने मुझ से कहा, यरूशलेम को नापने जाता हूं कि देखूं उसकी चौड़ाई कितनी, और लम्बाई कितनी है। 3 तब मैं ने क्या देखा, […]
जकर्याह 3
1 फिर उसने यहोशू महायाजक को यहोवा के दूत के साम्हने खड़ा हुआ मुझे दिखाया, और शैतान उसकी दाहिनी ओर उसका विरोध करने को खड़ा था। 2 तब यहोवा ने शैतान से कहा, हे शैतान यहोवा तुझ को घुड़के! यहोवा जो यरूशलेम को अपना लेता है, वही तुझे घुड़के! क्या यह आग से निकाली हुई […]
जकर्याह 4
1 फिर जो दूत मुझ से बातें करता था, उसने आकर मुझे ऐसा जगाया जैसा कोई नींद से जगाया जाए। 2 और उसने मुझ से पूछा, तुझे क्या देख पड़ता है? मैं ने कहा, एक दीवट है, जो सम्पूर्ण सोने की है, और उसका कटोरा उसकी चोटी पर है, और उस पर उसके सात दीपक […]
जकर्याह 5
1 मैं ने फिर आंखें उठाईं तो क्या देखा, कि एक लिखा हुआ पत्र उड़ रहा है। 2 दूत ने मुझ से पूछा, तुझे क्या देख पड़ता है? मैं ने कहा, मुझे एक लिखा हुआ पत्र उड़ता हुआ देख पड़ता है, जिस की लम्बाई बीस हाथ और चौड़ाई दस हाथ की है। 3 तब उसने […]
जकर्याह 6
1 मैं ने फिर आंखें उठाईं, और क्या देखा कि दो पहाड़ों के बीच से चार रथ चले आते हैं; और वे पहाड़ पीतल के हैं। 2 पहिले रथ में लाल घोड़े और दूरे रथ में काले, 3 तीसरे रथ में श्वेत और चौथे रथ में चितकबरे और बादामी घोड़े हैं। 4 तब मैं ने […]