मरकुस 11

1 जब वे यरूशलेम के निकट जैतून पहाड़ पर बैतफगे और बैतनिय्याह के पास आए, तो उस ने अपने चेलों में से दो को यह कहकर भेजा। 2 कि अपने साम्हने के गांव में जाओ, और उस में पंहुचते ही एक गदही का बच्चा जिस पर कभी कोई नहीं चढ़ा, बन्धा हुआ तुम्हें मिलेगा, उसे […]

मरकुस 12

1 फिर वह दृष्टान्त में उन से बातें करने लगा: कि किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगाई, और उसके चारों ओर बाड़ा बान्धा, और रस का कुंड खोदा, और गुम्मट बनाया; और किसानों को उसका ठेका देकर पर देश चला गया। 2 फिर फल के मौसम में उस ने किसानों के पास एक दास […]

मरकुस 13

1 जब वह मन्दिर से निकल रहा था, तो उसके चेलों में से एक ने उस से कहा; हे गुरू, देख, कैसे कैसे पत्थर और कैसे कैसे भवन हैं! 2 यीशु ने उस से कहा; क्या तुम ये बड़े बड़े भवन देखते हो: यहां पत्थर पर पत्थर भी बचा न रहेगा जो ढाया न जाएगा॥ […]

मरकुस 14

1 दो दिन के बाद फसह और अखमीरी रोटी का पर्व्व होनेवाला था: और महायाजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसे क्योंकर छल से पकड़ कर मार डालें। 2 परन्तु कहते थे, कि पर्व्व के दिन नहीं, कहीं ऐसा न हो कि लोगों में बलवा मचे॥ 3 जब वह बैतनिय्याह में […]

मरकुस 15

1 और भोर होते ही तुरन्त महायाजकों, पुरनियों, और शास्त्रियों ने वरन सारी महासभा ने सलाह करके यीशु को बन्धवाया, और उसे ले जाकर पीलातुस के हाथ सौंप दिया। 2 और पीलातुस ने उस से पूछा, क्या तू यहूदियों का राजा है? उस ने उस को उत्तर दिया; कि तू आप ही कह रहा है। […]

मरकुस 16

1 जब सब्त का दिन बीत गया, तो मरियम मगदलीनी और याकूब की माता मरियम और शलोमी ने सुगन्धित वस्तुएं मोल लीं, कि आकर उस पर मलें। 2 और सप्ताह के पहिले दिन बड़ी भोर, जब सूरज निकला ही था, वे कब्र पर आईं। 3 और आपस में कहती थीं, कि हमारे लिये कब्र के […]